मृदा में नाइट्रोजन स्थिरीकरण की तंत्र | Read this article in Hindi to learn about the three main mechanisms of nitrogen fixation in soil. The mechanisms are:- 1. नाइट्रोजन स्थिरीकरण की मूल आवश्यकताएँ (Basis Requirements for N2 Fixation) 2. मूल ग्रंथियों का निर्माण (Formation of Root Nodules) 3. जैव-रसायन विधि (Bio-Chemistry).
Mechanism # 1. नाइट्रोजन स्थिरीकरण की मूल आवश्यकताएँ (Basis Requirements for N2 Fixation):
नाइट्रोजन स्थिरीकरण की मूल आवश्यकताएँ निम्न प्रकार हैं:
(i) एंजाइम नाइट्रोजिनेज (Nitrogenase) तथा हाइड्रोजिनेज (Hydrogenase) का उपस्थित होना ।
(ii) ऑक्सीजन (O2) के विरुद्ध एंजाइम नाइट्रोजिनेज के लिए सुरक्षात्मक क्रियाविधि का होना ।
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(iii) इलेक्ट्रॉन वाहक के रूप में नॉन-हीम (Non Heme) आयरन प्रोटीन फेरीडॉक्सिन का पाया जाना ।
(iv) हाइड्रोजन इंगित करने वाला तंत्र ।
(v) लगातार ATP का प्राप्त होना ।
(vi) थायमीन पायरोफॉस्फेट (Thiamine Pyrophosphate – TPP) को एंजाइम A की उपस्थिति तथा अकार्बनिक फॉस्फेट तथा Mg++ का सहकारक (Co-Factor) के रूप में होना ।
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(vii) कोबाल्ट (Co) तथा मोलिब्डेनम (Mo) की उपस्थिति ।
(viii) विकसित अमोनिया के ट्रैपिंग (Trapping) के लिए एक कार्बनिक यौगिक का पाया जाना ।
Mechanism # 2. मूल ग्रंथियों का निर्माण (Formation of Root Nodules):
नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले जीवाणु राइजोबियम प्रायः मिट्टी में पाए जाते हैं, जो लेग्यूमिनस (Leguminous) पौधों की जड़ों को संक्रमित (Infect) करके उनमें रहते हैं ।
संक्रमण (Infection) से पूर्व, पोषक (Host) की जड़े मिट्टी में कुछ रासायनिक पदार्थ पॉलीगेलेक्टोरोनेस (Polygalactouronase) स्त्रावित करती हैं जो जीवाणुओं को उद्दीपन (Stimulation) प्रदान करता है और जीवाणु तेजी के साथ मिट्टी में गुणन (Multiplication) करने लगते हैं ।
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थाईमैन के अनुसार- जीवाणुओं से बी-इण्डोलऐसीटिक अम्ल (B-Indole Acetic Acid) निकलता है जिससे पोषक पौधों के मूल रोम (Root Hairs) में मुड़न (Curling) होने लगता है । इसके बाद श्लेष्मी पदार्थ का धागा (Thread) मूल रोम से कॉर्टेक्स (Cortex) तक बनता है जिसमें जीवाणु धुंसे रहते हैं ।
राइजोबियम (Rhizobium) इसी संक्रमित धागे (Infect Thread) के द्वारा लंबाई में जीवाणु जड़ के कॉर्टेक्स (Cortex) की कोशिकाओं में प्रवेश कर जाते हैं और प्रजनन करके संख्या में वृद्धि करते रहते हैं । इसके अतिरिक्त कॉर्टेक्स (Cortex) की कोशिकाएँ लगातार विभाजित होती रहती हैं जिसके फलस्वरूप अनियमित आकार की ग्रंथिकाएं (Nodules) बन जाती है ।
इसी समय कॉर्टेक्स (Cortex) की कोशिकाएँ अनेक बार विभाजित होती है जिसके फलस्वरूप एक फूला हुआ क्षेत्र (Swollen Area) बन जाता है जो मूल की सतह को एक उभार (Protuberance) के रूप में बाहर की और धकेल देता है ।
अनेक वैज्ञानिक का मत था कि प्रवेश होने के पश्चात् जीवाणु (Bacteria) कॉर्टेक्स (Cortex) की बहुगुणित (Polyploid) कोशिकाओं में अनेक मण्डल (Colony) बनाते हैं ।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्प्रिंट ने यह देखा कि जीवाणु कोशिकाएँ, पोषक कोशिकाओं (Host Cells) के अंदर पर्याप्त स्थान (Space) मिलने तक गुणन (Multiply) करती हैं और मण्डल बनाती हैं ताकि यह स्थान (Space) इनसे भर जाता है । इसके पश्चात् जीवाणु विश्रामावस्था (Dormant) में आ जाते हैं अत: बैक्टीरॉयड्स (Bacteroids) कहलाते हैं ।
