मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के अनुप्रयोग | Read this article in Hindi to learn about the top fifteen applications of monoclonal antibodies. The applications are: 1. सूक्ष्म जीव विज्ञान में (In Microbiology) 2. प्रतिरक्षी विज्ञान में (In Immunology) 3. कैंसर विज्ञान में (In Oncology) 4. आण्विक जीव विज्ञान में (In Molecular Biology) and a Few Others.
विभिन्न प्रकार की क्रियाओं के अध्ययन हेतु (Monoclonal Antibodies) एकक्लोनी प्रतिरक्षी का उपयोग किया जाता है । जैसे विषाणुओं (Virous) पर प्रतिजनिक निर्धारकों का चित्रण करने हेतु इनका प्रयोग किया जाता है ।
भिन्न-भिन्न श्रेणियों के प्रोटीन्स (Proteins) के अध्ययन एवं रोगों के उपचार व निदान में भी इनका भरपूर लाभ उठाया जाता है । अनेकों जटिल प्रकृति (Complex Nature) के प्रतिजनों (Antigens) की संरचना ज्ञात करने में भी ये महत्वपूर्ण सिद्ध हुई है ।
इनमें सामान्य कोशिकाओं (Cells) के ट्यूमर कोशिकाओं (Tumour Cells) में रूपान्तरण (Modification) एवं कोशिकीय विभेदीकरण (Cellular Differentiation) से उत्पन्न हुए प्रतिजनों (Antigen) की संरचना (Structure) ज्ञात करना प्रमुख है ।
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एक क्लोनी प्रतिरक्षी (Inonoclonal Antibodies) की विशिष्ट उपयोगिताएँ निम्नलिखित हैं:
(1) सूक्ष्म जीव विज्ञान में (In Microbiology),
(2) प्रतिरक्षी विज्ञान में (In Immunology),
(3) प्रतिरक्षी विज्ञान में (In Oncology),
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(4) आण्विक जीव विज्ञान में (In Molecular Biology),
(5) अंग प्रत्योपण में (In Organ Transplantation),
(6) चिकित्सा विज्ञान में (In Medicine),
(7) एड्स में (In AIDS),
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(8) मोनोक्लोनल तथा कोशिका की पहचान (Monoclonal Antibody and Cell Identification),
(9) मोनोक्लोनल एन्टीबॉडी तथा कोशिका झिल्ली की संरचना (Mab and Structure of Cell Membrane),
(10) मोनोक्लोनल प्रतिरक्षी तथा वेक्सीन उत्पादन (Mab and Vacline Production),
(11) मोनोक्लोनल तथा एन्जाइम (Mab and Enzyme),
(12) मोनोक्लोनल एन्टीबॉडी तथा एन्जाइम शुद्धीकरण (Mab and Enzyme Purification),
(13) मोनोक्लोनल एन्टीबॉडी तथा ग्राफ्ट निष्कासन (Mab and Graft Rejection),
(14) मोनोक्लोनल एन्टीबाडीज तथा निदान एवं उपचार (Mab and Diagnosis and Therapy),
(15) मोनोक्लोनल एन्टीबॉडीज तथा टेक्सोनोमी (Mab and Taxonomy) ।
Application # 1. सूक्ष्म जीव विज्ञान में (In Microbiology):
एक क्लोनी प्रतिरक्षियों (Monoclonal Antibodies) को बहुत से माइक्रो बियल (Microbes) या सूक्ष्म जीवों (Microbes) के एन्टीजन (Antigens) के विरुद्ध भी निर्मित किया गया है । ऐसे एक क्लोनी प्रतिरक्षियों (Antibodies) का उपयोग वाइरस (Virus) और बैक्टीरिया (Bacteria) की प्रोटीन (Protein) में प्रतिजन निर्धारकों (Antigenic Determinants) का मान चित्र (Map) बनाने में किया जाता है ।
ऐसे एकक्लोनी प्रतिरक्षियों (Monoclonal Antibodies) द्वारा विभिन्न सूक्ष्म जीवाणुओं (Microbes) को विभिन्न स्ट्रेन्स (Strains) व उपस्ट्रेन्स (Substrains) में विभेदित (Differentiate) किया जा सकता है ।
Application # 2. प्रतिरक्षी विज्ञान में (In Immunology):
प्रतिरक्षी विज्ञान (Immunology) के अन्तर्गत निम्न उपयोग हैं:
एक क्लोनी प्रतिरक्षी (Monoclonal Antibodies) की सहायता से प्रति रक्षियों (Antibodies) के उन वर्गों (Classes) व उपवर्गों (Subclasses) को लक्षित (Characterization) किया जा सकता है ।
जो कि सीरम (Serum) में निम्न सान्द्रता में मिलते हैं:
उदाहरणार्थ:
IgG, IgD.
