रोगग्रस्त पौधों के लक्षण | Read this article in Hindi to learn about the three main symptoms of diseased plants.

पादपों में रोग जनकों (Pathogen) द्वारा उत्पन्न लक्षणों (Symptoms) को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है:

(1) ऊतक क्षयी (Necrotic),

(2) क्षीणता (Atrophic), and

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(3) अतिक्षीणता (Hyper Trophic) |

Symptom # 1. ऊतक क्षयी (Necrotic):

ऊतक क्षयी लक्षण (Necrotic Symptoms) में रोग जनकों (Pathogens) के आक्रमण के फलस्वरूप रोगग्रस्त ऊतकों (Infected Tissues) की मृत्यु (Death) हो जाती है ।

सबसे पहले हरे ऊतक (Green Tissues) की मृत्यु हो जाती है और इनका रंग बदलने लगता है, जो पीला या भूरा होता है और अंत में ग्रे (Grey) रंग का होकर अंत में ऊतकों (Tissues) की मृत्यु हो जाती है । पौधों के जब सम्पूर्ण अंग (Organs) नष्ट हो जाते हैं तो वे लीफ ब्लाइट (Leaf Blight), बडब्लाइट (Bud Blight) जैसे लक्षण (Characters) प्रदर्शित करते हैं ।

Symptom # 2. क्षीणता (Atrophic):

क्षीणता (Atrophic) के अन्तर्गत रोगग्रस्त (Infected) पादप अंग (Plant Organ) बहुत धीमी वृद्धि (Growth) प्रदर्शित करते हैं तथा कोशिका विभाजन (Cell Division) सामान्य नहीं होता है । यह लक्षण (Symptoms) हाइपोप्लाजिया (Hypoplasia) कहलाता है । इस श्रेणी के बौनेपन (Dwarfing) तथा वामनता (Nanism) लक्षण विशिष्ट प्रकार के होते हैं जो प्रतिकूल वातावरण के कारण उत्पन्न होते हैं ।

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विषाणुओं (Viruses), जीवाणुओं (Bacteria), कवकों (Fungi) अथवा खनिज तत्वों (Mineral Element) की कमी के कारण क्लोरोसिस (Chlorosis) के लक्षण उत्पन्न हो जाते हें । परजीवी (Parasite), सूक्ष्मजीवों (Microbes) तथा विषाणुओं (Viruses) के आक्रमण तथा पौधों में क्लोरोसिस (Chlorosis) तथा बौनेपन (Dwarfing) के लक्षण देखने को मिलते हैं ।

Symptom # 3. अति क्षीणता (Hypertrophic Symptoms):

इन लक्षणों (Symptoms) में सभी प्रकार की अतिवृद्धियों (Over Growth) के लक्षण देखने को मिलते हैं । रोग ग्रस्त कोशिकाओं (Pathogenic Cells) में अत्यधिक कोशिका विभाजन (Cell Division) होने से उनकी संख्या में असामान्य (Abnormal) वृद्धि हो जाती है जिससे हाइपर प्लासिया (Hyperplasia) लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं और जब रोग ग्रस्त कोशिकाएँ आकर (Size) में अत्यधिक वृद्धि प्रदर्शित करती है तो यह लक्षण हाइपरट्राफी (Hypertrophy) कहलाता है ।

इस प्रकार के लक्षण गाल्स (Galls), फेसीएशन्स (Fasciations) विचेज़ ब्रोम्स (Witches Brooms), हेयरी रूट (Hairy Root) लीफ कर्ल (Leaf Curl) लीफ ब्लिस्तर्स (Leaf Blisters) कहलाता है ।

(A) पादप में सामान्य लक्षण विषाणुओं द्वारा (General Symptoms of Disease Caused by Viruses),

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(B) पादप में सामान्य लक्षण जीवाणुओं द्वारा (General Symptoms of Disease Caused by Bacteria),

(A) पादप में सामान्य लक्षण विषाणुओं द्वारा (General Symptoms of Diseases Caused by Viruses):

पादपों में विषाणुओं (Virus) के द्वारा फैलने वाले रोगों के निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं ।

इन्हें दो भागों में बाटा गया है:

(I) बाह्य लक्षण (External Symptoms):

(1) पत्तियाँ (Leaves) आकार में छोटी (Small) रह जाती है ।

(2) पत्तियों (Leaves) हरी (Green) न रहकर चितकबरी दिखायी देने लगती है ।

(3) पत्तियाँ भुर-भुरी हो जाती है ।

(4) पत्तियों (Leaves) पर धब्बे (Spots), घेरे (Rings), हल्के, पीले, सफेद, अथवा भूरे काले रंग के उत्पन्न हो जाते हैं ।

(5) लीफ लेमिना (Leaf Lamina) नष्ट होने लगता है तथा मध्यशिरा (Midrib) एक टेण्ड्रील (Tendrill) की भाँति दिखाई देने लगती है ।

(6) पत्ती (Leaf) की सतह पर उभरी हुई संरचनाएँ दिखाई देने लगती है और यह लक्षण इनेशन (Enation) कहलाता है ।

(7) जड़ (Root), तना (Stem), पत्तियाँ (Leaf), पुष्प (Flowers) तथा फल (Fruits) चितकबरे हो जाते हैं अथवा रंगहीन (Colour Less) हो जाते हैं ।

