जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम | Read this article in Hindi to learn about the deposit insurance and credit guarantee corporations in India.
जमा बीमा एवं ऋण गारण्टी निगम को रिजर्व बैंक की कुछ रिपोर्टों में निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारण्टी निगम कहा गया है । छोटे जमाकर्ताओं में कुछ सुरक्षा प्रदान करने के लिए संसद में एक अधिनियम के द्वारा 1 जनवरी, 1962 को जमा बीमा निगम की स्थापना की गई । भारत में प्रत्येक वाणिज्यिक बैंक तथा राज्यों और संघीय क्षेत्रों में काम करने वाला प्रत्येक सहकारी बैंक, जो रजिस्टर्ड होने का पात्र है तथा जिस पर केन्द्रीय सरकार द्वारा जमा बीमा योजना लागू कई जा चुकी है ।
बीमाशुदा बैंक के रूप में रजिस्टर्ड किया जाता है । बीमाशुदा बैंकों को उनकी कर योग्य जमा राशि पर प्रतिवर्ष वर्तमान दर पर निगम को प्रीमियम देना पडता है । जमाकर्ता को किसी भी बीमाशुदा बैंक में जमा की गई राशि पर 20,000 रुपये तक बीमा को लाभ मिलता है ।
31 दिसम्बर, 1977 को 126 बीमाशुदा वाणिज्यिक बैंक (48 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित) और 849 बीमाशुदा सहकारी बैंक थे । बीमाकृत वाणिज्यिक बैंकों की संख्या बिना परिवर्तन के वर्ष 2007 में 67,321 रही जबकि बीमाकृत क्षेत्रीय बैंकों की कुल संख्या बढ्कर वर्ष 2005 में 14,507 हो गई है ।
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जनवरी, 1971 में कम्पनी अधिनियम, 1956 के अधीन भारतीय ऋण गारण्टी निगम लि, की स्थापना की गई । इसका उद्देश्य छोटे ऋणगृहीताओं को बडे पैमाने पर बिना किसी जोखिम के ऋण देने के वास्ते बैंकों को प्रोत्साहित करने के लिए ऋण-गारण्टी योजना चलाना था ।
निगम ने 3 प्रकार की गारण्टी-योजनाएँ चलाई:
(1) लघु ऋण-गारण्टी योजना,
(2) लघु ऋण (वित्तीय निगम) गारण्टी योजना और
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(3) सेवा सहकारी समिति गारण्टी योजना ।
15 जुलाई, 1978 से भारतीय ऋण गारण्टी निगम लिमिटेड को जमा बीमा निगम में विलीन कर देने और जमा बीमा निगम का नाम बदलकर निक्षेप बीमा और प्रत्यक्ष गारण्टी निगम कर देने से जमा बीमा और ऋण गारण्टी से सम्बन्धित कार्य नए निगम द्वार किए जाते हैं । भारतीय ऋण गारण्टी निगम लिमिटेड की सभी देयताएं और आस्तियाँ तथा अधिकार और दायित्व अब निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारण्टी निगम में निहित है ।
उक्त निगम द्वारा संयुक्त यूनिट के स्थापना व्यय तथा अन्य व्यय को पूरा करने के लिए उसकी पूँजी को 2 करोड रुपयों से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये कर दिया गया । उक्त पूँजी की समस्त राशि का अभिदान रिजर्व बैंक ने किया है और रिजर्व बैंक निगम म एकमात्र शेयरधारक है । निगम की प्रारंभिक पूँजी एक करोड रुपया थी जिसे बढ़ाकर 1972 में 1.50 करोड़ रुपये और जनवरी 2007 में 1.50 करोड रुपया कर दिया गया था ।
भारतीय बैंक व्यवसाय की प्रवृत्ति और प्रगति रिपोर्ट में निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारण्टी निगम के जमा बीमा कार्यों तथा ऋण गारण्टी कार्यों पर निम्नानुसार प्रकाश डाला गया:
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1. जमा बीमा कार्य (Deposit Insurance Corporation):
सहकारी बैंकों के मामले में बीमाकृत बैंकों की कुल संख्या उड़ीसा और उत्तरप्रदेश राज्यों में क्रमशः 27 और 71 पात्र सहकारी बैंकों का पंजीकरण करने से बढकर जून, 1979 के अन्त में 978 हो गई । जून, 1979 के अन्त तक उक्त योजना में 11 राज्यों और तीन संघ शासित क्षेत्रों अर्थात् आन्धप्रदेश, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उडीसा, राजस्थान, त्रिपुरा, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली गोवा दमन और दीव तथा पाण्डिचेरी के सहकारी बैंक शामिल थे ।
शेष राज्यों में इस योजना को लागू करने के लिए संबंधित राज्य सरकारों द्वारा ऐसे आवश्यक विधान पारित करने की प्रतीक्षा की जा रही है जिनसे इस योजना को लागू किया जा सके । प्रति सौ रुपये के लिए वार्षिक 4 पैसे की बीमा प्रीमियम दर में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है ।
