कीड़े और सूक्ष्मजीवों को कैसे पकड़ें? Read this article in Hindi to learn about how to catch insects and microbes.

कीटों को हम आमतौर पर उपलब्ध सामान से बनाए जा सकने वाले सरल उपकरण के द्वारा बिना नुकसान पहुंचाए पकड़ सकते है । इनमें से प्रत्येक उपकरण अथवा जाल विशिष्ट प्रकार के कीटों को पकड़ने में मदद करेगा । इनमें से कुछ उपकरण निष्क्रिय जाल के रूप में होंगे जिनमें कीटों को पकड़ने के लिये शारीरिक प्रयास की आवश्यकता नहीं होगी । दूसरे उपकरण ऐसे होंगे । अन्हें हम स्वयं बनाएंगे तथा कीट पकड़ने हेतु उनका सक्रिय रूप से प्रयोग करेंगे ।

इनमें से कुछ का वर्णन नीचे दिया गया है:

1. बीटिंग ट्रे:

अनेक कीट पेड़ की पत्तेदार शाखाओं पर बैठना पसंद करते हैं । विशेषत: दिन में गर्मी के समय ऐसे कीटों को पकड़ने हेतु यह एक अच्छा स्थान हो सकता है । उन्हें पकड़ने के हेतु “बीटिंग ट्रे” सबसे अच्छा उपकरण है । “बीटिंग ट्रे” एक ऐसा उपकरण है जो पेड़ों से चादर बांधकर अथवा एक हत्थेदार लकड़ी के फ्रेम में लगाकर बनाया जा सकता है एक खुले हुए छाते को उलटा रख कर भी ट्रे के समान उपयोग किया जा सकता है ।

ADVERTISEMENTS:

किसी पेड़ नीचे लटकती हुई पत्तीदार शाखा खोजिए । ट्रे को उस शाखा के नीचे रखिए तथा शाखा को एक लकड़ी से जोर से मारिए, वार करने से पूर्व शाखा को न हिलायें और न ही शाखा को तोड़े एकाएक किए गए वार से अनेक सूक्ष्म प्राणी नीचे ट्रे पर गिरेंगे जिन्हें आप किसी प्लास्टिक की बरनी में एकत्र कर सकते हैं ।

2. संतोलक बरनी (हाल्टर जार):

एक पारदर्शी प्लास्टिक की चौड़े मुंह वाली बरनी (दो लीटर) की पेंदी को काट दें । बरनी का ढक्कन लगाकर उसे जमीन पर आराम करते हुए अथवा चलते हुए किसी प्राणी पर रख दें । इससे वह प्राणी बरनी में कैद हो जायेगा । बरनी का ढक्कन खोलकर उस कीट को चिमटी से उठाकर किसी दूसरे उपयुक्त पिंजड़े में स्थानान्तरित कर दें । काटने वाले व दौड़ने वाले प्राणियों को जैसे बिच्छू व सेन्टीपीड को इस उपकरण से आसानी से पकड़ा जा सकता है ।

पूटर:

(i) किसी साफ चौड़े मुंह वाली प्लास्टिक की बरनी (200 मिली) के ढक्कन में एक दूसरे की विपरीत दिशा में दो चिन्ह लगायें । इन चिन्हों पर एक कील को गरम करके दो छेद बनायें । इन छेदी को चाकू की नोंक से अथवा कैंची की धार से इतना चौड़ा करें कि जिससे 6 से 8 मिली व्यास की लचीली प्लास्टिक की नली फिट बैठ जाये । इन छेदों को सावधानी से बनना चाहिये जिससे नली ढीली न रहे ।

ADVERTISEMENTS:

(ii) प्रत्येक छेद में 15 से.मी. लंबी नली डालें । एक नली को छेद में से इतना नीचे डालें कि वह तली से 2 से.मी. ऊपर हो, दूसरी नली को केवल 2 से.मी. ही अंदर डालें । यदि आवश्यकता हो तो छेदों के आस-पास नलियों को रबर की गोद से सील कर दें ।

