रामनाथन कृष्णन । Biography of Ramanathan Krushnan in Hindi Language!
1. प्रस्तावना ।
2. जन्म परिचय एवं उपलब्धियां ।
3. उपसंहार ।
1. प्रस्तावना:
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लॉंन टेनिस के क्षेत्र गे रामानाथन कृष्णन ने भारत को अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति दिलवायी । 1954 में सर्वप्रथम जूनियर विबल्डन चैम्पियनशिप जीतने का गौरव इन्हीं के नाम है । डेविस कप के 1966 चैलेंज फाइनल राउण्ड में इन्होंने ब्राजील को हराया । ये विंबल्डन प्रतियोगिता 1959 में तीसरी वरीयता वाले खिलाड़ी थे । इसी वर्ष इन्होंने राष्ट्रीय चैम्पियनशिप भी प्राप्त की । 1969 के पूर्वी क्षेत्रीय डेविस कप के फायनल में जापान के 5-0 से हराकर इन्होंने चैम्पियनशिप देश के नाम की । पदमश्री, पदमभूषण पुरस्कारों से सम्मानित रामानाथन दुनिया के एक श्रेष्ठ खिलाडी हैं ।
2. जन्म परिचय एवं उपलब्धियां:
रागानाथन कृष्णन का जन्म 11 अपैल, 1926 को मद्रास के एक सम्पन्न परिवार में हुआ था । इन्होंने अपनी उच्च शिक्षा मद्रास कॉलेज से पूर्ण की । रामानाथन के पिता टी॰के॰ रामनाथन अपने जमाने के दक्षिण भारत के प्रसिद्ध खिलाड़ी रहे थे, अत: वे अपने बेटे को टेनिस का खिलाडी ही बनाना चाहते थे ।
अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र होने के कारण इन्हें खूब लाड़-दुलार मिला । इनके पिता ने मकान के अहाते में ही एक टेनिस कोर्ट बनवा दिया, जिसमें ये रात को बिजली के प्रकाश में अभ्यास किया करते थे । टेनिस प्रतियोगिता में सम्मिलित होने के लिए रामानाथन हमेशा विदेश् जाया करते थे ।
अपनी पत्नी ललिता को भी ये प्रत्येक दौरे पर अपनी प्रेरणा मानकर साथ ले जाया करते थे । 1966 में इन्होंने डेविस कप के फाइनल मुकाबले में ब्राजील को हराया था और अपने देश को विजयश्री दिलवायी । इसके पूर्व 1962 की विम्बल्डन प्रतियोगिता में ये तीसरे राउण्ड में जॉन फ्रेजर के विरुद्ध मैच खेलते हुए चोट के कारण बाहर ही रहे । भाग न लेने की स्थिति में इन्होंने इसे अपना सबसे बड़ा दुर्भाग्य माना ।
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1966 में इन्हें केलिफोर्निया के हैल्म फाउण्डेशन की ओर से विश्व के 10 सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों का ‘हैल्मर’ पुरस्कार प्राप्त हुआ । मद्रास के सम्मान समारोह में इन्हें अमेरिका से प्राप्त डैविस कप चैलेंज राउण्ड पुरस्कार भी मिला ।
29 जून, 1960 को भारतीय टीम जब विबंल्डन के सेमीफाइनल में पहुंची थी, तो देश के लिए अत्यन्त सौभाग्य की बात थी । 1960 में इन्होंने विश्व विख्यात खिलाड़ी नील फ्रेजर को क्विन्स क्लब चैम्पियनशिप में हराया, किन्तु विंबल्डन के सेमीफायनल में हार गये ।
अपनी हार को स्वीकारते हुए इन्होंने फ्रेजर की सर्विस के सामने अपने आपको कमजोर का 1196 की विंबल्डन प्रतियोगिता में सेमीफायनल में पहुंचकर रॉड लेवर से हार गये । ये राय एमर्सन को मात्र 1 घण्टे में 3 सेटों में हराकर सेमीफाइनल में पहुंचे थे ।
1962 की विंबल्डन प्रतियोगिता में तीसरे राउण्ड में चोटग्रस्त होने की वजह से फ्रेजर से खेलने हेतु नहीं उतर प्राये थे । 1963 के विंबल्डन में चौथे दौर में पहुंचकर एमर्सन से पराजित हो गये । इनके नेतृत्व में कई वर्षो तक भारत पूर्वी डेविस कप का विजेता रहा ।
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11 वर्ष की अवस्था से 32 वर्ष की अवस्था तक टेनिस खेलते हुए रामानाथन ने अवकाश लेने के उपरान्त भारतीय टीम का कई वर्षो तक नेतृत्व किया । इनका पुत्र रमेश कृष्णन भी टेनिस का जाना-माना सितारा रह चुका है ।
3. उपसंहार:
सादगी और संयम से जीने वाले और अपने मित्रों के बीच कन्नन के नाम से मशहूर रामानाथन कृष्णन ने खेल भावना को हमेशा अपनाये रखा । इनको ग्रामोफोन के रिकार्ड संग्रह करने का अच्छा शौक है । भारतीय लॉंन टेनिस के इतिहास में इनका नाम इनकी उपलब्धियों के कारण हमेशा बना रहेगा ।