एकल सेल प्रोटीन (एससीपी): कदम और लाभ | Read this article in Hindi to learn about:- 1. एकल कोशी प्रोटीन का प्रारम्भ (Introduction to Single Cell Protein) 2. SCP का उपयोग एवं महत्व (Uses and Importance of SCP) 3. एकल कोशी के रूप में उपयोग होने वाले सूक्षजीव (Micro-Organisms used as SCP) 4. उत्पादन के चरण (Steps for Production) and Other Details. 

Contents:

  1. एकल कोशी प्रोटीन का प्रारम्भ (Introduction to SCP)
  2. SCP का उपयोग एवं महत्व (Uses and Importance of SCP)
  3. एकल कोशी के रूप में उपयोग होने वाले सूक्षजीव (Micro-Organisms used as SCP)
  4. SCP उत्पादन के चरण (Steps of SCP Production)
  5. पोषकीय एवं सुरक्षा परीक्षण (Nutritional and Safety Evaluation of SCP)
  6. SCP के लाभ (Advantages of SCP)

1. एकल कोशी प्रोटीन का प्रारम्भ (Introduction to SCP):

अफ्रीका की चड (Chad) झील तथा मेक्सिको की टेक्सकाको झील (Texcaco Lake) के किनारे बसे लोग इन झीलों में उगने वाली नील हरित शैवाल (Blue Green Algae) स्पाइरूलीना (Spirulina) को धूप में सुखाकर भोजन के रूप में प्राचीन कल से उपयोग करते रहे हैं ।

परन्तु एकल कोशी प्रोटीन (Single Cell Protein SCP) का व्यापारिक उत्पादन (Industrial Production) प्रथम विश्व युद्ध के दौरान किया गया जब जर्मनी में टोरूला खमीर (Torula Yeast) का उपयोग सूप (Soupe) एवं सासेजों (Sausages) में किया गया, SCP में रुचि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान तथा 1950 के दशक के मध्य यह अधिक बड़ी ।

ADVERTISEMENTS:

1967 में ब्रिटिश पेट्रोलियम (British Petroleum) नामक कंपनी ने SCP का व्यापारिक स्तर पर उत्पादन शुरू कर दिया था । SCP में रूचि का कारण मानव आहार में प्रोटीन (Protein) की कमी है । 1985 में यह कमी 1.2 करोड़ टन थी जबकि 2000 वर्ष तक इसके 2.2 करोड टन होने का अनुमान है । SCP प्रोटीन (Protein) की इस कमी को पूरा करने का एक आकर्षक तरीका है ।

क्योंकि:

(a) SCP को सीधे मानव आहार के रूप में उपयोग कर सकते है ।

(b) SCP को पशु आहार (Animal Food) में उपयोग करने पर आजकल पशु आहार में उपयोग किए जाने वाले प्रोटीन बहुत संपूरक जैसे सोयाबीन मील (Soyabean) मत्स्य मील (Fish Food) आदि मानव उपयोग के लिए उपलब्ध हो सकेंगे ।


2. SCP का उपयोग एवं महत्व (Uses and Importance of SCP):

ADVERTISEMENTS:

ऐसा माना जाता है कि सूक्ष्म जीवाणुओं (Micro-Organisms) की शुष्क कोशिकाएँ (Dried Cells), जैसे शैवाल (Algae), बैक्टीरिया (Bacteria) एक्टीनोमाइसाइटस (Actinomycetes), फफूँदी (Fungi) आदि का उपयोग आहार के रूप में अथवा माइक्रोबियल आहार प्रोटीन (Microbial Food Protection) के रूप में होता है ।

चूंकि प्राचीन काल से ही बहुत से सूक्ष्म जीवाणुओं (Micro-Organisms) का उपयोग आहार के अंश (Fermented Yeast) के रूप में हो रहा है तथा सैकेरो माइसिस (Sacchromyces) का उपयोग ब्रेड के एक कारक (Factors) के रूप में होता है ।

कई वर्षों पहले Egyptian और Greek वासियों के द्वार लैक्टिक एसिड (Lactic Acid) ब्रह्मा के बैक्टीरिया (Bacteria) से Fermented Milk और Cheese उत्पन्न किया गया था तथा माइक्रोबियल प्रोटीन (Microbial Protein) की अवधारणा के नई अवधारणा एक कोशीय प्रोटीन से SCP में बदल (Convert) दिया गया है ।

