माल्थस । Biography of Thomas Robert Malthus in Hindi Language!
1. प्रस्तावना ।
2. जीवन चरित्र
3. उपसंहार ।
1. प्रस्तावना:
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प्रसिद्ध अर्थशास्त्री थॉमस राबर्ट माल्थस सर्वप्रथम ऐसे अर्थशास्त्री थे, जिन्होंने संसार का ध्यान आर्थिक व सामाजिक समस्याओं की ओर आकर्षित किया । उनका जनसंख्या सम्बन्धी सिद्धान्त एक महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त है ।
जनसंख्या निवारण सम्बन्धी उनके इस सिद्धान्त ने जनसंख्या नियन्त्रण पर अपने मौलिक विचार रखे । यद्यपि उनके इस सिद्धान्त की सत्यता और असत्यता पर काफी विवाद हैं, तथापि जनसंख्या को एक सिद्धान्त के रूप में सर्वप्रथम माल्थस ने ही प्रस्तुत किया ।
2. जीवन चरित्र:
थॉमस राबर्ट माल्थस का जन्म सन् 1766 ई॰ में इंग्लैण्ड के राकरी नामक स्थान में हुआ था । उनके पिता थॉमस डेनियल माल्थस पेशे से एक वकील थे । माल्थस ने अपनी शिक्षा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूर्ण की । सन् 1791 में उन्होंने एम॰ए॰ की पढाई पूर्ण की । सन् 1798 में माल्थस के निबन्ध ”ऐन एस्से ऑन द प्रिसिपल ऑफ पॉपुलेशन ऐज इट एफेक्ट्स द फ्यूचर इंपूवमेंट ऑन द सोसाइटी” ने काफी प्रसिद्धि पायी
थी ।
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इसका दूसरा भाग भी काफी प्रसिद्ध रहा । इसके बाद 1799 से 1802 तक यूरोप के कुछ देशों का भ्रमण किया । 1805 में उनका विवाह हो गया । वे 1807 में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर नियुक्त हुए । 31 वर्ष की अवस्था में वे पादरी बन गये । माल्थस की प्रमुख पुस्तकों में ”नेचर एण्ड प्रोग्रेस ऑफ रैन्ट”, ‘द पुउार ली”, ‘प्रिसिंपल ऑफ पॉलिटिकल इकानीगी’, ‘डेफीनेशन इन पॉलिटिकल इकानामी प्रसिद्ध हैं ।’
माल्थस ने जनसंख्या सिद्धान्त की व्यवस्था को प्रतिपादित करते हुए यह बताया कि यदि जनसंख्या वृद्धि में किसी प्रकार की बाधा उपस्थित नहीं की जाये, तो वह खाद्य सामग्री की अपेक्षा अधिक तेजी से बढ़ने की प्रवृत्ति रखती है । जनसंख्या में वृद्धि गुणोत्तर ढंग से होती है, जैसे: 2, 4, 8, 16, 32, 64 ।
यदि माल्थस के मत से जनसंख्या इस तरह बढ़ती रही और उस पर नियन्त्रण नहीं किया गया, तो वह 25 वर्ष में दुगुनी हो जायेगी । जनसख्या वृद्धि के साथ-साथ खाद्य सामग्री की वृद्धि दर को अपेक्षाकृत कम बताते हुए उन्होंने इसे गणितात्मक दर में बढ़ते हुए प्रतिपादित किया ।
जैसे- 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7 । यह अधिकतम दर है । यह स्थिति हमेंशा रहेगी । ऐसी स्थिति में देश में बेकारी, भूखमरी, भ्रष्टाचार, बीमारी आदि का बोलबाला होगा । देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो जायेगी । इन कुप्रभावों से बचने के लिए जनसंख्या पर रोक 2 उपायों द्वारा सम्भव है । इन प्रतिबन्धक उपायों में नैतिक संयम को जरूरी माना है । गर्भपात, गर्भ-विरोधी उपाय करने को उन्होंने दुष्कर्म और पाप माना है ।
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प्राकृतिक उपाय ही जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगा सकते हैं । उनके सिद्धान्तों को संकुचित मानते हुए कई विद्वानों ने इस पर अपने विचार दिये थे । माल्थस का मूल्य सम्बन्धी सिद्धान्त यह स्पष्ट करता है कि किसी वस्तु का मूल्य उसकी माग और पूर्ति द्वारा निर्धारित होता है ।
वस्तु के उत्पादन लागत में श्रमिक की मजदूरी, पूँजीपति का लाया और यणी का लगान अवश्यक मूल्य है । मूल्य को उन्होंने 3 भागों में विभाजित किया है: 1. प्रयोग मूल्य, 2. सामान्य विनिमय मूल्य तथा 3. वास्तविक विनिमय मूल्य । इस प्रकार श्रम सिद्धान्त को मूल्य का आधार माना है ।
माल्थस ने अपने ल गन सम्बन्धी सिद्धान्त तथा जनसख्या सिद्धान्त से यह स्पष्ट किया है कि भूमि पर जैसे-जैसे पूंजी की अधिक ईकाइयां लगाई जायेंगी, वैसे-वैसे उत्पादन तो बढ़ेगा, किन्तु बढ़ने की गति कम हो जायेगी । यदि ऐसा नहीं होता, तो नयी भूमि की आवश्यकता नहीं पड़ती ।
3. उपसंहार:
आर्थिक विचारधारा के विकास में माल्थस का जनसंख्या सिद्धान्त एक बहुत बड़ी देन है । सर्वप्रथम उन्होंने र्हो जनसंख्या की समस्या पर ध्यान दिया तथा अर्थशास्त्र को जनसंख्या का एक वैज्ञानिक सिद्धान्त दिया ।
इस सिद्धान्त के द्वारा उन्होंने समाजशास्त्र के अधिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त किया और सांख्यिकी के विकास में भी अपना योगदान दिया । जनसंख्या को व्यापक तथा वैज्ञानिक रूप से प्रस्तुत करने वाले वे प्रथम व्यक्ति थे । ऐसे ख्यातिलब्ध अर्थशास्त्री ने सन 1834 में अपनी अन्तिम सांस ली ।