डेंसिटोमीटर का ढांचा | Read this article in Hindi to learn about the structure of densitometer.

इस उपकरण से ऑप्टिकल डेन्सिटी नापी (Measure) जाती है तथा इससे अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं ।

इस उपकरण (Apparatus) में विभिन्न कम्पोनेंट पाये जाते हैं:

(1) लाइट स्रोत (Light Source)- इससे प्रकाश का उपयोग किया जाता है ।

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(2) लैंस (Lens)- जो प्रकाश को रिफ्लेक्ट करता है ।

(3) प्लेट विथ वर्टीकल स्लिट (Plate with Vertical Slit)- यह एक वर्टीकल स्लिट पर आगे की ओर लगी रहती है ।

(4) स्ट्रिप केरियर (Strip Carrier)- इस पर जिस रंगीन स्ट्रिप (Colour Strip) का आँकलन करना होता है, उसे रखते हैं ।

(5) लाइट फिल्टर (Light Filter)- इससे प्रकाश का पेनीट्रेशन (Penetration) होता है ।

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(6) फोटोसेल ऐसेम्बली (Photo Cell Assembly):

सामान्यतः परिमाण सम्बंधी आँकलन में यदि 5 mm. की स्ट्रिप (Strip) पर डाई (Dye) डाली जाती है तथा प्राप्त होने वाले दृव्य की ऑप्टिकल डेन्सिटी (Optical Density) नापी जाती है, तो यह काफी लम्बी प्रक्रिया होती है ।

इस विधि को संशोधित करके यदि डाई (Dye) किये हुए पेपर (Paper) की ऑप्टिकल डेन्सिटी (Optical Density) नापी जाती है, तो काफी अच्छे परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं । इसमें सबसे पहले डाई (Dye) की हुई इलेक्ट्रो फोरिटिक (Electrophoretic) स्ट्रिप (Strip) को पैराफिन ऑयल (Paraffin Oil) और α- Bromophethalene का 1:1 मिश्रण (Mixture) में रखा जाता है ।

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इसमें स्ट्रिप (Stripe) अर्धपारदर्शी (Transparent) हो जाती है, तब इस स्ट्रिप (Stripe) के दो समान्तर (Parallel) ग्लास प्लेट (Glass Plates) पर रखकर एक फोटोमीटर (Photometer) के छिद्र के सामने चलाया जाता है तथा स्ट्रिप के अलग-अलग हिस्से की ऑप्टिकल डेन्सिटी (Optical Density) नापी जाती है ।

चूँकि प्रकाश की तरंगदैर्ध्य का ऑप्टिकल डेन्सिटी (Optical Density) पर काफी प्रभाव पड़ता है इसलिये क्लोरीमीटर (Colorimeter) के दौरान प्रकाश फिल्टर (Light Filter) का उपयोग किया जाता है ।

फोटोमेटरिक (Photometric) आँकलन के लिए प्रत्येक प्रकार के स्केनी (Scanny) उपलब्ध हैं । ये सभी लगभग एक ही सिद्धांत पर कार्य करते हैं । इसमें स्टेन (Stain) की हुई स्ट्रिप (Strip) को दो काँच की प्लेटों (Plates) के बीच रखा जाता है तथा इसे 1mm की दरार के सामने चलाया जाता है ।

एक स्थिर स्त्रोत (Constant Source) से निकलकर प्रकाश दरार (Slit) से होते हुए स्लाइड (Slide) पर ऊपर रखी हुई अर्धपारदर्शी (Semitransparent) कागज की स्ट्रिप तक पहुंचता है ।

प्रकाश स्त्रोत (Light Source) और दरार (Slite) के बीच एक फोटोइलेक्ट्रिक सेल (Photoelectric Cell) रखा जाता है तथा पेपर के दूसरी ओर एक ऑप्टिकल फिल्टर (Optical Filter) रखा जाता है । इसमें फोटोसेल (Photo Cell) विद्युत प्रवाह उत्पन्न करता है, जो उस पर पड़ने वाले प्रकाश की तीव्रता के समानुपाती होता है ।

इस विद्युत प्रवाह की गणना (Calculation) माइक्रोमीटर (Micrometer) के द्वारा की जाती है, जिस Side पर पेपर (Paper) लगा होता है उसके समकोण पर एक स्केल (Scale) होता है, जिस पर समान समयान्तरण पर माइक्रोमीटर (Micrometer) से प्राप्त Reading नोट (Note) की जाती है ।

