विनिमय-साध्यता या परक्रामणता | Read this article in Hindi to learn about:- 1. बेचान का परिचय (Introduction to Endorsement of Negotiable Instruments) 2. पृष्ठांकन या बेचान का अर्थ (Meaning of Endorsement of Negotiable Instruments) 3. मान्यताएं (Assumptions) 4. प्रभाव (Effects).
बेचान का परिचय (Introduction to Endorsement of Negotiable Instruments):
विनिमयसाध्य विलेख की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता उसकी विनिमय-साध्यता या परक्रामणता (Negotiability) होती है अर्थात् उस विलेख की सम्पत्ति के स्वामित्व का हस्तान्तरण किया जा सकता है ।
यह हस्तान्तरण दो प्रकार से होता है:
(क) विलेख के ‘वाहक’ (Bearer) होने की दशा में मात्र सुपुर्दगी द्वारा तथा
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(ख) विलेख के ‘आदेशानुसार’ (Order) होने पर पृष्ठांकन या बेचान एवं सुपुर्दगी द्वारा ।
किसी विनिमयसाध्य विपत्र, चैक, बिल, हुण्डी आदि की पीठ पर प्राप्तकर्ता या अन्य कोई व्यक्ति जो उस समय उसका धारी हो, अपना रुपया पाने का अधिकार किसी दूसरे व्यक्ति को हस्तान्तरित करने के उद्देश्य से हस्ताक्षर करता है तो ऐसा करने को बेचान या पृष्ठांकन (Endorsement) कहते हैं ।
जो व्यक्ति बेचान लिखता है उसे बेचानकर्ता या पृष्ठांकक (Endorser) तथा जिस व्यक्ति के पक्ष में बेचान किया जाये उसे बेचानपात्र या पृष्ठांकिती (Endorsee) कहा जाता है । प्राप्तकर्ता सबसे पहले बेचान लिखता है । बेचान पत्र चाहे तो आगे भी अन्य व्यक्ति को पुन बेचान कर सकता है ।
विलेख पर बचान लिखने के बाद उसकी सुपुर्दगी कर देने से अधिकार का हस्तान्तरण पूर्ण हो जाता है । यदि केवल बेचान लिख दिया जाय किन्तु सुपुर्दगी न की जाये तो बेचान का उद्देश्य (अर्थात् रुपया पाने का अधिकार हस्तान्तरित करना) पूरा नहीं होगा ।
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वाहक चैक का पूरा रुपया पाने का अधिकर हस्तान्तरित करने के लिए बेचान की आवश्यकता नहीं है परन्तु आदेशानुसार चैक के सम्बन्ध में उसकी आवश्यकता है, जिससे देनदार बैंक को यह मालूम हो जाये कि भुगतान का आदेश किस व्यक्ति के लिए है ।
पृष्ठांकन या बेचान का अर्थ (Meaning of Endorsement of Negotiable Instruments):
विनिमयसाध्य विलेख की धारा 15 के अनुसार – ‘जब एक विनिमयसाध्य विलेख का लेखक (Maker) या धारक (Holder) विलेख के विनिमय या परक्रामण (Negotiation) के उद्देश्य से विलेख के पृष्ठ-भाग (Back) या अग्र-भाग (Face) पर अथवा उससे संलग्न पर्ची पर अथवा किसी ऐसे स्टाम्प पेपर पर जिस पर बाद में विनिमयसाध्य विलेख लिखा जायेगा, अपने हस्ताक्षर कर देता है, तो यह माना जायेगा कि उसने विलेख पर बेचान कर दिया तथा वह (हस्ताक्षर करने वाला व्यक्ति) पृष्ठांकनकर्ता (Endorser) कहलाता है ।’
इस प्रकार किसी विनिमयसाध्य विपत्र पर उसके लेखक या धारक द्वारा उस विपत्र के विनिमय या परक्रामण करने के उद्देश्य से हस्ताक्षर करना पृष्ठांकन या बेचान करना कहलाता है । पृष्ठांकन विपत्र के मुख-पृष्ठ पर या पीछे या विपत्र पर पर्याप्त स्थान न रहने पर संलग्न कागज की पर्ची (Along) पर किया जा सकता है ।
पृष्ठांकन करने का उद्देश्य उस विलेख की राशि पाने का अधिकार उस व्यक्ति को देना होता है जिसके नाम पर पृष्ठांकन किया गया है तथा जिसे पृष्ठांकन या बेचानपात्र कहते हैं ।
पृष्ठांकन सम्बन्धी मान्यताएं (Assumptions Regarding Endorsements of Negotiable Instruments):
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विनिमयसाध्य विलेख अधिनियम की धारा 118 में पृष्ठांकन से सम्बन्धित महत्वपूर्ण मान्यताएँ निम्नलिखित हैं:
(1) प्रत्येक पृष्ठांकन प्रतिफल के बदले (For Consideration) किया गया था ।
(2) प्रत्येक विनिमयसाध्य विलेख का हस्तांतरण उसकी दातव्य तिथि से पूर्व किया गया था ।
(3) विभिन्न पृष्ठांकन उसी कम में किए गए थे जिस क्रम में वे विपत्र पर अंकित हैं ।
(4) विलेख का प्रत्येक धारक यथा विविधधारी (Holder in Due Course) है ।
