बैंक खाते: विशेषताएं और लेखा प्रक्रिया | Read this article in Hindi to learn about the characteristics of bank accounts and its accounting procedure.
बैंकिंग एक व्यवहार है तथा अन्य व्यावसायियों की भाँति बैंकों को भी अपने व्यवहारों का व्यवस्थित रूप से लेखांकन करना होता है ताकि उनके परिणाम (लाभ-हानि) तथा बैंकों की वित्तीय-स्थिति ज्ञात हो सके ।
बैंकिंग लेखों की प्रमुख विशेषताएं (Chief Characteristics of Banking Accounts):
(1) बैंकों के लेखे दोहरा लेखा पद्धति (Double Entry System) के अनुसार रखे जाते हैं तथा अन्तिम खाते (लाभ-हानि खाता तथा चिट्ठा) बैंकिंग नियमन अधिनियम द्वारा निर्धारित तैयार किए जाते हैं ।
(2) बैंकों के वित्तीय व्यवहारों को दो भागों में बाटा जा सकता है:
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(a) नकद व्यवहार (Cash Transactions) से आशय उन व्यवहारों से होता है जिनमें नकद राशि बैंक में जमा कराई जाती है अथवा किसी को रोकड़ भुगतान किया जाता है । ग्राहक के खाते पर लिखे गए चैक का भुगतान करना अथवा किसी ग्राहक द्वारा अपने खाते में धन जमा करना, नकद व्यवहारों के उदाहरण हैं ।
(b) हस्तांतरण व्यवहार (Transfer Transactions) वे व्यवहार होते हैं जिनमें रोकड़ का आना-जाना नहीं होता । ऐसे व्यवहार एक खाते से दूसरे खाते में केवल पुस्तकीय-व्यवहार होते है । ग्राहक के खाते में ब्याज क्रेडिट करना, किसी ग्राहक के चल खाते से स्थायी खाते में धन का हस्तांतरण, हस्तांतरण व्यवहारों के उदाहरण हैं ।
(3) प्रत्येक व्यवहार एक निश्चित क्रम में होता है तथा इसी क्रम में उसका लेखांकन किया जाता है । व्यवहार के अन्तिम बिन्दु पर नियन्त्रक अधिकारी (Controlling Officer) के हस्ताक्षर द्वारा व्यवहार की पुष्टि की जाती है ।
(4) समस्त दैनिक व्यवहारों का लेखा उसी दिन कर लिया जाता है ताकि प्रत्येक शाखा अपने व्यवहारों का साप्ताहिक विवरण अपने क्षेत्रीय कार्यालय को भेज सकें ।
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(5) बैंक अपने सरकारी एवं गैर-सरकारी व्यवहारों (Govt. and Non Govt. Transactions) का लेखा करने हेतु अलग-अलग पुस्तकों की व्यवस्था कर सकता है ।
लेखांकन विधि (Accounting Procedure):
बैंकों में अनेक प्रकार के व्यवहार होते है जिनके लेखांकन हेतु एक निश्चित प्रक्रिया का अनुसरण किया जाता है । विभिन्न बैंकों में इस सम्बन्ध में एकरूपता (Uniformity) नहीं पायी जाती है । यहाँ हम बैंकिंग व्यवहारों के लेखांकन की सामान्य प्रक्रिया का संक्षेप में उल्लेख कर रहे हैं ।
बैंक खिड़की या काउण्टर (Bank Counter):
बैंकों में विभिन्न व्यवहारों के लिए अलग-अलग काउण्टर बने होते है । प्रत्येक काउण्टर पर एक विशिष्ट प्रकार के व्यवहार ही होते हैं जहां उससे सम्बन्धित लिपिक बैठा रहता है । ऐसे काउण्टरों के कुछ उदाहरण हैं- कैश प्राप्ति काउण्टर, कैश भुगतान काउण्टर, सेविंग बैंक खाता काउण्टर, चालू खाता काउण्टर आदि ।
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फॉर्म या पर्ची (Form):
विभिन्न बैंकिंग व्यवहारों को करने के लिए बैंक द्वारा छपे हुए फॉर्म निःशुल्क उपलब्ध कराए जाते हैं जैसे रोकड़/चैक आदि जमा कराने के लिए जमा-पर्ची (Pay-In-Slip) धन निकालने के लिए निकास-पर्ची (Withdrawal Form) चैक आदि ।
जब कोई भी ग्राहक बैंक से कोई व्यवहार करना चाहता है उसे सम्बन्धित काउण्टर पर जाकर फॉर्म या पर्ची भरकर काउण्टर लिपिक को देनी होती है । जैसे यदि कोई व्यक्ति अपने सेविंग बैंक खाते से पैसा निकालना चाहता है तो उसे निकासी पर्ची (Withdrawal Form) अथवा चैक सेविंग खाता काउण्टर पर देना होगा ।
