मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिरीकरण के प्रकार | Read this article in Hindi to learn about:- 1. नाइट्रोजन स्थिरीकरण का अर्थ (Meaning of Nitrogen Fixation) 2. नाइट्रोजन स्थिरीकरण के प्रकार (Types of Nitrogen Fixation) 3. जैव-रसायन विधि (Bio-Chemistry).
नाइट्रोजन स्थिरीकरण का अर्थ (Meaning of Nitrogen Fixation):
पौधों (Plants) की विभिन्न उपापचयी क्रियाओं (Metabolic Activity) में नाइट्रोजन (Nitrogen) का महत्वपूर्ण स्थान है । अत: पौधे अधिकतर नाइट्रोजन (Nitrogen) अपनी जडों (Root) में घुले हुए पदार्थों से प्राप्त करते हैं ।
इसके अतिरिक्त ये पौधे वायुमंडल (Atmosphere) में उपस्थित स्वतन्त्र नाइट्रोजन (Free Nitrogen) का स्थिरीकरण (Fixation) किया जाता है, जिससे पौधों को अधिक से अधिक मात्रा में नाइट्रोजन (Nitrogen) प्राप्त होती रहती है ।
इस प्रकार का Nitrogen Fixation वायुमंडलीय Nitrogen का अमोनिया (Ammonia) में परिवर्तन नाइट्रोजन (Nitrogen) स्थिरीकरण कहलाता है । यह स्थिरीकरण सूक्ष्म जीवों (Microbes) के द्वारा किया जाता है । पादप जड़ों (Plant Roots) के साथ जुड़ने पर इस प्रकार स्थिरीकरण (Fixation) जैविक स्थिरीकरण कहलाता है ।
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अन्य प्रकार का स्थिरीकरण रसायनों के द्वारा होता है । जो रासायनिक नाइट्रोजन स्थिरीकरण कहलाता है । इसके अतिरिक्त वातावरण में यदि नाइट्रोजन (Nitrogen) की मात्रा गैस के रूप में अधिक पाई जाती है । यह प्रोकेरिओटिक सूक्ष्मजीवों (Microbes) के द्वारा कार्बनिक यौगिकों (Organic Compounds) में परिवर्तित हो जाती है ।
जैविक क्रियाओं (Biological Activity) द्वारा वातावरणीय नाइट्रोजन को स्थिर करना डाइएजोट्रोफ (Diezotroph) कहलाता है तथा ये प्रोकेरिओट्स डाइएजोट्रोफ कहलाते हैं । डाइएजोट्रोफ (Diezotroph) स्वतंत्रजीवी या सहजीवी रूप में पाये जाते हैं ।
1974 में सम्पूर्ण विश्व में नाइट्रोजन स्थिरीकरण 175 × 106 टन था । वर्तमान समय में नाइट्रोजन युक्त उर्वरक की माँग बढ़ने के कारण रासायनिक उद्योगों की संख्या बढ़ी है । ये रासायनिक उद्योग ईंधनों पर निर्भर करते हैं । रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता को कम करने के लिए जैव तकनीकी विधि का उपयोग किया जाता है ।
इस विधि में- (1) इसमें पहले से उपस्थित नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) करने वाले पादप (Plant) तथा सूक्ष्म जीवों (Microbes) के मध्य सुधार लाया जाता है । (2) नाइट्रोजन (Nitrogen) का स्थिरीकरण (Fixation) करने वाले जीव (Organism) को दूसरे पादप (Plant) में स्थानांतरित (Transfer) कर दिया जाता है । (3) नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) वाले सूक्ष्म जीवों (Microbes) में NH3 का उत्पादन, निर्मुक्ति तथा उपयोग प्रारम्भ हो जाता है ।
नाइट्रोजन स्थिरीकरण के प्रकार (Types of Nitrogen Fixation):
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इस प्रकार का नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) निम्न प्रकार का होता है:
(A) नाइट्रोजन का अजैविक स्थिरीकरण (Physical Nitrogen Fixation),
(B) नाइट्रोजन का जैविक स्थिरीकरण (Biological Fixation of Nitrogen) ।