Microbial Protein के क्षेत्र अथवा विस्तार से संबंधित पहली अतंराष्ट्रीय काफ्रेंस (International Conference) में Single Cell अथवा एक कोशिका की प्रकृति की अवधारणा को सूक्ष्म जीवाणुओं (Organisms) के भोजन के संदर्भ में प्रस्तुत किया गया ।

ADVERTISEMENTS:

जिसमें निम्न विशेषताएँ की गयी:

(1) पीढी (Genera) का तीव्र अनुक्रम अर्थात् Algae के लिए 2 से 6 घंटे यीस्ट (Yeast) के लिए 1-3 घंटे और बैक्टीरिया (Bacteria) के लिए 0.52 घंटे ।

(2) आनुवांशिक रूप (Genetically) में सरलतापूर्वक सुधारात्मक परिवर्तन किये जा सकने वाला अर्थात एमिनो एसिड (Amino Acid) संरचना ।

(3) शुष्क (Dry Mass) में प्रोटीन (Protein) के प्रचुर घटकों 43% से 85% तक की उपस्थिति ।

(4) प्राकृतिक कच्चे माल (Natural Raw Material) का उत्पाद (Product) के रूप में उपयोग का वृहद क्षेत्र पाया जाता है जिसमें व्यर्थ पदार्थों को भी लिया जा सकता है । उदाहरण मशरूम (Mushroom) स्पायरूलीना (Spirulina) सूक्ष्म जीवाणुओं (Micro Organisms) के बहुत से समूह प्रोटीन (Protein) के स्त्रोतों के रूप में उपयोग में लाए जाते है ।

उदाहरण के लिए क्लोरिल (Chloryll), स्पायरूलीना (Spirulina), बैक्टीरिया (Bacteria) और एसिटोमाइसिस (Acetomyces) यीस्ट (Yeast) और मशरूम (Mushroom) की कई प्रजातियाँ (Species) ।

(5) न्यूक्लिक अम्ल अंश में कमी करना (Nucleic Loss of Acid):

Nucleic Acid विघटन होने पर यूरिक अम्ल (Uric Acid) ब्रह्मा बनता है । मनुष्यों में यूरिकेस (Uricase) एन्जाइम (Enzyme) क्रिया नहीं होती है जिससे भोजन में Nucleic Acid के अंश अधिक होने पर मानव शरीर में यूरिक एसिड (Uric Acid) इकट्ठा हो जाता है ।

इस यूरिक एसिड (Uric Acid) जमा होता है और Kidney क्षतिग्रस्त (Damage) हो सकते है । अतः मानव उपयोग के लिए SCP में Nucleic Acid के अंश घटाना अनिवार्य होता है । सूक्ष्मजीवों (Micro-Organisms) की तीव्र दर से विभाजित हो रही Cells में RNA प्रमुख Nucleic होता है ।

RNA की मात्रा निम्न विधियों से घटायी जा सकती है:

(i) कोशिकओं (Cells) में ही उपस्थित RNAase को सक्रिय (Active) करके । जैसे कुछ मिनटों के ताप उपचार (Temperature Treatment) द्वारा करते है । उदाहरण 64C पर 20 मिनट तक रखने पर फ्यूजेरियम ग्रैमिनिएरम (Fusarium Graminearum) में RNA का अंश 10% से घटकर 1% हो जाता है ।

(ii) क्षारीय जल अपघटन (Alkaline Hydrolysis) द्वारा

(iii) Nucleic Acids के रासायनिक निष्कर्षण (Chemical Extraction) द्वारा

(iv) Cells की वृद्धि (Growth) एवं शरीर क्रिया (Physiology) में उपयुक्त परिवर्तन द्वारा ।


3. एकल कोशी के रूप में उपयोग होने वाले सूक्षजीव (Micro-Organisms used as SCP):

SCP के रूप में शैवाल (Algae), तंतुमय फफूंद (Filamentous Fungi) खमीर (Yeast) एवं बैक्टीरिया (Bacteria) का उपयोग किया जाता है ।

इस उपयोग के लिए सूक्ष्मजीवों (Micro-Organisms) में निम्नलिखित गुण होने चाहिए:

