टमाटर के रोग (नियंत्रण के साथ) | Read this article in Hindi to learn about the five major diseases found in tomato along with its control measures. The diseases are:- 1. टमाटर का रिंग स्पॉट वायरस (Tomato Ring Spot Virus (T.R.V.)) 2. टमाटर का लीक कर्ल (Leaf Curl of Tomato) 3. टमाटर का बेक्टीरियम केंकर (Bacterial Canker of Tomato) and a Few Others.

Disease # 1. टमाटर का रिंग स्पॉट वायरस (Tomato Ring Spot Virus (T.R.V.)):

रोग जनक अथवा रोग कारक (Pathogen or Cause Organism):

टमाटर (Tomato) का रिंग स्पॉट वायरस (Ring Spot Virus Nepovirus) कहलाता है । जिसकी सिरोलोजी (Serology) टोबेको (Tobacco Ring Virus) से भिन्न होती है । इस विषाणु (Virus) का संचरण (Transmission) एक निमेटोड जिफीनेमा अमेरीकानम (Xiphinema Americanum) द्वारा होता है ।

रोग के लक्षण (Disease Symptoms):

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टमाटर (Tomato) के पौधे की शीर्ष वृद्धि के कुछ ऊतक (Tissues) जिनके नए प्ररोह (Shoot) निकलते हैं । संक्रमण द्वारा कुंचित (Curl) होकर मृत हो जाते हैं । शिशु पत्तियों के आधारी भागों (Basal Portions) का रंग भूरा (Brown) हो जाता है तथा उन पर मृत रिंग्स (Dead Rings) एवं कोटर लाइन्स (Sinuous Lines) बन जाती हैं ।

रोग ग्रस्त पत्तियों के वृन्त (Petiole) पर जो पेलोल्स (Pelloles) बनते है वे ऊतक क्षयी रेखाएँ (Necrotic Streaks) तथा रिंग्स (Rings) का निर्माण करते है । शिशु फलों पर संक्रमण (Infections) के लक्षण दिखायी देते हैं ।

प्रथम लक्षण में टमाटर (Tomato) का रंग धुंधला (Faint) हो जाता है जो घूसर (Grey) अथवा भूरे (Brown) का ऊपरी सतह पर कॉर्क जैसा दिखायी देता है और उसमें सकेंद्री घेर (Concentric Rings) बन जाते हैं ।

रोग नियन्त्रण (Disease Control):

ADVERTISEMENTS:

1. रोगी खरपतवारों को खेती में निकल कर जला देना चाहिए ।

2. निमेटोड्‌स (Nematodes) को नष्ट करने के लिए मृदा (Soil) का फ्यूमीगेशन करना चाहिए ।

3. वायरस (Virus) रहित पौधों का ट्रांसप्लांट (Transplant) करना चाहिए ।

4. फसल पर कॉपर (Copper) या ताम्रयुक्त (Fungicides) के अतिरिक्त उन सभी Fungicides का छिड़काव करना चाहिए जो टमाटर की Disease को नियंत्रण के लिए प्रयोग में लाते हैं ।

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5. बीज बोने से दिन पहले नर्सरी की मृदा (Soil) का उपचार (Treatment) क्विंटो जीन से करना चाहिए ।

Disease # 2. टमाटर का लीक कर्ल (Leaf Curl of Tomato):

रोग के लक्षण (Disease Symptoms):

रोग ग्रस्त पौधे बौने (Dwarf) रह जाते हैं । पत्तियों (Leaves) की डॉर्सिल सतह (Dorsal Surface) की ओर प्रकुंचन (Puckering) एंठते हुए (Twisting) तथा कुंचन (Curling) लक्षण दिखायी देते है ।

वेन क्लियरिंग (Vein Clearing) कर्बुरण (Mottling) पौधे का बहुत अधिक शाखित (Branched) होना तथा सम्पूर्ण पौधे का छोटा (Short) हो जाना, इस रोग के प्रमुख लक्षण है । जननांग (Reproductive Organs) पूर्णतया बन्धय (Sterile) हो जाते हैं ।

रोग नियन्त्रण (Disease Control):

