धनराज पिल्ले की जीवनी । Biography of Dhanraj Pillay in Hindi Language!
1. प्रस्तावना ।
2. प्रारम्भिक जीवन एवं उपलब्धियां ।
3. उपसंहार ।
1. प्रस्तावना:
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सन्नराज पिल्लै का नाम हमारे लिए किसी परिचय का मोहताज नहीं है । ये रचय ही एक परिवय हैं । ये एक सफल कप्तान की अपेक्षा एक अच्छे खिलाड़ी के रूप में अपनी प्रतिभा अधिके प्रदर्शित कर पाये हैं । जो स्थान क्रिकेट में वक का है, वही रथान भारतीय हॉकी गे धनराज पिल्लै को प्राप्त है ।
2. प्रारम्भिक जीवन एवं उपलब्धियां:
महाराष्ट्र के एक दक्षिण भारतीय गोंड परिवार में जाने धनराज पिल्लै को बाल्यकाल से ही हीकईा इतनी प्रिय रही कि ये अपने गांव में अपने दोस्ती की एक टीम बनाकर लकडी की टहनि यों को हॉकी रिक का रनप देकर उससे खेला करते थे ।
प्रारम्भिक रत्तर की शिक्षा स्थानीय रतर पर पूरी करने के बाद इनका चयन भारतीय हॉकी टीम में हुआ, तो इनके माता-पिता अपने इस होनहार सपूत की उपलब्धि पर गर्व से भर उठे । अपनी माता के प्रति इनके मन में अपार श्रद्धा व आदर भाव है ।
इन्होंने अपनी माता को यह वचन दिया कि ये तब तक अविवाहित रहेंगे, जब तक भारतीय टीम ओलम्पिक में गोल्ड गैडल नहीं त्ने आती । इनकी यह बात भले ही किसी के गले न उतरती हो, लेकिन यह तो साबित करती है कि हॉकी तथा अपने देश के प्रति इनके मन में कितना प्रेम सगाया हुआ है ।
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अपने लम्बे लहराते बालों की वजह से टीम में पहचाने जाने वाले धनराज गोल्डन बॉय ही नहीं हैं, अपितु अपने खेल के कौशल द्वारा ये विपक्षी रक्षा पंक्ति के खिलाड़ियों को चकमा देकर बॉल को गोल पोस्ट के भीतर पहुंचाकर ही दम लेने वालों में से हैं ।
धनराज को बॉल मिली नहीं कि इनका एकमात्र लक्ष्य उसे गोल पोस्ट पहुंचाना ही रहता है । विपक्षी खिलाड़ी धनराज को किसी तरह रोकने में सफल हों, उनकी कोशिश यही रहती है । ये अब तक वर्ल्ड कप, ओलम्पिक, एशिया कप, एशो-अफ्रीका हॉकी में खेल चुके हैं । अब तक सर्वाधिक गोल बनाने का भारतीय टीम में इनका रिकॉर्ड रहा है ।
3. उपसंहार:
धनराज पिल्लै निःसन्देह ही भारतीय हॉकी के सिरमौर हैं, तथापि ये काफी विवादों में बने रहते हैं, जिसका खामियाजा इन्हें व्यक्तिगत तौर पर योग्यताओं के बाद टीम से बाहर रहने को मजबूर कर देता है, जिसके कारण इनका खेल प्रभावित होता रहता है ।