क्लियोपेट्रा की जीवनी | Cleopatra Kee Jeevanee | Biography of Cleopatra in Hindi!
1. प्रस्तावना ।
2. जन्म परिचय ।
3. उपसंहार ।
1. प्रस्तावना:
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विश्व के इतिहास में सुन्दरियों की कोई कमी नहीं रही है । हर देश में हर युग में कहीं-न-कहीं ऐसी सुन्दरियां रहीं हैं, जिनके दीवानों की भी कोई कमी नहीं रही है । विश्व के इतिहास में सौन्दर्य की देवी वीनस की तरह ही ”क्लियोपेट्रा” का नाम भी अजर-अमर रहा है ।
मिश्र की इस सुन्दरी ने अपने सौन्दर्य के जादू से कितने ही राजाओं और राजकुमारों को अपना दीवाना बना रखा था । उनका जीवन बड़ा ही रहस्यमय और चर्चित बना रहा ।
2. जन्म परिचय:
मिश्र की रानी क्लियोपेट्रा, जो ग्यारहवें टालेमी की बेटी थीं । इनके कई भाई थे, जो इनसे छोटे थे । इनके पिता की जब मृत्यु हुई, तो मिश्र की राजगद्दी का उत्तराधिकारी क्लियोपेट्रा को ही माना गया । वह बड़ी ही दूरदर्शी, शौकीन, महत्त्वाकांक्षी थीं ।
पुरुषवादी मानसिकता वाले उनके भाइयों ने उनकी अधीनता स्वीकार करने की बजाये, उनके प्रति विद्रोह कर दिया । राज्य के अन्य अधिकारियों को क्लियोपेट्रा की अधीनता स्वीकार न थी । अत: सभी ने मिलकर क्लियोपेट्रा को मिश्र से पूरी तरह से निर्वासित करने का निर्णय लिया ।
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उन्होंने इन्हें मिश्र से बाहर निकाल ही दिया था कि बाहर निकालने के वक्त गृहयुद्ध चल रहा था; उसी समय रोम का शासक सीजर मिश्र आया था; क्योंकि रोम के लोग अनाज विशेषकर गेहूं पर निर्भर थे ।
इधर क्लियोपेट्रा के दूरदर्शी दिमाग में यह सूझ चल रही थी कि यदि वह रोम के शासक सीजर तक किसी तरह पहुंच जायें, तो वह मिश्र की राजगद्दी पर पुन: काबिज हो सकती हैं । अत: उन्होंने यह उपाय सोचा
कि वह सीजर के पास कुछ अनोखे, रोचक तरीके से जायेंगी । अत: उन्होंने मिश्र से एक कलात्मक बढ़िया कालीन मंगवाया, जिसे वह सीजर को पेश करना चाहती थीं । उस कालीन को सीजर के सामने पेश करने से पहले क्लियोपेट्रा ने स्वयं को उस कालीन में लपेट लिया था ।
जब कालीन में लिपटी अद्वितीय सुन्दरी क्लियोपेट्रा को सीजर ने देखा, तो वह क्लियोपेट्रा पर इतना अधिक मोहित हो गया कि सीजर उनकी सहायता के लिए तुरन्त ही तैयार हो गया । अचानक सीजर की मृत्यु हो गयी । रोमन साम्राज्य बंट गया । क्लियोपेट्रा का प्रेमी एंटोनी भी पराजित होकर आत्महत्या कर बैठा, तो क्लियोपेट्रा ने भी विष का सेवन कर इस संसार से मुंह मोड़ लिया ।
3. उपसंहार:
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क्लियोपेट्रा का जीवन एक महत्त्वाकांक्षी सौन्दर्य की प्रतिमूर्ति नारी का है, जो तत्कालीन समय में सौन्दर्य की देवी मानी जाती थीं । अपने सौन्दर्य के जतन के लिए वह उस समय के समस्त प्रकार के सौन्दर्य प्रसाधनों का उपयोग करती थीं । उन्होंने महिलाओं को अपने सौन्दर्य की परख और पहचान करने की एक प्रेरणा दी थी ।