Application # 3. कैंसर विज्ञान में (In Oncology):
एकक्लोनी प्रति रक्षियों (Monoclonal Antibodies) को अगर किसी विशेष रसायन (Chemical) अथवा रेडिया ऐक्टिव (Radio Active) सक्रिय तत्वों से लेबल (Labelled) कर दिया जाये । तो उन्हें दुर्दम कोशिकाओं (Malignant Cells) को नष्ट करने में भी उपयोग में लाया जा सकता है ।
एक क्लोनी प्रतिरक्षी (Monoclonal Antibody) की सहायता से एक सामान्य (Normal) कोशिका (Cells) का एक अर्बुद कोशिका (Tumour Cell) में बहुत ही बारीकी से विभेदन किया जा सकता है ।
Application # 4. आण्विक जीव विज्ञान में (In Molecular Biology):
चिकित्सा विज्ञान (Medical Science) में बहुत से महत्वपूर्ण जैव अणुओं जैसे- इन्सुलिन (Insulin), ह्यूमेन वृद्धि हार्मोन (Human Growth Hormone) के शुद्धिकरण (Purification) के लिए एकक्लोनी प्रतिरक्षी (Monoclonal Antibodies) प्रयुक्त किये जाते हैं ।
एक क्लोनी प्रतिरक्षियों (Monoclonal Antibodies) की उच्च विशिष्टता (High Specificity) के कारण ये फरमाकोकार्यिकी कारकों (Pharmaco-Physiological Agents) की संरचना (Structure) व कार्यों के अध्ययन के लिए प्रयुक्त किए जा सकते हैं ।
Application # 5. अंग प्रत्योपण में (In Organ Transplantation):
आज प्रतिरक्षी विज्ञान (Immunology) का एक स्वतंत्र शाखा (Free Branch) के रूप में अध्ययन किया जाता है । हाइब्रिडोमा (Hybridoma) तकनीक (Technique) व मोनोक्लोनल एन्टीबॉडीज (Antibodies) का प्रयोग सफलतापूर्वक किया जा रहा है । इसी संदर्भ में उत्तक प्रत्यारोपण (Tissue Transplantation) के समय इनके द्वारा ऊतक संयोजकता (Histocompatibility) का अध्ययन किया जाता है ।
(i) इसके द्वारा विभिन्न प्रकार के अज्ञात प्रतिजनों (Antigens) को परखा गया है ।
(ii) प्रत्येक प्रत्यारोपण (Transplantation) प्रतिजन (Antigens) के लिए एक क्लोनी प्रतिरक्षी (Monoclonal Antibody) उत्पन्न करने की क्षमता तीव्र होती है ।
(iii) अब HLA एन्टीजन्स (Antigens) के चित्रण हेतु प्रयास जारी है । आज के समय में अंग प्रत्यारोपण (Organ Transplantation) सामान्य सी प्रक्रिया बनती जा रही है । इसके सफल होने की दर कम बताई गयी है । परन्तु उपरोक्त तथ्यों की जानकारी इन कार्यों को विकसित तकनीकों के द्वारा कार्य करने में सहायक होती है ।
Application # 6. चिकित्सा विज्ञान में (In Medicine):
एकक्लोनी प्रतिरक्षियों (Monoclonal Antibodies) की चिकित्सा (Medicine Science) में विशेषकर रोगों के निदान में बहुत उपयोगिता है । इस प्रकार एकक्लोन प्रतिरक्षी (Monoclonal Antibodies) विभिन्न परिघटनाओं के अध्ययन (Study) के लिए एक शक्तिशाली वैश्लेषिक अभिकर्मक (Analytical Reagent) का रूप प्रदान करते हैं ।
जैसे:
(i) इनकी सहायता से वाइरस (Virus) व अन्य संक्रामक अभिकर्मकों पर प्रतिजीनिक निर्धारकों (Antigenic Determinants) का मान चित्र (Map) तैयार किया जा सकता है ।
(ii) इससे प्रोटीन (Protein) की नियुक्ति व अध्ययन किया जा सकता है ।
(iii) रोगों के निदान एवं महामारी विज्ञान (Epidemiology) के लिए उपयोग किया जा सकते हैं ।
(iv) ये उच्च स्तरीय बहुरूपी प्रत्यारोपण प्रतिजन (Highly Polymorphic Transplantation Antigen) व वे प्रतिजन (Antigen) जो कोशिका विभेदन (Cell Differentiation) या सामान्य कोशिकाओं के अर्बुद (Tumour) कोशिकाओं में रूपान्तरित होने के पश्चात उत्पन्न होते हैं ।
उनके मानचित्रण (Mapping) में भी ये बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध हुई है । एकक्लोनी मानव प्रतिरक्षी (Monoclonal Human Antibodies) विभिन्न संक्रामक रोगों से निष्क्रिय प्रतिरक्षीकरण (Immunization) की शक्ति रखते हैं ।
Application # 7. एड्स में (In AIDS):
इस तकनीक (Technique) का एड्स (AIDS) का टीका (Vaccine) निर्मित करने में उपयोग किया जा रहा है । यह हो सकता कि मोनोक्लोनल एन्टीबॉडीज (Monoclonal Antibodies) व हाइब्रिडोमा (Hybridoma) के उपयोग के द्वारा एड्स (AIDS) का स्थायी उपचार खोजा जा सके ।
(i) मोनोक्लोनल (Monoclonal) एन्टीबॉडीज (Antibodies) का उपयोग महत्वपूर्ण कोशिकाओं (Cells) जैसे- तंत्रिका कोशिकाओं (Neurons) को चिह्नित करने में किया जाता है ।
(ii) इनका उपयोग प्लाज्या कला (Plasma Membrane) एवं कोशिका कलाओं की संरचना ज्ञात करने में भी किया जाता है ।
(iii) एन्जाइम (Enzyme) आनुवांशिकी (Genetics) के क्षेत्र (Area) में मोनो क्लोनल एन्टीबॉडीज (Monoclonal Antibodies) का प्रयोग तीव्र गति से बढ़ रहा है । अब विज्ञान की एक नयी शाखा (Branch) प्रति रक्षा आनुवांशिकी (Immunogenetics) विकसित की जा रही है । जो इस क्षेत्र में व्यापक अध्ययन ही कर सकते हैं । एन्जाइमों (Enzymes) का शुद्धिकरण (Purification) एवं उच्च मात्रा में इनका उत्पादन इस विधि द्वारा किया जा सका है ।
Application # 8. मोनोक्लोनल तथा कोशिका की पहचान (Monoclonal Antibody and Cell Identification):
मोनो क्लोनल प्रतिरक्षी (Monoclonal Antibody) का उपयोग विशिष्ट कोशिकाओं (Special Cells) जैसे- तंत्रिका कोशिका (Nerve Cells) की पहचान में सहायक होता है ।
Application # 9. मोनो क्लोनल तथा कोशिका झिल्ली की संरचना (Monoclonal Antibody and Structure of Cell Membrane):
मोनोक्लोनल प्रति पक्षियों (Monoclonal Antibody) का उपयोग कोशिका झिल्ली (Cell Membrane) की संरचना (Structure) के निर्धारण में किया जाता है । इसका उपयोग मिलस्ट्रेन (Milstrain) तथा साथियों ने चूहे की कोशिकीय झिल्ली (Cell Membrane) में उपस्थित प्रतिजन (Antigen) के लिए विशिष्ट प्रतिरक्षियों (Antibodies) को पृथक (Seprate) किया ।
