जैव उर्वरक: उत्पादन और आवेदन | Read this article in Hindi to learn about:- 1. जैव उर्वरक उत्पादन में प्रयुक्त रसायन एवं अन्य पदार्थ (Chemicals and Materials used for the Production of Bio-Fertilizers) 2. जैव उर्वरकों के व्यावसायिक उत्पादन की प्रमुख आवश्यकताएँ (Important Requirements for Industrial Production of Bio-Fertilizers) 3. व्यावसायिक उत्पादन (Commercial Production).

जैव उर्वरक उत्पादन में प्रयुक्त रसायन एवं अन्य पदार्थ (Chemicals and Materials used for the Production of Bio-Fertilizers):

वाहक पदार्थ सूक्ष्मजीवों के वर्धन में सहायक होते है । वाहक ऐसे पदार्थ होते है जिनको सूक्ष्मजीवीय संवर्धन (Microbial Inoculant) से इतना संतृप्त कर देते है, जिससे इनमें 30% नमी बनी रहे । BIS के अनुसार वाहक पदार्थ चूर्ण के रूप में होना चाहिए तथा इसके कणों का आकार 72-100 आकार की जाली से निकल जाना चाहिए ।

एक अच्छे वाहक पदार्थ के गुण निम्नलिखित होते हैं:

(a) इन्हें आसानी से निर्जमीकृत किया जा सके ।

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(b) आसानी से उपलब्ध हो तथा आर्थिक रूप से ठीक हो ।

(c) इसकी जल आग्रहण क्षमता (Water Holding Capacity) अच्छी होनी चाहिए ।

जैव उर्वरक बंधन सामग्री (Bio-Fertilizer Packing Material):

जैव उर्वरकों (Bio-fertilizers) के निर्माण के पश्चात् इनको आसानी से उपलब्ध, सस्ते, पालीथिन पैकेट में बंद किया जाता है । इन पैकेट में नमी को बनाए रखने में सहायता मिलती है और इन्हें आसानी से सील किया जा सकता है । इनका गेज 300 होना चाहिए । अधिक मात्रा में जैव उर्वरक आपूर्ति हेतु पैकिंग सामग्री के रूप में लोहे के क्लिप, नाइलोन रस्सी आदि भी होनी चाहिए ।

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स्नेही पदार्थ (Adhesines):

ये एक प्रकार का गौंद (Gum) होता है जिसे जैव उर्वरक (Bio-fertilizers) में मिलाया जाता है, जिससे जैव उर्वरकों का बीजों पर लेपन (Coating) करते समय भली-भाँति चिपक जा सके ।

स्नेही पदार्थ के रूप में प्रतिशत कागज गौंद (Wall Paper Blue) 4 प्रतिशत अकेसिया का गौंद (Acacia Gum) 4 प्रतिशत कर्बोक्सी मिथाइल सेल्युलोस (Carboxy Methyl Cellulose) 10 प्रतिशत शहद, गुड या शक्कर का उपयोग किया जाता है ।

रसायन (Chemicals):

ADVERTISEMENTS:

अलग-अलग जैव उर्वरकों (Bio-Fertilizers) के निर्माण हेतु विभिन्न संवर्धन माध्यमों का निर्माण किया जाता है, जो Semi-Solid या Broth के रूप में हो सकते हैं ।

विभिन्न सूक्ष्मजीवों (Micro-Organisms) के वर्धन हेतु प्रयोग में लाए जाने वाले रसायन एवं उनसे बने Culture Medium का विवरण निम्न प्रकार से है:

Culture Media for Rhizobium:

Mannitol – 10 gm.

Yeast Extract – 1.0 gm.

Di Potassium Hydrogen Phosphate (K2HP04)- 0.5 gm.

Magnesium Sulphate (MgSO47H2O) – 0.8 gm.

Sodium Chloride (NaCl) – 0.2 gm.

Ferric Chloride (FeCl36H2O) – 0.01 gm.

Distilled Water – One lit.

Yema Media – Yeast Extract Mannitol Agar with Congo Red.

K2H P04 – 0.5 gm.

