गन्ना संयंत्रों के लिए लागू उर्वरकों की सूची | Read this article in Hindi to learn about the list of fertilizers that are applied to sugarcane plants.

गन्ने में खाद एवं उर्वरक देने की विधि:

1. कार्बनिक खादें:

विभिन्न खादों को सदैव खेत में फसल बोने से पूर्व ही डालते हैं । हरी खाद हमेशा फसल बोने से डेढ माह पूर्व खेत में दबा देनी चाहिए । कम्पोस्ट व गोबर की खाद को भी फसल बोने से एक माह पूर्व ही खेत में डालते है । विभिन्न प्रकार की खलियां फसल बोने से 15 दिन पहले खेत में डालना लाभदायक होता है ।

इन खादों को खेत में इसलिए पहले डालते हैं कि फसल के अंकुरण के समय तक इन खादों में उपस्थित पोषक तत्व उपलब्ध अवस्था में परिवर्तित हो जाए अर्थात् इनका विघटन इस समय तक पूरा हो जाए । कार्बनिक खादें जैसे गोबर की खाद, कम्पोस्ट आदि खेत में छिटकवां विधि से दी जाती है । खाद को खेत में बिखेरने के बाद अच्छी प्रकार मिला देना चाहिए ।

2. नाइट्रोजन उर्वरकों का प्रयोग:

ADVERTISEMENTS:

नाइट्रोजन उर्वरकों की 1/3 मात्रा बुआई के समय कुंड या नाली में गन्ना बीज रखने से पहले डाली जाती है तथा, दूसरी 1/3 मात्रा अंकुर फूटते समय व तीसरी 1/3 मात्रा वृद्धि के समय खेत में टाप ड्रेसिंग विधि से पंक्ति के पास देते है । गन्ने में बढवार एवं किल्ले फूटते समय उर्वरकों की अधिक आवश्यकता होती है ।

इस अवस्था में सभी पोषक तत्व खेत में उर्वरकों के रूप में पहुँच जाने चाहिए । इस अवधि के बाद नाइट्रोजन देने से गन्ने की फसल गिर सकती है व उसकी गुणवता पर भी विपरीत प्रभाव पडता है । नाइट्रोजन उर्वरकों का प्रयोग फसल की बुआई से पहले या बुआई के समय ही छिटकवां विधि से किया जाना चाहिए ।

3. फास्फोरस उर्वरक:

गन्ने में फास्फोरस युक्त उर्वरकों को फसल की बुआई के समय कुंडों में गन्ने के टुकड़ों के नीचे गहराई पर डाल दिया जाता है । चूकि फास्फोरस का संचरण, अनुप्रयोग किये जाने वाले स्थान से बहुत धीरे-धीरे होता है अतः इसका प्रयोग ऐसे स्थान पर अथवा पौधों की जडों के इतने पास करना आवश्यक है जहां से पौधे आसानी से ग्रहण कर सकें । फास्फोरस उर्वरकों का अनुप्रयोग स्थानिक स्थापन विधि से करते है ।

4. पोटाश उर्वरक:

पोटाशयुक्त उर्वरकों को बुआई के समय अथवा इससे पूर्व खेत की तैयारी के समय अकेले अथवा अन्य खादों के साथ मिलाकर दे सकते हैं । यह गन्ने की फसल के लिये विशेष रूप से उपयोगी पाया गया है । पोटाश, मृदा में कम गतिशील होते है और मृदा में इनका स्थिरीकरण भी हो जाता है इसलिए पोटाश उर्वरकों को जड क्षेत्र के समीप ही प्रयोग करना चाहिए ।

Home››Agriculture››Sugarcane››