(iii) रबर की नली जो केवल 2 से.मी. अंदर रखी है, उसके मुंह पर मच्छरदानी की जाली रखकर रबर बैंड लगा दें । यह नली चूसने वाली नली होगी ।

(iv) बरनी को एक हाथ में रखे तथा दूसरे हाथ में उस नली के सिरे को पकड़े जो बरनी के गइराई तक गई है, इस नली के सिरे को किसी कीट के पास लायें व दूसरी नली से हवा को अंदर खींचे इससे कीट बरनी में आ जायेगा ।

(v) जब संग्रहण का एक चक्र पूर्ण हो जाये तब बरनी के ढक्कन को खोल लें व बरनी को मच्छरदानी की जाली से ढककर उसके मुंह को बांध दें । नलियों सहित अलग किए हुए बरनी के ढक्कन को दूसरी बरनी पर फिर लगा कर और अधिक कीट पकड़े जा सकते हैं ।

3. महाजाल (स्वीप नेट):

ADVERTISEMENTS:

(i) एक मजबूत एल्युमिनियम के कपड़े टांगने के हैंगर को खोलकर एक छल्ले के रूप में मोड़ लें, दूसरे हैंगर को सीधा कर उसे हैंडिल की शक्ल में मोड़ लें, यदि हैंगर उपलब्ध न हो तो कड़े तार से भी छल्ला बनाया जा सकता है ।

(ii) एक 30 से.मी. चौड़ी नायलोन की मच्छरदानी की जाली का टुकड़ा लें व उसे इतना काटें कि वह छल्ले की परिधि पर लपेटने हेतु पर्याप्त हो, जाली के दोनों सिरों को सिल दें जिससे 30 से.मी. लंबी नली बन जायेगी ।

(iii) इस ट्‌यूब का एक सिरा छल्लें पर सिल दें तथा दूसरे सिरे पर सरल टांके मारकर या फिर धागे से बांध दें ।

(iv) सीधे किए तार में एक लकड़ी का हैण्डिल बांध दीजिये । इस प्रकार महाजाल तैयार हो गया ।

लकड़ी के हैण्डिल को दोनों हाथों से मजबूती से पकड़ें तथा ऊंची घास के ऊपर झाडू मारने के समान घुमायें । फिर उसे ऐसे स्थान पर घुमायें जहां वनस्पति बहुतायत में हो, आपके द्वारा पकड़े गये कीटों को एक ट्रे में खाली करें तथा उनको श्रेणीवार बांटकर वे कहां पाये गये हैं इसका रिकार्ड रखें, यह टिड्‌डों व झिंगुरों को जो घास पर बैठते हैं तथा उनके पास जाने पर उड़ जाते हैं ।

तितलियों का जाल- एक कपड़े के हैंगर अथवा कड़े तार से उपरोक्तानुसार तितलियों के जाल के लिये एक कामचलाऊ छल्ला बनाया जा सकता है किन्तु उसका जाल किसी नरम कपड़े का होना चाहिए । जैसे अस्तर के अथवा पनीर बांधने के कपड़े का होना चाहिए । इस छल्ले पर हमें एक लंबे हैंडिल की आवश्यकता होगी जिससे दूर बैठी तितलियों तक पहुंचा जा सके । इस झोले का नीचे का सिरा सील कर बद कर लेना चाहिए तथा उसके कोने गोल होने चाहिए ।

हैंडिल का अंतिम सिरा पकड़कर तितली के पास जाये व जाली को नीची तरफ रखें, जाल को फुर्ती से चलाकर तितली को उसमें फंसायें, हैंडिल को मोड़ दें जिससे जाली का मुंह बद हो जाये, फिर झोले में हाथ डालकर पकड़ी हुई तितली को धीरे से बाहर निकालें ।