समीपस्थ कोशिकाएँ विभाजन कर ग्रंथिका (Nodule) का निर्माण करती हैं । जीवाणु कॉर्टेक्स (Cortex) द्वारा प्रवेश करके एण्डोडर्मिस (Endodermis) तथा पेरीसाइकिल (Pericycle) के समीप पहुँच जाते हैं । एण्डोडर्मिस तथा पेरीसाइकिल की कोशिकाओं में तेजी के साथ विभाजन होने लगता है जिससे मूल ग्रंथिका में वृद्धि होती है ।
विफ एवं कूपर के अनुसार पादप की सामान्य कोशिकाओं से बनी द्विगुणित गुणसूत्रों वाली कोशिकाओं द्वारा ही मूल ग्रंथिका (Root Nodule) का निर्माण होता है । जीवाणुओं के प्रवेश के फलस्वरूप ये कोशिकाएँ प्रविभाजी (Meristematic) हो जाती है ।
जीवाणु स्वयं नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) नहीं कर सकते हैं । किंतु लेग्यूमिनस (Leguminous) पौधे मई जड़ (Root) के जैसे ही ये जीवाणु समीप पहुँचते हैं वैसे ही मूल रोम (Root Hair) में प्रवेश करके जड़ के ऊतकों में वृद्धि करने लगते हैं जिसके फलस्वरूप कॉर्टेक्स का समूह (Cortex Lump) बन जाता है जो मूल ग्रंथिका (Root Nodule) का रूप धारण कर लेता है ।
Mechanism # 3. नाइट्रोजन स्थिरीकरण की जैव-रसायन विधि (Bio-Chemistry of Nitrogen Fixation):
नाइट्रोजन (Nitrogen, N=N), अक्रियाशील (Inert or Non-Reactive) गैस (Gas) है । बड़े-बड़े उद्योगों में नाइट्रोजन का स्थिरीकरण (Fixation) बहुत ऊँचे तापमान (High Temperature) 450°C तथा लगभग 250-1000 वायुमण्डलीय दाब (Atmospheric Pressure) पर होता है किंतु विभिन्न सूक्ष्म-जीवियों (Micro-Organisms) द्वारा नाइट्रोजन का स्थिरीकरण सामान्य तापक्रम (Ordinary Temperature) एवं दाब (Pressure) पर होता है ।
सन् 1960 में कारनेहल आदि (Carnahal Italic.) वैज्ञानिकों ने सूक्ष्म-जीवियों द्वारा होने वाले नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) की क्रियाओं का अध्ययन किया है । नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले सूक्ष्म-जीवों (Micro-Organisms) में एक विशिष्ट प्रकार का एंजाइम नाइट्रोजिनेज (Nitrogenase) पाया जाता है ।
इस नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) में एंजाइम तंत्र (Enzyme System) दो एंजाइम से मिलकर बनता है जिसमें से एक मोलिब्डेनम-आयरन प्रोटीन (Molybdenum-Iron Protein, Mo-Fe Protein) तथा दूसरी आयरन प्रोटीन (Iron-Protein) होती है ।
आयरन प्रोटीन काफी समय तक स्थिर रहती है । ऐसा अनुमान है कि नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) में कोबाल्ट (Cobalt) की बहुत सूक्ष्म मात्रा (Traces) भी आवश्यक होती है ।
नाइट्रोजेनेज एंजाइम की क्रियाविधि (Mechanism of Nitrogenase Enzyme Activity):
अनेक वैज्ञानिकों के अनुसार नाइट्रोजन स्थिरीकरण में निर्मित माध्यमिक उत्पाद (Intermediate Product), अमोनिया (Ammonia) होता है । नाइट्रोजिनेज (Nitrogenase) एंजाइम दोनों दिशाओं में प्रक्रिया करता है ।
यह एंजाइम नाइट्रोजन (N2) के अतिरिक्त हाइट्रोजन (H2), नाइट्रस ऑक्साइड (N2O), कार्बन- मोनोऑक्साइड (CO), ऐसीटिलीन (C2H2), मिथाइल आसोसाइनाइड (CH3NC) का भी अपचयन (Reduction) करता है । नाइट्रोजन (N2) अपचयन में 6 इलेक्ट्रॉन (Electrons) तथा हाइड्रोजन (H2) आयंस भाग लेते हैं और अमोनिया (Ammonia NH3) का निर्माण होता है ।
