रीकॉम्बिनेण्ट डी.एन.ए. तकनीक के तंत्र | Read this article in Hindi to learn about the mechanism of recombinant DNA technique.
(1) संयोगिक (Random) अथवा विशिष्ट DNA खण्ड (यूकैरियोटिक जिसकी प्रतिलिपियाँ तैयार करनी है) का प्रतिबन्धित एण्डोन्यूक्लियेज विकर की सहायता से विलग्न (Isolate) किया जाता है ।
इस विधि (Method) से किसी भी सम्पूर्ण जीनोम के छोटे DNA खण्डों जिनमें कुछ या एक जीन उपस्थित हों में विभक्त किया जाता है । आजकल वैज्ञानिकों (Scientist) द्वारा इसके अन्दर इच्छित खण्डों को भी संश्लेषण के द्वारा प्राप्त किया जाता है ।
इस विधि (Method) की खोज का श्रेय डॉ. हरगोविन्द खुराना, एम. नीरेनबर्ग एवं आर. होली को दिया जाता है, जिसके लिये इनको सन 1968 में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) से सम्मिलित किया गया है ।
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(2) इन विदलित DNA खण्डों को अन्य DNA अणु, जो एक वाहक की भांति कार्य करता है, से जोड़ दिया जाता है । इसे जोड़ने या सम्बन्धन के कार्य के लिये विकर लिग्नेज उत्तरदायी होता है ।
जीवाणुवीय प्लाज्यिड्स अथवा फेजेस को एक वाहक या वेक्टर के रूप में साधारणतः प्रयोग किया जाता है । यह वेक्टर (Vector) नये उत्पादित पुनर्योजित DNA अणु के परिचालन तथा अभिज्ञानता (Recognition) में सहायता करता है ।
वेक्टर (Vector) एक गाड़ी के रूप में कार्य करता है, जिसमें स्थानान्तरित होने वाले DNA अणु सवारी या पैसेन्जर की भाँति होता है । ये वेक्टर (अर्थात- प्लाज्मिड्स तथा फेजेस) स्व-द्विगुणन (Self-Duplication) की क्षमता रखते है ।
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इन पर स्थानान्तरित होने वाले DNA अर्थात् क्लोन (Clone) होने वाले DNA (cDNA) के गुणन का दायित्व भी रहता है, इसलिये इन्हें क्लोनिंग-वेक्टर (Cloning Vector) भी कहते हैं । जैसे कि पहले स्पष्ट किया जा चुका है, क्लोनिंग (Cloning) द्वारा एक DNA के खण्ड से असंख्य DNA की प्रतिलिपियां बनाई जा सकती हैं ।
क्लोन (Clone) या पुंज को इस प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं कि ये उन समान कोशिकाओं (Cells) अथवा अणुओं का समूह है, जो कि एक मूल पैत्रिक कोशिका (Cells) अथवा अणु से बनते हैं ।
(3) वाहक (जो पुनर्योजित DNA को वहन किये रहता है) अर्थात् वाहक एवं पुनर्योजित – DNA के संलग्न रूप को जीवाणु कोशिका (Cells) में प्रवेश कराते हैं । पहले E. Coli जीवाणु को उसके लिये प्रयोग करते थे, लेकिन आजकल Bacillus Subtilis और यीस्ट कोशिकाओं (Cells) का भी प्रयोग इसके लिये होता है ।
(4) जीवाणु कोशिका (Cells) में, पुनर्योजित-DNA अणु तथा जीवाणु या पोषक का अपना DNA, द्विगुणन करते हैं और cDNA की प्रतिलिपियों (Copies) उत्पादित करते हैं । इस प्रक्रिया को जीन क्लोनिंग (Gene Cloning) कहते हैं ।
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(5) क्लोन्ड या पुंजीकृत DNA (cDNA) जो जीवाणु संवर्धन में काफी मात्रा (Amount) में उत्पादित होते है, उनका विलगन (Isolation), शुद्धीकरण एवं विश्लेषण (Analysis) किया जाता है । ये सभी प्रक्रियाएँ (Process) काफी जटिल होती है ।
(6) क्लोन्ड DNA को विभव रूप से (Potentially) अनुलेखित किया जा सकता है और इससे प्राप्त mRNA को अनुवादित कर उसके उत्पादों को विलगित (Isolate) करके इनका अध्ययन किया जाता है ।