डॉ रामकुमार वर्मा की जीवनी | Biography of Dr Ramkumar Verma in Hindi Language!
1. प्रस्तावना ।
2. जीवन परिचय एवं रचनाकर्म ।
3. उपसंहार ।
1. प्रस्तावना:
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डॉ॰ रामकुमार वर्मा आधुनिक हिन्दी साहित्य के एकांकी सम्राट हैं । वे नाटककार, कवि, हिन्दी साहित्य इतिहास के लेखक, समीक्षक, अध्यापक व छायावादी कवि थे । उनके नाटकों व एकांकी की विषय-वस्तु ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक उच्चादर्शों पर केन्द्रित है ।
हिन्दी एकांकी: साहित्य को नया अर्थ, गौरव व आदर्श देने वाले डॉ. वर्मा युगप्रवर्तक एकांकीकार कहे जा सकते है । उन्होंने एकांकी के साथ-साथ हिन्दी लघु नाट्य परम्परा को नया आयाम दिया है ।
2. जीवन परिचय एवं रचनाकर्म:
डॉ. रामकुमार वर्मा का जन्म मध्यप्रदेश के सागर जिले में सितम्बर 1905 को हुआ था । उन्होंने एम॰ए॰ तथा पी॰एच॰डी॰ तक शिक्षा ग्रहण की । आप प्रयाग विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक भी रहे हैं । उनकी रंगमंच सम्बन्धी अभिरुचि अध्ययनकाल से ही रही है ।
कॉलेज की शिक्षा ग्रहण करने के साथ-साथ वे महात्मा गांधी के राष्ट्रव्यापी आन्दोलन हेतु अपनी सक्रियता दर्शाते रहे हैं । गांधीजी से प्रेरित होकर उन्होंने अपनी पीठ पर लादकर खादी बेची । प्रभात फेरियों तथा अन्य अवसरों पर राष्ट्रीय चेतना जागत करने वाले ओजस्वी भाषण भी दिये ।
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उन्होंने साहित्य साधना करते हुए जो रचनाएं लिखी हैं; उनमें उनके कविता संग्रह में ‘रूपराशि’, चित्र रेखा, चन्द्रकिरण प्रमुख हैं ।
उनकी कवितामय शैली का एक उदाहरण द्रष्टव्य है:
हाय ! संकेतो से मैं
कैसे तुमको पास बुलाऊं ।
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प्रिय ! तुम भूले मैं गाऊ ?
जूही सुरभि की लहर ?
निशा बह गयी डूबे तारे,
अश्रुबूंद में डूब-डूब कर ?
दृग-तारे ये कभी न हारे,
दुःख की जागृति में कैसे ?
तुम्हें जगाकर सुख पाऊं ?
प्रिय तुम्हें भूले क्या गाऊं ?
उनकी अन्य रचनाओं में पृथ्वीराज की आखें, रेशमी टाई, चारुमित्रा विभूति, सप्तकिरण, रूपरंग, रजतरश्मि, ऋतुराज दीपदान, रिमझिम, इन्द्रधनुष पांचजन्य, कौमुदी महोत्सव, मयूर पंख, खट्टे मीठे-एकांकी, ललित एकांकी- कैलेण्डर का आखिरी पन्ना, जूही के फूल इत्यादि हैं ।
नाटक-विजय पर्व, कला और कृपाण, नाना फड़नवीस, सत्य का स्वप्न । कविता-{अंजलि} एकलव्य, वीर हम्मीर, चित्तौड़ की चिता, निशीथ नूरजहां शुजा, जौहर, आकाशगंगा, उत्तरायण, कृतिका, दीपदान । गद्यागीत संग्रह, हिमालय, आलोथना एवं इतिहास एवं हिन्दी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास । सम्पादन-कबीर ग्रत्पादली । उनकी पहली एकांकी ”बादल की मृत्यु” है ?
उनकी ऐतिहासिक एकांकी भारतीय सांस्कृतिक आदर्शो को प्रतिबिम्बित करती है । नैतिक मूल्यों के प्रति आस्था, आदर्शवाद तथा पात्रों का मानसिक अन्तर्द्वन्ह उनकी एकाकी कला की विशिष्ट शैली है । आपके एकांकी रंगमंच के सर्वथा अनुकूल है ।
नाटकों की भाषा आलंकारिक, काव्यात्मक एवं सूक्तिपरक होने के साथ-साथ पात्रानुकूल हैं । उनके नाटकों के संवाद सरल, चुटीले, विषयानुकूल व भावानुकूल हैं । उनके नाटकों का परिवेश इतिहास, समाज व संस्कृति है । उनकी एकांकी अपने उद्देश्य में महान है ।
3. उपसंहार:
नि:सन्देह यह स्पष्ट है कि डॉ॰ रामकुमार वर्मा हिन्दी एकांकी कला के अमर शिल्पी हैं । अपनी विचारधारा, सांस्कृतिक आदर्शो को उन्होंने पूरे मन एवं आत्मा के साथ अपनी रचनाओं में उतारा है । उन्होंने अपनी एकांकी कला से हिन्दी साहित्य के कोश को समृद्धता प्रदान की है । उनकी मृत्यु सन् 1990 में हुई ।