पण्डित नरेन्द्र शर्मा । Biography of Pandit Narendra Sharma in Hindi Language!
1. प्रस्तावना ।
2. जीवन परिचय एवं रचनाकर्म ।
3. उपसंहार ।
1. प्रस्तावना:
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पण्डित नरेन्द्र शर्मा छायावादोत्तर काल के ऐसे गीतकार रहे है, जिनके गीतों में रागात्मक संवेदना है । उनके गीतों का सुख-दु:ख सीधे-सीधे अपने प्रिय को सम्बोधन देता है, जिनके बीच में न कोई छल है और न बन्धन ।
उनके गीतों का परिवेश हमारे निकट का है । प्रकृति सौन्दर्य, मानवीय सौन्दर्य और उससे उत्पन्न विरह मिलन की अनुभूतियां उनकी रचनाओं का विषय है । व्यक्तिगत सुख-दु:ख के साथ उनकी रचनाओं का स्वर सामाजिक यथार्थवादी है ।
2. जीवन परिचय एवं रचनाकर्म:
पण्डित नरेन्द्रदेव शर्मा का जन्म 28 फरवरी, 1913 को जिला-बुलन्दशहर की खुर्जा तहसील के ग्राम-जहांगीरपुर में हुआ था । बचपन में ही उनके पिता का देहान्त हो गया था । उनकी विद्यालयीन शिक्षा खुर्जा में हुई । सन् 1936 में उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से एम॰ए॰ की परीक्षा उत्तीर्ण की । उनके साहित्यिक गुरु भगवतीचरण वर्मा थे ।
उन्होंने नरेन्द्रदेवजी को साहित्यिक क्षेत्र में बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया । पण्डितजी आर्यसमाज के सुधारवादी आन्दोलन एवं राष्ट्रीय जागरण से काफी प्रभावित थे । गांधीजी के साथ असहयोग आन्दोलन में सक्रिय रूप से भागीदारी निभायी । 1942 के ”भारत छोड़ो आन्दोलन” के दौरान उन्हें नजरबन्द भी किया गया था । जेलयात्रा के दौरान उन्होंने ”मिट्टी और फूल” कविता संग्रह लिखा ।
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पण्डितजी ने ”भारत” पत्रिका का सम्पादन भी किया । उनकी कविता, गद्य और नाटक की विधा सहित कुल 19 पुस्तकें प्रकाशित हुईं । उनके प्रमुख काव्य संग्रहों में: ”शूल-फूल”, ”कर्णफूल”, ”प्रवासी के गीत”, “पलाशवन”, “हंसमाला”, “रक्तचन्दन” “कदलीवन”, ”द्रौपदी”, ”प्यासा निर्झर”, ”बहुत रात गये” इत्यादि प्रसिद्ध हैं ।
वे आकाशवाणी के ‘सुगम संगीत ‘विविध भारती’ के संचालक भी रहे हैं । उनका द्रौपदी काव्य-संग्रह विशेष रूप से प्रसिद्ध रहा है । उनके गीतों में शुद्ध हिन्दी एवं संस्कृत के शब्दों का प्रयोग बहुतायत से मिलता है । पण्डित नरेन्द्र शर्मा ऐसे लोकप्रिय गीतकार है, जिनके गीत साहित्यिक दृष्टि से तथा हिन्दी फिल्म-शैली में भी विशिष्ट बन पड़े हैं ।
”भाभी की चूड़ियां” फिल्म का प्रसिद्ध गीत “ज्योति कलश छलके”, ”समर में हो गये अमर”, ”सत्यम शिवम सुन्दरम्” के सभी गीत उन्होंने ही सरल, सीधे और सुरुचिपूर्ण शैली में लिखें हैं । उर्दू के एक भी शब्दों का प्रयोग न करते हुए शुद्ध हिन्दी का प्रयोग किया है ।
‘आकाशवाणी’ जैसे संचार माध्यमों में निदेशक के पद पर रहते हुए उन्होंने ‘छायागीत’ ‘चित्रहार’ ‘हवामहल’ तथा ‘महाभारत’ हिन्दी धारावाहिक की पटकथा लिखी पण्डित नरेन्द्र शर्मा को साहित्य के साथ-साथ ज्योतिष विज्ञान और आयुर्वेद का अच्छा ज्ञान था । वे 5 वर्ष तक पण्डित नेहरूजी के निजी सचिव भी रहे । 11 फरवरी सन् 1989 में 77 वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी नश्वर देह त्याग दी ।
3. उपसंहार:
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पण्डित नरेन्द्रदेव शर्मा बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे । एक देशभक्त, साहित्यकार होने के साथ-साथ वे प्रयोगधर्मी व्यक्तित्व थे । प्रकृति से बेहद विनम्र, सरल व स्नेही पण्डितजी छायावादोत्तर पीढ़ी के प्रगतिवादी कवि थे । उन्होंने अपने जीवन मूल्यों के साथ कभी समझौता नहीं किया । वे एक संस्कारवान साहित्यकार थे ।