(A) नाइट्रोजन का अजैविक स्थिरीकरण (Physical Nitrogen Fixation):
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वायुमंडल (Atmosphere) की स्वतन्त्र नाइट्रोजन (Free Nitrogen) ऑक्सीजन (Oxygen) से संयुक्त होकर नाइट्रिक ऑक्साइड (Nitric Oxide) बनाती है । यह क्रिया वर्षा के द्वारा होती है जब बिजली कड़कती (Thunder) है एवं विद्युत विसर्जन (Electric Discharge) होता है ।
जैसे:
इस प्रकार से बने नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) का पुन: ऑक्सीकरण (Oxidation) होता है । जिसके द्वारा नाइट्रोजन परऑक्साइड (NO2) बनता है । जैसे जब वर्षा होती है तब यह नाइट्रोजन परऑक्साइड (NO2) तथा वर्षा के जल (Rain Water) से प्रक्रिया कर नाइट्रस अम्ल (HNO2) तथा नाइट्रिक अम्ल (HNO3) बनाता है तथा यह अम्ल वर्षा (Acid Rain) के जल के साथ भूमि पर आ जाता है ।
मिट्टी (Soil) में कैल्शियम (Calcium) तथा पोटैशियम (Potassium) के क्षारीय (Alkali-Radicles) उपस्थित होते हैं, जो नाइट्रिक अम्ल (HNO3) से प्रक्रिया करके नाइट्रेट्स (NO3) तथा नाइट्राइट्स (NO2) बनाते हैं ।
कैल्सियम (CO) तथा पोटैशियम (K) नाइट्राइट्स (Nitrites) तथा नाइट्रेट्स (NO3) जल (H2O) में घुलनशील होते हैं, जो आसानी से पौधों की जडों (Roots) द्वारा अवशोषित कर लिये जाते हैं ।
(B) नाइट्रोजन का जैविक स्थिरीकरण (Biological Fixation of Nitrogen):
जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Biological Fixation of Nitrogen) में सूक्ष्म जीवों (Microbes) के दो समूह होते हैं:
(1) सहजीवी (Symbiotic),
(2) असहजीवी (Non-Symbiotic) ।
(1) सहजीवी (Symbiotic):
इसके अन्तर्गत राइजोबियम (Rhizobium) बैक्टीरिया आते हैं:
(i) सहजीवी जीवाणुओं द्वारा नाइट्रोजन का स्थिरीकरण (Fixation of Nitrogen by Symbiotic Bacteria):
उपकुल पेपीलियोनेटी (Sub-Family Papilionacai) के पौधों की जड़ों (Plants Roots) में मूल ग्रन्थियाँ (Root Nodules) पायी जाती हैं । जिनमें सहजीवी जीवाणु (Symbiotic Bacterium) राइजोबियम लैम्युमिनीसोरम (Rhizobium Leguminisorum) होते हैं ।
ये जीवाणु (Bacteria) पहले तो मिट्टी (Soil) में उपस्थित होते हैं किन्तु बाद में ये चने, मटर आदि की जड़ों (Roots) के मूल रोमों (Root Hairs) को संक्रमित (Infect) करके उनमें प्रवेश कर जाते हैं और धीरे-धीरे ये जीवाणु जड़ (Bacterial Roots) के कॉर्टेक्स (Cortex) की कोशिकाओं (Cells) में प्रवेश कर जाते हैं और प्रजनन करके संख्या में वृद्धि करते रहते हैं ।
इसके अतिरिक्त कार्टेक्स (Cortex) की कोशिकाएँ (Cells) लगातार विभाजित (Divided) होती रहती हैं । जिससे अनियमित आकार (Irregular Shape) की ग्रन्थियाँ (Nodules) बन जाती हैं । इन ग्रन्थियों में उपस्थित जीवाणु (Bacteria) नाइट्रोजन (Nitrogen-N2) क स्थिरीकरण (Fixation) करते हैं ।
अर्थात् स्वतन्त्र (Free) Nitrogen को अमोनिया (Ammonia-NH3) में बदल देते हैं । मूल ग्रन्थियों (Root Glands) में लेगहीमोग्लोबिन (Leghaemoglobin) नामक लाल रंग द्रव्य (Red Pigment) में पाया जाता है, जिसमें आयरन (Fe) होता है । यह रंग द्रव्य अधिक से अधिक नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) में सहायक होता है ।