इन प्रतिरक्षियों (Antibodies) को किसी भी कोशिकीय झिल्ली (Cell Membrane) में उपस्थित प्रतिजन (Antigen) की पहचान करने में मानक अभिकर्मकों (Standard Reagent) के रूप में प्रयोग में किया जाता है ।
Application # 10. मोनोक्लोनल प्रतिरक्षी तथा वेक्सीन उत्पादन (Mono Clonal Antibody and Vaccine Production):
मोनो क्लोनल प्रतिरक्षियों (Monoclonal Antibodies) का उपयोग (Use) विभिन्न रोगों (Different Diseases) के प्रति प्रतिरोधिता विकसित करने हेतु किया जाता है । वर्तमान समय में विभिन्न प्रकार के वैक्सीन का निर्माण किया जा रहा है । ये प्रतिरक्षियाँ पात्र में (In Vitro) प्लाज्मोडियम (Plasmodium) के गुणन (Multiplication) को अवरूद्ध कर देती है ।
प्रति गैमिटोसाइट (Gametocytes) प्रतिरक्षी (Antibody) प्लाज्मोडियम (Plasmodium) के नर युग्मकों (Male Gametes) को निष्क्रिय (In Active) देती है । लाल रक्त कणिका (Red Blood Corpuscles R.B.C) में उपस्थित मीरीजॉइट (Merozoite) को नष्ट करने वाली प्रतिरक्षियों (Antibodies) का भी विकास कर लिया जाता है ।
Application # 11. मोनोक्लोनल प्रतिरक्षी तथा एन्जाइम (Monoclonal Antibody and Enzyme):
कुछ समय पहले प्रतिरक्षियों (Antibodies) को एन्जाइम (Enzyme) के रूप में प्रयोग में लाया गया । इन्हें एबजाइम (Abzymes) का नाम दिया गया है । प्रतिरक्षी (Antibody) सामान्यतः किसी प्रकार की रासायनिक क्रिया में भाग नहीं लेती है । परन्तु उपयुक्त हेप्टेन (Heptane) के साथ बंधित होती है ।
परन्तु यदि हेप्टेन (Heptane) में परिवर्तन के साथ बधित होती है । परन्तु यदि हेप्टेन (Heptane) में परिवर्तन कर दिया जाये तो प्रतिरक्षी विभिन्न रासायनिक क्रियाओं (Different Chemical Reaction) में एक एन्जाइम (Enzyme) का कार्य करती है ।
प्रतिरक्षी (Antibodies) का एबजाइम (Abzyme) में रूपान्तरण (Modification) तीन सिद्धान्तों पर आधारित है:
(i) क्रिया कारक के साथ संक्रमित अवस्था में बंधित होकर ।
(ii) प्रतिरक्षी (Antibodies) जो विशिष्ट (Special) छोटे अणु (Molecules) के साथ बंधित होती हैं । तथा एबजाइम (Abzymes) का निर्माण करती है । यह विशिष्ट अणु किसी प्रोटीन (Protein) वाहक के साथ संयोजित होकर भी एबजाइम (Abzyme) का कार्य करता है । इन एबजाइम का प्रयोग ।
(iii) एसील (Acel) स्थानांतरण क्रिया में ।
Application # 12. मोनो क्लोनल एन्टीबॉडीज तथा एन्जाइम शुद्धीकरण (Mono-Clonal Antibody and Enzyme Purification):
मोनो क्लोनल प्रतिरक्षियों (Monoclonal Antibody) का उपयोग एन्जाइम (Enzyme) के शुद्धिकरण (Purification) में किया जाता है । एक मोनो क्लोनल प्रतिरक्षी (Monoclonal (Enzyme)) को सक्रिय (Active) सायनोजन ब्रोमाइड (Cynogen Bromide) के साथ युग्मित किया जाता है ।