(8) पत्तियाँ (Leaf) करलिंग (Leaf Curling) लक्षण प्रदर्शित करती है ।

(9) केलेक्स (Calayx) एवं करोला (Corolla) धब्बेदार हो जाते हैं जो देखने में सुन्दर लगते हैं ।

(10) फल समय से पूर्व पक (Ripe) कर मातृ पौधे से गिर जाते हैं ।

(II) आन्तरिक लक्षण (Internal Symptoms):

आन्तरिक लक्षणों में निम्न परिवर्तन होते हैं:

(1) पेलीसेड (Polycade) कोशिकाओं की लम्बाई कम हो जाती है ।

(2) प्रायः रोग ग्रस्त अंगों (Organs) की कोशिकाएँ (Cells) नष्ट हो जाती हैं ।

(3) कोशिकाओं (Cells) में कहीं कहीं “एक्सबॉडीज” (X-Bodies) दिखाई देने लगती है ।

(4) फ्लोयम (Phelom) में विभाजन (Division) होने लगता है और यह असमान्य संरचना प्रदर्शित करने लगता है ।

(5) रोग ग्रस्त पौधों में बहुत अधिक मात्रा में मंड (Starch) संचित होने लगता है ।

(6) सामान्य क्लोरोप्लास्ट (Chloroplast) की अपेक्षा क्लोरोप्लास्ट (Chloroplast) आकार में छोटा दानेदार (Granular) तथा अधिक गहरे रंग का दिखायी देने लगता है ।

(B) पादप में सामान्य लक्षण जीवाणुओं द्वारा (General Symptoms of Diseases Caused by Bacteria):

पादपों (Plants) में बैक्टीरिया (Bacteria) द्वारा अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं ।

जो निम्नलिखित लक्षण प्रदर्शित करते हैं जो जीवाणु (Bacteria) किस प्रकार प्रवेश करते हैं जो निम्नलिखित हैं:

(1) प्राकृतिक ओपनिंगस (Natural Openings) जैसे रंघ्र (Stomata) ।

(2) घाव (Wounds)- यह कीट (Insects), निमेटोडस (Nematodes) तथा अन्य सूक्ष्मजीवों (Micro Organism) द्वारा बनते हैं ।

(3) नॉन क्यूटी नाइज्ड क्षेत्र (Non-Cutinized) जैसे मूलरोग (Root Hairs) तथा वर्तिकाग्र (Stigma) आदि ।

फाइटोपेथोजेनिक जीवाणुओं (Phytopathogenic Bacteria) द्वारा विभिन्न प्रकार के रोग लक्षण दिखाई देते हैं ।

जैसे Leaf Spot, Canker, Fascination, Dwarfing, Distortion, Discolouration, Rotting, Gall Formation Wilting आदि प्रमुख प्रकार के रोग के लक्षण अग्र प्रकार के होते हैं:

a. सॉफ्ट रॉटस (Soft Rots):

इस प्रकार के लक्षण प्रायः पादप के मांसल भागों में दिखाई देते हैं ।

b. ट्‌यूमर्स एवं गाल्स (Tumers and Galls):

अनेक जीवाणु (Bacteria) पोषक (Host) ऊतकों (Tissues) में पहुँचकर हायपरट्रोफी (Hyper Trophy) व हायपर प्लासिया (Hyper Plasia) जैसे लक्षण प्रदर्शित करते हैं ।

जैसे Agrobacterium Tume Faciens जीवाणु (Bacteria) द्वारा Crown Gall रोग आदि रोगी ऊतकों Tissues के विभाजन (Division) से हायपरट्रोफी (Hyper Trophy) तथा ऊतकों के आकार में बढ़ने से हायपर प्लासिया (Hyper Plasia) जैसे लक्षण बनते हैं ।

c. स्थानीय विक्षत (Local Lesions):

रोगजनक (Pathogens) जीवाणु (Bacteria) पोषक (Host) ऊतकों (Tissues) में रन्ध्रों (Stomata) आदि द्वारा प्रवेश करके पोषक (Host) के पेरिन्काइमेटस् ऊतकों (Parenchymatous Tissues) में पहुंच जाते हैं जो ऊतक क्षयी विक्षत (Necrotic Lesions) जैसे लक्षण प्रदर्शित करते हैं ।

d. संवहन रोग (Vascular Diseases):

कुछ पौधे के संवहन ऊतकों (Vascular Tissues) में प्रवेश करके रोग उत्पन्न करते हैं । जैसे कुकुरबिट्स (Cucurbits) का Bacterial Wilt, Brown Rot of Potato, Ring Rot of Potato, Bacterial Wilt of Tomato आदि ।

e. स्क्रेब्स एवं केन्कर्स (Scrabes and Cankers):

जीवाणुओं (Bacteria) के एपीडर्मल (Epidermal) संक्रमण (Infections) के स्क्रेब रोग होता है जैसे Powdery Scab of Potatoes आदि केंकर अधिक गहराई तक जीवाणुओं (Bacteria) के पहुंचने से बनते हैं । जो केम्बियम स्तर तक पहुंचकर काष्ठ (Wood) का विनाश करने लगते हैं जैसे नींबू तथा आम का केन्क्रर आदि ।

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