MgS04. 7H20 – 0.2 gm.

NaCl – 0.1 gm.

Mannitol – 10.0 gm.

Yeast Extract – 1.0 gm.

Agar – 15.0 gm.

Distilled H2O – 1 lit.

1% Congo Red – 2.5 ml.

pH. –  7 ± 0.2

Culture Media for Azotobacter:

Ashby’s Culture Media – ph. 7.2

Mannical – 20.0 gm.

K2P04 – 0.2 gm.

MgSo4.7H20 – 0.2 gm.

NaCl – 0.2 gm.

K2S04 – 0.1 gm.

CaC03 – 5.0 gm.

Agar – 15.0 gm.

Distilled H2O – 1 lit.

Chu’s Media No-10:

Ca(N03)2 – 0.004%

MgSo47H2O – 0.001%

K2HP04 – 0.005-0.001%

Na2C03 – 0.002%

Na2SiO3 – 0.0025%

FeCl3 – 0.008%

Pringsheim’s Media:

KN03 0.2%

MgSo4. 7H2O – 0.001%

(NH4)2 HPo4 – 0.002%

CaCl2.6H20 – 0.0005%

FeCl3 – 0.00005%

जैव उर्वरकों के व्यावसायिक उत्पादन की प्रमुख आवश्यकताएँ (Important Requirements for Industrial Production of Bio-Fertilizers):

Biofertilizers के निर्माण के लिए कुछ basically सुविधाएँ अति आवश्यक होती है:

(1) प्रयोगशाला एवं प्रशासनिक भवन (Laboratory and Administrative Wing):

उत्पादन निर्जमीकृत (Sterilized) वातावरण में किया जाना आवश्यक है । इसलिए प्रयोगशाला भवन का नक्शा (Map) सभी सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए बनाना आवश्यक है ।

(2) निवेशन कक्ष (Inoculation Room):

इस कक्षा का उपयोग विभेदों के वर्धन हेतु इनका अप्राकृतिक संवर्धन माध्यम (Artificial Culture Media) में निवेशन (Inoculation) के लिए किया जाता है ।

इस कक्ष में निम्न उपकरण होने चाहिए:

(a) लेमीनर एयर फ्लो बैंच (Laminar Air Flow),

(b) छोटा संवर्धन हलित्र (Small Refactory Shaker),

(c) गैस एवं सिलेंडर (Gas and Cylinder) ।

(3) विभेद संरक्षण कक्ष (Strain Maintenance Room):

सूक्ष्म जीवों के Strains के उचित संरक्षण हेतु इस कक्ष में Refrigerators की आवश्यकता होती है । इस कक्षा में खिड़कियाँ (Window) न हो तो अधिक उचित रहता है ।

(4) संवर्धन माध्यम कक्ष (Culture Media Room):

इस कक्षा का उपयोग संवर्धन माध्यम (Culture Media) निर्माण में किया जाता है ।

इसके निम्न उपकरण होने चाहिए:

(a) इलैक्ट्रॉनिक तुला (Electronic Balance),

(b) pH मीटर (pH Metre),

(c) काँच के विभिन्न आवश्यक बर्तन (Glass Wares) ।

(5) निर्जमीकरण कक्ष (Sterilization Room):

संवर्धन माध्यम (Culture Medium) को संदूषण (Contamination) से बचाने के लिए इस कक्षा में निर्जमीकरण (Sterilization) किया जाता है ।

इसमें निम्न उपकरणों की आवश्यकता होती है:

(a) ऑटो क्लेव (Autoclave),

(b) वाहक पदार्थ (Carrier Material),

(c) ओवन (Oven),

(d) प्राथमिक चिकित्सा सुविधा (First Aid Box) ।

(6) गुणवत्ता नियंत्रण कक्ष (Quality Control Room):

इस Chamber का उपयोग निर्मित जैव उर्वरक पैकेट Strain, Broth आदि की गुणवत्ता जांच के लिए किया जाता है ।

इस कक्षा में निम्न उपकरण होने चाहिए:

(a) Microscope,

(b) BOD Incubator,

(c) Microbial Colony Counter.