(1) पौधों (Plants), जंतुओं (Animals) एवं मानव में तेग उत्पन्न न करना ।

(2) उत्तम पोषकों (Nutrient) का होना

(3) बडे पैमाने (Large Scale) पर सरल एवं सस्ता उत्पादन

(4) अविष मुक्त (Non-Toxic)

(5) तीव्र वृद्धि दर (High Growth Rate)

(6) पोष पदार्थ (Medium) में सरलता से विलगन, सुखाना आदि ।

(7) न्यूनतम Processing की आवश्यकता

(8) इनको पोष माध्यम से सरलता से अलग किया जा सके

(9) इनको सुखाने की प्रविधि आसान हो ।


4. SCP उत्पादन के चरण (Steps of SCP Production):

SCP उत्पादन (Production) में निम्न चरण आते है:

(1) कार्बन स्त्रोत (Carbon Source) की उपलब्धि सुनिश्चित करना । कार्बन स्त्रोत की समुचित उपलब्धि के लिए सब्स्ट्रेट का भौतिक या रासायनिक उपचार आवश्यक हो सकता है ।

(2) सूक्ष्मजीवों (Micro Organisms) की इष्टतम वृद्धि के लिए सब्स्ट्रेट (Substrate) में नाइट्रोजन (Nitrogen), फास्फोरस (Phosphorus) तथा अन्य आवश्यक पोषकों को मिलता है ।

(3) जर्महीन (Germ Less) एवं स्वच्छ दशा बनाए रखना जिससे अवांछित सूक्ष्म जीवों (Micro Organisms) द्वारा संदूषण न हो सके । पोष पदार्थ (Medium) एवं रिऐक्टर (Reacter) आदि को उपयुक्त उपचारों द्वारा जर्महीन (Germ Less) किया जाता है ।

(4) चुने गए सूक्ष्मजीव (Micro Organism) विभेद का सब्स्ट्रेट में संरोपण (Inoculation) किया जाता है ।

(5) सभी संक्रियाओं (Algae को छोड़कर) में समुचित वासन (Aeralion) आवश्यक होता है । इसके अलावा तापमान (Temperature) नियंत्रण (Control) विशेष रूप से शीतलन (Cooling) भी जरूरी होता है ।

(6) इसके बाद जीवभार (Biomass) को पोष पदार्थ से विलग किया जाता है ।

(7) जीव भार (Biomass) की उपयोगिता एवं भडारण क्षमता बढाने के लिए इसका Processing किया जाता है ।

सामान्यतः उत्पादन सतत् संक्रिया के रूप में किया जाता है जिससे Processing जीव भार (Biomass) की प्राप्ति हो सके ।

जीव भार (Biomass Recovery) प्राप्ति के निम्न तरीके हैं:

(1) बैक्टीरिया (Bacteria) के लिए ऊर्णन (Flocculation) एवं प्लवन (Flotation) के बाद अपकेन्द्रण (Centrifugation)

(2) खमीर (Yeast) के लिए अपकेन्द्रण (Centrifugation)

(3) तंतुमय सूक्ष्मजीवों (Filamentous Micro-Organism) के लिए छानना विलगन की प्रक्रिया में जितना संभव है उतना अधिक पानी निकाल दिया जाये, जिससे सुखाने के खर्च में कमी हो सके । धूप में सुखाना सस्ता पडता है लेकिन इससे SCP की गुणवत्ता में कमी आती है ।

जीवभार (Biomass) प्राप्ति के दौरान स्वच्छता बनाए रखना आवश्यक होता है । अवांछित सूक्ष्मजीवों (Microorganisation) को जीव भार पर उगने नहीं देना चाहिए । Processing आखिरी अवस्थाओं में ताप सेवंदी सूक्ष्मजीवों के हनन (Inactivation) के लिए Temperature Treatment दिया जाता है ।

इससे RNA अंश में भी कमी आती है । SCP की गुणवत्ता बढाने के लिए कोशिकाओं (Cells) की भित्तियों का भंजन (Breakage) जरूरी होता है । जीवभार (Biomass) को और भी Processing किया जा सकता है और अंत में इससे प्रोटीन (Protein) का विलगन भी किया जा सकता है ।

SCP उत्पादन संक्रिया के दौरान निम्न सावधानियां आवश्यक है:

(i) पर्यावरण (Environment) में बडे पैमाने पर मृत (Died) या जीवित (Living) सूक्ष्मजीवों को मुक्त न होने दिया जाये ।