4. तितलियों हेतु केले का जाल:

एक अधिक पके हुए केले को किसी पारदर्शी व चौड़े मुंह वाली प्लास्टिक की बरनी में मसल कर रखें, इसे उस झाड़ी के ऊपर या नीचे रख दें जहां तितलियां आती हैं । विशेषत: उस दिन धूप खिली हो, केले की गंध तितलियों को बरनी की ओर आकर्षित करेगी । जब तितलियां केला खाने के लिये बरनी के अंदर बैठें तो बरनी को बंद कर दीजिए । तितलियां बाहर निकाल कर बरनी को और तितलियां पकड़ने हेतु फिर से रखा जा सकता है । क्या विभिन्न झाडियों से पकड़ी गई तितलियों में भिन्नता पाई जाती है ?

5. चोर गड्ढा (पिट फाल ट्रैप):

यह एक सरल उपकरण है तथा ऐसे कीटों को पकड़ने के लिये उपयोगी है जो रात के समय रेंगते हैं ।

(i) एक चौड़े मुंह की बरनी लें व उसे जमीन में समतल ऐसी जगह गाड़ें जहां आवाजाही कम हो । यदि वह क्षेत्र झाड़ियों व झुरमुटों से भरा हो तो अधिक कीट पकड़े जा सकते हैं ।

(ii) बरनी के मुंह के आस-पास चार छोटे पत्थर रखें तथा उन पर एक सपाट पत्थर छत के सामने रखें । जमीन व छत के बीच अंतर 3 से 5 से.मी. के बीच रहना चाहिये ।

(iii) इस जाल को शाम को रखें तथा पकड़े गये कीटों का परीक्षण अगली सुबह करें । बरनी में मांस, फल अथवा और किसी खाद्य पदार्थ के टुकड़े प्रलोभन के रूप में रखे जा सकते हैं जिससे विशिष्ट प्रकार के कीट आकर्षित हो । विभिन्न प्रलोभनों तथा विभिन्न जगहों से प्राप्त कीटों की तुलना करें ।

6. मोमबत्ती का जाल (कैंडिल ट्रैप) :

हम सभी ने देखा है कि अनेक प्रकार के कीट प्रकाश की और आकर्षित होते हैं । उनके इस व्यवहार का हम अनेक प्रकार के रात्रि कीटों को एकत्र करने के लिये फायदा लेंगे । एक जलती हुई मोमबत्ती एक कुप्पी के ऊपर रखें व उस कुप्पी को एक बरनी के ऊपर रख दें, यह एक सरल उपकरण बन जायेगा ।

(i) एक बड़ी कुप्पी के ऊपर 1 से.मी. चौड़ी एक एल्युमिनियम की पट्‌टी रख दें । पट्‌टी के दोनों सिरों को नीचे दबा दें जिससे वह कुप्पी नीचे न गिरें ।

(ii) पट्‌टी के बीचों-बीच एक मोमबत्ती लगा दे । इस जाल को या तो किसी अंधेरे कमरे की खिड़की में अथवा हवा से बचाते हुए बाहर रखें ।

(iii) मोमबत्ती जलाकर उसे कुछ देर के लिये रख दें ।

जब कीट मोमबत्ती की लौ के आस-पास आकर्षित होंगे तो उसमें से कुछ प्रकाश छुपी में गिरकर नीचे फिसल कर बरनी में गिर जायेंगे । कीट एकत्र होने पर बरनी को बदला जा सकता है ।

7. बिजली की रोशनी का जाल:

एक बरनी के ऊपर बड़ी-सी कुप्पी रखकर उसके ऊपर एक बिजली का बल्ब लटका दें । उसकी ओर आकर्षित होने वाले कीटों में से कुछ कीट कुप्पी में गिरेंगे व फिसल कर बरनी में गिर जायेंगी ।

