खेती के व्यवहार की सूची | List of farming practices in Hindi language:- 1. जीवन निर्वाह/चलवासी चरवाही (Subsistence Nomadic Herding) 2. पशु फार्म कृषि (Livestock Ranching) 3. झूमिंग अथवा चलवासी कृषि (Shifting Cultivation or Slash and Buru Jhuming) 4. गहन जीवन निर्वाह कृषि (Intensive Subsistence Agriculture) 5. बागानी कृषि (Plantation Agriculture) and Few Others.
1. जीवन निर्वाह/चलवासी चरवाही (Subsistence Nomadic Herding):
चलवासी चरवाही पारिस्थिति की पर आधारित भूमि उपयोग है । इसमें परिवार की अनिवार्य आवश्यकताओं की आपूर्ति के लिये पशुपालन किया जाता है । इस प्रकार का भूमि उपयोग मरुस्थलों अर्द्ध मरुस्थलों अधिक ठंडे प्रदेशों (नॉर्वे, स्वीडन, रूस) तथा ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों के घास के मैदानों का उपयोग करने के लिये किया जाता है ।
मौसम अनुसार यह खानाबदोश एक स्थान से दूसरे स्थान पर चारे और पानी की तलाश में प्रस्थान करते रहते है । मुख्य पशुओं में भेड़, बकरियाँ, घोडे, गधे, ऊँट रेण्डियर, याक, अल्पका तथा वी-कोना सम्मिलित हैं ।
इस प्रकार का भूमि उपयोग सहारा मरुस्थल (मांरिटानिया, माली, नाइजर, चाड, सूडान, लीबिया, अल्जीरिया आदि) ईरान, इराक, जॉर्डन, कुवैत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ओमान, सऊदी-अरब, सीरिया, तुर्कमेनिस्तान, यमन में भी इस प्रकार की जीवन-शैली देखी जा सकती है । यूरोप में नॉर्वे, स्वीडन, फिनलैंड तथा रूस में चलवासी-चरवाही की जाती है । इस प्रकार का भूमि उपयोग प्रतिदिन घटता जा रहा है ।
2. पशु फार्म कृषि (Livestock Ranching):
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पशु फार्म की कृषि में बड़े-बड़े कृषि फार्मों पर पशु पालन किया जाता है । इस प्रकार की कृषि प्रायः समतल घास के मैदानों में की जाती है। पशु फार्म कृषि स्टैपी (मध्य एशिया), यूरोप, उ. अमेरिका के प्रेयरी घास के मैदान, द. अमेरिका के पम्पाज, द. अफ्रीका के वेल्ड और आस्ट्रेलिया के डाऊन्स घास के मैदानों में की जाती है ।
अच्छी नस्ल की गायें, भेड-बकरियाँ तथा घोड़े पाले जाते हैं तथा लाखों की संख्या में प्रतिवर्ष उनको बूचड़खानों (Slaughter Houses) में भेज दिया जाता है ।
3. झूमिंग अथवा चलवासी कृषि (Shifting Cultivation or Slash and Buru Jhuming):
चलवासी कृषि का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि कृषि का इतिहास नव पाषाण युग (8000 ईसा पूर्व) में कृषि आरम्भ हुई और तभी से कुछ स्थानों पर चलवासी कृषि की जाती रही है । जंगलों से ढके पर्वतीय ऊष्ण-आर्द्र जलवायु के क्षेत्रों में इस प्रकार की खेती आज भी देखी जा सकती है (Fig 8.4 – 8.5) ।
चलवासी कृषि की मुख्य विशेषतायें निम्न प्रकार हैं:
(i) कृषि भूमि पूरे गाँव की सम्पत्ति होती है, निजी सम्पत्ति नहीं ।
(ii) कृषि करने के स्थान (खेत) हर साल बदल दिये जाते हैं।
(iii) फसलें जीवन निर्वाह के लिए उगाई जाती हैं ।
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(iv) खेतों की जुताई में बैलों तथा पशुओं का उपयोग नहीं किया जाता ।
(v) गोबर की खाद तथा रासायनिक खाद का उपयोग नहीं किया जाता ।
(vi) मिश्रित फसलों की खेती की जाती है ।
(vii) खेतों का चक्र सामान्यतः 15 से 25 वर्ष होता है ।
(viii) सघन खेती नहीं की जाती ।
(ix) प्रति एकड़ उत्पादन बहुत कम होता है ।
(x) इस प्रकार खेती एक प्रकार के समयवाद पर निर्भर है ।
