जैव उर्वरक: लाभ और सावधानियां | Read this article in Hindi to learn about:- 1. जैव उर्वरक से लाभ (Benefits of Bio-Fertilizers) 2. जैव उर्वरक प्रयोग की विधियाँ (Method of Bio-Fertilizer Application) 3. जैव उर्वरक प्रयोग में सावधानियाँ (Precautions during Application of Bio-Fertilizers).
जैव उर्वरक से लाभ (Benefits of Bio-Fertilizers):
जैव उर्वरकों से होने वाले मुख्य लाभ निम्नलिखित है:
(1) जैव उर्वरक कम लागत में बनाए जा सकते है और इनको बनाने की विधि सरल है ।
(2) इनके उपयोग से मृदा (Soil) उर्वरक शक्ति (Fertility Power) बढ़ती है तथा Sustainable Agriculture Production को बढ़ावा मिलता है ।
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(3) Biofertilizers के प्रयोग से मृदा (Soil) के भौतिक एवं रासायनिक गुणों में वृद्धि होती है एवं पानी को रोकने की क्षमता बढ़ती है असर भूमि को भी उपजाऊ बनाया जा सकता है ।
(4) राइजोबियम (Rhizobium), एजोटोबैक्टर (Azotobacter) तथा एजीस्प्रिलम जैसे Bacteria के प्रयोग से भूमि में नाइट्रोजन की कमी को पूरा किया जा सकता है ।
(5) सायनो बैक्टीरिया (Cyanobacteria) भूमि में Protein, Amino Acids Vitamin आदि स्त्रावित करके भूमि में Organic Substance की मात्रा को बढ़ाते हैं और साथ में Nitrogen का स्थिरीकरण भी करते है ।
(6) माइकोराइजा जैव-उर्वरक के प्रयोग से जडों का तलीय क्षेत्र (Surface Area) बढ़ जाता है । Plants में Phosphate पोषण के लिए VAM (Vesicular Arbuscular Mycorrhiza) बहुत महत्वपूर्ण है । भूमि से जल एवं खनिज लवणों के अवशोषण की क्षमता बढ़ती है जिसके कारण उत्पादन में वृद्धि होती है ।
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(7) VAM की उपस्थिति में बीमारी पैदा करने वाले कवक (Fungi) तथा Bacteria में कमी आती है ।
(8) जैव-उर्वरक प्राकृतिक संसाधनों द्वारा निर्मित होते है । इसलिए पर्यावरण स्नेही होने के कारण वातावरण को प्रदूषित नहीं करते हैं ।
(9) कुछ जैव-उर्वरक जैसे एजोटोबैक्टर, प्रति जैविक पदार्थों को Secretes करते हैं ।
जैव उर्वरक प्रयोग की विधियाँ (Method of Bio-Fertilizer Application):
जैव उर्वरक जीवित सूक्ष्मजीवों (Living Micro Organisms) द्वारा निर्मित होता है । इसलिए इनके प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिए जिससे Micro-Organisms पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े ।
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सामान्यतः इनके प्रयोग की चार विधियाँ हैं:
(1) बीज उपचार (Seed Treatment),
(2) शिशु पादप उपचार (Seedling Treatment),
(3) पैड़े एवं कंद उपचार (Setts and Tuta Treatment),
(4) मृदा उपचार (Soil Treatment),
(1) बीज उपचार (Seed Treatment):
बीज द्वारा बुवाई करने वाली फसलों के बीज आकार के आधार पर जैव उर्वरक (Biofertilizer) की मात्रा का उपयोग किया जाता है । सामान्यतः 200gm. Biofertilizer 10-15 किग्रा॰ मध्यम आकर के बीजों के उपचार हेतु पर्याप्त होता है जिससे 400-500 मिली॰ अर्थात एक गिलास पानी में घोल बना सकते है ।
तत्पश्चात् इस घोल को 10-12 किग्रा॰ Seeds पर डालकर हाथ से भली-भाँति मिला लें और साफ बोरी/कागज पर छायादार स्थान पर थोडी देर (10-15 मिनट) के लिए सूखने के लिए रख देते हैं । इसके तुरंत बाद बुवाई कर दें ।
(2) शिशु पादप उपचार (Seedling Treatment):
जिन फसलों मैं पौध (Transplanting Crop) का उपयोग बुवाई हेतु किया जाता है । उनके शिशु पादपों की जडों को Biofertilizers के घोल में 10-15 मिनट के लिए डुबोकर रखने के पश्चात् तुरंत बुवाई कर दी जाती है । घोल बनाने के लिए 1-2 किलो Biofertilizer को बड़े बर्तन में 5-10 लीटर पानी में मिला दिया जाता है ।
(3) पंडे एवं कंद उपचार (Setts and Tuta Treatments):
इस विधि का प्रयोग गन्ने, आलू आदि फसलों में किया जाता है । सामान्यतः एक एकड़ जमीन में 2-4 किग्रा॰ Biofertilizer का 20-40 लीटर पानी में घोल तैयार किया जाता है । इस घोल में Selts (पैडे) या कंद (Tuta) को 10-15 मिनट डुबोकर Treatment किया जाता है या इस घोल को छानकर पंप से छिड़काव किया जाता है ।
(4) मृदा उपचार (Soil Treatment):
कम अवधि की फसलों के लिए 3-5 किग्रा॰ Biofertilizer को 60-100 किग्रा॰ का उसी खेत की मिट्टी या देसी खाद में मिश्रण बनाया जाता है । पानी को छिड़क कर रात भर छोड़ने के बाद इसे खेत में खड़ी फसल के ऊपर छिड़काव कर फसल को पानी दिया जाता है ।
अगर लम्बी अवधि फसलों में उपचार (Treatment) करना हो तो मृदा (Soil) Treatment उपर्युक्त विधि के अनुसार ही किया जाता है । बस जैव उर्वरक मात्रा 6-7 किग्रा॰ तक ले लें तथा Soil या देसी खाद 100-120 किग्रा॰ ले लें ।
जैव उर्वरक प्रयोग में सावधानियाँ (Precautions during Application of Bio-Fertilizers):
जैव-उर्वरकों का उपयोग करने में निम्न सावधानियाँ रखनी चाहिए:
(1) इनके प्रयोग एवं भण्डारण (Store) के समय रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशक दवाओं से बचाकर रखें ।
(2) अगर कीटनाशक (Insecticides) दवाओं का उपयोग करना हो तो Bio-fertilizers द्वारा उपचार से पूर्व करें ।
(3) किसी भी फसल में Biofertilizer उपयोग करते समय इस बात का ध्यान रखें कि उस फसल विशिष्ट Nitrogen यौगिकीकरण जैव उर्वरक के साथ फॉस्फेट विलेयीकारी जैव उर्वरक का भी उपयोग अवश्य करें ।
(4) जैव उर्वरकों का भण्डारण किसी ऐसे कमरे में करें जहाँ तापक्रम 20-28°C हो ।
(5) भण्डारण ऐसी जगह करें जहाँ सूर्य का प्रकाश सीधा नहीं पड़े ।
(6) इनके पैकेट पर अंकित अंतिम प्रयोग तिथि तक ही इसका प्रयोग करें ।
(7) राइजोबियम (Rhizobium) जैव उर्वरक फसल विशिष्ट होता है । अत: पैकेट पर निर्दिष्ट फसल में ही उस राइजोबियम (Rhizobium) जैव उर्वरक का प्रयोग करें ।