एक सादा बल्ब, एक दूधिया बल्ब तथा एक फ्लोरोसेन्ट वल्ब को लेकर विभिन्न प्रकार के कीटों को आकर्षित किया जा सकता है ।

8. रोशनी की चादर (लाइट शीट):

कुछ पतंगे इतने बड़े होते हैं कि वे छुपी में से फिसल कर नीचे नहीं जा सकते इसलिये ऐसे पतंगों के लिये दूसरे प्रकार का उपकरण उपयोगी होगा ।

(i) पेड़ की किसी शाखा अथवा दो पेड़ों के बीच एक सफेद चादर लटका दें । उसके कोनों में वजन लटका दें जिससे वह हवा में न लहराये ।

(ii) उस चादर पर टॉर्च का प्रकाश डालें, पतंगों सहित अनेक कीट उससे आकर्षित होंगे व चादर पर बैठ जायेंगे । चादर का थप्पी देकर इन्हें बरनी में एकत्र किया जा सकता हैं । इन्हें पूटर का उपयोग कर अथवा नरम चिमटी से भी एकत्र किया जा सकता है ।

जमीन के ऊपर व नीचे पाये जाने वाले सूक्ष्म प्राणी:

अभी तक हमने जिन कीटों अथवा अन्य सूक्ष्म प्राणियों को देखा उनमें से अधिकांश जमीन के ऊपर रहते हैं । अनेक कीट घास पर अथवा झाड़ियों पर अथवा पेड़ों पर रहते हैं तो कुछ पत्थरों अथवा सड़ती हुई लकड़ियों के नीचे रहते हैं । अनेक प्रकार के कीट सूखी पत्तियों के गलीचे के नीचे रहते हैं, कुछ कीट जमीन की हल्की परत की ऊपरी सतह के नीचे रहते हैं । हम इन्हें कुछ सरल तरीके से पकड़ कर उनका परीक्षण कर सकते हैं ।

किसी झाड़ी के नीचे की ठंडी व नम जगह को चुने । उस पर हल्की सी झाडू लगाकर केवल सूखी पत्तियों को हटा दें जमीन से लगी हुई पत्तियों की भुरभुरी सामग्री को जमीन की ऊपरी सतह के साथ व थोड़ा सा कर दें कर एक प्लास्टिक के झोले में एकत्र करें ।

9. छानना और बीनना:

अपने कार्य स्थल पर आकर एकत्र की हुई सामग्री को किसी गहरे बर्तन अथवा तब में उड़ेलें । उस कचरे व मिट्टी के मिश्रण को एक लकड़ी से हिलायें तथा बर्तन की पेन्दी में हल्की परत के रूप में फैला दें । उसके अंदर के बड़े प्राणी भागना प्रारंभ करेंगे । उन्हें नरम चिमटी से पकड़ा जा सकता है ।

एकत्र की हुई सामग्री को किसी चौड़ी छलनी में रखें व धीरे से हिलायें, छोटे प्राणी छलनी से नीचे गिर जायेंगे जिन्हें एकत्र किया जा सकता है ।

10. गरम करना:

अनेक छोटे-छोटे जीव पत्तियों के कचरे तथा मिट्टी के ढेलों से दृढ़तापूर्वक चिपके रहते हैं तथा इन्हें छानने से अलग नहीं किया जा सकता, किन्तु उस सामग्री को हल्का सा गरम करने पर वे अपना स्थान छोड़ सकते है । इस प्रक्रिया को कीप नामक उपकरण के द्वारा आसानी से किया जा सकता है ।

(i) एक सरल टुलग्रेन कीप को एक 5 से.मी. लंबे कड़े प्लास्टिक के पाईप के सिरे पर चौड़ी तार की जाली लगाकर बनाया जा सकता है । हमारे घरों के पानी अथवा सीवेज के काम में आने वाली पीवीसी पाईप उपयोग में ली जा सकती है । जिसका व्यास 75 से.मी. होना चाहिए ।

