राइट बन्धु की जीवनी । Biography of Wright Brothers in Hindi Language!

1. प्रस्तावना ।

2. जन्म परिचय एवं उपलब्धियां ।

3. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

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ईश्वर द्वारा बनाई गयी सृष्टि में अनेक जीव-जन्तुओं ने इस संसार में जन्म लिया, जिसमें पशु-पक्षियों को मानव की तुलना में कुछ विशिष्ट प्राकृतिक गुण प्राप्त हुए हैं । पक्षियों को मुक्त आकाश में विचरण करते देखकर मनुष्य यही सोचा करता होगा कि काश ! वह भी उनकी तरह उड़ पाता ।

आकाश में ऊंची उड़ान भरने की इसी आकांक्षा ने विलबर राइट व ओरविल राइट बसुओं को हवाई जहाज की खोज की प्रेरणा दी होगी और उन्होंने इसी से प्रेरित होकर आकाश में उड़ने वाले हवाई जहाज का आविष्कार कर डाला ।

2. जन्म परिचय एवं उपलब्धियां:

अमेरिका निवासी विलबर राइट तथा ओरविल राइट ये दोनों ही सगे भाई थे । विलबर का जन्म सन् 16 अप्रैल, 1867 को इंडियाना में तथा ओरविल राइट का जन्म डेटन ओहियो में 19 अगस्त, सन् 1871 में हुआ था ।

उनके पिता मिल्टन राइट चर्च में काम करते थे ।

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सन् 1878 में वे चर्च के बिशाप भी बने । उनकी माता भी चर्च सम्बन्धी कार्य में पिता का हाथ बंटाया करती थीं । बचपन से राइट बस्तुओं की रुचि कुछ ऐसे मशीन सम्बन्धी कामों में लगी रहती थी, जो ऊंचाई तक जा सकें ।

एक बार उपहार  में उन्हें खिलौने के रूप में हेलीकॉप्टर मिला था । बस, फिर क्या था, दोनों भाइयों ने इस तरह के कई हैलीकॉप्टर बना डाले, जो कार्क, बास और कागज के द्वारा बने थे । दोनों भाई स्वभाव से एके-दूसरे के वि परीत थे । विलबर एकान्तप्रिय, मितभाषी थे, तो ओरविल बातूनी, सामाजिक थे ।

ओरविल को पैसा कमाने का काफी शौक था । उन्होंने तो गरमी की छुट्टियों में छापेखाने में काम करते हुए न केवल हाईस्कूल की परीक्षा पूरी की, बल्कि टाइपसेटर बनने के साथ-साथ समाचार-पत्र का प्रकाशन

किया । दिलबर गाता की बीमारी की वजह से हाई स्कूल की पढाई पूरी नहीं कर पाये थे ।

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उनके पिता उन्हें चर्च सम्बन्धी कामों में लगाना चाहते थे, जब कि दोनों भाइयों की रुचि उसमें नहीं थी । चर्च जाना छोड़कर दोनों साथ रहते, साथ खेलते उघैर एक ही जैसा सोचते तथा कार्य में लगे रहते थे । माता की गत्यु के बाद दोनों ने छापाखाना खोलकर साहित्य सम्बन्धी प्रकाशन का कार्य प्रारम्भ कर दिया ।

साथ ही साइकिल बेचने, किराये पर देने, मस्मत करने की दुकान भी खोल रखी थी । उन्हें न तो किसी प्रकार का व्यसन था और न ही लड़कियों के साथ घूमने आदि का शौक । इसी बीच उन्हें ज्ञात हुआ कि 9 अगरत्त, 1896 को जर्मनी के ओटो लिक्ति-थाल नामक यान्त्रिक इंजीनियर द्वारा बनाये गये हैंग ग्लाइडर के माध्यम से की जा रही आकाशीय उड़ान में उनकी मृत्यु हो गयी ।

बस फिर क्या था, राइट बसुओं ने एक ऐसा हवाई जहाज बनाने का प्रयास शुरू कर दिया, जो कि हवा से भारी हो । उसगें इंजन प्रोपेलर लगे हों । वह आदमी सहित आकाश में उड़ सके । उन्होंने पहले ग्लाइडर बनाया और उसका परीक्षण करने के लिए पहाडी स्थान पर चल दिये, जो 12 सैकण्ड तक हवा में रहने के बाद पृथ्वी पर आ गिरा ।

सन् 1900 में उन्होंने दो तख्ते वाला वायुयान बनाया, जिसको शक्ति देने वाला पेट्रोल इंजन भी लगाया था । एक भाई निचले हिस्से में बैठकर नियन्त्रण का प्रयास करता था । उड़ान भरते समय उन्हें पता लगा कि पंखों का आकार ठीक नहीं ।

