लुई ब्रेल की जीवनी । Biography of Louis Braille in Hindi Language!

1. प्रस्तावना ।

2. जीवन परिचय एवं उपलब्धियां ।

3. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

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ईश्वर की बनायी हुई सृष्टि में सभी प्राणियों को ईश्वर ने असीमित क्षमताएं दी हैं । सर्वा गुणसम्पन्न प्राणी मनुष्य तो अपने अंगों की श्रेष्ठता के कारण श्रेष्ठ माना जाता है, किन्तु कभी किसी प्राकृतिक प्रकोप से, दुर्घटना से या जन्मजात कारणों से मानव अंगों से विकल हो जाता है । ऐसी स्थिति में उसके पास कुछ अन्य इन्द्रियजनित चमत्कारिक शक्तियां आ जाती हैं, जो उसे विलक्षण वना देती हैं । ऐसे ही कुछ दृष्टिबाधित {अन्धत्व से ग्रसित} विलक्षण प्रतिभाओं में से एक थे: लुई ब्रेल ।

2. जीवन परिचय एवं उपलब्धियां:

लुई ब्रेल का जन्म सन् 1809 को फ़्रांस के एक गांव में हुआ था । उनके पिता चमड़े तथा लोहे के औजारों से सम्बन्धित छोटे उद्योग-धन्धे से जुड़े हुए थे । परिवार को गरीबी और तंगहाली से बचाने के लिए बालक लुई अपने पिता के व्यवसाय में हाथ बंटाया करते थे ।

ऐसे ही एक समय लुई के पिता बाहर गये हुए थे । लुई लोहे के औजारों के साथ कुछ प्रयोग कर रहे थे कि एक सूजा उनकी आंख में जा लगा । असहनीय दर्द के बाद भी लुई ने  उस ओर कुछ विशेष ध्यान न दिया ।

परिणामत: आंखों  में इन्फेक्शन फैल गया । चोटग्रस्त आंख का इन्फेक्शन दूसरी आंख में संक्रमित होते ही उनकी दोनों  आंखों की रोशनी चली गयी । लुई की स्कूली पढाई छूटी सो अलग, उनका तो पूरा जीवन ही अन्धकारमय हो गया था ।

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लुई ने अपनी निराशा को कमजोरी नहीं ताकत बनाया । वह हाथों के स्पर्श के माध्यग से चीजों को पहचानने  की कोशिश करते । उन्होंने एक छडी की सहायता  से आपने घर के सारे वातावरण में इधर-उधर घूमने हेतु खुद को अनुकूलित किया ।

हालांकि इस प्रयास में लुई कभी कभार तो किसी चीज से टकराकर गिर पड़ते थे । उन्होंने अब चीजो की पहचान उसकी  आवाजों से, उसकी खुशबू  से सीख ली । पढाई के प्रति लुई की रुचि बहुत अधिक थी । अत: उन्होंने अपने साथ-साथ दृष्टिहीनों के लिए हाथों के स्पर्श से पढी जाने वाली लिपि का आविष्कार करना प्रारम्भ किया ।

उन्होंने एक मोटे कागज पर पेंसिल  से 6 बिन्दुओं के नमूने वनाये । उस पर 1 से 6 तक अक डाले । बाद में उन्होंने, एक सुई से 1 नम्बर वाली बिन्दु को ऊपर उठा दिया । इस प्रकार नं 1 और 2 की बिन्दुओं को ऊपर उठा देने पर तह अक्षर बना बी ।

इस तरह उन्होने बिन्दुओं की सहायता से अंग्रेजी वर्णगाला के सगी अक्षर बनाये । उभरे हुए  इन साकेतिक बिन्दुओं वाली वर्णगाला को हाथों के स्पर्श से वह पढते । इस तरह बार-बार अभ्यास से उन्होंने पूरी वर्णगाला उसकी स्पेलिंग सहित पढ डाली । वे इसमें इतने पारंगत हो गये कि उन्होंने यह प्रयोग कई आयोजनो में भीड के बीच में भी कर दिखाया ।

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उनकी इस अद्‌भुत प्रतिभा को देखकर लोग चकित रह जाते थे । अब लुई ने दृष्टिहीनों के लिए कई किताबे लिखी । उन्हें दृष्टिहीनों के स्कूल में शिक्षक की नौकरी मिली । वै एक बहुत अच्छे शिक्षक थे । पढ़ने और पढाने में विशेष रुचि थी । ईस तरह लुई ब्रेल अन्धों के लिए प्रयुक्त होने वाली लिपि के महान आविष्कारकर्ता बन गये थे । उन्ही के नाम पर इस लिपि का नामकरण किया गया-ब्रेल लिपि ।

3. उपसंहार:

दृष्टिहीनों की शिक्षा के लिए लुई ब्रेल ने जिस लिपि का आविष्कार किया था, वह सचमुच में हइाई एक महान् आविष्कार था । हैलन केलेन ने भी दृष्टिबाधित होने पर ब्रेल लिपि राहायता से न केवल स्नातक रत्तर की शिक्षा पायी, अपितु अनेक पुस्तके भी लिखीं । अन्धों की लिपि के इस महान् जन्मदाता की मृत्यु 6 जनवरी, 1852 को हुई ।

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