महाश्वेता देवी की जीवनी | Mahasweta Devi Kee Jeevanee | Biography of Mahasweta Devi in Hindi!
1. प्रस्तावना ।
2. इनका रचना कौशल ।
3. उपसंहार ।
1. प्रस्तावना:
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श्रीमती महाश्वेता देवी एक महान् लेखिका ही नहीं, समाज सेविका भी रही हैं । अपनी लेखनी से आदिवासियों को वाणी प्रदान करने वाली बांग्ला भाषा की श्रेष्ठतम लेखिका महाश्वेता देवी का जन्म बंगाल के एक सम्पन्न परिवार में हुआ था ।
इनकी शिक्षा-दीक्षा शान्ति निकेतन में पूर्ण हुई, जहां से इन्होंने बी॰ए॰ आनर्स के साथ अंग्रेजी साहित्य में एम॰ए॰ किया । इनका विवाह इफ्टा के संस्थापक सदस्य और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता विजन भट्टाचार्य से हुआ ।
इनका विवाह सम्बन्ध बहुत दिनों तक नहीं चल सका । विवाहोपरान्त महाश्वेता देवी ने अपना जीवन समाज सेवा में लगा दिया, साथ ही इनका लेखन कार्य भी चलता रहा । इन्होंने कई विषयों पर अपनी लेखनी चलायी, जिसके लिए यह राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं ।
2. इनका रचना कौशल:
झांसी की रानी, नदी, प्रेमतारा, मध्यारातेर गान, हजार चौराशीर मां, अरण्येर अधिकार, अवलांत कौरव, चौट्टी मुंडा एवं तारा तीर, पतालक, सत्य, असत्य, श्री गणेश महिमा, मिलुर जन्य, मास्टर साहब, कहानी-सप्तपर्णी अग्नि गर्भ, मूर्ति घटक, अमृत संचय आदि प्रमुख हैं । इनके उपन्यास, बाल-साहित्य, लघु कहानी, नाटक, प्रबन्ध, पाठ्यपुस्तक, अनुवाद सहित 172 पुस्तकें हैं ।
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अमृत संचय में इन्होंने आदिवासी जीवन के चित्रण के साथ-साथ भारत की राजनीति, इतिहास, आम आदमी के संस्कारों का चित्रण किया है । भारतीय महिलाओं की सामाजिक एवं शिक्षा सम्बन्धी जागरूकता पर भी इनकी कई रचनाएं हैं । महाश्वेता देवी की पुस्तक पर आधारित गुड़िया फिल्म को अन्तर्राष्ट्रीय पाक फिल्म महोत्सव में दिखाया गया । इन्हें 32 ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
3. उपसंहार:
श्रीमती महाश्वेता देवी को 28 मार्च 1997 को दिल्ली के विज्ञान भवन में 2.50 लाख रुपये प्रशस्ति पत्र के साथ ”वाग्देवी” पुरस्कार से नवाजा गया । 1998 में इन्हें 1 लाख रुपये का यास्मीन पुरस्कार, 1997 में फिलीपींस सरकार द्वारा रमन मेग्सेसे पुरस्कार, पत्रकारिता, संवाद एवं रचनात्मक कला के लिए प्रदान किया गया ।
1997 का नेताजी पुरस्कार, 1998 का टैगोर साक्षरता पुरस्कार, वर्ष 2000 का पी॰सी॰ चन्द्रा पुरस्कार भी इन्हें मिला है । पद्मश्री से सम्मानित महाश्वेता देवी ने (टीटू मीर) 2001 में पुस्तक लिखी है । यह अपनी सहज भाषा शैली के कारण विशेष लोकप्रिय रही हैं ।