उन्हें विंडटनेल का सिद्धान्त भी समझ में आ गया था । अनेक असफलताओं के बाद उन्होंने पलायर जहाज बनाया, जिसके पंखों का आकार 400 वर्गफीट था और उसके सन्तुलन के लिए मशीन भी बना रखी थी ।

8 दिसम्बर 1903 को पहली उड़ान भरी, जो कि असफल रही । फिर इसमें आवश्यक संशोधन कर जब इसे उड़ाया गया, तो यह अपनी ताकत से 10 फीट ऊपर उठा और 12 सैकण्ड बाद नीचे आ गया ।

जहाज के उड़ने और उतरने के बीच 100 फीट की कुल उड़ान नापी गयी । इस ऐतिहासिक उड़ान को देखने के लिए बुलाने पर भी सिर्फ 5 बड़े, दो बच्चे और एक कुत्ता था । पत्रकार आ रहे थे कि वे रास्ता भटक गये । इसके बाद उनके पलायर जहाज ने 4 बार सफल उड़ान भरी ।

लेकिन हवा के झोंके में आकर ऐसा उलटा कि किसी काम का नहीं रहा । 1904 में डेटन के डेयरी फीम में दूसरे पलायर का परीक्षण हुआ, जिसकी दो उड़ानें 5 मिनट से ज्यादा, गति 35 मील प्रतिघण्टा थी । 1905 में एक ऐसा हवाई जहाज बनाया, जो न केवल मुड़ सकता था, बल्कि वह 3 मील की यात्रा शी तय कर चुका था । इसके बाद वह 85 कि॰मी॰ दूरी तक भी चला था ।

1908 में परीक्षण के दौरान दुर्घटना का सामना करते हुए भी उन्होंने परीक्षण जारी रखा । 1909 तक हवाई जहाज की फैक्ट्रियां अमेरिका में स्थापित कर लीं । उनके इस नवनिर्मित वायुयान नें धलिश चैनल, अटलांटिक महासागर, प्रशान्त महासागर के साथ-साथ लगभग 23 हजार कि॰मी॰ की यात्रा तय की ।

बायर्ड ने तो उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव की यात्राएं वायुयान द्वारा ही तय करके इसकी क्षमता का परिचय दे दिया । वायुयान की खोज के बाद एक नये युग की शुराआत हो चुकी थी । विश्व में एक क्रान्ति-सी आ चुकी थी । राइट बसु घर-गृहस्थी में सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे थे कि छोटा भाई विलबर टाइफाइड का शिकार हो गया । 29 मई, 1912 को उसका असमय प्राणान्त हो गया ।

बूढ़े पिता मिल्टन राइट ने विलबर की अन्तिम क्रिया करते हुए उसकी विलक्षण प्रतिभा, परिश्रमशीलता पर गर्व करते हुए बडा दुःख जताया । इस बीच ओरविल अकेले रहकर अपनी प्रयोगशाला में हवाई जहाज में लगातार सुधार कार्य करते रहे । विलबर के देहान्त के बाद वह भीतर से टूट चुके थे ।

ओरिवल जहां हवाई जहाज के आविष्कार से जितने प्रसन्न थे, उतने ही वह दुखी हो गये, जब प्रथम विश्वयुद्ध में हवाई जहाजों में विनाशकारी बग ले जाकर मानव के विरुद्ध ही उसका इस्तेमाल होने लगा था । अन्तिम समय तक कार्य करते हुए ओरविल को प्रयोगशाला में दिल का ऐसा दौरा पड़ा कि 30 जनवरी, 1948 को उनके प्राण प्रखेरू ही उड़ गये ।

उनकी शवयात्रा पूरे सैनिक सम्मान के साथ 4 जेट विमानों की गड़गड़ाहट के साथ निकाली गयी । उनके द्वारा बनाये गये पहले पलायर जहाज को अमेरिका के स्मिथ सोनियन संग्रहालय में आज भी देखा जा सकता है ।

3. उपसंहार:

राइट बस्तुओं द्वारा वायुयान के अभूतपूर्व आविष्कार ने आज जहां दुनिया की मीलों दूरी को चन्द मिनटों और सैकण्डों में तय कर दिया है, वहीं सुख-सुविधा प्रदान करने वाले अत्याधुनिक वायुयानों ने मानव के आकाश में उड़ने की लालसा को भी पूर्ण कर दिखाया है, लेकिन सर्वाधिक दुःखद पहलू यह है कि मानव ने अत्यन्त तेज गति वाले युद्धक विमानों को बनाकर अपने ही अस्तित्व के लिए खतरा उत्पन्न कर दिया

है । जो भी हो, इन अमेरिकी भाइयों की कल्पनाशीलता एवं परिश्रम ने दुनिया को महान् देन दी है ।

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