पृष्ठांकन या बेचान के प्रकार | Read this article in Hindi to learn about the five main types of endorsement of negotiable instruments. The types are:- 1. रिक्त, कोरा या साधारण बेचान (Blank or General Endorsement) 2. पूर्ण या विशेष बेचान (Full or Special Endorsement) 3. प्रतिबन्धयुक्त बेचान (Restrictive Endorsement) and a Few Others.

साधारणतः पृष्ठांकन या बेचान निम्नलिखित प्रकार के हो सकते हैं:

Type # 1. रिक्त, कोरा या साधारण बेचान (Blank or General Endorsement):

जब बेचानकर्ता किसी चैक या अन्य विनिमयसाध्य रुक्के की पीठ पर केवल अपने हस्ताक्षर कर देता है और बेचानपात्र का नाम नहीं देता तो इसे रिक्त या साधारण बेचान कहते हैं । यदि किसी चैक पर रिक्त बेचान हो रहा है तो उसका रुपया कोई भी व्यक्ति जो भुगतान के लिए चैक बैंक में प्रस्तुत करें, ले सकता है । इस तरह एक आदेशानुसार चैक रिक्त बेचान करके पुनः वाहक चैक बनाया जा सकता है

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तथा फिर वह बेचान के बिना केवल सुपुर्दगी द्वारा हस्तान्तरित किया जा सकता है ।

Type # 2. पूर्ण या विशेष बेचान (Full or Special Endorsement):

जब बेचानकर्ता किसी चैक या अन्य विनिमयसाध्य रुक्के की पीठ पर अपने हस्ताक्षरों के ऊपर उस व्यक्ति का नाम भी निर्दिष्ट कर देता है, जिसे या जिसके आशयानुसार वह रुपया दिलाना चाहता हो तो इसे पूर्ण या विशिष्ट बेचान कहते हैं ।

रिक्त बेचान में हस्ताक्षरों के ऊपर अपना या किसी दूसरे व्यक्ति का नाम लिखकर वर्तमान बेचानपत्र उसे पूर्ण बेचान-लेख बना सकता है । ऐसा करके भी वह वर्तमान बेचानपात्र विलेख के बेचानकर्ता के रूप में खेई दायित्व नहीं उठाता । पूर्ण बेचान वाला चैक आदेशानुसार देय होता है । अतः आगे चलाने के लिए उस पर पुनः बेचान लिखने की आवश्यकता पड़ेगी ।

जब कोरे या रिक्त बेचान को धारी द्वारा पूर्ण बेचान में बदल दिया जाता है, तो ऐसे धारी से पूर्व के पक्षका, के लिये विलेख ‘वाहक को देय’ ही बना रहना तथा धारी जिसने पूर्ण बेचान किया है, केवल उसी व्यक्ति के प्रति जिसमें उसने बेचान किया है या ऐसे नये बेचानपात्र से जिस अन्य व्यक्ति ने विलेख स अधिकर पाया है, के प्रति दायी होता है ।

Type # 3. प्रतिबन्धयुक्त बेचान (Restrictive Endorsement):

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जिस बेचान के द्वारा बेचानकर्ता किसी चैक या बिल का आगे बेचान करना रोक लेता है या जिसमें सकेत होता है कि बेचान लेख स्वामित्व का हस्तान्तरण नहीं करता केवल चैक से बेचानकर्ता के निर्देशानुसार प्रयोग करने का अधिकर मात्र ही प्रदान करता है, प्रतिबन्धयुक्त बेचान कहलाता है । ऐसा बेचान उस रुक्के की विनिमयसाध्यता को सीमित कर देता है ।

Type # 4. आंशिक बेचान (Partial Endorsement):

उस बेचान लेख को आशिक बेचान कहते हैं, जिसके द्वार चैक या अन्य विनिमयसाध्य विलेख में लिखित रकम के केवल एक अंश देने का ही निर्देश किया जाय । ऐसा बेचान अवैध होता है, क्योंकि कल के अनुसार, विलेख पर ऐसा कोई बेचान विनिमय के आशय से वैध नहीं होता, जिसका उद्देश्य उसमें उल्लिखित धन के केवल एक भाग का हस्तान्तरण करना हो ।

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हां, यह बेचान उस अवस्था में किया जा सकता है, जबकि चैक के अधिकारी को या तो कुछ रकम पहले ही नकद या अन्य रूप में दी गयी हो या किसी करण से चैक की रकम न एक अंश ही भुगतान करना हो ।

