अरुंधती रॉय की जीवनी | Arundhati Roy Kee Jeevanee | Biography of Arundhati Roy in Hindi
1. प्रस्तावना ।
2. जन्म परिचय ।
3. उपसंहार ।
1. प्रस्तावना:
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सुश्री अरुन्धती राय भारत की उन अंग्रेजी-भाषी लेखिकाओं में श्रेष्ठ स्थान रखती हैं, जिन्होंने अपनी लेखकीय शैली के द्वारा बहुत ही कम अवस्था में लोकप्रियता हासिल कर ली । वह बुकर पुरस्कार प्राप्त करने वाली भारत की प्रथम महिला हैं । संघर्ष ही इनका जीवन रहा है । प्रगतिवादी, यथार्थवादी लेखिकाओं में इनका नाम लिया जाता है । ये एक कुशल अभिनेत्री तथा समाज सेवी कार्यों में रुचि लेने वाली संवेदनशील लेखिका हैं ।
2. जन्म परिचय:
सुश्री अरुन्धती राय का जन्म 1961 को केरल में हुआ था । यह सीरियाई ईसाई मां और बंगाली पिता की सन्तान हैं । इनका बचपन केरल में गुजरा । यह पेशे से व्यायाम शिक्षिका है । इन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर में वास्तुकला की पढ़ाई की । इनकी मुलाकात फिल्मकार प्रदीप कृष्ण से मैंसी साहब फिल्म के सिलसिले में हुई । उनसे प्रभावित होकर इन्होंने उनसे विवाह कर लिया ।
मैंसी साहब में इन्होंने एक संवेदनशील आंखों और हाव-भाव से बात करने वाली आदिवासी की भूमिका अत्यन्त प्रभावशाली ढंग से निभायी । अरुन्धती राय ने अपनी पुस्तक ”द गॉड ऑफ स्माल थिंग” में दक्षिण भारत की जाति-पांति के विश्वास, आस्था, विषमताओं के बीच जीवन जीते जुड़वां बच्चों की व्यथा का मार्मिक, मनोवैज्ञानिक व यथार्थ चित्रण किया है ।
इस उपन्यास में इन्होंने पारिवारिक कलह, सामाजिक विषमताओं, प्रथाओं के साथ-साथ सम्प्रदायवाद की समस्याओं का इतनी बेबाकी से चित्रण किया है कि इन्हें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की लेखिका बनने का गौरव प्राप्त हो गया ।
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इन्हें इस उपन्यास हेतु ब्रिटेन का सर्वाधिक सम्मानित पुरस्कार ”बुकर” मिला । अरुन्धती ने यह उपन्यास साढ़े चार वर्षों में पूरा किया । 395 रुपये के इस उपन्यास पर सुश्री अरुन्धती को 16 लाख अमेरिकी डॉलर रायल्टी के तौर पर मिले ।
30 भाषाओं में अनुदित 6 लाख प्रतियों में बिके इस उपन्यास को ब्रिटेन के प्रकाशक इण्डिया डंक ने प्रकाशित किया । अरुन्धती ने इस उपन्यास से प्राप्त 15 लाख की राशि ”नर्मदा बचाओ आन्दोलन” में दान कर दी ।
अरुन्धती राय ने दो अंग्रेजी फिल्मों की पटकथा लिखने के साथ-साथ उसका निर्माण भी किया है । बांधों के निर्माण के विरोध में इनकी नवीन पुस्तक ”द ग्रेटर कॉमन गुड है ।” यह नर्मदा बचाओ आन्दोलन से सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं ।
3. उपसंहार:
सुश्री अरुन्धती राय निश्चय ही एक पुस्तक लिखकर ”अन्तर्राष्ट्रीय” स्तर की लेखिका बन गयीं, तथापि इनके ”द गॉड ऑफ स्माल थिंग” उपन्यास की आलोचना भी हुई । भारतीय परिस्थितियों का कटु यथार्थ इन्होंने इसमें चित्रित किया है । यह एक साहसी लेखिका है ।