राइजोबियम (Rhizobium) जीवाणु (Bacteria), ऑक्सी श्वसन (Aerobic Respiration) करते हैं । श्वसन (Respiration) के समय इन जीवाणुओं (Bacteria) द्वारा अधिक से अधिक ऑक्सीजन (Oxygen-O2) ग्रहण की जाती है और अधिक से अधिक ऊर्जा निकलती है ।
यह ऊर्जा नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) के समय काम आती है । सहजीवी (Symbiotic) नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) में बैक्टीरिया (Bacteria) तथा पौधे (Plant) दोनों में लाभ रहता है ।
बैक्टीरिया (Bacteria) वायुमंडलीय (Atmospheric) नाइट्रोजन (Nitrogen) में बदलते हैं, जो पौधे को मिलती है तथा इसके बदले में बैक्टीरिया (Bacteria) पौधों के ऊतकों (Tissues) से पोषण (Nutrition) प्राप्त करते हैं ।
(ii) सहजीवी एक्टीनोमाइसिटीज द्वारा नाइट्रोजन का स्थिरीकरण (Fixation of Nitrogen by Symbiotic Actinomycetes):
वर्गीकरण (Classification) के अनुसार एक्टीनोमाइसिटीज (Actinomycetes) के सदस्य तन्तुवत (Filamentous) होते हैं, जो बैक्टीरिया (Bacteria) एवं कवकों (Fungi) के बीच स्थान रखते हैं ।
कुछ पौधों की जड़ों की ग्रन्थियों जैसे माइरीका (Myrica) अलनस (Alnus) आदि में सहजीवी एक्टीनोमाइसिटीज (Symbiotic Actinomycetes) पायी जाती हैं, जो वायुमंडल की स्वतन्त्र नाइट्रोजन (Free N2) का स्थिरीकरण (Fixation) करती हैं ।
सहजीवी (Symbiotic) में N-Z Fixation होता है । कई जीव ऐसे होते हैं जो अणुक N को वातावरण (Atmosphere) में N के स्रोत के रूप में उपयोग करते हैं । अमुक NH3 में परिवर्तित होती है, जिसे N-Z Fix कहते हैं । जैसे- एग्रीकल्चर परिस्थिति (Agricultural Conditions) के अंदर अधिक N निकली जाती है ।
उत्पादकता को Maintain करने के लिए N मिट्टी में वापस होती है । ये जैविक (Biological) N-Z Fix द्वारा होता है, जो Denitrogen का NH3, में अपचयन (Reduction) करता है । यह पौधों (Plants) द्वारा उपयोग में लाया जाता है । N-Z Fix ऊर्जा (Energy) उपयोगी प्रक्रिया है ।
इसमें:
(i) 6e– कम विभव रिडक्टेंट (Potential Reductant) जैसे कि फेरीडॉक्सीन (Ferrydoxin) को अपचयित करता है ।
(ii) इसमें 4 ATP अणु (Molecule) जो N2 को 2NH3 अपचयित करते हैं e– के स्रोत की उपस्थिति में तथा ATP एन्जाइम (Enzyme) नाइट्रोजीनेस (Nitrogenase) एक शक्तिशाली अपचयित (Agent) है । तथा 6e– रिडक्शन जो N2 → 2NH2 Catalyte करती है ।
6H+ + 6e– + N2 → 2NH3
ATP जनरेटंग सिस्टम द्वारा ATP Supply की जाती है । ATP के उच्च सान्द्रण (Concentration) द्वारा नाइट्रोजीनेस Inhibit होता है । अन्य गुण नाइट्रोजीनेस सिस्टम कम O2 में अधिक संवेदनशील है तथा अनुत्क्रमणीय (Irreversible) इनएक्टिवेट (Inactivate) होते हैं ।
जैविक N-Z Fix मनुष्य कृत Procen से अधिक Effective है । Industrial प्रक्रिया (Process) में ताप और दाब की ड्रेस्टीक (Drastic) परिस्थिति आवश्यक होती है ।
N-Fix ज्ञात करने के लिए कई प्रयोग किए जा सकते हैं, जिसमें से एक N मुक्त माध्यम में ग्रोथ (Growth) है । अधिक विशिष्ट (Specific) Fix N Labelled की उपस्थिति (Presence) में सूक्ष्मजीव (Microbes) को ज्ञात किया जा सकता है । N2 का मापन (Measurement) Mass Spectrometry द्वारा किया जाता है ।
यदि सूक्ष्म जीव (Microbes) वातावरण N तथा N2 के मिश्रण में ग्रोथ (Growth) की जाए तो N2 का परीक्षण किया जाता है । उपयुक्त परिस्थिति में N को 0.001mg से बढ़ाया जाये तो इसे भी ज्ञात किया जा सकता है ।