किन्तु ऐसी दशा में रकम का एक भाग पहले ही चुका देने के तथ्य का उल्लेख करते हुए शेष राशि का विनिमय करना वैध होगा । नीचे उदाहरण 1 का बेचान अवैध है किन्तु उदाहरण 2 का वैध है । चूकि ऐसे बेचान से बेचानकर्ता, देनदार बैक तथा बेचान-पात्र, सभी को झंझट होता है, इसलिए ऐसे बेचान का अधिक प्रचलन नहीं है ।

Type # 5. शर्तयुक्त बेचान (Conditional Endorsement):

यह वह बेचान है जिसमें किसी निर्दिष्ट घटना के घटने पर ही भुगतान करने का निर्देश हो अथवा बेचान में स्पष्ट शब्दों के द्वारा बेचानकर्ता अपने के दायित्व से मुक्त रखता है । शर्तयुक्त बेचान विलेख के बेचानकर्ता के दायित्व को सीमित करता है, विनिमय-साध्यता पर रोक नहीं लगाता ।

बेचानकर्ता निम्न रूपों में स्वयं को दायित्व से मुक्त कर सकता है या अपने दायित्व को सीमित बना सकता है:

(a) दायित्व से मुक्त करना:

जब किसी विलेख पर बेचान किया जाता है तो भुगतान न मिलने पर यदि धारी अपने बेचानकर्ता से उसका भुगतान करने के लिए कहे, तो वह ऐसा करने के लिए बाध्य होगा । यदि कोई बेचानकर्ता अपने इस दायित्व से मुक्त होना चाहता है तो वह अपने हस्ताक्षरों में ”बिना मेरे दायित्व के दीजिए” (Pay without recourse to me) लिखकर मुक्त हो सकता है, ऐसे बेचान को ‘दायित्व हित बेचान’ (Sans Recourse Endorsement) कहते हैं ।

स्मरण रहे, यदि दायित्व-रहित बेचानकर्ता बाद के पुनः उस विलेख का धारी बन जाय, तो बीच के सभी बेचानकर्ता उसके प्रतिदायी रहेंगे । इस प्रकार दायित्व-हित बेचानकर्ता स्वयं तो बाद के बेचानकर्ताओं के प्रतिदायी होता नहीं, किन्तु उनके बेचानपात्र के रूप में दायी बनाने का अधिकार रखता है ।

(b) अपने दायित्व को किसी निर्दिष्ट घटना के घटने पर निर्भर बनाना:

बेचानकर्ता विलेख का निम्न प्रकार बेचान कर सकता है- ”जल सम्राट के कलक्ता पहुँचने पर महेश का या आदेशानुसार दीजिए” जब तक बेचान में वर्णित घटना नहीं घटती है या उसका घटना असम्भव नहीं हो जाता है तब तक बेचानकर्ता दायी नहीं बनेगा ।

(c) बेचानपात्र के विलेख पर देय रकम पाने के अधिकार को एक नियत घटना के घटने पर निर्भर बनाना:

यदि बेचानकर्ता अपने बेचान लेख द्वारा बेचानपात्र के विलेख पर देय रकम पाने के अधिकर से किसी विशेष घटना के घटने पर निर्भर बना देता है तो बेचानकर्ता ऐसे बेचानपात्र से या किसी अन्य पूर्व पक्षकार से देय धन को तब तक प्राप्त नहीं कर सकता है, जब तक कि वह घटना घट न जाय ।

(d) अप्रतिष्ठा की सूचना पाने के अधिकार का परित्याग करना:

जब बेचानकर्ता बेचान में यह लिख दे कि अप्रतिष्ठ की सूचना पाने के अधिकार को वह छोड़ता है तथा इस प्रकार अपने दायित्व में स्वेच्छा से वृद्धि कर लेता है, तो ऐसे बेचान में ऐच्छिक बेचान (facultative Endorsement) कहा जाता है । ऐसी दशा में अप्रतिष्ठ की सूचना न दिये जाने पर भी बेचानकर्ता विलेख के अप्रतिष्ठित होने पर दायी रहता है ।

उदाहरणार्थ- Pay Shri R.K. Gupta, or Order, Notice of Dishonour Waived.