(i) टमाटर (Tomato) की लाइको पर सिकोन पेरूवियानम (Lycopersicon Perurvianum) जैसी प्रतिरोधी किस्म को लगाना चाहिए ।

(ii) टमाटर (Tomato) के पौधों पर प्रत्येक दस दिन के बाद 0.02% एकाटोक्स (Ekatox) तथा रोगर (Rogar) के घोल 0.05% का छिड़काव करते रहना चाहिए ।

(iii) फसल पर 3 से 4% कैपटफॉल (Captafal) का छिड़काव करना चाहिए वो भी 14 दिन के अन्तर से ।

Disease # 3. टमाटर का बेक्टीरियम केंकर (Bacterial Canker of Tomato):

रोग के लक्षण (Disease Symptoms):

टमाटर (Tomato) के पौधे पहले अस्थायी (Temporary) और फिर स्थायी (Permanent) ग्लानि (Wilting) के लक्षण पत्रकों (Leaflets) में देखने को मिलते है । दूसरे लक्षण तना तथा पर्णवृन्त (Petiole) के जंक्शन (Junction) पर हल्के रंग की वर्ण रेखाएँ (Light Streaks) दिखायी देती है ।

जैसे ही यह वर्ण रेखा (Streak) गहरे रंग (Dark Colour) की होने लगती है । एपीडर्मल ऊतक रिफ्ट (Epidermal Tissue Rift) हो जाता है और लम्बवत् (Longitudinal) केंकर जैसी (Canker Like) खुली जगह (Opening) तना (Stem) वृन्त एवं मध्य शिरा पर दिखायी देने लगती है ।

पादपों (Plants) की वृद्धि (Growth) रुक जाती है । पत्तियाँ (Leaves) यूनीलेट्रली (Unilaterally) प्रभावित होती है । रेकिस (Rachis) के एक ओर के पत्रक (Leaflets) मुरझा (Wilted) जाते हैं ।

जबकि दूसरी पत्तियाँ स्वस्थ बनी रहती है । जब रोग ग्रस्त (Diseased) पौधे को लम्बाई में काटा जाता है तो एक क्रीमी सफेद (Creami White), पीली (Yellow), अथवा भूरी (Brown) लाइन (Phloem) के साथ दिखायी देती है ।

पुराने रोग ग्रस्त ऊतकों (Diseased Tissues) में गुहाएँ (Cavities) बन जाती है जो पिथ (Pith), कॉर्टेक्स (Cortex) अथवा बाहरी सतह तक जाती है । फलों में चितकबरे (Discoloured) संवहन तंत्र (Vascular System) ट्रेस (Trace) किया जा सकता है ।

जहाँ पर यह भूरे रंग (Brown Colour) का होकर बाहरी सतह (Outer Surface) पर फैलता (Ramify) रहता है । जो भूरे फफोले (Brown Blister) जैसा बाहरी विक्षत (Lesions) बनाता है ।

उपरोक्त रोग के लक्षण सर्वांगी (Systematic) संक्रमण (Infections) प्रदर्शित करते हैं । द्वितीयक (Secondary) लक्षण केंकर लीजन्स या विक्षत (Canker Lesions) के रूप में फैलते है । पत्तियों (Leave), बीजपत्रों एवं तनों (Stems) में रन्धों (Stomata) द्वारा संक्रमण (Invasion) होता है जिससे हल्के रंग के धब्बे बन जाते है ।

हरे फलों (Green Fruits) पर द्वितीयक संक्रमण (Secondary Infection) द्वारा जल में डूबे धब्बे (Water Soaked Spots) बनते हैं जो शीघ्र ही सफेद प्रभा मंडल (White Halo) द्वारा चारों ओर से घिर जाते हैं । प्रभा मण्डल (Halo) को छोड़कर यह धब्बे (Spot) 3 mm व्यास के होते हैं ।

ब्रायन (Bryan) के अनुसार यह प्रभामण्डल (Halo) केंकर धब्बे (Cancer Spot) तथा जीवाणु धब्बों (Fruit Lesions) को चारों ओर से घेरे रहते हैं । जीवाणु रोग में पुराने विक्षत (Older Lesions) में प्रभामण्डल (Halo) लुप्त हो जाते हैं ।

Disease # 4. टमाटर का पूर्व अंगमारी (Early Blight of Tomato):