N-Fix एन्जाइम (Enzyme) की क्षमता एसिटिलीन (Acetylene) पर से खोजी गई है । 1960S से कम खर्चीली सरल, रेपिड तकनीक का उपयोग कर N-Fix मापा जाता है । यह परीक्षण इस आधार पर होता है कि N-Fix एन्जाइम (Nitrogenase) ट्रिपल बंध (= Bond) यौगिक (Compound) के साथ अंत:क्रिया कर एसिटिलीन (Acetylene) से इथीलीन (Ethylene) बनाता है ।
इस तकनीक (Technique) में Specimen को एक्सपोज (Expose) कर नाइट्रोजन (Nitrogen) की क्रिया एसिटिलीन (Acetylene) के साथ उपयुक्त होकर बेसल में होती हैं तथा बाद में Incubation कर GLC (Gas Liquid Chromatography) द्वारा इथाइलीन (Ethylene) को विश्लेषित करते हैं । Ethylene की उत्पन्न मात्रा से नाइट्रोजिनेस क्रिया मापी जाती है ।
N – Fix की क्रिया निम्न प्रकार से होती है:
Bacteria द्वारा N-Fix किया जाता है, जो लेग्यूम्स (Legumes) के साथ होता है । यह बैक्टीरिया N को फिक्स (Fix) करने से पहले होस्ट प्लांट (Host Plant) के रूट ऊतक (Root Tissue) की कोशिका (Cells) में स्वयं के रखते हैं ।
रूट सिस्टम (Root System) में इन्फेक्शन (Infection) राइजोबियम बैक्टीरिया (Rhizobium Bacteria) द्वारा होता है । इन्फेक्शन थ्रेड़ (Infection Thread) का बनना, जो कई रूट हेयर्स (Root Hairs) में विकसित होते हैं । इसी से सम्बन्धित है । N-Fix बैक्टीरिया Hot Plant कोशिका (Cells) को Invade करते हैं ।
पौधे (Plants) की कुछ कोशिकाएं (Cells) Infect हो जाती हैं जिससे कोशिका (Cells) का दीर्घन (Enlargement) होता है तथा जिससे कोशिका विभाजन (Cell Division) बढ़ता है, और असामान्य ग्रोथ (Nodules) रूट सिस्टम (Root System) पर होती हैं । इस प्रकार के N-Fix Legume Bacteria तथा Nodules बनाते हैं ।
इस प्रक्रिया (Process) में दोनों अर्थात् बैक्टीरिया तथा पौधे (Bacteria and Plant) को फायदा होता है । यह बैक्टीरिया (Bacteria) वातावरण को N-फिक्स (N-Fix) में परिवर्तित करते हैं जो पौधे के लिए उपलब्ध होता है तथा बैक्टीरिया (Bacteria) पौधों (Plants) के ऊतकों (Tissues) से पोषण (Nutrition) प्राप्त करता है ।
राइजोबियम (Rhizobium) की सभी स्पीशीज (Species) नोड्यूलेशन (Nodulation) तथा N-Fix, किसी भी लेग्यूज (Leguse) के साथ उत्पन्न नहीं करती है । लैग्यूम्स तथा बैक्टीरिया (Legumes and Bacteria) के मध्य विशिष्टता (Specific) की डिग्री होती है ।
नोड्यूलेशन (Nodulation) के लिए इन बैक्टीरिया (Bacteria) को व्यावसायिक स्तर पर तैयार करने के लिए लेग्यूम्स (Legumes) को सात मुख्य कैटेगरी में Divide किया गया है:
(i) अल्फा-अल्फा (Alfa-Alfa),
(ii) क्लोवर (Clover),
(iii) पीज तथा वेच (Peas and Vetch),
(iv) स्पीशीज (Species),
(v) बीन्स (Beans),
(vi) लूपीन्स (Lupines),
(vii) सोयाबीन (Soyabeans) ।
(2) असहजीवी जीवाणुओं द्वारा नाइट्रोजन का स्थिरीकरण (Fixation of Nitrogen by Non Symbiotic Bacteria):
इसके अन्तर्गत स्वतंत्रजीवी सूक्ष्मजीवी जैसे Azetobacter (एजेटोबैक्टर) क्लोरोबियम (Chlorobium), एन्टरोबैक्टर (Entrobacter), रोडोस्पाइरिलम (Rhodo Spirillum) आदि ।
बहुत से जीवाणु (Bacteria) स्वतन्त्र रूप (Free) से मिट्टी (Soil) में पाए जाते हैं, जिन्हें निम्न प्रकार से वर्गीकृत (Classify) किया जा सकता है:
(i) ऑक्सी जीवाणु (Aerobic Bacteria):
एजोटोबैक्टर क्रूकोकम (Azotobacter Chroococcum), एजोटो बैक्टर एगीलिस (Azotobacter Agilis) नामक जीवाणु (Bacteria) प्रकृति में पाये जाते हैं, जो प्राय: चल (Motile) अथवा अचल (Non-Motile) होते हैं ।
(ii) अनॉक्सी जीवाणु (Anaerobic Bacteria):
क्लोस्ट्रीडियम (Clostridium) नामक जीवाणु (Bacteria) छड़ (Rod) के आकार के होते है, जो ऑक्सीजन (Oxygen-O2) की अनुपस्थिति में भी जीवित रहते हैं और Nitrogen का स्थिरीकरण करते हैं ।
(iii) प्रकाश संश्लेषणीय जीवाणु (Photosynthetic Bacteria):
रोडोस्पाइरिलस (Rhodospirillus) नामक जीवाणु (Bacteria) समुद्री एवं ताजे जल में पाया जाता है । यह जीवाणु (Bacteria) ऑक्सीजन (Oxygen-O2) की अनुपस्थिति में प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis) करता है ।
(iv) रसायन संश्लेषणीय जीवाणु (Chemosynthetic Bacteria):
थायो बैसिल्स (Thiobacillus) तथा डीसल्फोरिब्रायो डीसल्फ़्यूरिकेन्स (Desulphoribrio Desulphuricans) नामक जीवाणु (Bacteria) अनॉक्सी श्वासन (Anaerobic Respiration) करते हैं जो ऑक्सीजन (Oxygen-O2) के स्थान पर सल्फेट (Sulphate-SO4) ग्रहण करते हैं तथा कार्बनिक पदार्थों (Organic Matters) की सल्फाइड (Sulphide) में बदल देते हैं ।
प्राय: उपरोक्त जीवाणु (Bacteria) अम्लीय (Acidic) मिट्टी (Soil) में रहकर ही वायुमंडल की स्वतंत्र नाइट्रोजन (Free Nitrogen) N2 का स्थिरीकरण (Fixation) करते हैं ।
(v) अमोनीकरण (Ammonification):
सड़े-गले हुए पौधों (Plants) तथा जन्तुओं (Animals) में मल मूत्र में काफी नाइट्रोजन (Nitrogen) होती है, जिसका अपघटन (Decomposition) मिट्टी में उपस्थित बैसिलस वल्गेरिस (Bacillus Vulgaris) तथा बी माइकोइडिस (B. Mycoides) नामक जीवाणुओं (Bacteria) द्वारा होता है, जिसके फलस्वरूप अमोनिया (Ammonia) बनती है, जो मिट्टी में मिलकर नाइट्रोजन (Nitrogen) के रूप में पौधों को प्राप्त होती है ।
(vi) नाइट्रीकरण (Nitrification):
मृदा (Soil) में उपस्थित अमोनिया (Ammonia-NH3) नाइट्रोसोमोनास (Nitrosomonas) तथा नाइट्रो बेक्टर (Nitrobacter) नामक जीवाणुओं (Bacteria) की सहायता से नाइट्रेट्स (NO3) में परिवर्तित हो जाती है ।
जैसे:
(vii) विनाइट्रीकरण (Denitrification):
मृदा (Soil) में कुछ हानिकारक जीवाणु (Harmful Bacteria) जैसे बेसिलस डी नाइट्रीफिकेन्स (B. Denitrificance) आदि पाए जाते हैं जो मृदा (Soil) के नाइट्रेट्स (Nitrates) NO3 को नाइट्राइटस (NO2) तथा अमोनिया NH3 में बदल देते हैं । यह NH3 वायुमंडल में चली जाती है, जिससे मृदा (Soil) की उर्वराशक्ति कम होने लगती है ।
(viii) यीस्ट कोशिकाओं द्वारा नाइट्रोजन का स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation by Yeast Cells):
प्रयोगों (Experiments) द्वारा सिद्ध किया जा चुका है कि मिट्टी में उपस्थित यीस्ट (Yeast) की कोशिकाएँ (Cells) भी नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) कर सकती है ।
(ix) नील हरित शैवालों द्वारा नाइट्रोजन का स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation by Blue Green Algae):
विनोग्रैडस्की (Winogradeasky) वैज्ञानिक के अनुसार नील हरित शैवाल (Blue Green Algae) के सदस्य भी वायुमंडलीय स्वतन्त्र नाइट्रोजन (N2) का स्थिरीकरण (Fixation) करते हैं ।