(ii) इस जाली लगे हुए पाईप को एक कुप्पी के ऊपर इस प्रकार रखें कि जाली नीचे की ओरही । इस कुप्पी को एक पारदर्शी प्लास्टिक की बरनी में जिसकी तली में गीला ब्लाटिंग पेपर (स्याही सीखने वाला कागज) रखा हो रखें ।

(iii) पाईप को अभी-अभी एकत्र किए हुए कचरे से भर दें तथा उसके ऊपर एक 25 वॉट का तत्त्व जला दें । बल्य की ऊंचाई इस प्रकार रखें जिससे कचरा बहुत अधिक अथवा बहुत जल्दी गरम न हो ।

धीरे-धीरे गर्मी पाकर कचरे से चिपके हुए जीव उसे छोड़ कर नीचे की ओर जायेंगे तथा आखिर में वे जाली से फिसल कर कुप्पी में आ जायेंगे तथा वहां से फिसल कर नीचे बरनी में आ जायेंगे ।

इस प्रकार कचरे व मिट्टी के साथ आये हुए सूक्ष्म प्राणियों में चींटियां, दीमक, कुछ प्रकार की मकडियां तथा मृग, मक्खियों के लार्वा पतंगे और बहुत छोटे-छोटे जीव गोलकृमि घोंघे, शबूल शतपादी तथा सहस्त्रपादी हो सकते हैं ये सारे प्राणी प्राय: कचरे व जमीन के ऊपरी स्तर में विशेषकर नमी वाली जगह में पाये जाते हैं ।

पानी में पाये जाने वाले सूक्ष्मजीव:

सभी प्राणियों को पानी की आवश्यकता होती है तथा छोटे प्राणियों को जैसे कीट तथा अन्य अमेरूदण्डी प्राणियों को तो पानी की आवश्यकता और अधिक होती है । वे प्राय: आर्द्र वातावरण जो वनस्पतियों के आस-पास होता है अथवा नमी वाली जमीन को अधिक पसंद करते है ।

छोटे व बड़े दोनों प्रकार के कुछ प्राणी होते हैं जो पानी के बिना जीवित नहीं रह सकते हैं । इन छोटे जलीय प्राणियों को पानी के किसी भी संचय स्रोत से पा सकते हैं । किसी पोखर अथवा पानी से भरी हुई खाड़ी में इन प्राणियों की खोज में जाना साहसी कार्य हो सकता है ।

यदि हम किसी पोखर को शान्ति से देखें, विशेषत: ऐसे कोने में जहां कम लोग जाते हैं तथा जहां घास-पात हो तो हम इन जीवों को पानी की सतह पर तैरते अथवा उथले पानी में इधर से ऊधर फुदकते हुए देख सकते है, यदि पानी साफ हो व धूप खिली हो तो हम कुछ प्राणियों को उस पोखर की पथरीली अथवा कीचड़ वाले सतह पर भी देख सकते हैं । हम इन प्राणियों को गहरे पानी में स्पष्ट रूप से देखने के लिए अंत: जल दर्शी यंत्र (Underwater Viewer) बना सकते हैं ।

अंत: जल दर्शी यंत्र:

(i) एक 5 से.मी. व्यास वाला पीवीसी का हल्का पाइप (घरों में निकासी हेतु उपयोग में आने वाला) लें, जिसकी लंबाई एक मीटर हो, इसके सिरों को किसी सीमेन्ट के फर्श अथवा रेगमार के कागज पर घिस कर चिकना कर लें । एक पारदर्शी पोलीथिन अथवा एसीटेट की चादर से उसके एक सिरे को ढक दें चादर के कोनों को पाईप के साथ मोड़ दें तथा रबर बैंड लगा दें ।