बीमाकृत जमाराशियों के आवश्यक विवरण इकट्ठे करने में बैंकों पर पडने वाले बोझ को कम करने के उद्देश्य से 1979 के प्रारम्भ से बीमा प्रीमियम की अदायगी की अवधि को त्रिमासिक से बदल कर अर्द्ध-वार्षिक कर दिया गया है ।
1978 के अन्त में 21,659 करोड रुपयों की बैंकों की कुल कर योग्य जमाराशियों में वर्ष के दौरान 1769 करोड रुपयों की वृद्धि परिलक्षित हुई । जमा खातों की कुल संख्या में पूर्णतः संरक्षित खातों का प्रतिशत 98.2 से थोड़ा-सा बढकर 98.3 हो गया, जबकि कुल का योग्य जमाराशियों में बीमाकृत जमाराशियों का प्रतिशत 71.1 से घटकर 71.0 हो गया ।
निगम द्वारा (जमा बीमा निगम की) स्थापना से लेकर अब तक जिन दावों के लिए उदायगी की व्यवस्था की गई उनकी राशि 179 लाख रुपये थी । ये दावे 14 वाणिज्य बैंकों और 6 सहकारी बैंकों के सन्दर्भ में थे । निगम को वाणिज्यक बैंकों के संदर्भ में चुकाए गए 73 लाख रुपये प्राप्त हुए, जबकि सहकारी बैंकों के मामले में इस प्रकार कोई राशि प्राप्त हुए, जबकि सहकारी बैंकों के मामले में इस प्रकार कोई राशि प्राप्त नहीं हुई है ।
2. ऋण गारण्टी कार्य (Credit Insurance Corporation):
भारतीय ऋण गारण्टी निगम लिमिटेड के सभी अधिकार और दायित्व लेने के बाद निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारण्टी निगम पिछले निगम द्वारा निर्मित और कार्यान्वित की गई तीनों ऋण गारण्टी योजनाओं अर्थात लघु ऋण गारण्टी योजना, वित्तीय निगम गारण्टी योजना और सेवा सहकारी समिति गारण्टी योजना को चला रहा है ।
आलोच्य वर्ष के दौरान निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारण्टी निगम द्वारा इन योजनाओं में कतिपय संशोधन किए गए ताकि छोटे ऋणकर्ताओं को अधिकाधिक लाभ मिल सके । बाढ पीडितों को उदार शर्तों पर पुनर्वास वित्त प्रदान करने के उद्देश्य से प्राकृतिक विपत्तियों से प्रभावित ऋणकर्ताओं को दिए गए काफी समय में बकाया रहने वाले फसल ऋणों को मियादी ऋणों में परिवर्तित कर देने के कारण प्राप्त होने वाले दावों के संबंध में निगम की देयता को 5,000 रुपये से 75000 कर दिया गया है ताकि खरीफ मौसम से के सन्दर्भ में देय राशि की रक्षा प्रदान की जा सके, अब तक उक्त अवधि को दिए जाने वाले नए फसल ऋणों के मामले में विद्यमान निगम की के अतिरिक्त है ।
साथ ही भारत सरकार द्वारा विभेदक ब्याज दर योजना दल की सिफारिशों के अनुसरण में उक्त योजना के अन्तर्गत प्रदान किए गए अग्रिमों के सम्बन्ध में निगम की गारण्टी रक्षा को चूक की राशि के 75 प्रतिशत से बढाकर 90 प्रतिशत कर दिया गया ।
इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को उनकी ऋण प्रदान करने में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को भी विशेष भूमिका अदा करनी पडती है, उसको देखते हुए उन्हें अस्थाई राहत प्रदान करने के उद्देश्य से उनके गारण्टीकृत अग्रिमों के सन्दर्भ में गारण्टी शुल्क की दर को अथवा सम्बन्धित क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक द्वारा योजना में शामिल होने की तारीख, इनमें से जो भी परिवर्तित तारीख हो से तीन वर्ष की अवधि के लिए वार्षिक 1/2 प्रतिशत में कम कर वार्षिक 1/4 प्रतिशत कर दिया गया है ।
लघु ऋण गारण्टी योजना के अन्तर्गत हर ऋणकर्ता के सम्बन्ध में निगम के मुद्रागत दायित्व की अधिकतम सीमाएं समस्त बैंकिंग तंत्र के बजाय प्रत्येक बैंक द्वारा उसे प्रदान की जाने वाली ऋण सुविधाओं पर लागू हैं । तीनों योजनाओं के अन्तर्गत आने वाली 1,716 करोड रुपयों की राशि पिछले वर्ष के मुकाबले 13.1 प्रतिशत की वृद्धि की द्योतक थी ।
लघु उद्योगों को दिया गया ऋण संप्रति एक अलग गारण्टी योजना के अन्तर्गत आता है जो केन्द्रीय सरकार द्वारा बनाई गई है और रिजर्व बैंक द्वारा संचालित है । सभी ऋण गारण्टी योजनाओं को एक संगठन के अधीन लाने के उद्देश्य से लघु क्षेत्र के संदर्भ में ऋण-गारण्टी कार्यों के भी निगम द्वारा अधिकार में का एक प्रस्ताव विचाराधीन है ।
लघु ऋण गारण्टी योजना में वाणिज्यिक बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक शामिल हैं और निगम द्वारा गारण्टीकृत कुल अग्रिमों में अकेले इनका अंश 99.5 प्रतिशत है । वित्तीय निगम गारण्टी योजना में भाग लेने वाली संस्थाओं की सखा बिना किसी परिवर्तन के बढ रही ।
सेवा सहकारी समिति गारण्टी योजना जिसमें जमा बीमा रक्षा के लिए पात्र सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और सहकारी बैंक भाग ले सकते हैं ।