शैवालों (Algae) द्वारा नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) पर कार्य किया और बताया कि जब धान (Paddy) अथवा अन्य प्रकार की पानी में उगने वाली फसलों के खेतों में पानी भर जाता है ।
अर्थात् मिट्टी में ऑक्सीजन (Oxygen-O2) की कमी हो जाती है तब जल में उपस्थित जीवाणु (Bacteria) नाइट्रोजन (Nitrogen-N2) के स्थिरीकरण में सहायक होते हैं । इस प्रकार कई मिट्टी (Soil) क्षारीय (Alkaline) या उदासीन (Neutral) होती है ।
खेतों में पाए जाने वाले नील हरित शैवाल (Blue Green Algae) जैसे एनाबीना (Anabaena) नॉस्टाक (Nostac) सिलिण्ड्रोस्पर्मम (Cylindrospermum) आदि निम्न परिस्थितियों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) करते हैं:
(i) इस प्रकार की मिट्टी में नाइट्रेट (NO3) अथवा अमोनियम (NH3) लवणों (Salts) की प्रचुर मात्रा घुली रहती है ।
(ii) जब मिट्टी बहुत कम मात्रा में मोलिब्डेनम (Mo) उपस्थित होता है ।
(iii) जब मिट्टी क्षारीय (Alkaline) होती है ।
नाइट्रोजन स्थिरीकरण की जैव-रसायन विधि (Bio-Chemistry of Nitrogen Fixation):
नाइट्रोजन (Nitrogen, N=N), अक्रियाशील (Unreactive) गैस (Gas) है । नाइट्रोजन (Nitrogen) का स्थिरीकरण (Fixation) बहुत ऊँचे तापमान (Temperature) 450°C तथा लगभग 250-1000 वायुमंडलीय दाब (Atmospheric Pressure) पर होता है ।
किन्तु विभिन्न सूक्ष्म जीवियों (Micro-Organisms) द्वारा नाइट्रोजन (Nitrogen) का स्थिरीकरण (Fixation) सामान्य तापक्रम (Ordinary Temperature) एवं दाब (Pressure) पर होता है । कारनेहल (Carnahal et. al) के अनुसार सूक्ष्मजीवियों (Microbes) द्वारा होने वाले नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) में एक विशिष्ट प्रकार का एन्जाइम (Enzymes) नाइट्रोजिनेज (Nitrogenase) पाया जाता है ।
इस नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) में एन्जाइम तन्त्र (Enzyme System) दो एन्जाइम्स (Enzymes) से मिलकर बनता है । जिसमें से एक मोलिब्डेनम, (Molybdenum), आयरन प्रोटीन (Iron Protein, Mo, Fe, Protein) आयरन प्रोटीन (Fe-Protein) होती है ।
आयरन प्रोटीन (Fe-Protein) आसानी से ऑक्सीजन (Oxygen) द्वारा नष्ट हो जाती है । किन्तु मोलिब्डेनम (Molybdenum) आयरन प्रोटीन (Mo-Fe Protein) काफी समय तक स्थिर रहती है । नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) में कोबाल्ट (Cobalt) की बहुत सूक्ष्म मात्रा भी आवश्यक होती है ।
नाइट्रोजिनेज एन्जाइम की किया विधि (Mechanism of Nitrogenase Enzyme Activity):
नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) में निर्मित माध्यमिक उत्पाद (Intermediate Product), अमोनिया (Ammonia) होता है । नाइट्रोजन (Nitrogen) का अमोनिया (Ammonia, NH3) में निर्मित होना प्रदर्शित किया गया है ।
नाइट्रोजिनेज (Nitrogenase) एन्जाइम (Enzyme) दोनों दिशाओं में प्रक्रिया करता है । यह एन्जाइम (Enzyme) नाइट्रोजन (N2) के अतिरिक्त हाइड्रोजन (H2) नाइट्रस ऑक्साइड (N2O), कार्बन मोनो ऑक्साइड (CO), ऐसेटिलीन (C2 H2), मिथाइल आयसोसाइनाइड (CH3NC) का भी अपचयन (Reduction) करता है ।