इस युग्मन से इम्यूनोएफिनिटी स्तम्भ (Immunoaffinity Column) का निर्माण होता है । इस स्तम्भ (Column) का उपयोग अत्यधिक परिकृत एन्जाइम के निर्माण हेतु किया जाता है ।
Application # 13. मोनोक्लोनल प्रतिरक्षी तथा ग्राफ्ट निष्कासन (Mob and Graft Refection):
मोनोक्लोनल प्रतिरक्षी (Monoclonal Antibody) के कारण लिम्फोसाइट (Lymphocyte) की क्रियाशीलता उदासीन (Neutral) हो जाती हे । इस ग्राफ्ट (Graft) का प्रतिरोपण नहीं हो पाता है व स्वायत: (Self) प्रतिरक्षियों (Antibodies) नष्ट हो जाती हैं ।
Application # 14. मोनो क्लोनल एन्टी बॉडीज तथा निदान एवं उपचार (Mab and Diagnosis and Therapy):
मोनोक्लोनल प्रतिरक्षियों (Monoclonal Antibodies) का उपयोग चिकित्सा (Medical) के क्षेत्र में भी किया जा रहा है । उदाहरण ABO रक्त समूहों (Blood Group) की पहचान के लिए पूर्व में मानव से प्राप्त सीरम (Serum) का उपयोग किया जाता था ।
ग्रेट ब्रिटेन वायू के में मानव सीरम (Human Serum) के स्थान पर हाइब्रीडोमा तकनीक (Hybridoma Technique) द्वारा प्राप्त मोनोक्लोनल प्रतिरक्षियों (Monoclonal Antibodies) का उपयोग किया जाता है ।
वर्तमान समय में मोनोक्लोनल प्रतिरक्षियों (Monoclonal Antibodies) वर्तमान समय में मोनो क्लोनल प्रतिरक्षियों (Monoclonal Antibodies) का उपयोग निदान, स्क्रीनिंग (Screening) तथा उपचार (Treatment) हेतु किया जा रहा है ।
इसी प्रकार गर्भावस्था (Pregnancy) का पता मूत्र (Urine) के साथ आने वाले हार्मोन (Harmone) के साथ मोनो क्लोनल प्रतिरक्षी (Monoclonal Antibodies) की क्रिया द्वारा लगाया जाता है । इसी प्रकार एड्स (AIDS) का परीक्षण (Yeast) भी ELISA नामक तकनीक के द्वारा किया जाता है ।
Application # 15. मोनो क्लोनल एन्टीबॉडीज तथा टेक्सोनोमी (Mab and Taxonomy):
संक्रामक (Affected) सूक्ष्मजीव (Microbes), प्रोटोजोअन (Protozoan) तथा मेटाजोअन (Metazoan) परजीवियों (Parasites) के वर्गीकरण (Classification) में भी मोनोक्लोनल प्रतिरक्षियों (Monoclonal Antibodies) का उपयोग किया जाता है ।
मोनोक्लोनल एन्टीबॉडीज (Monoclonal Antibodies) पर अनुसंधान (Research) दोनों सरकारी एवं गैर सरकारी महकमों में किए जाते रहे हैं । ताकि इनका उपयोग मानव समाज के कल्याण हेतु किया जा सके ।
कई बार इनके उपयोगों की अपेक्षा इनके अहितकारी प्रभाव समाज में जटिल समस्याएँ उत्पन्न कर रहे हों, परन्तु इनके उपयोग से सभी प्रकार की जटिलताओं पर विजय प्राप्त करने में वैज्ञानिक सक्षम है एवं किसी भी प्रकार के दुष्परिणाम से मानव समाज को बचाने हेतु ये कृत संकल्प प्रतीत होते हैं ।