फाइटोन्यूट्रियेन्टस के स्रोत: चार मुख्य स्रोत | Read this article in Hindi to learn about the four main sources of phytonutrients. The sources are:- 1. लाइकोपिन (Lycopene) 2. सल्फोराफेन (Sulfurafen) 3. ब्लूबेरी (Blueberry) 4. अंगुर के छिलकों में स्थित पॉलीफिनॉल्स (Polyphenols Located in Grape Peels).
मानव जितने फल-सब्जी खाते हैं यदि उनकी मात्रा दोगुनी कर दें, तो मानव अपने रक्त की ऑक्सीकरण-रोधी शक्ति को 14 से 25 प्रतिशत तक बढा सकते हैं । इन समृद्ध भोज्य पदार्थों में मौजूद विटामिन, खनिज लवण और फाइटोन्यूट्रियेन्टस एक साथ मिलकर शरीर प्रदूषण से लडने में मदद करते हैं ।
Source # 1. लाइकोपिन (Lycopene):
टमाटरों, तरबूज, मौसमी और पपीते के लाल रंग से मिलता है । यह वर्णक कुछ पौधों और जीवों द्वारा संश्लेषित किया जाता है, ताकि सूर्य की रोशनी से उनकी रक्षा हो सके और यह कुछ किस्म के मुक्त धातुकणों के विरुद्ध शस्त्र का काम करता है । एक अध्ययन के अनुसार मुक्त धातुकणों को निष्क्रिय करने में ‘विटामिन ई’ की अपेक्षा लाइकोपीन ज्यादा असरदार साबित हुआ है ।
इटलीवासियों को पाचन नली का कैन्सर बहुत कम होता है । ऐसा इसलिए क्योंकि वे लोग टमाटर की चटनी बहुत ज्यादा खाते हैं और इसमें मौजूद लाइकोपिन इस कैन्सर का खतरा कम कर देता है ।
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‘हार्वर्ड मेडिकल स्कूल’ और ‘हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ’ द्वारा एक अध्ययन के जरिए पूरे विश्व के 47000 से अधिक पुरुषों के आहार की जानकारी हासिल की गई । उन्होंने 46 फलों व सब्जियों का विश्लेषण किया और पाया कि केवल टमाटर से बने उत्पाद (इनमें लाइकोपिन की अच्छी-खासी मात्रा पाई जाती है ।)
खाने से ही पुरः स्थ ग्रंथि कैन्सर का खतरा कम होता है । टमाटर से बने उत्पादों का उपभोग ज्यादा होता है, तो रक्त में लाइकोपिन की मात्रा बढ जाती है और पुरःस्थ ग्रंथि कैन्सर का खतरा कम होता जाता है । अध्ययन ने यह भी बताया गया कि टमाटर और टमाटर उत्पादों के ताप प्रक्रमण से लाइकोपिन का असर बढ जाता है ।
चिकित्सकों के निष्कर्ष के अनुसार हफ्ते में दो बार से ज्यादा टमाटर की चटनी और पिज्जा खाने से पुरःस्थ ग्रंथि कैन्सर का खतरा 21 से 34 प्रतिशत तक कम हो सकता है ।
अब तक अनुसंधानकर्ता मानते थे कि जैतून के तेल के स्वास्थ्यकर लाभों के कारण भूमध्य सागरीय आहार कैन्सर का खतरा कम करने में सहायक है, लेकिन अब उन्हें लगता है कि ऐसा लाइकोपिन की वजह से हे । वैसे टमाटर और जैतून का तेल, उनके आहार में एक साथ होते हैं इसलिए यह जानना मुश्किल हो जाता है कि दोनों का स्वास्थ्य पर अलग-अलग कितना असर है ।
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एक नए अनुसंधान में पाया गया है कि लाइकोपिन का संबंध मेकुलर अधःपतन, हृदय रोगों और फेफडे, मूत्राशय गर्भाशय व त्वचा कैन्सर का खतरा कम करने से होता है । टोरन्टो विश्वविद्यालय और अमेरिकन हेल्थ फाउन्डेशन के अध्ययनों ने पाचन नली, स्तन और पुरःस्थ ग्रंथि कैन्सर से लडने में लाइकोपिन की भूमिका पर ध्यान दिया है ।