इस क्रिया में नाइट्रोजिनेज एंजाइम एक उत्प्रेरक (Catalyst) का कार्य करता है क्रिया में भाग लेने वाले इलेक्ट्रॉन्स (Electrons) के निम्नलिखित तीन स्त्रोत हो सकते हैं:
(i) श्वसन इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण श्रृंखला (Respiratory Transport Chain),
(ii) हरी कोशिकाओं में प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis),
(iii) पायरूवेट का फॉस्फोरोब्लास्टिक विघटन (Photosynthesis Split of Pyruvate) ।
एंजाइम में इलेक्ट्रॉन (Electrons) का स्थानांतरण एन. ए. डी. एच. (NADH) तथा फैरोडॉक्सिन द्वारा होता है । जीवाणु क्ले. पास्चुरियेनम (C. Pasteurianum) में पायरूविक अम्ल (Pyruvic Acid) का इलेक्ट्रॉन (Electron),
फैरोडॉक्सिन (Ferredoxin) के माध्यम से प्राप्त होता है । पायरुविक अम्ल (Pyruvic Acid) के जीवाणु द्वारा होने वाले ऑक्सीकरण (Oxidation) से ए. टी. पी. (ATP) प्राप्त होता है ।
एंजाइम की सक्रिय दिशा में नाइट्रोजन (N2) मोलिब्डेनम (Mo) एवं आयरन (Fe) से जुड़ जाती है तथा निम्न प्रकार अमोनिया (NH3) का निर्माण होता है:
इस क्रिया में ए. टी. पी. (ATP) की आवश्यकता होती है जो पायरुवेट (Pyruvate) के ऑक्सीकरण (Oxidation) से प्राप्त होती है । यह क्रिया लेग्यूमिनस (Leguminous) पौधों की मूल ग्रंथिकाओं (Root Nodules) में उपस्थित लेगहीमोग्लोबिन (Leghaemoglobin) नामक रंगद्रव्य (Pigment) द्वारा आसानी से संपन्न होती है ।
नाइट्रोजन (N2) के अणु को अमोनिया (NH3) के दो अणुओं (Molecules) में अपचयन (Reduction) करने के लिए एंजाइम की ए. टी. पी. (ATP) के 15 अणुओं (Molecules) की आवश्यकता होती है ।
कनाडा के प्रसिद्ध वैज्ञानिक टी. ए. ला. रियू ने अपने प्रयोगों के आधार पर सिद्ध कर दिया कि राइजोबियम (Rhizobium) नामक जीवाणु (Bacterium) तम्बाकू (Tabacco) के क्लेस कल्चर (Callus Cultures) में नाइट्रोजन स्थिरीकरण कर सकता है ।
उन्होंने बताया कि इस जीवाणु में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने की क्षमता नाइट्रोजिनेज (Nitrogenase) की उपस्थिति के कारण होती है । अनेक वैज्ञानिकों का मत है कि पादप पोषक (Plant Host) की अनुपस्थिति में राइजोबियम (Rhizobium), नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) करने में असफल हो जाता है ।
आधुनिक वैज्ञानिकों जे. जे. चाइल्ड तथा ए. एच. गिब्सन ने बताया कि राइजोबियम (Rhizobium) का काऊपी (Cowpea) स्ट्रेन (Strain), पोषक पादप (Plant Host) की अनुपस्थिति में कृत्रिम मीडिया (Artificial Media) में नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) कर सकता है ।
वैज्ञानिकों का मत है कि राइजोबियम (Rhizobium) में नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) करने वाला जीन निफ (Gene Nif’) होता है तथा पौधे (Leguminous Plants) एरोबिनोज (Arabinose) तथा जाइलीज (Xylose) नामक पदार्थ प्रदान करते हैं जिसके द्वारा नाइट्रोजिनेज एंजाइम (Nitrogenase Enzyme) से नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) होता है ।
मुख्य एंजाइम नाइट्रोजिनेज (The Key Enzyme Nitrogenase):
लेग्यूमिनस पौधों की मूल ग्रंथिकाओं में सहजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकरण वाले जीवाणु पाए जाते हैं । यह जीवाणु अन्य नाइट्रोजन स्थिरीकरण वाले जीवधारियों में भी पाए जाते हैं । यह एंजाइम अनॉक्सी (Anaerobic) दशा में क्रियाशील होते हैं ।
आधुनिक अध्ययनों के आधार पर यह सिद्ध हो चुका है कि एंजाइम नाइट्रोजिनेज में प्रोटींस की दो उप-इकाइयों (Sub-Units) होती हैं:
(i) नॉन-हीम (Non-Heme) आयरन प्रोटीन जो आयरन प्रोटीन अथवा डाइनाइट्रोजन रिडक्टेज (Dinitrogen Reductase) कहलाती है तथा
(ii) एक आयरन-मोलीब्डेनम प्रोटीन जिसे Mo-Fe या डाइनाइट्रोजिनेज (Dinitrogenase) कहते हैं । यह दोनों उप-इकाइयाँ एंजाइम की क्रिया के लिए आवश्यक होती हैं । Fe प्रोटीन अवयव ATP से क्रिया करके Mo-Fe-Protein का अवकरण करता है जो N2 को NH3 में बदल देता है ।
नाइट्रोजन स्थिरीकरण को निम्न समीकरण द्वारा दर्शाया जा सकता है:
N2 + 6H+ + 6e– → 2NH3
जैसा कि समीकरण द्वारा ज्ञात होता है कि नाइट्रोजन से अमोनिया के अवकरण के लिए 6 प्रोटॉन्स (Protons) तथा 6 इलेक्ट्रॉन्स (Electrons) की आवश्यकता होती है । इसके अतिरिक्त 12 अणु ATP के आवश्यक होते हैं, क्योंकि इनके 4 ATP इलेक्ट्रॉन्स के प्रत्येक जोड़े के लिए N2 स्थानांतरण के लिए आवश्यक होते हैं ।
नाइट्रोजन स्थिरीकरण में H2 मुक्त होती है जिसे निम्न प्रकार लिख सकते हैं:
N2 + 8H+ + 8e– → 2NH3 + H2
इस प्रकार संपूर्ण स्कीम के द्वारा प्रदर्शित किया गया है जिसके पद (Steps) निम्न प्रकार हैं:
(1) ग्लाइकोलाइसिस अंतिम उत्पाद पायरूविक अम्ल (PA) होता है, जो N2 स्थिरीकरण में इलेक्ट्रॉन दाता (Donor) का कार्य करता है ।
पायरूविक अम्ल के विघटन से एसीटाइल फॉस्फेट (Acetyl Phosphate) CO2 तथा H2 प्राप्त होते हैं । यह क्रिया दो पदों में पायरुविक अम्ल डी-हाइड्रोजिनेज तथा फॉस्फोट्रान्स एसीटाइलेज एंजाइम की उपस्थिति में पूर्ण होती है, जैसे-
(2) एसीटाइल फॉस्फेट ऐसीटेट (Acetate) में परिवर्तित हो जाता है तथा ADP से ATP अणु बनते हैं जो नाइट्रोजन स्थिरीकरण तंत्र में ऊर्जा के स्त्रोत का कार्य करते हैं ।
Acetyl Phosphate + ADP → Acetate + ATP
(3) इलेक्ट्रॉन्स का स्रोत फेरीडॉक्सिन का अवकरण करते हैं जो इलेक्ट्रॉन वाहक का कार्य करते हैं ।
(4) फेरीडॉक्सिन द्वारा एंजाइम नाइट्रोजिनेज के Fe-Protein अवयव का अवकरण होता है जो इलेक्ट्रॉन को प्रदान करता है । H+ माध्यम से प्राप्त होता है ।
(5) अंत में ATP अणु आपस में क्रिया करके Fe-Protein को Mg++ की उपस्थिति में बंधित कर लेते हैं । अत: अवकरित Fe-Protein क्रियाशील हो जाता है । जो नाइट्रोजिनेज को Mo-Fe-Protein अवयव का अवकरण करते हैं ।
(6) प्रेरित Mo-Fe-Protein नाइट्रोजन (N2) को अमोनिया (NH3) में अवकृत कर देते हैं । नाइट्रोजन (N2) का अमोनिया (NH3) में एंजाइम नाइट्रोजिनेज की सहायता से अवकरण Reaction तथा Equation द्वारा प्रदर्शित किया गया हैं ।
(7) नाइट्रोजन स्थिरीकरण का उत्पाद अमोनिया होता है, जिसका संश्लेषण कोशिका मटेरियल में होता है । लेग्यूमिनस पौधों में पोषक द्वारा अमोनिया ले ली जाती है और इसका कार्बनिक रूपों में संश्लेषण होता है । इसके पश्चात् यह संवहन ऊतकों द्वारा स्थानांतरित होकर पौधों के विभिन्न भागों में पहुँचती है ।
सहजीवी एक्टीनोमाइसिटीज द्वारा नाइट्रोजन का स्थिरीकरण (Fixation of Nitrogen by Symbiotic Actinomycetes):
वर्गीकरण के अनुसार एक्टीनोमाइसिटीज (Actinomycetes) के सदस्य तंतुवत (Filamentous) होते हैं, जो जीवाणुओं (Bacteria) एवं कवकों (Fungi) के बीच स्थान रखते हैं । कुछ पौधों की जडों की ग्रंथियों जैसे माइरीका (Myrica) अलनस (Alnus) आदि में सहजीवी एक्टीनोमाइसिटीज (Symbiotic Actinomycetes) पायी जाती है जो वायुमण्डल (Atmosphere) की स्वतंत्र (Atmosphere) का स्वतंत्र नाइट्रोजेन (Free N2) का स्थिरीकरण करती है ।