(ii) रबर बैंड से बाहर निकले कोनों को काटकर उसके आस-पास चिपकने वाला एक टेप लगा दें (बिजली के कार्य में आने वाला पीवीसी टेप सबसे अच्छा रहेगा) | यह सुनिश्चित कर लें कि पाइप की दीवार तथा प्लास्टिक की चादर के बीच से पानी अंदर न पहुंचे ।

(iii) पाइप का ढका हुआ सिरा पानी के अंदर धीरे-धीरे तब तक डालें जब तक की वह तली के पास न पहुंच जाये । खुले हुए छोर से अंदर तली के पास की वस्तुएं स्पष्ट दिखाई देंगी । ढके हुए प्लास्टिक की चादर में पानी के अंदर की किसी नुकीली वस्तु से छेद न हो जाए इसकी सावधानी बरतें ।

यदि आप इस पाइप को कुछ देर के लिये स्थिर अवस्था में रखें तो जलीय जीव अपनी साधारण कर गौ व आप उन्हें देख सकेंगे । यदि चौड़ा पाइप लें तो अधिक अच्छा देख सकेंगे किन्तु अधिक कठिन होगा । आप विभिन्न आकारों के तथा पदार्थों के पाईप उपयोग करें । और जो सबसे अच्छा लगे उसे प्रयोग कर सकते हैं ।

11. पोखर डुबकी (पॉन्ड डिपिंग):

जलीय जीवों को एकत्र करना कोई कठिन प्रक्रिया नहीं है । पानी की सतह पर अथवा उसके पास रहने जलीय जीवों के नमूने एकत्र करने की एक सरल विधि उसे मथना है ।

इस मथने की किया को हम चाय छानने की छननी से कर सकते हैं । छलनी को पानी की सतह से जरा नीचे घुमाकर उठाने से उसमें जो प्राणी आयेंगे उन्हें एकत्र किया जा सकता है । पोखर के दूर तक पहुंचने हेतु हम छननी में एक लंबा हैंडिल लगा सकते है । यह आवश्यकता पर निर्भर करेगा ।

उन प्राणियों को पकड़ने के लिये जो पानी की सतह के अंदर रहते हैं, हम पानी में डालने वाला जाल (डिप नेट) का उपयोग कर सकते हैं । हम कीटों को पकड़ने के लिये बनाये ब्रुश-नेट में कुछ मामूली सुधार कर डिप नेट बना सकते हैं ।

(1) एल्युमिनियम के कपड़े टांगने के हैंगर से एक तार की फ्रेम बनायें व उसे एक तरफ से (हैंडिल के विपरीत सिरे पर) चपटा कर दें जिससे वह धनुष का आकार ले लें ।

(2) मच्छरदानी की जाली को ट्‌यूब के एक सिरे पर सिल दें जाली की ट्‌यूब के दूसरे सिरे को एकत्र करें और एक कांच की शीशी के आस-पास उसे बांध दें । फ्रेम में एक लंबा व मजबूत हैण्डिल फिट कर दें । आपका ‘डिप नेट’ तैयार हैं । जलीय जीवों को एकत्र करने के लिये नेट को पानी में डुबोयें व उठा लें अथवा उसको पानी में डुबो कर झाडू जैसा हिलायें व फिर उठायें ।

बड़े जीव जाली में आ जायेंगे जबकि छोटे जीव पानी के साथ कांच की शीशी में आ जायेंगे, बहुत से छोटे जीवों के लिये जिनमें अत्यंत सूक्ष्म जीव भी शामिल हैं, को एकत्र करने हेतु हमें बहुत बारीक जाली का प्रयोग करना होगा । ऐसी ही जाली जिसे प्लैंकटन कहते हैं, का प्रयोग व्यावसायिक रूप से किया जाता है तथा इसे बनाने में बहुत खर्च आता है ।