पता चला है कि लाइकोपिन में एक से ज्यादा किस्म के कैन्सर से लड़ने के गुण मौजूद होते हैं । इसमें ऑक्सीकरण-रोधी गुण होते हैं, यह प्रतिरोधक क्षमता का नियमन करता है, कैन्सर के टयूमर को नियंत्रित करता है और हारमोन्स को भी नियंत्रित करता है ।
Source # 2. सल्फोराफेन (Sulfurafen):
सल्फोराफेन एक ऐसा फ्राइटोन्यूट्रियेन्ट है, जिस पर सबसे ज्यादा अध्ययन हुए हैं । यह कैन्सरजन्य तत्वों के हानिकारक प्रभाव को खत्म करने के लिए रोग-प्रतिरोधक प्रणाली की सहायता करता है । हरी गोभी जैसी सब्जियों में सल्फ्यूरिक यौगिक होने के कारण इनका स्वाद जरा कड़वा लगता है और इसी कारण बच्चे इन्हें खाने में आनाकानी करते हैं ।
माता-पिता को यह जानकारी होनी चाहिए कि खाने के कुछ ही समय बाद इसमें मौजूद सल्फोराफेन रक्त प्रवाह में घुसकर प्रोटीन के एक समूह जिन्हें फेज-2 एन्जाइम्स कहते हैं, की क्रियाशील करके रोग-प्रतिरोधक प्रणाली के कैन्सर से लड़ने वाले तत्वों को उत्प्रेरित करता है । फिर ये एन्जाइम्स एकदम सक्रिय हो जाते हैं और एक अणु में कैन्सरजन्य तत्व को जोड़ लेते हैं, जो तुरंत इसे नष्ट करके अलग कर देता है और इस तरह यह जग जीत ली जाती है ।
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सल्फोराफेन स्तन कैन्सर से भी बचाता है । ‘जॉन हॉपकिन्स मेडिकल इंस्टीट्यूशन’ में हुए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में विकसित हो रही मानव कोशिकाओं में सल्फोराफेन मिलाया और पाया कि इससे कैन्सर से लड़ने वाले एन्जाइम का असर बढ गया है ।
इन्हीं वैज्ञानिकों ने चूहों को जाने-माने कैन्सरजन्य तत्व डीएमबीए की सुई लगाई और 68 प्रतिशत चूहों में ट्यूमर विकसित हुआ । इसके बाद जिन 39 चूहों को सल्फोराफेन दिया गया था, उनमें से केवल 26 प्रतिशत में ही ट्यूमर विकसित हुआ । चूहों पर किए गए शुरुआती अध्ययनों ने मलाशय और त्वचा कैन्सर के बचाव में भी विश्वसनीय परिणाम दिखाए हैं ।
Source # 3. ब्लूबेरी (Blueberry):
यूएसडीए (यूनाइटेड स्टेट डिपार्टमेन्ट ऑफ एग्रीकल्वर) के एक अनुसंधान के अनुसार खूबेरी में एक असरदार ऑक्सीकरण-रोधी प्रहार शक्ति है । जीन मेयर यूएसडीए न्यूट्रीशन रिसर्च सेन्टर ऑन एजिंग द्वारा टफ्ट्स विश्वविद्यालय में किए गए अध्ययन के अनुसार 40 अन्य व्यापारिक रूपों में उपलब्ध फलों और सरियों की तुलना में खूबेरी में सबसे ज्यादा ऑक्सीकरण-रोधी सक्रियता होती है ।
ओआरएसी (ऑक्सीजन रेडिकल एब्जार्बेन्स केपेसिटी) नामक एक प्रयोगशाला परीक्षण विधि, ऑक्सीकरण-रोधी के निश्चित मापन के लिए जानी जाती है । यह दावा करती है कि ब्लूबेरी सबसे बेहतर नतीजे देने वाले फलों में से एक है । पहले हुई खोज यह बताती है कि ओआरएसी-युक्त फलों और सब्जियों, जैसे पालक व ब्लूबेरी को भरपूर मात्रा में लेने से दिमाग और शरीर दोनों की ही उम्र बढने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है ।
ब्लूबेरी केवल चमत्कारी ऑक्सीकरण-रोधी ही नहीं है, बल्कि ये बढती उम्र में होने वाली अल्पकालिक स्मृति दोष जैसी समस्याओं और कार्य-कुशलता में भी सुधार करती है । अब अगली बार यदि आपकी चाबी खो जाए, तो मुट्ठी भर खूबेरी खा ले । इनमें ऐसे यौगिक भी होते हैं, जो मूत्राशय की दीवार से विषाणुओं को जुड़ने नहीं देते, जिससे मूत्र मार्ग के संक्रमण का खतरा कम हो जाता है ।