(ii) यदि मुक्तशोष पोषक पदार्थ (Spent Medium) की जैव रासायनिक ऑक्सीजन (Biochemical Oxygen) आवश्यकता उच्च हो, तो या तो इसका पुन उपयोग करना चाहिए या उसके समुचित उपचार (Treatment) करने के बाद ही बहाना चाहिए ।


5. पोषकीय एवं सुरक्षा परीक्षण (Nutritional and Safety Evaluation of SCP):

पोषकीय एवं सुरक्षा परीक्षण के लिए निम्न बिंदुओं का ध्यान रखना चाहिए:

(1) SCP में उपस्थित प्रोटीन (Protein), प्रोटीन के विभिन्न एमीनो अम्ल न्यूक्लीक अम्लों (Nucleic), लिपिड (Lipid), विटामिनों (Vitamins) आदि की मात्राओं का निर्धारण करना चाहिए ।

(2) SCP के भौतिक गुणधर्णों (Physical Properties) जैसे कणआमाप (Particle Size), घनत्व (Density), गठन (Texture), रंग (Colour), भंडारण क्षमता (Storage Power) आदि का निर्धारण जरूरी है ।

(3) SCP में उपस्थित अविषालु (Nontoxic) पदार्थों जैसे माइकोटाक्सिन (Polycylic), बहुचक्रिक (Polycyclic) हाइड्रोकार्बनों (Hydrocarbons) धातुओं (Heavy Metal) आदि की मात्राओं का विशेष एवं विश्वसनीय विश्लेषण करना चाहिए ।

(4) SCP की पोषकता का परीक्षण उस स्पेसीज (Species) तथा अन्य स्पेसीजों (Other Species) पर भी करना चाहिए, जिसके द्वारा यह उपयोग किया

जाएगा । मानव उपयोग के लिए SCP का मूल्यांकन कई चरणों में एवं लंबी अवधि तक किया जाता है ।

(5) जिस सूक्ष्म जीव (Micro-Organisms) स्पेसीज (Species) व विभेद का उपयोग किया गया है । उसका तथा संदूषण यदि हुआ हो आदि का विवरण (Description) देना चाहिए ।

(6) संभावित अविषालु (Nontoxic) एश्व कैसर (Cancer) उत्पादक (Production) पदार्थों के लिए परीक्षण (Test) जरूरी होते हैं । ये पदार्थ सब्स्ट्रेट (Substrate) में उपस्थित हो सकते है । सूक्ष्मजीवों (Micro-Organism) द्वारा संश्लेषित किए जा सकते हैं अथवा SCP के Processing के दौरान उत्पन्न हो सकते है ।


6. SCP के लाभ (Advantages of SCP):

SCP के निम्नलिखित लाभ होते है:

(1) ये Protein बहुत एवं अल्प वसा (Fats) वाले होते है और इनके Protein भी अच्छी गुणवत्ता वाले होते है ।

(2) इन्हें पूरे साल उत्पादित कर सकते है और इनका उत्पादन जलवायु पर आश्रित नहीं होता ।

(3) सूक्ष्मजीवों (Micro-Organism) की उच्च वृद्धि दर के करण कम क्षेत्रफल से अधिक मात्रा में SCP प्राप्त होता है ।

(4) ये सस्ते सबस्ट्रेटों (Substrates) का उपयोग करते हैं । कुछ सब्स्ट्रेट तो विभिन्न उद्योगों के प्रदूषण कारी अपशिष्ट होते हैं इनका उत्पादन में उपयोग प्रदूषण नियंत्रण में सहायक होता है ।

(5) उच्च जीवभार (Biomass) उपज एवं अच्छी गुणवत्ता वाले प्रोटीन (Protein) युक्त सूक्ष्मजीवों (Micro-Organisms) का वरण (Selection) या आनुवंशिक इंजीनियरी (Genetic Engineering) द्वारा विकस अपेक्षाकृत सरल है ।

(6) कुछ SCP विटामिनों (Vitamins) के अच्छे स्त्रोत होते है । जैसे खमीर (Yeast) मशरूम (Mushroom) आदि B विटामिनों के अच्छे स्त्रोत होते है ।

(7) छत्रक एक सुस्वाद मानव आहार है ।

(8) वर्तमान में विश्व प्रोटीन (Protein) कमी में पूरा करने का SCP उत्पादन एक मात्र व्यावहारिक तरीका लगता है ।


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