एजेन्ट द्वारा बेचान (Pre Pro or Per Procuration):

Per Procuration अथवा Pre Pro शब्दों से आशय यह है कि जो व्यक्ति पृष्ठांकन पर हस्ताक्षर कर रहा है वह एक एजेण्ट है तथा वह ऐसा पृष्ठांकन अपने प्रधान (Principal) द्वारा प्रदत्त आधिकार के अन्तर्गत कर रहा है ।

इस प्रकार का पृष्ठांकन इस बात का सूचक माना जाता है कि:

(i) पृष्ठांकन कर्ता एजेण्ट है, जिसका अधिकार पृष्ठांकन करने तक सीमित है तथा

(ii) प्रधान को यह पृष्ठांकन तभी बन्धकारी (Bound) होगा जब एजेण्ट ने अपने अधिकार की वास्तविक सीमाओं के अन्तर्गत रहते हुए हस्ताक्षर किए हैं ।

बैंकर की स्थिति:

यदि बैंकर Pre Pro पृष्ठांकन युक्त चैक का भुगतान यथाविधि (in due course) करता है तथा ऐसा करते समय ऐसा कोई कारण या आधार नहीं है जो उसे शंका (Suspicion) उत्पन्न करे, तो ऐसे भुगतान के लिए बैंकर की कोई जोखिम नहीं होगी ।

यदि बैंकर को हस्ताक्षरकर्ता एजेण्ट के अधिकार के बारे में तनिक भी शंका हो तो उचित पूछ-ताड़ स लेनी चाहिए तथा जब तक उसे हस्ताक्षरकर्ता के वैध अधिकर का साक्ष्य (Evidence) प्रस्तुत न किया जाये, बैंकर को चैक का भुगतान नहीं करना चाहिए ।

काउन्टर पर भुगतान:

Pre Pro पृष्ठांकित चैक का काउण्टर पर भुगतान करते समय बैंकर को एजेण्ट के न केवल पृष्ठांकन करने वरन् भुगतान प्राप्त करने के अधिकार के बारे में भी सन्तुष्ट हो जाना चाहिए । हो सकता है कि प्रधान ने एजेण्ट को केवल पृष्ठांकन करने के लिए ही अधिकृत किया हो, भुगतान प्राप्त करने के लिए नहीं ।

अतः बैंकर को काउण्टर पर भुगतान करने पर सुरक्षा केवल तभी प्राप्त होगी जब:

(i) भुगतान यथा-विधि (सद्‌भावनापूर्वक एवं सावधानी के साथ) किया हो,

(ii) एजेण्ट के अधिकर के सम्बन्ध में या तो कोई सन्देह न हो अथवा यदि हो तो उसका निराकरण कर लिया गया हो तथा

(iii) पृष्ठांकन करने के साथ-साथ भुगतान प्राप्त करने का अधिकार भी एजेण्ट को हो जिसकी उचित जाँच-पड़ताल बैंकर ने कर ली हो ।

यदि बैंकर, ऐसा नहीं करता तो वह असावधानी के लिए दोषी होगा तथा Pre Pro चैक के गलत भुगतान के लिए दायी होगा ।

समाशोधन द्वारा भुगतान:

समाशोधन (Clearing) द्वारा भुगतान की दशा में भुगतानकर्ता बैंकर को यह सुरक्षा प्राप्त हो जाती है कि चूकि चैक एक बैंकर के माध्यम से प्राप्त होता है, अतः भुगतानकर्ता बैंकर यह मान सकता है कि संग्राहक बैंकर एजेण्ट के अधिक से के बारे में आवश्यक पूछताछ कर चुका होगा ।

एक बार वाहक, सदा वाहक (Once a Bearer, Always a Bearer):

चैक के सम्बन्ध में यह कहा जाता है कि ‘एक बार वाहक सदा वाहक’ इसका आशय यह है कि यद्यपि किसी आदीष्ट चैक (Order Cheque) को तो सामान्य पृष्ठांकन द्वारा वाहक बनाया जा सकता है किन्तु यदि किसी वाहक चैक पर विशिष्ट पृष्ठांकन भी कर दिया जाये तो भी वह आदिष्ट (Order) नहीं बन सकता ।

इसका कारण यह है कि बैंकर हमेशा चैक की मूल-स्थिति देखता है तथा उसके अनुसार ही वह कार्य करने के लिए बाध्य होता है । मूल रूप से वाहक को देय चैक पर पृष्ठांकन आवश्यक ही नहीं होता । अतः ऐसे चैक पर यदि कोई पृष्ठांकन किया गया हो तो बैंकर उसे देखने के लिए बाध्य नहीं है ।

अतः यदि किसी व्यक्ति के पास कोई वाहक चैक हो तथा वह उसे आदिष्ट बनाना चाहे तो उसे ‘वाहक’ शब्द काटकर ‘आदिष्ट’ शब्द लिखकर मूल विलेख को ही वाहक से आदिष्ट बना देना चाहिए । केवल पृष्ठांकन द्वारा ही वाहक चैक को आदिष्ट नहीं बनाया जा सकता ।