कल्पना चावला की जीवनी | Kalpana Chawla Kee Jeevanee | Biography of Kalpana Chawla in Hindi!
1. प्रस्तावना ।
2. महान् महिला अन्तरिक्ष यात्री-कल्पना चावला ।
3. उपसंहार ।
1. प्रस्तावना:
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भारतीय मूल की पहली महिला अन्तरिक्ष यात्री होने का गौरव प्राप्त करने वाली कल्पना चावला ने भारत का ही नहीं, अपितु मूल प्रवासी भारतीय के नाम पर अमेरिका में भी अत्यन्त सम्मानजनक स्थान प्राप्त किया है । भारत की पढ़ाई में रुचि रखने वाली हर लड़की आज कल्पना चावला बनने का स्वप्न देखती है ।
8 जुलाई, 1961 को हरियाणा के करनाल जिले में जन्मी कल्पना ने करनाल के टैगोर स्कूल से शिक्षा प्राप्त की थी । पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री लेने के बाद कल्पना अमेरिका चली आयीं, जहां के अन्तरिक्ष कार्यक्रमों का नेतृत्व करती हुई 2 फरवरी, 2003 में वह एक दुर्घटना में अन्तरिक्ष में ही विलीन हो गयीं ।
2. महान् महिला अन्तरिक्ष यात्री-कल्पना चावला:
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री लेने के बाद कल्पना ने 1984 में अमेरिका के टैक्सास से इंजीनियरिंग में मास्टर की डिग्री ली । बाद में उन्होंने कोलोरोडो से पी॰ एच॰ डी॰ की । पी॰एच॰डी॰ करने के बाद कल्पना ने अमेरिका के एम्स में फ्यूड डायनामिक पर काम शुरू किया ।
यहां सफलतापूर्वक काम करने के बाद 1963 में कल्पना ने केलिफोर्निया के ओवरसेट मैथ्सड् इन कॉरपोरेशन में अनुसन्धान वैज्ञानिक के रूप में काम शुरू किया । कल्पना ने यहां रहते हुए अन्तरिक्ष मिशन के तहत कई अनुसन्धान कार्य किये । 1994 में नासा द्वारा अन्तरिक्ष यात्री के रूप में कल्पना का चयन किया गया ।
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इस प्रकार कल्पना 1995 में पन्द्रहवें अन्तरिक्ष समूह में शामिल हो गयीं । 1 वर्ष के प्रशिक्षण और मूल्यांकन के बाद कल्पना को रोबेटिक्स अन्तरिक्ष में विचरण से जुड़े तकनीकी विषयों पर काम करने की महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गयी । कल्पना को सौंपे गये कार्य करने की शैली को देखकर उन्हें एक मिशन का विशेषज्ञ बना दिया गया । इसके अलावा उन्हें प्रमुख रोबेटिक्स आर्म ऑपरेटर भी बनाया गया ।
5 वर्ष के बाद कल्पना दूसरी बार अन्तरिक्ष मिशन पर गयी । 16 जनवरी के अन्तरिक्ष मिशन पर गये कोलम्बिया यान ने अन्तरिक्ष में मानव अंगों, शरीर में कैंसर कोशिकाओं के विकास तथा गुरुत्वाकर्षण विहीन अवस्था में विभिन्न कीट-कीटाणुओं की स्थिति का अध्ययन करने के लिए यान में शोध किये । यान ने अपने 16 दिनों की यात्रा में हर 60 मिनट बाद एक परिक्रमा की ।
यान में कल्पना के अलावा मिशन के प्रमुख रिक हस्बैंड, पायलट विली मैकुल, अभियान विशेषज्ञ डेब ब्राउन, एक अन्य महिला अन्तरिक्ष यात्री लोरेल क्लार्क, पैलोड कमाण्डर माइक एण्डरसन और पैलोड विशेषज्ञ इलान रैमोने सवार थे । कोलम्बिया का यह 25वां अभियान था । परिक्रमा के दौरान यान की गति 17,500 मील प्रतिघण्टा थी । इस यान का ऊपरी हिस्सा चमकीला सफेद था ।
16 दिन की यात्रा के बाद जब अन्तरिक्ष अभियान से कोलम्बिया यान 2 फरवरी की शाम लौट रहा था, तो धरती से 63 किलोमीटर की दूरी पर हुए धमाके के बाद यान शायद अन्तरिक्ष के किसी कचरे से टकराया था, जिसकी वजह से उसकी सुरक्षा पट्टी क्षतिग्रस्त हो गयी थी और यान आग की लपटों को घिर गया ।
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तेजी से धरती की ओर बढ़ते हुए उस यान के भीतर की गरमी इतनी अधिक बढ़ चुकी थी कि सभी अन्तरिक्ष यात्री उस गरमी में जलते हुए घुटन की वजह से जल मरे । यान का मलबा अमेरिका के टैक्सास शहर में गिरा । इस भीषण हादसे के बाद नासा ने अपने बयान में यह बताया कि स्थानीय समय के अनुसार करीब 6 बजे सुबह के आसपास उत्तरी टैक्सास के लोगों ने एक बड़ा धमाका सुना ।
20 हजार कि॰ मी॰ प्रति घण्टे की रफ्तार व ध्वनि की गति से कई गुना अधिक वेग से पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण केन्द्र की ओर बढ़ता हुआ यान नष्ट हो चला था । रेडियो और डाटा संचार से उसका सम्पर्क टूट
गया ।
महान् खोज के लिए गये इन अन्तरिक्ष यात्रियों का दुर्भाग्यवश कोलम्बिया यान में ही प्राणान्त हो चुका था । अमेरिका के साथ-साथ सारा विश्व जैसे स्तब्ध रह गया । सारे भारत में भी शोक छा गया था । जिस स्कूल में कल्पना पढ़ी थी, वहां भी सभी की आंखें नम हो गयीं थीं ।
3. उपसंहार:
कल्पना चावला उन महान् महिलाओं में से थीं, जो कठिनाइयों और संघर्षों से कभी नहीं घबराती थीं । अपनी महत्त्वाकांक्षा की पूर्ति के साथ-साथ महान् बनने की अभिलाषा में कल्पना अपने आत्मबल, दृढ़ निश्चय और साहस को कभी छोड़ती नहीं थीं ।
2087 अन्तरिक्ष यात्रियों में उनका चुना जाना अपने आप में बहुत बड़ी बात थी । कल्पना स्वभाव से शान्त, सरल तथा सादगी पसन्द, शाकाहारी महिला थीं । कल्पना ने अमेरिका के उड़ान प्रशिक्षक ज्यो पियरे हैरिसन से 1984 में विवाह कर लिया था ।
मिशन एस.टी.एस-107 के सभी सातों अन्तरिक्ष यात्रियों के परिजनों और भारतीय बच्चों की भावनाओं को देखते हुए इस बड़े बलिदान को देखकर विज्ञान की प्रगति के हितार्थ नासा ने बीते 7 अगस्त को सात बड़े एस्ट्रॉएड्स का नामकरण इन अन्तरिक्ष यात्रियों के नाम पर किया । कल्पना के जीवन से प्रेरणा लेकर भारत के बहुत से बच्चे एयरोनॉटिक्स में प्रवेश ले रहे हैं ।