कैंपर गोलियाँ कैसे बनाएं? | Are you planning to manufacture camphor tablets? Read this article in Hindi to learn about how to manufacture and produce camphor tablets.
कपूर की गोली/टिकिया का उपयोग मुख्यता पूजा अर्चना हेतु किया जाता है । प्रत्येक धर्म के लोगों द्वारा धार्मिक अनुष्ठानों के समय कपूर की टिकिया/गोली प्रयुक्त की जाती है । जिसके कारण इसकी काफी मांग रहती है ।
प्रायः कपूर की गोली/टिकिया 1 से.मी. से 2 से.मी. तक के चौरस आकारों में मिलती है । पूर्व में कपूर का उत्पादन औषधीय पौधों के सत्व से किया जाता था । तथा इससे कई प्रकार की आयुर्वेदिक दवाइयां भी बनाई जाती थी परन्तु कालांतर में यह उत्पाद संश्लेषित (सिन्थेटिक) तत्वों से बनाया जाने लगा ।
वर्तमान में भी विभिन्न रासायनिक यौगिकों सम्मिश्रणों से कपूर के पाउडर का उत्पादन किया जाता है । पूजा अर्जना हेतु प्रयुक्त होने वाली टिकिया इसी पाउडर से बनाई जाती हैं । यद्यपि मध्य प्रदेश बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि प्रदेशों में कपूर की गोलियां/टिकिया की काफी खपत है ।
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परंतु उनके निर्माण से संबंधित इकाइयां वहां स्थापित नहीं हो पाई है । इसका प्रमुख कारण था इस इकाई हेतु प्रयुक्त कच्चा माल (कपूर का पाउडर) न उपलब्ध होना जिसके अभाव में अत्यंत सरल इकाई होने के बावजूद भी कपूर की टिकिया के निर्माण की इकाइयों मध्य-प्रदेश तथा आसपास के प्रदेशों में स्थापित नहीं हो पाई ।
यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि हाल में ही मध्य-प्रदेश में रॉबीन कैम्फर एण्ड आर्गेनिक्स प्रा. लि. भोपाल के नाम से कपूर पाउडर के निर्माण के क्षेत्र में एक मध्यमस्तरीय इकाई स्थापित हुई है जो कि न केवल प्रदेश के उद्यमियों को सुलभ दरों पर कपूर का पाउडर देने हेतु तैयार है ।
बल्कि फ्रेचाइज आधार पर उनके उत्पाद ”कपूर की गोली” का विपणन करने हेतु तैयार है । प्रदेश के उद्यमियों के लिए यह एक स्वर्णिम अवसर है क्योंकि एक तो यह इकाई काफी कम पूंजी निवेश से स्थापित की जा सकती है । दूसरे इसमें ज्यादा पूजी निवेश की भी आवश्यकता नहीं है ।
तीसरे कच्चे माल की भी समस्या नहीं है तथा चौथे इसके विपणन के लिए व्यापक बाजार उपलब्ध है । अतः मध्य-प्रदेश तथा इसके आसपास के प्रदेशों में कपूर की गोली के निर्माण की इकाइयां सफलतापूर्वक चल सकती है ।
कपूर की गोली की उत्पादन प्रक्रिया (Production of Camphor Tablets):
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गोली बनाने की निर्माण प्रक्रिया में सर्वप्रथम कपूर पाउडर को काफी कम मात्रा में पानी के साथ मिलाकर टेबलेटिंग मशीन में डाला जाता है, जहां पर लगी डाई के अनुरूप तैयार होकर गोली बाहर निकलती है । प्रायः ये गोलियां चौरस आकार की होती है । इसके उपरांत इन गोलियां को रैपिंग आकार की होती है । इसके उपरांत इन गोलियों की रैपिंग मशीन से अथवा हाथ से रैप कर दिया जाता है । तथा पैकेट बनाकर विपणन हेतु प्रस्तुत कर दिया जाता है ।
कपूर की गोली का उत्पादन लक्ष्य तथा अनुमानित प्राप्तियां (प्रतिवर्ष) (Production Target for Manufacturing Camphor Tablets and Estimated Receipts (Per Year)):
प्रस्तुत इकाई में प्रतिवर्ष 1800 कि.ग्रा. कपूर की गोलियों के उत्पादन का लक्ष्य है जिन्हें 500 रू. प्रति कि.ग्रा. की दर से विक्रय करने पर वर्ष में 900000 रू. की प्राप्तियां होने का अनुमान है ।
कपूर की गोली की इकाई के वित्तीय पहलू (Financial Aspects of the Camphor Tablets Manufacturing Entity):
1. कार्यस्थल की आवश्यकता (Workplace Requirement):
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इस इकाई की स्थापना हेतु 500 वर्गफीट के कार्यस्थल की आवश्यकता होगी जिसका प्रतिमाह 2000 रू. किराया देय होगा ।
2. मशीनरी तथा उपकरणों की आवश्यकता (Machinery and Equipment Requirement):
इकाई के संचालन हेतु लगने वाले प्रमुख मशीनरी तथा उपकरण निम्नानुसार होंगे:
नोट:
इस इकाई में टेबलेट्स की पैकिंग मशीन का उपयोग भी किया जा सकता है । परंतु प्रस्तुत इकाई में पैकिंग का कार्य हाथ से किया जाना प्रस्तावित है ।
3. विविध स्थाई सम्पतियों की लागत (Cost of Various Fixed Assets):
इकाई में लगने वाली विविध स्थाई सम्पतियां जैसे वर्किंग टेबल्स, कुर्सियां, फर्नीचर, अलमारी आदि की व्यवस्था हेतु 5000 रू का प्रावधान इस इकाई में किया गया है ।
4. कच्चे माल की आवश्यकता (Raw Material Requirement):
इस इकाई में लगने वाला प्रमुख कच्चा माल कपूर का पाउडर है जिस पर निम्नानुसार लागत आने का अनुमान है:
5. वेतन-पारिश्रमिक पर व्यय (प्रतिमाह) (Expenditure on Wage-Wages (Per Month)):
इकाई के संचालन हेतु आवश्यक कर्मचारी तथा श्रमिक तथा देय वेतन/पारिश्रमिक का विवरण निम्नानुसार है:
6. उपयोगिताओं पर व्यय (प्रतिमाह) (Expenditure on Utilities (Per Month)):
इस इकाई में लगने वाली प्रमुख उपयोगिता विद्युत की है । मशीनरी के संचालन, लाइटिंग आदि की व्यवस्था पर प्रस्तुत इकाई में प्रतिमाह 2000 रू. की लागत आने का अनुमान है ।
12. इकाई की लाभप्रदता:
क. वार्षिक लाभ = कुल प्राप्तियाँ – उत्पादन
= 900000 – 738376 = 161624
ख. मासिक लाभ = 13468