इस प्रकार बैंक के प्रत्येक व्यवहार का आधार कोई फॉर्म, पर्ची या आवेदन-पत्र होता है जो सम्बन्धित व्यवहार के लिए प्रमाणक या वाउचर (Voucher) का काम करता है तथा जिसके आधार पर ही उस व्यवहार का लेखांकन बैंक की पुस्तकों में होता है ।
खतौनी की पर्ची पद्धति (Slip System of Posting):
बैंकों में होने वाला प्रत्येक व्यवहार पर्ची (Slip) की सहायता से किया जाता है । यह पर्ची सम्बन्धित व्यवहार के प्रमाण (Voucher) का कार्य करती है तथा इसकी सहायता से ही व्यवहार की द्वि-प्रविष्टि सम्बन्धित खाती में की जाती है । ये पर्चियां (चैक, जमा-पर्ची, निकासी पर्ची आदि) या तो ग्राहक द्वारा भरी जाती है या बैंक के आन्तरिक संगठन द्वारा इन्हें भरा जाता है ।
पर्ची-द्वारा खतौनी की पद्धति को धन जमा करने के उदाहरण से स्पष्ट किया जा सकता है:
ग्राहक द्वारा जमा किये जाने वाली राशि या चैक को जमा-पर्ची (Pay-In-Slip) भरकर जमा काउण्टर पर देगा । लिपिक राशि लेकर रसीद स्वरूप प्रति पर्ण (Counter-Foil) अपने हस्ताक्षर एवं बैंक की सील लगाकर ग्राहक को लौटा देगा तथा पर्ण (Foil) अपने पास रख लेगा । वह प्राप्त राशि/चैक की प्रविष्टि अपने पास रखी रोकड़ बही (Cash Received Counter Book) में करेगा ।
बाद में इसी जमा-पर्ची की सहायता से क्षेप्य रोकड़ पुस्तक (Waste Cash Book) में प्रविष्टि की जाएगी । अन्त में यह पर्ची खाता-बही लिपिक (Ledger Clerk) को भेज दी जाएगी जहां पर्ची के आधार पर ग्राहकों के खाते में प्रविष्टि करके द्वि-प्रविष्टि पूर्ण हो जाएगी । आजकल यह कार्य कम्प्यूटर के माध्यम से होने लगा है जिससे समय भी कम लग रहा है और गलती की संभावना भी कम हो गई है ।
व्यवहारों का निश्चित क्रम या मार्ग (Route of Transactions):
बैंक में जो भी व्यवहार होते हैं वे एक या अधिक काउण्टर लिपिक से होते हुए नियन्त्रक अधिकारी तक पहुँचते हैं । प्रत्येक व्यवहार का एक निश्चित क्रम या मार्ग होता है जिस पर चलकर ही वह व्यवहार पूरा होता है ।
एक व्यवहार में होने वाली विभिन्न क्रियाओं एवं उनके लेखांकन को विभिन्न व्यक्तियों के मध्य इस प्रकार बाटा जा सकता है कि एक लिपिक के द्वारा किए गए कार्य-प्रविष्टि की तत्काल जान दूसरे व्यक्ति द्वारा हो जाय । इससे बेईमानी, छल-कपट की सम्भावनाएँ न्यूनतम हो जाती हैं ।
बैंकों में होने वाले प्रत्येक व्यवहार के मार्ग (Route) एवं लेखांकन प्रक्रिया का उल्लेख करना सम्भव नहीं है । फिर भी, सेविंग खाते से निकासी (Withdrawal) की प्रक्रिया का उल्लेख यहाँ उदाहरण के लिए किया जा रहा है-
एक ग्राहक अपने खाते से धन निकालना चाहता है । ग्राहक सबसे पहले निकासी-पत्र (Withdrawal Form) भरकर पास-बुक के साथ सेविंग बैंक काउण्टर पर प्रस्तुत करेगा । काउण्टर-लिपिक अपनी खाता बही (Saving Bank Ledger) में ग्राहक खाता पृष्ठ खोलेगा तथा उसके खाते में पर्याप्त शेष होने की जाँच करेगा ।
वह खाते में तथा पास-बुक में निकासी व्यवहार का लेखा कर अन्य प्रविष्टियाँ (जैसे निकासी के पश्चात् शेष आदि) करके लैजर मय पास-बुक एवं निकासी-पत्र के अपने नियन्त्रक अधिकारी के पास भेज देगा । निकासी-पत्र पर भुगतान-आदेश आदि की मोहर लगा दी जाती है तथा ग्राहक को एक टोकन दे दिया जाता है ।
नियन्त्रक अधिकारी लिपिक द्वारा की गई प्रविष्टियों की जाँच कर लैजर पास-बुक तथा निकासी-पत्र पर अपने हस्ताक्षर करेगा । इससे पूर्व वह ग्राहक के हस्ताक्षरों का मिलान अपने पास रखे ग्राहकों के नमूने के हस्ताक्षरों के कार्ड से करेगा इतना करने के पश्चात् नियन्त्रक अधिकारी लैजर तथा पास-बुक लिपिक को वापस कर देगा तथा निकासी-पर्ची भुगतान काउण्टर पर भेज देगा ।
भुगतान काउण्टर पर ग्राहक अपना टोकन दिखाकर भुगतान प्राप्त कर सकता है । भुगतान-लिपिक अपनी शीट पर भुगतान की प्रविष्टि करेगा । पास-बुक सेविंग बैंक काउण्टर से प्राप्त की जा सकती है ।