इस प्रकार की कृषि करने वालों का सिद्धान्त (Philosophy) है कि, ”प्रत्येक व्यक्ति से उसकी क्षमता के अनुसार तथा प्रत्येक को उसकी आवश्यकता के अनुसार ।”
4. गहन जीवन निर्वाह कृषि (Intensive Subsistence Agriculture):
गहन जीवन निर्वाह कृषि में फसलें किसान अपने परिवार की आवश्यकताओं की आपूर्ति के लिये उगाता है । मानसूनी एशिया तथा अफ्रीका के कुछ भागों में इस प्रकार की खेती की जाती है (Fig. 8.6) ।
इस प्रकार की खेती की प्रमुख विशेषताएं निम्न प्रकार हैं:
(i) खेती का आकार छोटा ।
(ii) जोत की इकाई (Size of Holdings) छोटी ।
(iii) खेत बिखरे हुये ।
(iv) खेतों की जुताई के लिये बैल भैंस का प्रयोग ।
(v) घरेलू श्रम पर आधारित कृषि ।
(vi) अधिकतर क्षेत्रफल अनाज की फसलों को दिया जाता है ।
(viii) अधिकतर किसान ऋण के भार से दबे रहते हैं ।
5. बागानी कृषि (Plantation Agriculture):
बागानी कृषि, यूरोपवासियों ने उत्तरी, मध्य तथा दक्षिणी अमेरिका के उष्णार्द्र जलवायु के क्षेत्रों में 19वीं शताब्दी में आरम्भ की थी । इस प्रकार की खेती मुख्यतः पश्चिमी द्वीप समूह (West Indies), दक्षिणी- पूर्वी एशिया तथा अफ्रीका के उष्णार्द्र जलवायु के प्रदेशों में की जाती है ।
बागानी कृषि की मुख्य विशेषताएं निम्न प्रकार हैं:
(i) इस प्रकार की कृषि उष्णार्द्र जलवायु प्रदेशों में की जाती है ।
(ii) खेती का आकार बहुत बडा होता है ।
(iii) इसमें सदाबहार, नकदी फसलों की खेती की जाती है ।
(iv) प्रमुख फसलों में रबड़, चाय, कॉफी, कोकर, नारियल, जूट हैम्प, केला, गन्ना, गर्म-मसाले, अनन्नास, इत्यादि सम्मिलित हैं ।
(v) इसमें श्रमिक खेतों पर ही रहते हैं ।
(vi) इसमें अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है ।
(vii) बागीचों में उत्पादन करने वाली वस्तुओं को डिब्बों में बन्द करके बाजार में भेजा जाता है ।
(viii) बागानी उत्पादनों की मांग निरन्तर बढ़ रही है ।
(ix) ऐसी कृषि में मजदूरों का शोषण होता है ।
6. विस्तृत कृषि (Extensive Agriculture):
विस्तृत कृषि शीतोष्ण कटिबन्धीय के देशों में की जाती है, जिनमें कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, मध्य एशिया तथा अर्जेन्टीना प्रमुख हैं ।
विस्तृत कृषि की प्रमुख विशेषतायें निम्न प्रकार हैं:
(i) भारत एवं विश्व का भूगोल फसलों को मशीनों के द्वारा उगाया जाता है ।
(ii) खेतों का आकार प्रायः 240 से 16,000 हेक्टर होता है ।
(iii) थोड़ी संख्या में श्रमिक काम करते है ।
(iv) प्रति एकड़ उत्पादन कम होता है परन्तु प्रति श्रमिक उत्पादन अधिक ।
(v) ऐसी कृषि प्रदेशों में जनसंख्या घनत्व कम है ।
(vi) अधिकतर क्षेत्रफल गेहूँ तथा जी की खेती को दिया जाता है ।
(vii) अधिकतर अनाज का निर्यात किया जाता है ।
7. भूमध्य सागरीय कृषि (Mediterranean Type of Agriculture):
भू-मध्य सागरीय प्रकार की कृषि भू-मध्य सागर के तटीय भाग, लघु एशिया (Asia Minor), केलिफोर्निया, मध्य चिली, दक्षिणी अफ्रीका का केप-प्रान्त, प. आस्ट्रेलिया का दक्षिणी-पश्चिमी भाग तथा तस्मान द्वीप पर पाई जाती है ।
इस प्रकार की कृषि की मुख्य विशेषतायें निम्न प्रकार हैं:
(i) सबसे अधिक क्षेत्रफल खट्टे फलों (सेब, संतरा, अंगूर, मौसमी, नींबू इत्यादि) को दिया जाता है । आनाज की फसलें गेहूँ, जौ आदि का स्थान दूसरा है ।
(ii) शीत ऋतु में गेहूँ और जी प्रमुख फसलें उगाई जाती होती हैं ।
(iii) जोत की इकाई प्रायः मध्यम से बड़े आकार की होती है ।
(iv) खेतों के आकार में विविधता पाई जाती है ।