वितरण (Distribution):

टमाटर (Tomato) का यह रोग सम्पूर्ण भारत वर्ष में पाया जाता है । रोग जनक (Pathogen) पत्तियों पर आक्रमण करता है जिससे पत्तियों पर विशेष प्रकार के धब्बे (Spots) तथा अंगमारी (Blights) बन जाते हैं ।

रोग के लक्षण (Disease Symptoms):

रोग (Diseased) की प्रारम्भिक अवस्था में टमाटर (Tomato) के पौधे के पत्रकों (Leaflets) पर धब्बे (Spots) दिखायी देते हैं । यह एक प्रमुख लक्षण “Target Board Effect” प्रदर्शित करता है । जिसमें धब्बे (Spots), गहरे भूरे (Dark Brown) से काले (Black) तक हो जाते हैं तथा चमड़े के समान (Leathery) दिखाई देते हैं ।

ऊतक क्षयी ऊतक (Necrotic Tissue) में पुराने धब्बों (Spots) में घेरे (Rings) बनाती हुयी हल्के रंग (Light Colour) के संकेद्री उभार (Oncentric Ridges) दिखायी देते है जिन्हें लक्षपट्ट (Target Board) कहा जाता है ।

पत्रकों पर धब्बे (Spots) अंडाकार (Oval Shape) 3 या 5mm व्यास (Radius) वाले होते हैं । धब्बों के चारों ओर संकरे हरिमाहीनता क्षेत्र (Chlorotic Zone) जो हल्के होकर हरे (Green) रंग के हो जाते हैं ।

यह धब्बे (Spots) असीमित हो जाते हैं । ऊतक क्षयी ऊतक (Necrotic Tissue) के अतिरिक्त और भी लक्षण पाए जाते हैं । इस प्रकार धब्बों की बहुत अधिक संख्या हो जाने पर पत्रक (Leaf Lets) पर कुप्रभाव पड़ता है और वे मृत (Dead) हो जाते हैं ।

टमाटर (Tomato) के पौधे की सबसे निचले भाग की पत्तियाँ (Lowest Leaves) सबसे पहले प्रभावित होती है और फिर रोग क्रमशः धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ता है । टमाटर (Tomato) की रोग ग्रस्त पत्तियाँ गिर (Drop Off) हो जाती है ।

टमाटर (Tomato) के तनों (Stems) पर धब्बे (Spots) बनने लगते हैं जो बहुत हानि पहुंचाते हैं । रोग के प्रकोप से तनों पर Necrotic Lesions बन जाते हैं । जो तने पर कहीं भी लक्षपट्ट प्रभाव (Target Board Effect) प्रदर्शित करते हैं ।

जब इस प्रकार के लक्षण तना (Stem) तथा बराबर वाली शाखा (Side Branch) के जंक्शन (Junction) पर बनते हैं तो शाखा कमजोर होकर फल के वजन से ही टूट कर गिर जाती है ।

तना विक्षत (Stem Lesion) को ही टमाटर (Tomato) का कॉलर रॉट (Collar Rot) कहते हैं जो बीजांकुर अवस्था (Seedling Stage) से ही प्रारम्भ होता है । मृदा (Soil) की सतह बनी विक्षत लाइन (Lesion Line) ऊपर तथा नीचे की ओर उठती है तथा तने के चारों ओर गॉर्डल (Girdle) बनाती है ।

जिससे टमाटर का पौधा, टमाटर के फल हरे (Green) या पकी (Ripe) अवस्था में संक्रमित (Infected) हो जाते हैं । संक्रमण प्रायः तने के सिरे (Stem End) अथवा तने के कटने वाले स्थानों से या घावों द्वारा होता है ।

रोग के लक्षण भूरे (Brown) अथवा काले (Black) विक्षत (Lesion) के रूप में दिखाई देते हैं जिनका निर्माण धब्बों (Spots) से शुरू होता है और वृद्धि करके पूरे टमाटर के फल को ढ़क लेते हैं । रोग ग्रस्त ऊतक (Injected Tissues), चमड़े (Leather) जैसे दिखाई देते हैं जिनकी सतह पर (Spores) का काला मखमली (Velvety) माँस बन जाता है ।

