सुनीता विलियम्स की जीवनी | Sunita Williams Kee Jeevanee | Biography of Sunita Williams in Hindi!

1. प्रस्तावना ।

2. जन्म एवं शिक्षा ।

3. उनका व्यक्तित्व एवं कार्य ।

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4. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

‘अन्तरिक्ष परी’ के नाम से जानी जाने वालीं और अन्तरिक्ष में 195 दिन तर रहकर रिकार्ड बनाने वालीं सुनीता विलियम्स से कौन परिचित नहीं है । सुनीता विलियम्स भारतीय मूल की दूसरी अन्तरिक्ष यात्री हैं । सुनीता विलियम्स एक ऐसी महिला हैं, जिन पर उनके माता-पिता को गर्व है । आज भारत में बहुत-से लोग उन्हें अपना मानता हैं ।

2. जन्म एवं शिक्षा:

सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितम्बर, 1965 में, क्लीवलैण्ड, ओहियो, यू एस ए में हुआ था । सुनीता के पिता का नाम दीपक एन. पांडया है । सुनीता ने अपनी छठी कक्षा तक की शिक्षा हिलसाइड एलीमेन्ट्री स्कूल से प्राप्त की ।

इसके बाद सातवीं से नौवीं तक की शिक्षा उन्होंने न्यूमैन जूनियर हाई स्कूल से प्राप्त की । तत्पश्चात उन्होंने दसवीं से बारहवीं कक्षा तक की शिक्षा निधाम हाई स्कूल से प्राप्त की । उनकी प्रिय अध्यापिका थीं-मिसेज एन्जीला डी नैपोली, जो उन्हें पांचवीं कक्षा में पढ़ाती थीं ।

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उम्र बढ़ने के साथ-साथ सुनीता पर निधाम स्कूल का प्रभाव बढ़ता चला गया । यही वह स्कूल था, जहां से उसे बुलन्दियों को छूने की प्रेरणा मिली । सुनीता ने 1983 में निधाम हाई स्कूल पास किया । उन्होंने गणित और विज्ञान में टॉप किया । फिर भी, उनका मानना था कि वह पूरी तरह से नम्बर वन नहीं हैं, बस वह ठीक-ठाक हैं ।

वह हमेशा कक्षा में सभी विषयों में सबसे ऊंचे नम्बर प्राप्त करती थीं । इसके साथ ही उन्होंने तैराकी में सैकड़ों पदक जीते । यूनाइटेड स्टेटस नेवल एकॉडमी ने कई प्रकार से सुनीता के जीवन को नया रूप दिया । सुनीता इसी एकॉडमी में माइकल विलियम्स से मिलीं, जो वहां उनके सहपाठी थे । पहले वह उनके खास दोस्त बने और अब वह 18 वर्ष से सुनीता के पति हैं ।

सुनीता ने एकॉडमी से बी॰एस॰ शारीरिक विज्ञान में डिग्री प्राप्त की । मई 1987 में, उन्होंने यूनाइटेड स्टेटस नेवल एकॉडमी से यूनाइटेड स्टेसस नेवी में आधिकारिक पहचान चिह्न प्राप्त किया । उसके बाद जल्द ही सुनीता और माइकल विवाह-सूत्र में बन्ध गये । वैवाहिक कार्यक्रम सेंट जॉसफ चर्च, वुडस हॉल, कैप कोड मे सम्पन्न हुआ । इस चर्च में सबसे पुराना मैरी पार्क है, जो मदर मैरी को समखपत है ।

3. उनका व्यक्तिव एवं कार्य:

व्यवसायिक तौर पर, सुनीता को नेवल कोस्टल सिस्टम द्वारा छह महीने का अस्थायी कार्य दिया गया, जहां उन्होंने ‘बेसिक डाइविंग ऑफिसर’ का पद ग्रहण किया और फिर पॉयलट के रूप में समुद्री जहाज चालक की ट्रेनिंग ली ।

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जुलाई 1989 में सुनीता को समुद्री जहाज चालक का पद मिला । सुनीता पनामा सिटी, एफ एल गयीं और उन्होंने इतना अच्छा प्रदर्शन किया कि उन्हें समुद्री गोताखोर के लिए आमन्त्रित किया गया । अब उनके पास दो विकल्प थे, पहला, समुद्री गोताखोर और दूसरा, समुद्री जहाज चालक । एक ओर, समुद्री गोताखोर की ट्रेनिंग नासा में उन्हें अन्तरिक्ष यात्री बनने में दो प्रकार से मदद कर सकती थी ।