उन सूक्ष्मी जीवों को जो पोखर की सतह के पास रहना पसन्द करते हैं, उन्हें पकड़ने के लिये नेट के चपटे सिरे को सतह के पास डुबोए इस प्रक्रिया को कभी-कभी तलमार्जन पीन्द्व ड्रेजिग कहते हैं । इस विधि का, सपाट सतह वाले पोखर में जहां अधिक पौधे न हों, उपयोग किया जा सकता है अथवा तलमार्जन करने के उपरान्त नेट को किसी कटोरे में रखकर, कांच की बोतल को अलग कर लें ।

बोतल को बद कर उस पर लेबल लगाकर परीक्षण हेतु रख दे । कटोरे में रखे हुए जाली पर कुछ पानी डालें तथा उसे धीरे से झटक लें जिससे पकड़े हुए जीव उस पर निकल जाए पानी से मलबे के बड़े-बड़े टुकड़े निथार लें ।

12. जलीय प्रकाशयुक्त जाल:

पानी में ऐसे अनेक सूक्ष्म जीव होते हैं जो प्रकाश की और आकर्षित होते हैं । इन प्राणियों को पकड़ने के लिये एक विशिष्ट जाल जिसे जलीय प्रकाश जाल कहते हैं, बनाया जा सकता है ।

(i) आधा लीटर की पारदर्शी प्लास्टिक की बरनी ले तथा एक कीप को उसके ऊपर रखें दोनों के जोड़ पर पीवीसी टेप (जो बिजली के कार्यों में उपयोग होता है) लगा दें ।

(ii) ऊपर लपेटे, उसे कसकर बांधें व उसके ऊपर चिपकने वाला टेप लगा दें जिससे एल्युमिनियम की चादर का आकार गोल रह सके ।

(iii) कीप लगी हुई पहली बरनी को एल्युमिनियम ट्यूब से इस प्रकार जोड़े कि दोनों की पीठ आपस में मिले तथा कीप का शंकु उसकी नली के किनारों पर बैठ जायें ।

(iv) एक छोटी टॉर्च लें जो बरनी के अंदर जा सके, टॉर्च को जला दें व उसे उस बरनी में रखें जिसमें कीप नहीं हैं । इससे प्रकाश का मुंह पृथक बरनी की और होगा तथा वह कीप के सिरे पर होगा ।

(v) टॉर्च के आस-पास कुछ स्पंज अथवा सिलवटें पड़ा हुआ कागज वाली बरनी का ढक्कन टाइट कर दें जिससे उसमें पानी न जाये (आपको यर्च ट्‌यूब में फिट करने के लिये बरनी के मुंह व ढक्कन को खींचना पड़ सकता है) यह सारी प्रक्रिया उपकरण को पानी में डालने से पूर्व कर ले जिससे टार्च की बैट्री फालतू में न जले ।

(vi) एल्युमिनियम ट्‌यूब के दोनों सिरों पर एक लंबा धागा बांध दें जो हैंडिल का काम करें । पहली बरनी को पानी से भर दें तथा पूरे उपकरण को जमीन के समानान्तर पोखर की तली पर अथवा पानी के बीच में लटका दें । हो सकता है आपको नली के आस-पास कुछ वजन रखना पड़े जिससे वह नली पानी के अंदर रहे ।

15 मिनट बाद कीप के सिरे को ऊपर रखते हुए उपकरण को बाहर निकालें, कीप का पानी निथार कर उसे अलग रख दें तथा बरनी के अंदर के पानी का कम शक्ति के सूक्ष्मदर्शी यंत्र के नीचे रखकर परीक्षण करें । यदि सूक्ष्म जीवों की संख्या कम हो तो बरनी को कुछ समय के लिये सीधा रखें, फिर उसकी तली से किसी लंबे ड्रापर की सहायता से पानी के नमूने निकाल लें । पानी के नमूने परीक्षण हेतु रख दें ।

इस जाल को विभिन्न पोखरों में तथा दिन के विभिन्न गहराइयों पर तथा दिन के विभिन्न समय पर प्रयोग करें व रोचक अनुभव प्राप्त करें ।

Home››Biology››