रोग नियन्त्रण (Disease Control):

1. टमाटर (Tomato) की प्रतिरोधी किस्मों को बोना चाहिए ।

2. बोर्डो मिश्रण (Mixture) का छिड़काव समय-समय पर करना चाहिए ।

3. नर्सरी की क्यारी का मृदा (Soil) उपचार ऐल्डिकार्ब या टेमिक का छिड़काव करना चाहिए ।

4. बीजों को बोने से पहले 25 मिनट के लिए 50°C तापमान पर उष्ण जल उपचार करना चाहिए ।

5. प्रति जैविक वैलिडोमाइसिन (0.02%) का छिड़काव करना चाहिए ।

Disease # 5. टमाटर का उत्तरभावी अंगमारी रोग (Late Blight of Tomato):

टमाटर (Tomato) का उत्तरभावी अंगमारी (Late Blight of Tomato) रोग बहुत विनाशकारी (Destructive) होता है । Solanance Family की अन्य पादप जातियों (Plant Species) में भी यह रोग पाया जाता है ।

फाइटोक्थोरा इन्फेसटेन्स (Phytophthera Infestens):

टमाटर (Tomato) की फसल के उगते हुए पौधों पर रोगजनक (Pathogen) कभी भी आक्रमण करके पत्तियों (Leaves) तथा तनों (Stem) को नष्ट कर देता है । खेत में ही रोग जनक टमाटर (Tomato) के फलों पर भी आक्रमण करता है ।

इसी कारण से भण्डारण (Storage) अथवा बाजार में आने वाले टमाटरों (Tomato) में गलन (Rot) रोग होने लगता है । कभी-कभी खेतों में रोग जनक (Pathogen) को उपयुक्त तापमान (Temperature) एवं नमी (Moisture) मिलने पर आक्रमण इतना भयंकर होता है कि सम्पूर्ण फसल नष्ट हो जाती है ।

रोग के लक्षण (Disease Symptoms):

(1) सर्वप्रथम टमाटर के पौधों की निचली पत्तियों के सिरों (Tips) तथा तटों (Edges) पर गोलाकार (Circular) अथवा अनियमित आकार (Irregular Shape) के जल में डूबे (Water Soaked) धब्बे (Spots) बनते हैं ।

(2) वायुमण्डल (Atmosphere) में अधिक नमी उपस्थित होने पर धब्बे (Spots) तेजी के साथ वृद्धि करते हैं और भूरे (Brown) रंग के अंगमारी (Blighted) असीमित वार्डट वाले क्षेत्र बनाते हैं ।

(3) पत्तियों की निचली सतह पर विक्षत (Lesions) के बार्डर (Border) पर सफेद (White) डाउनी (Down) कवक (Fungi) वृद्धि दिखायी देती है ।

(4) शीघ्र ही पत्तियों के सभी पत्रक (Leaf Lets) रोग से संक्रमित (Infeated) हो जाते है और अन्त में उनकी मृत्यु हो जाती है ।

(5) टमाटरों के फलों पर रोग जनक (Pathogen) के आक्रमण के कारण गलन (Rot) हो जाती है ।

(6) वातावरण के लगातार नम (Wet) बने रहने पर पौधों के तने अगमारी लक्षण (Late Blight) प्रदर्शित करते हैं तथा उनमें गलन (Rot) होने के कारण दुर्गन्ध आने लगती है ।

रोग नियन्त्रण (Disease Control):

(1) टमाटर (Tomato) के रोग प्रतिरोधी किस्मों को उगाना चाहिए ।

(2) पौधों पर उचित समय पर (Fungicides) का छिड़काव करते रहना चाहिए ।

(3) बोर्डो मिश्रण के छिड़काव से रोग Control हो जाता है ।

(4) अन्य रासायनिक पदार्थों (Chemicals) जैसे Mancozeb, Metaloxyl, Captafol आदि का छिड़काव भी हितकर होता है ।

(5) यदि उपलब्ध हो तो केवल रोग प्रतिरोधी कृषि जोप जातियों को ही उगाना चाहिए ।

(6) बीजों को मेटालैक्सिल (35%) से उपचारित करके बोना चाहिए ।

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