पहले, गोताखोर होने पर आप जीवित रहने के लिए केवल ऑक्सीजन के साथ ही आराम से पानी के अन्दर चलना सीखते हैं । दूसरे, समुद्री गोताखोर के कार्य के अनुसार, आप पानी के अन्दर काम करना, चीजों को जोड़ना, बोल्ट को टांका लगाना या कसना आदि सीखते हैं ।

यह अनुभव अन्तरिक्ष यात्री के अनुभव से बहुत मेल खाते हैं; क्योंकि अन्तरिक्ष यात्री को भी अन्तरिक्ष की यात्रा पर जाने के लिए भारहीन होकर कार्य करने का अभ्यास कराया जाता है । तब सुनीता एच 46, सीकनाइट की प्रारम्भिक ट्रेनिंग के लिए हैलीकाप्टर कॉमबेट सपोर्ट स्काड्रन 3 गयीं ।

इस ट्रेनिंग को समाप्त करने के बाद उन्हें नॉरफाल्क, विरजिनिया, मैडिटेरेनियन, रेड सी और परशियन खाड़ी में रेगिस्तान के सुरक्षा कवच और वहां सुविधाओं को बढ़ाने के लिए हैलीकाप्टर कॉमबेट सपोर्ट स्काड्रन 8 ने नियुक्त किया । सितम्बर 1992 में, सुनीता हयूरीकैन एन्ट्रीयू रिलीफ ऑपरेशन के लिए मियामी, फ्लोरिडा भेजे गये एच 46 सेना दल की ऑफिसर इन्चार्ज थीं ।

सुनीता को युनाइटेड स्टेटस नेवल टेस्ट पायलट स्कूल के लिए चुना गया और उन्होंने जनवरी 1993 में अपना सत्र आरम्भ किया । दिसम्बर 1993 में स्नातक के बाद, उन्हें रोटरी विंग एअर क्राफ्ट टेस्ट डायरेक्टरेट के लिए एच 46 प्रोजेक्ट ऑफिसर के तौर पर और टी-2 में वी-22 चैज पायलट के तौर पर नियुत्ता किया गया ।

जब वह 1998 में यू एस एस, साइपेन बोर्ड में थीं, तब उन्हें अन्तरिक्ष यात्री प्रोग्राम के लिए चुना गया । उन्होंने तीस से भी ज्यादा विभिन्न एयर क्रापट में 2300 घण्टे तक उड़ाने भरीं । इस प्रकार वह उड़ान के पेशे में आ गयीं और फिर जब उन्हें विंगस प्राप्त हो गये, तो वह जहाजों के बेड़े में से निकलकर पैक्स रिवर, वी ए में टेस्ट पायलट स्कूल में गयीं, फिर नासा में और फिर अन्तरिक्ष यात्री के लिए ।

सुनीता ने 1998 में नासा में अपना प्रशिक्षण आरम्भ किया और इसी वर्ष स्पेस स्टेशन प्रोजेक्ट पर कार्य करने के लिए उनका चयन किया गया । 9 दिसम्बर, 2006 को एसटीएस-116 के सदस्यों के साथ स्पेस शटल लांच होने के बाद सुनीता 11 दिसम्बर 2006 को अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन पहुंची ।

16 दिसम्बर, 2006 को सुनीता बॉब करबीम के साथ अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन की सीमा के बाहर घूमीं । उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन की रिवायरिंग समाप्त की । फिर से 31 जनवरी और 4 एवं 9 फरवरी को सुनीता ने माइकल लोपेज, अलेग्रिया के साथ तीन अन्तरिक्ष के चक्कर पूरे किये, जिसमें से तीसरा चक्कर 6 घण्टे 40 मिनट में पूरा किया ।

तब सुनीता विलियम्स ने महिला अन्तरिक्ष यात्री कैथ्रेटन सी॰ थौर्नटान द्वारा अधिक समय तक अन्तरिक्ष में घूमने के समय के रिकार्ड को तोड़ते हुए 29 घण्टे 17 मिनट तक अन्तरिक्ष में घूमने का रिकार्ड रजिस्टर्ड करवाया ।

