चरण कंट्रास्ट माइक्रोस्कोप: सिद्धांत और संरचना | Read this article in Hindi to learn about:- 1. फेज कंट्रास्ट माइक्रोस्कोप का सिद्धान्त (Principle of Phase Contrast Microscope) 2. फेज कंट्रास्ट माइक्रोस्कोप की संरचना (Structure of Phase Contrast Microscope) 3. इमेज का निर्माण (Image Production) 4. उपयोग (Uses).
फेज कंट्रास्ट माइक्रोस्कोप का सिद्धान्त (Principle of Phase Contrast Microscope):
फेज कंट्रास्ट माइक्रोस्कोप द्वारा प्रतिदर्श (Specimen) तथा परिवेश माध्यम (Surrounding Medium) के व्यतिरेक (Contrast) में वृद्धि की जा सकती है । इस माइक्रोस्कोप में ऑप्टीकल सिस्टम (Optical System) रूपान्तरित होता है ।
फेज कन्ट्रास्ट माइक्रोस्कोप, गति (Speed) में भिन्नताओं (Difference) को ऑप्टीकली (Optically) बदल (Convert) देता है, जिससे प्रतिदर्श (Specimen) से गुजरने वाला प्रकाश कंट्रास्ट में भिन्नताएँ (Differences) उत्पन्न करता है, जिसे आसानी से देखा जा सकता है ।
डार्कफील्ड (Darkfield) माइक्रोस्कोप की भाँति इसका उपयोग जीवित सूक्ष्मधारियों (Micro Organisms) को बिना अभिरंजित (Stain) किए हुए देखा जा सकता है । इस सूक्ष्मदर्शी की यह विशेषता होती है कि उच्च रिफरेक्टिव इण्डेक्स (Higher Refractive Index) का प्रकाश किसी कोशिका से गुजरता है, तो उसकी अपेक्षा में परिवेश माध्यम (Surrounding Medium) का प्रकाश अपेक्षाकृत मन्द (Slow) हो जाता है ।
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जो कम सघन (Less Dense) बैक ग्राउण्ड (Background) के माध्यम (Medium) से गुजरता है । कोशिका का रिफरेक्टिव इण्डेक्स (Refractive Index) जितना अधिक होता है उतना ही प्रकाश तरंग (Light Wave) का मंदन (Retardation) होता है ।
(A) प्रकाश तरंगें जब कोशिका द्रव्य के पूर्ण मोटे स्तर से गुजरती हैं ।
(B) तरंगें 1/4 कम हो जाती हैं जब वे अधिक Refractive Inclusions से गुजरती हैं ।
(C) तरंगें 1/2 कम हो जाती हैं ।
फेज कंट्रास्ट माइक्रोस्कोप की संरचना (Structure of Phase Contrast Microscope):
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इस माइक्रोस्कोप में निम्न रचनाएँ पाई जाती हैं:
(i) स्रोत (Source):
इस माइक्रोस्कोप में दृश्य प्रकाश λ = 5500 Å को उद्दीप्त हेतु उपयोग में लिया जाता है ।
(ii) एन्यूलर डायफ्राम (Annular Diaphragm):
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एन्यूलर डायफ्राम कंडेसर में उपस्थित होता है । इसकी डिजाइन इस प्रकार की जाती है कि यह ऑब्जेक्ट को प्रकाश के संकीर्ण पुंज द्वारा उदीप्त करता है । इस कारण प्रकाश का एक संकीर्ण पुंज इसमें से गुजरता है तथा शेष प्रकाश अवशोषित हो जाता है । इस प्रकार का उदीप्तन (Illumination) सूक्ष्म प्रावस्था अंतराल (Phase Difference) को वैषम्य अंतराल (Contrast Difference) में परिवर्तित कर देता है ।
(iii) कंडेसर (Condenser):
यह एक प्रकार का लैंस सिस्टम है जो प्रतिदर्श (Specimen) के नीचे तथा एन्यूलर डायाफ्राम के ऊपर उपस्थित होता है । इसका मुख्य कार्य प्रकाश किरणों को एकत्र एवं फोकस करना होता है ।
(iv) ऑब्जेक्ट (Object):
प्रतिदर्श को कंडेसर के ऊपर, मंच (Stage) पर रखा जाता है । कंडेसर द्वारा फोकस की जाने वाली प्रकाश तरंगें प्रतिदर्श को उदीप्त करती हैं । प्रतिदर्श के अवयवों की भिन्नित मोटाई के कारण सूक्ष्म प्रावस्था अंतराल (Phase Difference) उत्पन्न होता है ।