(v) ग्रीष्म ऋतु में फसलों और फलों के बागीचों की सिंचाई की जाती है ।
(vi) जैतून, अन्नीर तथा अंगूर के बागीचों का क्षेत्रफल अधिक होता है ।
(vii) पर्वतीय भागों में भेडें पाली जाती हैं ।
(viii) किसानों का जीवन स्तर ऊँचा हैं ।
8. मिश्रित अथवा व्यापारिक अनाज तथा पशुपालन कृषि (Mixed Farming or Commercial Crops and Livestock):
इस प्रकार की कृषि में अनाज की फसलों तथा पशुधन पालने का काम साथ किया जाता है । मिश्रित कृषि यूरोप, यूरेशिया, उत्तरी अमेरिका में 90० पश्चिम अक्षांश के पूर्वी क्षेत्रों में की जाती है ।
इस प्रकार की कृषि की मुख्य विशेषताएं निम्न प्रकार से हैं:
(i) कृषि जोत (Size of Holdings) का आकार प्रायः बड़ा होता है ।
(ii) इस प्रकार की खेती तुलनात्मक रूप से अधिक जनसंख्या के देशों एवं प्रदेशों में की जाती है ।
(iii) अधिकतर कृषि कार्य मशीनों के द्वारा किया जाता है ।
(iv) फसलों में प्रमुख फसल मक्का है । अधिकतर आनाज पशुओं (सूअरों) तथा मुर्गियों को खिलाया जाता है ।
(v) प्रति हैक्टेयर उत्पादन अधिक होता है ।
(vi) शीत ऋतु में घास को सुखाकर पशुओं का चारा तैयार किया जाता है ।
(vii) श्रमिकों का वेतन तथा जीवन स्तर ऊँचा होता है ।
9. डेयरी फार्मिग (Dairy Farming):
डेयरी फार्मिग प्रायः शीतोष्ण कटिबंध के देशों में की जाती है, जिनमें डेनमार्क, नीदरलैंड, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा न्यूजीलैंड प्रमुख है । दुग्ध उद्योग के लिये बढ़िया नस्ल की गायों को पाला जाता है, जिनमें फ्रेजियन तथा हेरीफर्ड नस्ल की गायें प्रमुख हैं ।
डेयरी फार्फिंग की प्रमुख विशेषतायें निम्न प्रकार हैं:
(i) अधिक पूंजी निवेश की आवश्यकता ।
(ii) अधिकतर कार्य मशीनों के द्वारा किया जाता है ।
(iii) पशु (गाय) तथा कृषि भूमि में एक विशेष अनुपात पाया जाता है ।
उदाहरण के लिए ब्रिटेन, फ्रांस, डेनमार्क, नीदरलैंड और जर्मनी में प्रति एकड कृषि भूमि पर केवल एक गाय पाली जा सकती है । इस सिद्धान्त को तोड़ने वालों को दण्ड दिया जाता है क्योंकि यह पशुओं पर अत्याचार के समान माना जाता है ।
10. उद्यान-कृषि अथवा द्रव्य फार्मिंग (Horticulture or Truck Farming):
उद्यान कृषि एक विशेष प्रकार की खेती है जिसमें फलों सब्जियों तथा फूलों, की फसलें उगाई जाती हैं । इस प्रकार की खेती ऐसे क्षेत्रों में की जाती हैं जहाँ भारी औद्योगीकरण तथा नगरीकरण हुआ हो ।
वास्तव में भारी नगरीकरण के क्षेत्रों में फलों, सब्जियों तथा फूलों की भारी मांग बनी रहती है । संयुक्त राज्य अमेरिका, उत्तरी-पश्चिमी यूरोप, जापान, आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड जैसे देशों में अधिकतर नगरों के निकट इस प्रकार की खेती देखी जा सकती है ।
उद्यानी कृषि की विशेषतायें निम्न प्रकार हैं:
(i) जोत की इकाई (Size of Holding) का आकार प्रायः छोटा होता है ।
(ii) उद्यानी कृषि के खेतों तक पक्की सड़कें होती हैं जिससे फलों, फूलों और सब्जियों को बाजार तक ले जाने में आसानी होती है ।
(iii) इसमें अधिक पूँजी निवेश की आवश्यकता होती है ।
(iv) फलों, फूलों और सब्जियों को तोड़कर एकत्रित करने तथा मण्डियों तक पहुँचाने के लिये अधिक श्रम की आवश्यकता होती है ।
(v) उद्यानी कृषि वैज्ञानिक ढंग से की जाती है ।
(vi) किसानों के पास कृषि उत्पादन को बाजार तक ले जाने के लिये अपने विशेष ट्रक एवं परिवहन होते हैं ।
(vii) किसानों की आय अधिक तथा जीवन स्तर ऊँचा होता है ।