16 अप्रैल, 2007 को रेस नम्बर 14000 लिखी हुई नेवी की टी-शर्ट पहनकर और कष्टदायक कवच पहनकर जब सुनीता को ट्रेड मिल पर रस्सियों द्वारा नीचे किया गया, तब सुनीता ने 4 घण्टे 24 मिनट में रेस पूरी  की । इस प्रक्रिया में, उन्होंने वास्तव में 121600 किलोमीटर की दूरी तय की, जो विश्व के तीन चक्कर काटने के बराबर है ।

19 जून को अन्तरिक्ष यान अटलांटिस अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन से पृथ्वी के लिए रवाना हो गया । अटलांटिस में सुनीता विलियम्स समेत कुल दस अन्तरिक्ष यात्री थे । अटलांटिस के पृथ्वी की ओर रवाना होने से पहले अटलांटिस यान के अन्तरिक्ष वैज्ञानियों ने आखिरी स्पेसवॉक भी पूरी की ।

यान के कमाण्डर रिक स्टर्कोप और पायलट ली आर्कमबाल्ट ने भारतीय समयानुसार रात आठ बजकर 12 मिनट पर अटलांटिस को उसके बर्थिंग पोर्ट से अलग किया और इसके बाद स्टेशन का चक्कर लगाया । अटलांटिस के अन्तरिक्ष वैज्ञानिकों ने स्टेशन पर दो नये सौर ऊर्जा पंख स्थापित किये, जिनके जरिये यूरोप और जापान द्वारा स्थापित की गयी प्रायोगशालाओं को विद्युत की आपूर्ति होगी ।

अटलांटिस को 21 जून, 2007 को भारतीय समयानुसार रात 11 बजकर 20 मिनट पर फ्लोरिडा स्थित केनेडी स्पेस सेंटर पर उतरना था, लेकिन अमरीकी अन्तरिक्ष एजेंसी नासा ने खराब मौसम के कारण अटलांटिस की वापसी अगली रात्रि के लिए टाल दी । 22 जून रात 11.45 से लैंडिंग के अगले प्रयास आरम्भ कर दिये गये । 22 जून को आसमान में 80,000 फुट की ऊंचाई पर घने बादल छाये रहे ।

भारतीय समयानुसार 22 जून रात एक बजकर 19 मिनट पर केलीफोर्निया स्थित एडवडर्स एयर बेस पर अटलांटिस 19 डिग्री के कोण से रनवे नम्बर 22 पर सुरिक्षत उतर गया । इसके साथ ही सुनीता सितारों की दुनिया में अपना मिशन पूरा करके अपने छह सदस्यों सहित सुरक्षित धरती पर उतरीं ।  पूरे विश्व में खुशी की लहर दौड़ गयी ।

अटलांटिस कमाण्डर रिक स्टरको और पायलट ली आरचमबाउल्ट को मिशन कन्ट्रोल ने सबसे पहले गुरुत्वाकर्षण वायुमण्डल की परिधि कक्षा में प्रवेश की अनुमति दी । उस समय अटलांटिस की स्पीड 28000 किलोमीटर प्रति घण्टा थी ।

तब 16 मिनट के लिए अटलांटिस का नासा से सम्बन्ध विच्छेद हो गया, जो कि इस प्रक्रिया का एक भाग है । इसके बाद पायलट ने जब अपना पहला सन्देश नासा को भेजा, तो वैज्ञानिकों की खुशी का ठिकाना न रहा ।

4. उपसंहार:

सुनीता विलियम्स एक ऐसी ‘साधारण महिला’ हैं, जिन्होंने अपने विलक्षण परिवार की सहायता से उन बुलन्दियों को प्राप्त किया है, जिसके कारण आज पूरा विश्व उन्हें ‘अन्तरिक्ष परी’ के नाम से सम्बोधित करता  है ।

सुनीता विलियम्स ने अपने जीवन में कई चरित्रों को निभाया है जैसे-समुद्री जहाज चालक, हैलीकाप्टर चालक, बाद में टेस्ट चालक, व्यवसायिक समुद्री जहाज चालक, तैराक, जानवरों से प्यार करने वाली, मैराथन में भाग लेने वाली और अब अन्तरिक्ष यात्री तथा विश्व रिकार्ड बनाने वाली भारतीय मूल की दूसरी अन्तरिक्ष यात्री ।