(v) ऑब्जेक्टिव (Objective):
यह एक लैंस सिस्टम है, जो ऑब्जेक्ट के ऊपर उपस्थित होता है । यह ऑब्जेक्ट की इमेज को आवर्धित करता है ।
(vi) एन्यूलर फेज प्लेट (Annular Phase Plate):
यह पारदर्शी डिस्क के समान रचना है, जिसमें इस आकर का उभार अथवा खांच उपस्थित होता है, जो बेक फोकल प्लान में निर्मित एन्यूलर डायफ्राम की प्रत्यक्ष इमेज के साथ संपातित (Coincide) होता है ।
प्लेट को हमेशा ऑब्लेक्ट के बेक फोकल प्लान में रखा जाता है । प्लेट के उभार तथा खांच इस प्रकार होते हैं कि प्रत्यक्ष किरण (Direct Rays) व डिफरेक्ट किरण (Direct Rays) के मध्य (1/4) का पथांतर उत्पन्न हो जाता है ।
(vii) आई पीस (Eye Piece):
यह भी एक लैंस सिस्टम होता है, जो ऑब्जर्वर की आंखों के निकट होता है । इसका मुख्य कार्य, ऑब्जेक्टिव लैंस द्वारा इमेज को और आवर्धित करना होता है ।
फेज कंट्रास्ट माइक्रोस्कोप में इमेज का निर्माण (Image Production by Phase Contrast Microscope):
प्रकाशीय स्रोत से आने वाली किरणें, एन्यूलर डायफ्राम पर पड़ती है । इस डायफ्राम से किरणें एक शंकु के रूप में गुजरती है । यह प्रकाश पुंज कंडेंसर द्वार एकत्रित कर लिया जाता है व कंडेंसर पर फोकस होता है । ऑब्जेक्ट के घटकों की मोटाई के कारण प्रकाश की किरण विवर्तित हो जाती है ।
कुछ प्रकाशीय किरणें ऑब्जेक्ट के अंदर से गुजरते हैं जिन्हें डायरेक्ट लाइट-किरण (Light-Rays) कहते हैं । डायरेक्ट एवं विवर्तित दोनों प्रकाशीय किरणें ऑब्जेक्टिव लैंस में प्रवेश करती हैं । ऑब्जेक्टिव द्वारा ऑब्जेक्ट की इमेज को आवर्धित किया जाता है ।
अब ये प्रकाश किरणें, एन्यूलर प्लेट से गुजरती है । एन्युलर प्लेट इस प्रकार बनी होती हैं कि इसमें डाइरेक्ट व विवर्तित प्रकाश किरणों के मध्य 1/4 का पथांतर उत्पन्न हो जाता है ।
इस 1/4 पथांतर के कारण, कलांतर में वद्धि होती है, जिससे और अधिक कंट्रास्ट उत्पन्न होता है । अंत में डायरेक्ट और विवर्तित प्रकाश किरणें दोनों आई लैंस (Eye Lens) में प्रवेश करती हैं जहाँ पर इमेज का अधिक आवर्धन होता है ।
इमेज के प्रकार (Types of Image):
फेल कंट्रास्ट माइक्रोस्कोप द्वारा दो प्रकार की इमेज होती है:
(i) ऋणात्मक या ब्राइट इमेज (Negative of Bright Image):
जब दोनों प्रकाश किरणें (Direct and Diffracted) एक ही कलांतर में मिलती हैं, तो ऑब्जेक्ट की इमेज चमकीली (Bright) होती है । यह इमेज उस समय उत्पन्न होती है, जब माध्यम का Rx ऑब्जेक्ट की तुलना में कम होता है ।
(ii) धनात्मक या डार्क इमेज (Positive or Dark Image):
जब दोनों प्रकाश किरणें विपरीत कलांतर में होती है तो डायरेक्ट व विवर्तित दोनों किरणें एक-दूसरे को निरस्त (Cancel) कर देती हैं । इस कारण ऑब्जेक्ट की डार्क इमेज उत्पन्न होती है । इस इमेज का निर्माण उस समय होता है, जब माध्यम का Rx ऑब्जेक्ट से ज्यादा होता है ।
फेज कंट्रास्ट माइक्रोस्कोप का उपयोग (Uses of Phase Contrast Microscope):
(i) जीवित कोशिकाओं एवं ऊतकों को प्रेक्षित करने में इसका उपयोग होता है ।
(ii) पात्र में संवर्धित कोशिकाओं के अध्ययन में ।
(iii) विभिन्न भौतिक एवं रासायनिक कारकों का कोशिका पर होने वाले प्रभावों में ।
(iv) फिक्सेशन तथा अभिरंजन के उत्पन्न कृत्रिम घटकों (Aircraft) के अध्ययन में ।
(v) टाइम लैप्स फोटोग्राफी द्वारा जैविक परिघटनाओं का अध्ययन । जैसे- कोशिका विभाजन में गुणसूत्रों की एनाफेज गतियाँ ।
(vi) जीवित एवं फिक्स की हुई कोशिकाओं के मध्य अंतर को स्पष्ट करने में ।