उपर्युक्त वर्णित मान्यताएँ केवल तब तक लागू होती हैं जब तक कि उनके विरुद्ध अन्यथा कोई बात प्रमाणित न हो जाय । उदाहरण के लिए यदि यह प्रमाणित हो जाए कि कोई विलेख धोखे से या अवैधानिक प्रतिफल के बदले प्राप्त किया गया था, तो यह मान्यता लागू नहीं होगी कि विलेख का धारक यथा विविधधारी है ।
पृष्ठांकन कौन कर सकता है? (Who can Endorse?):
विलेख की कोई भी यथाविवधकारी या कोई ऐसा व्यक्ति जिसका विलेख पर वैध अधिकार है, पृष्ठांकन कर सकता है ।
इस सम्बन्ध में निम्नलिखित तथ्य महत्वपूर्ण हैं:
(1) धारक, आदाता अथवा आहर्ता:
एक विलेख का धारक (Holder), आदाता (Payee) अथवा आहर्ता या लेखक (Drawer or Maker) पृष्ठांकन कर सकता है ।
(2) अवयस्क द्वारा पृष्ठांकन:
एक अवयस्क धारक, आदाता या आहर्ता भी पृष्ठांकन कर सकता है । वह अपने पृष्ठांकन के परिणामों के लिए स्वयं व्यक्तिगत रूप से दायीं नहीं होता किन्तु वह पृष्ठांकन द्वारा विलेख के समस्त पक्षों को अपने प्रति दायी बनाता है ।
(3) संयुक्त पृष्ठांकक:
जब एक से अधिक व्यक्ति किसी विलेख के लेखक, स्वीकर्ता अथवा आदाता होते हैं तो उन सबको संयुक्त रूप से पृष्ठांकन करना चाहिए । किन्तु अधिकृत किये जाने पर उनमें से कोई एक अधिकृत व्यक्ति भी अन्य सबकी ओर से पृष्ठांकन कर सकता है । इसी प्रकार फर्म की ओर से कोई एक साझेदार पृष्ठांकन कर सकता है ।
(4) एजेन्ट द्वारा पृष्ठांकन:
प्रधान द्वारा स्पष्ट रूप से अधिकृत किये जाने पर एजेण्ट पृष्ठांकन कर सकता है किन्तु पृष्ठांकन करते समय उसे यह स्पष्ट रूप से उल्लेख करना चाहिए कि वह एजेण्ट के रूप में पृष्ठांकन कर रहा है, अन्यथा विपत्र की अप्रतिष्ठा की दशा में वह व्यक्तिगत रूप से दायी माना जायेगा ।
(5) वैध उत्तराधिकारी:
यदि कोई पृष्ठांकक पृष्ठांकन करने के पश्चात् किन्तु पृष्ठांकित विलेख की सुपुर्दगी के पूर्व ही मर जाता है तो उसके वैधानिक उत्तराधिकारी को पुनः पृष्ठांकन एवं सुपुर्दगी दोनों करनी होंगी केवल सुपुर्दगी से विलेख का विनिमय (Negotiation) पूर्ण नहीं होगा ।
पृष्ठांकन कब किया जा सकता है? (When can an Endorsement be Done):
विनिमयसाध्य विलेख अधिनियम की धारा 60 के अनुसार, एक विनिमयसाध्य विलेख का पृष्ठांकन उस विलेख के जीवन-काल में उसके भुगतान या संतुष्टि से पूर्व कभी भी किया जा सकता है । इसका यह आशय है कि अप्रतिष्ठित हो जाने के पश्चात् भी विलेख पृष्ठांकित किया जा सकता है, किन्तु भुगतान या संतुष्टि के पश्चात् नहीं ।
जैसा कि पूर्व में कहा जा चुक है, स्टाम्प पेपर पर विपत्र लिखने के पूर्व भी पृष्ठांकन किया जा सकता है । धारा 15 के अनुसार एक विनिमय-विपत्र (Bill of Exchange) उसके लिखने अथवा स्वीकृति के पूर्व भी पृष्ठांकित किया जा सकता है ।
बेचान के प्रभाव (Effect of Endorsement of Negotiable Instruments):
(i) जब किसी चैक या विनिमयसाध्य रुक्के का बेचान कर बेचानपात्र के सुपुर्द कर दिया जाये तो उसका स्वामित्व तथा उसका पुनः बेचान करने का अधिकार बेचानपात्र को प्राप्त हो जाता है । बेचानकर्ता चाहे तो बेचानपात्र के पुनः बेचान करने के अधिकार को सीमित कर सकता है ।
(ii) बेचानकर्ता चैक पर बेचान करके बेचानपात्र में इस बात का आश्वासन देता है कि जब उसने चैक पर बेचान किया था तब चैक का सात ब्यौरा सही था तथा उस पर यदि कोई बेचान पहले से हो रहे हैं तो वे भी सत्य है ।
(iii) इसके अतिरिक्त जब एक आदेशानुसार चैक बैंक में दिया जाता है तो भुगतान करने वाले बैंक के लिए इस बात की साक्षी प्रदान करता है कि उसने अपने ग्राहक के आदेशों का पालन किया है तथा चैक भुगतान के प्रमाण का काम देता है ।
(iv) यह उल्लेखनीय है कि भुगतानकर्त्ता बैकर से यह आशा नहीं की जाती है कि वह बेचानकर्ता के भी हस्ताक्षरों से परिचित होगा । अतः यदि कोई बैंक निर्दोष भाव से किसी चैक का, जिस पर बेचान नियमित रूप से किया गया प्रतीत होता है, भुगतान कर देता है तो वह किसी हानि के लिए दायी न होगा भले ही बेचान जाली हो ।
उदाहरण:
किसी आदेशानुसार चैक का प्राप्तकर्ता मोहनलाल है । यह चैक उसके यहाँ से चोरी चला जाता है । चोर मोहनलाल की ओर से अपने पक्ष में बेचान स्वयं बनाकर भुगतान प्राप्त कर लेता है । जाली बेचान बिल्कुल नियमित जँचता है तथा प्राप्तकर्ता की ओर से किया गया प्रतीत होता है । ऐसी दशा में मोहनलाल अपनी हानि के लिए बैंक को दायी नहीं ठहरा सकता ।