यह रीडिंग स्ट्रिप (Reading Strip) के उस भाग पर डाई (Dye) की तीव्रता (Intensity) दर्शाती है । जब प्रकाश स्त्रोत (Light Source) से निकलकर तैलीय फिल्टर पेपर (Oily Filter Paper) के खाली हिस्से पर गिरता है, तो मीटर (Metre) O से OD और 100% ट्रांसमीशन (Transmission) दर्शाता है ।

जब पेपर (Paper) लाइट (Light) के सामने गतिशील होता है तब पेपर (Paper) का वह हिस्सा जहाँ प्रोटीन (Protein) की मात्रा सबसे अधिक होती है, प्रकाश (Light) के लिए सबसे ज्यादा अपारदर्शी होता है ।

अत: इस बिन्दु पर फोटो सेल (Photocell) को सबसे कम प्रकाश मिलता है और OD Scale पर काफी बड़ा Curve प्राप्त होता है । एक सेल (Cell) का Use करने वाले डेन्सीटोमीटर (Densitometer) के साथ यह परेशानी है कि वे विद्युत अस्थिरता सहन नहीं कर पाते हैं ।

यदि इनपुट वोल्टेज (Input Voltage) कहलाता है, तो प्रकाश स्त्रोत (Light Source) का वोल्टेज (Voltage) भी Change हो जाता है और इस प्रकार फोटोसेल (Photocell) तक पहुँचने वाले प्रकाश की मात्रा में फर्क आ जाता है ।

अत: ग्राफ (Graph) से प्राप्त होने वाले परिणाम ठीक नहीं होते । यदि एक सरेशन कोर ट्रांसफार्मर (Saretion Core Transformer) का उपयोग किया जाये, तो प्रकाश स्त्रोत (Light Source) को स्थिर किया जा सकता है । किन्तु डबल बीम डेन्सीटोमीटर (Double Beam Densitometer) का Use सबसे अच्छी विधि है, जिसमें स्वचालित नापने की सुविधा होती है ।

इस यंत्र में एक अलग भाग (Part) होता है । वह फोटो सेल (Photocell) जिसे स्रोत (Source) से एक अस्थिर दरार के द्वारा सीधे प्रकाश प्राप्त होता है, रिफरेंस फोटो सेल (Reference Photocell) कहलाता है ।

दूसरा फोटो सेल (Photocell) नापने वाला फोटो सेल (Measuring Photocell) कहलाता हे तथा ये लाइट स्टेन (Light Stain) किए हुए इलेक्ट्रोफोरटिक स्ट्रिप (Electrophotetic Strip) से गुजर कर एक स्थिर दरार से होकर इस तक पहुँचता है ।

फोटो सेल (Photocell) विद्युत के द्वारा इस प्रकार एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं कि उनसे प्राप्त होने वाला कुल आउटपुट (Output) दोनों सेल (Cell) के वोल्टेज (Voltage) का अन्तर होता है ।

इस अन्तर के विस्तार के लिये एक डी-ऐम्प्लीफायर (De-Amplifier) का उपयोग किया जाता है । शुरु में प्रकाश (Light) स्टेन (Stain) किए हुए पेपर (Paper) के अर्धपारदर्शी हिस्से से गुजरता है और Recordey पर शून्य से O.D. प्राप्त की जाती है ।

जैसे-जैसे स्टेन (Stain) किया हुआ पेपर (Paper) प्रकाश स्रोत (Light Source) के सामने गति करता है, तो रिकार्डी ग्राफ पेपर (Recordy Graph Paper) पर प्रोटीन सेम्पल (Protein Sample) की सान्द्रता (Concentration) के अनुसार वक्र (Curve) बनाता है ।

यदि प्रकाश की तीव्रता (Intensity of Light) में किसी भी प्रकार की अस्थिरता होती है, तो यह दो फोटोसेल (Photocell) में उपयोग के कारण स्वतः ही खत्म हो जाती है । कुछ यंत्रों (Apparatus) में इलेंक्ट्रानिक इन्टीग्रेटर (Electronic Integrator) लगे होते हैं, जो परिणाम की सान्द्रता को दर्शाते हैं । इससे Optical Density मापी जाती है, जिनमें विभिन्न प्रकार के यौगिकों की O.D. मापी जाती है ।