थकी हुई आँखों के लिए ब्लूबेरी चमत्कारी रूप से असरदार है । यह रतौंधी से बचाव में सहायक है और कैन्सर की शुरुआत व उसके बढने के स्तरों, दोनों स्थितियों पर रोक लगाती है । इसे पाई के साथ भून कर खाएं या अपने खाने पर कच्चा फैला कर (या यहाँ तक कि सलाद के रूप में भी) ये आपको एक-सा अद्भुत लाभ देती हैं । इनका स्वाद जबरदस्त होता है और ये आपको स्वस्थ भी रखती हैं ।
Source # 4. अंगुर के छिलकों में स्थित पॉलीफिनॉल्स (Polyphenols Located in Grape Peels):
मनुष्य को वसीय भोज्य पदार्थ और एल्कोहल का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि मनुष्य जानते हैं कि ये मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं । यदि अच्छा महसूस कर रहे हैं, तो एक रिपोर्ट पढिए, जो यह दावा करती है कि फ्रांस के दक्षिण पश्चिम में रहने वाले लोग अनाप-शनाप वसा और एल्कोहल के सेवन के लिए बदनाम हैं, लेकिन अपनी दीर्घायु के लिए भी प्रसिद्ध हैं । यह कैसे संभव है? अनुसंधानकर्ताओं ने वर्षों तक इस पर अपना सिर खपाया- इसे फ्रांसीसी विरोधाभास कहा जाता है ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के विश्वव्यापी अध्ययन ने खुलासा किया है कि धूम्रपान, वसीय उत्पादों के सेवन और व्यायाम न करने के बावजूद भी इस औद्योगिक विश्व में हृदय रोगों से होने वाली मृत्यु दर फ्रांस में सबसे कम है । केवल जापानी, जिनका आहार मछली और चावल-युक्त, मतलब कम वसा वाला है, उनमें ये दर फ्रासीसियों से कम है । संभव है कि रेड वाइन के सेवन के कारण ही फ्रांसीसी लोगों में यह दर कम हो । क्या यह लाल अंगूरों में पाए जाने वाले फाइटोन्यूट्रियेन्टस के कारण है?
फाइटोकेमिकल्स की एक श्रेणी ‘पॉलीफिनॉल्स’ की तरफ वैज्ञानिकों ने विशेष तौर पर ध्यान दिया है । यह अगर के छिलकों और बीजों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है । अनुसंधानों से पता चला है कि ये यौगिक लंबी बीमारियों से शरीर की रक्षा अंगूर और वाइन, दोनों ही के पॉलीफिनॉल्स किसी ऑक्सीकरण-रोधी की तरह काम करते हैं ।
ये रक्त प्रवाह में वसा, जैसे कोलेस्ट्रॉल जो हृदय रोग का मुख्य अग्रदूत है- नष्ट कर देते हैं । ये यौगिक रक्तचाप को नियंत्रित करने, रक्त में थक्का बनने को कम करने और शरीर में रक्त प्रवाह को सामान्य रखने में मदद करते हैं ।
अंगूरों में कई पॉलीफिनाल्स के अतिरिक्त रेस्टेरेट्रॉल भी पाया जाता है, जिसे कई अध्ययनों के बाद इसानों के लिए स्वास्थ्यकर पाया गया है । पौधों में वातावरणीय तनाव होने पर रेस्वेरेट्रील क्रियाशील हो जाता है । पौधों पर जब फफूँद, विषाणु या जीवाणु का आक्रमण होता है, तो वे रेस्वेरेट्रील पैदा करने लगते हैं ।
क्या इंसानों में भी रेस्वेरेट्रील इसी तरह काम करता है? अब ऐसा लगता है कि इसमें ऑक्सीकरण-रोधी और अनुत्तेजक दोनों ही गुण होते हैं । रेस्वेरेट्राल बहुत अनूठा है, क्योंकि इसमें कैन्सर के तीनों चरणों शुरुआत, बढने और फैलने के खिलाफ लडने की क्षमता होती है ।