(7) किण्वन तथा हलित कक्ष (Fermentation and Shaker Room):

इस कक्षा में धातु के बने किण्वक (Fermenter) होते है और इस उपकरण में बिना संदूषण के संवर्धन माध्यम में Micro Organisms का वर्धन किया जाता है, ताप नियंत्रक लगा होना चाहिए ।

(8) मिश्रण एवं भरण कक्ष (Mixing and Packing Room):

इस चेम्बर में संवर्धित सूक्ष्मजीवों को वाहक पदार्थ में मिश्रित कर उनको पैकेटों में भरा जाता है ।

इस कक्षा में निम्न उपकरण आवश्यक है:

(a) Mixer,

(b) Sealing Machine.

(9) वर्धन कक्ष (Growth Room):

यह एक पूर्णतया कम्प्यूटराइज्ड (Computerized) कक्ष होता है जिसमें तापमान (Temperature), प्रकाश (Light) तथा आर्द्रता (Humidity) का नियमन आवश्यकतानुसार किया जा सकता है ।

(10) भंडारण कक्ष (Store Room):

विभिन्न प्रकार के जैव उर्वरकों (Bio-Fertilizers) के भंडारण (Store) के साथ- साथ रसायनों (Chemicals), काँच (Glass) के बर्तनों तथा अन्य सामग्री के लिए भी उपयोगी होता है ।

जीवाणु निवेशित जैव उर्वरकों के व्यावसायिक उत्पादन (Commercial Production of Bacterial Bio-Fertilizers):

Bio-fertilizers (Agar Culture), यूष संवर्ध (Broth Culture), शुष्कित (Dried Culture), हिमीभूत शुष्क संवर्ध (Freeze Dried Culture) व Power Based जैव-उर्वरक के रूप में बनाये जाते है । व्यावसायिक स्तर (Commercial Level) पर जैव-उर्वरक के निर्माण हेतु Power Based आधारित संवर्ध अधिक उपयोगी होते हैं ।

इस विधि द्वारा व्यावसायिक उत्पादन निम्न तरीके से होता है:

विभेदों का चयन (Strain Selection):

उच्च गुणवत्ता वाले विभेदों (Strains) को चयन करते समय निम्न तथ्यों को ध्यान में रखना चाहिए:

(i) व्यापक पर्यावरणीय परिस्थितियों में नाइट्रोजन यौगिकीकरण की क्षमता,

(ii) ग्रंथिक निर्माण की क्षमता,

(iii) मृदा में दीर्घ स्थायित्क्ता,

(iv) मृदा में वर्धन व उत्तर जीविता,

(v) गतिशीलता की क्षमता,

(vi) परपोषी पादप की मूल से दूर उत्तरजीविता,

(vii) माध्यम (Medium) व वाहक में वर्धन की क्षमता ।

यूष संर्वध निर्माण (Preparation of Broth Culture):

जैव उर्वरक उत्पादन हेतु तरल संवर्धन माध्यम (Liquid Culture Media) में जब वांछित जीवाणु विभेदन (Strains) को निवेशित कर संवर्ध बनाया जाता है तो ये संवर्ध यूष संवर्ध (Broth Culture) कहलाता है ।

जिसे बाद में वाहक पदार्थ में निवेशित किया जाता है । विभिन्न संवर्धन माध्यमों (Culture Medium) का निर्माण उपयुक्त रसायनों की मात्रा मिलाकर, उत्पादन को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए । इसे निर्जमीकृत (Sterlize) करने के लिए 121°C तथा 15 दाब प्रति वर्ग इंच पर Autoclave करना चाहिए ।

साधारणतया 5 लीटर क्षमता वाले Flasks में इनका निर्माण किया जाता है । फ्लास्क में Liquid Culture Medium का निर्माण Rotatory Shaker द्वारा Broth Culture बनाने हेतु किया जाता है । अन्य विधि में Fermenter में बनाया जाता है ।

वाहक पदार्थ का पूर्वोचार एवं निर्जमीकरण (Pre-Treatment and Sterilization of Carrier Material):

