ट्रांसजेनिक पौधे: मतलब और उपयोग | Read this article in Hindi to learn about:- 1. ट्रांस्जेनिक पादपों का परिचय (Introduction to Transgenic Plants) 2. ट्रांस्जेनिक पादपों का उत्पादन (Production of Transgenic Plants) 3. उपयोग (Uses).
ट्रांस्जेनिक पादपों का परिचय (Introduction to Transgenic Plants):
जिन पादपों में किसी जैव-प्रौद्योगिकीय विधि द्वारा क्रियात्मक विजातीय जीन प्रविष्ट कराया गया हो (जो किस साधारणतया उस पादप में उपस्थित नहीं होता), उन पादपों में ट्रांस्जेनिक पादप कहा जाता है ।
वैसे आर्थिक महत्व वाले लक्षणों के लिए जीन्स का वहन करने वाले बहुत से पादप या तो वाणिज्यिक खेती में लगे है अथवा खेल परीक्षणों के अधीन है । ट्रांस्जेनिक शब्द का उपयोग बाहरी जीन्स से युक्त जीवों के लिए किया जाता है । यह पौधे जो बाहरी जीन्स से युक्त होते है, ट्रांस्जेनिक पौधे कहलाते है ।
ट्रांस्जेनिक पादपों का उत्पादन (Production of Transgenic Plants):
जीन स्थानांतरण में अनेक विधियाँ प्रयुक्त है ।
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इनमें सम्मिलित हैं:
(i) वैद्युत-वेधन (इलैक्ट्रोपोरशेन),
(ii) पार्टिका बम्बाड्मेंट,
(iii) माइक्रोइन्जेक्शन,
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(iv) एग्रोबैक्टीरियलमेडियेटेड जीन स्थानांतरण,
(v) को-कल्टिवेशन (प्रोटोप्लास्ट ट्रांस्फॉर्मेशन) विधि,
(vi) लीफ डिस्क रूपांतरण विधि,
(vii) वायरस-मीडियेटेड रूपांतरण,
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(viii) पॉलेन-मीडियेटेड रूपांतरण,
(ix) लिपोसोम-मीडियेटेड रूपांतरण इत्यादि ।
ट्रांस्जेनिक पादपों के उत्पादन हेतु अपनायी जाने वाली साधारण विधि निम्नानुसार है:
(i) कृषि-अर्थशास्त्र के लिए महत्वपूर्ण जीन्स का स्थिति-निर्धारण, पहचान एवं विलगन ।
(ii) उपयुक्त पादप रूपांतरण वेक्टर का चयन ।
(iii) अलग किये गये जीन से वेक्टर से जोड़ना ।
(iv) विभिन्न वेक्टर स्थानांतरण युक्तियों का प्रयोग करते हुए पादप प्रोटोप्लास्ट्स, कोशिका अथवा ऊतकों में रूपांतरित वेक्टर का प्रवेश ।
(v) उपयुक्त कल्चर मीडियम पर आनुवंशिकत: रूपांतरित पादपों में रूपांतरित कोशिकाओं का कल्चर एवं विभेदन ।
(vi) जैवरसायनों की प्राप्ति के लिए आनुवंशिकत: अभियांत्रिक कोशिकाओं के कल्चर्स को असीमित काल तक अनुरक्षित रखना होता है ।
(vii) आण्विक युक्तियों की सहायता से ट्रांस्जेनिक पादप में विजातीय जीन्स के समाकलन व अभिव्यक्ति का निरूपण (प्रदर्शन) ।
(viii) ट्रांस्जेनिक पादप की खेती ।
ट्रांस्जेनिक पादपों के उपयोग (Uses of Transgenic Plants):
निम्न हेतु ट्रांस्जेनिक पादप उत्पादित किये जाते हैं:
(a) रोग-प्रतिरोध (वायरल, बैक्टीरियल व फंगल पेथोजॅन्स के विरुद्ध), पीड़त-प्रतिरोधी (निमेटोड्स, कीटों इत्यादि के विरूद्ध), शाकनाशियों व अन्य पीड़कनाशियों के प्रति साह्यत्व (सहनशीलता) ।
(b) भारी धातु, लवणीयता, उच्च या निम्न (शीत) तापक्रम व सूखा इत्यादि जैसी- प्रतिकूल पर्यावरणीय स्थितियों के प्रति साह्यत्व (सहनशीलता) ।
(c) पुष्प-वर्ण (फूल के रंग) का रूपांतरण ।
(d) पुष्पों, फलों एवं शाक-भाजियों की संग्रहण-अवधि बढ़ाना ।
(e) इन्स्युलिन, इंटरफेरॉन्स, हॉर्मोन्स, ब्लड-क्लोटिंग फैक्टर्स इत्यादि जैसे- भेषज दृष्टि से महत्वपूर्ण यौगिकों का उत्पादन ।
(f) केला व टमाटर जैसे सामान्यतः खाद्य पदार्थों में टीकों व प्रतिरक्षियों का उत्पादन ।
(g) बैक्टीरिया से धान्यो व अन्य फसलों में nif जीन्स का स्थानांतरण ।
उपयोगी लक्षणों वाली ट्रांस्जेनिक फसलों को उत्पन्न किया जा सकता है । उदाहरणार्थ बैसिलस थुरिन्जिएन्सिस से कीटनाशी प्रोटीन के लिए कोडिंग जीन को कपास के पौधे में स्थानांतरित किया जा चुका है । यह ट्रांस्जेनिक कपास पौधा आनुवंशिकत: रूपांतरित कपास Bt कहलाता है, जो कि ब्लेकवॉर्म से प्रतिरोधी है ।
ट्रांस्जेनिक GMO टमाटर को Flavr Savr कहा जाता है । इसकी शेल्फ लाइफ पकने की प्रक्रिया में विलंब के कारण पारंपरिक टमाटरों की अपेक्षा लंबी होती है । इसे कोशिका भित्ती को क्षय करने वाले एंजाइम ‘पॉलीगेलेक्ट्यूरोनेस’ जो फल के मुलायम होने के करण है कि मात्रा में कमी करके प्राप्त किया जाता है ।