नाइट्रोजन (N2) अपचयन (Reduction) करता है । नाइट्रोजन (N2) अपचयन में 6 इलेक्ट्रॉन (Electrons) तथा हाइड्रोजन (H2) आयन्स (Ions) भाग लेते हैं तथा अमोनिया (NH3) का निर्माण होता है । इस क्रिया में नाइट्रोजिनेज (Nitrogenase) एन्जाइम (Enzyme) एक (Catalyst) का कार्य करते हैं ।
इस Reaction में भाग लेने वाले इलेक्ट्रॉन्स (Electrons) के निम्नलिखित तीन स्रोत हो सकते हैं:
(1) हरी कोशिकाओं में प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis in Green Cells),
(2) श्वसन इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरण श्रृंखला (Respiratory Transport Chain),
(3) पायरुवेट का फॉस्फोरीब्लास्टिक विपाटन (Phosphoroblastic Split of P.A.) ।
एन्जाइम (Enzyme) में इलेक्ट्रॉन्स का स्थानान्तरण N.A.D.H. तथा फैरीडॉक्सिन (Ferredoxin) द्वारा होता है । जीवाणु (Bacteria) फ्ले, पास्चुरिएनम (C. Pasteurianum) में पायरुविक अम्ल (Pyruvic Acid) का इलेक्ट्रॉन (Electron), फैरीडॉक्सिन (Ferredoxin) के माध्यम से प्राप्त होता है । पायरुविक अम्ल (Pyruvic Acid) के जीवाणु (Bacteria) द्वारा होने वाले ऑक्सीकरण (Oxidation) से ए.टी.पी. (A.T.P.) प्राप्त होता है ।
एन्जाइम (Enzyme) की सक्रिय दिशा से नाइट्रोजन (Nitrogen-N2) मोलिब्डेनम (Mo) एवं आयरन (Fe) से जुड़ जाते हैं तथा निम्न प्रकार अमोनिया (NH3) का निर्माण होता है:
इस क्रिया में ATP की आवश्यकता होती है जो पायरुवेट (Pyruvate) के ऑक्सीकरण (Oxidation) से प्राप्त होती है । यह क्रिया लेग्यूमिनस (Leguminous) पौधों की मूलग्रन्थियों (Root Nodules) में उपस्थित लेगहीमोग्लोबिन (Leghaemoglobin) नामक रंगद्रव्य (Pigment) द्वारा आसानी से सम्पन्न होती है ।
नाइट्रोजन (Nitrogen-N2) के अणु (Molecules) अमोनिया (Ammonia-NH3) को दो अणुओं (Molecules) में अपचयन (Reduction) करने के लिए एन्जाइम (Enzyme) की ए.टी.पी. (A.T.P.) के 15 अणुओं (Molecules) की आवश्यकता होती है ।
वैज्ञानिक T.A La. Rue ने अपने प्रयोगों के आधार पर बताया कि राइजोबियम (Rhizobium) नामक जीवाणु (Bacteria) तम्बाकू (Tobacco) के केलस कल्चर (Callus Cultures) में नाइट्रोजन (Nitrogen) स्थिरीकरण (Fixation) कर सकता है ।
इस जीवाणु (Bacteria) में नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) करने की क्षमता (Power) नाइट्रोजिनेज (Nitrogenase) की उपस्थिति के कारण होती है । वैज्ञानिकों के अनुसार पादप पोषक (Plant Host) की अनुपस्थिति में राइजोबियम (Rhizobium) नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) करने में असफल होता है ।
चाइल्ड एवं गिब्सन (J.J. Child and A.H. Gibson) ने बताया कि राइजोबियम (Rhizobium) का काऊपी (Cowpea) स्ट्रेन (Strain) पोषक पादप (Plant Host) की अनुपस्थिति में कृत्रिम मीडिया (Artificial Media) में नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) कर सकता है ।
वैज्ञानिकों के अनुसार राइजोबियम (Rhizobium) में नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) करने वाला जीन निफ (Gene “Nef”) होता है तथा लेग्यूमिनस पौधे (Leguminous Plants) अरेबिनोज (Arabinose) तथा जाइलोज (Xylose) नामक पदार्थ प्रदान करते हैं, जिसके द्वारा नाइट्रोजिनेज एन्जाइम (Nitrogenase Enzyme) से नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) होता है ।