जैव उर्वरक (Bio-fertilizers) की गुणवत्ता वाहक पदार्थ की गुणवत्ता पर आधारित रहती है । ऐसे वाहक पदार्थ जिनका pH. Value Acidic होता है । उन्हें CaCO3 (Calcium Carbonate) द्वारा Neutral कर दिया जाता है । वाहक पदार्थ को Sterilized करके से पूर्व आयताकर Tray में 10-15 प्रतिशत तक जल द्वारा नम करा दिया जाता है ।

वाहक पदार्थ के निर्जमीकरण (Sterilization) हेतु निम्न विधियाँ प्रयोग में लाई जाती है:

(a) क्षणिक शुष्कन (Flask Drying),

(b) आटोक्लेव (Autoclave),

(c) गामा विकिरण (Gamma Radiation),

(d) रासायनिक निर्जमीकरण (Chemical Sterilization) ।

जैव उर्वरकों की पैकिंग, परिपक्वन तथा भंडारण (Packing Uring and Storage of Bio-Fertilizers):

यूष संवर्ध के वाहक पदार्थ में अमिश्रित किये जाने के बाद इस मिश्रण को पैकेटों में भरकर सील कर दिया जाता है तथा इन्हें 24 घंटे तक 28°C – 30°C ताप पर परिपक्वन हेतु छोड़ दिया जाता है । परिपक्वन के बाद जैव उर्वरक पैकेटों को 4°C-20°C ताप पर भंडारित करते हैं ।

जैव उर्वरक पैकेट की गुणवत्ता की जाँच (Quality Testing of Bio-Fertilizers Packets):

पूर्ण रूप से बन चुके Bio-fertilizers Packets के प्रत्येक Batch की गुणवत्ता की जाँच मानकों के अनुसार करने के बाद इन्हें Market में बेचा जाता है ।

जैव उर्वरक प्रौद्योगिकी की प्रमुख समस्याएँ (Main Constrains of Bio-Fertilizers Technology):

जैव उर्वरक की उपयोगिता एवं दूरगामी स्वर्ण प्रभावों को ध्यान में रखते हुए इनका व्यावसायिक उत्पादन हो रहा है । किंतु इसके बावजूद भी वर्तमान परिवेश में आम किसान तक नहीं पहुँच पाया है ।

जैव उर्वरक प्रौद्योगिकी की मुख्य समस्याओं को प्रमुख वर्गों में बाटा गया है:

(1) उत्पादन स्तर पर समस्याएं (Constraints at the Production Level),

(2) योग विभेदों का आसानी से उपलब्ध न होना,

(3) उचित वाहक पदार्थ की अनुपलब्धता,

(4) किण्वन के दौरान Micro-Organisms का Mutation,

(5) पैकिंग हेतु किसी विशेष मानक का उपयोग न करना,

(6) किसानों में जैव उर्वरकों के प्रति जागरूकता की कमी,

(7) विपणन स्तर पर समस्याऐं (Constraints at the Marketing Level),

(8) वातावरणीय समस्याऐं (Environmental Constraints) चूँकि जैव उर्वरक जीवित Micro Organisms से निवेशित (Inoculate) होते हैं, अत: मृदा (Soil) के विभिन्न कारक एवं वातावरणीय कारक जैसे ताप, प्रकाश (Temperature Light) आर्द्रता (Humidity) आदि की मानक रूप से उपलब्धता होने पर ही इनका उचित प्रभाव देखा जा सकेगा,

(9) अलग-अलग फसलों के लिए अलग-अलग Bio-fertilizer की आवश्यकता होती है । अत: उचित समय पर उचित भाग का आकलन करने में समस्याएँ आती है,

(10) निजी निर्माताओं की गुणवत्ता पर किसानों का पूर्णतया भरोसा न होना,

(11) संसाधन स्तर पर समस्याऐं (Constraints at the Resource Level) ।

जैव उर्वरक इकाई की स्थापना हेतु कई आधुनिक उपकरणों की आवश्यकता होती है । इनको पूर्ण करने में आर्थिक समस्याएँ (Economic Problems) आती है ।