मोमबत्तियाँ कैसे बनाएं? | Are you planning to manufacture candles? Read this article in Hindi to learn about how to manufacture and produce candles.

यदि आप किसी ऐसे घरेलू उद्योग को शुरू करना चाहते हैं जिसमें आप अपना कुछ ही समय देना चाहते हैं, साथ ही यह भी चाहते हैं कि परिवार के दूसरे लोग भी इसे कर सके तो आप मोमबत्ती उद्योग को शुरू कर सकते हैं । चूंकि मोमबत्तियां बारहों महीने बिकती हैं इसलिए यह उद्योग बारहमासी चल सकता है ।

मोमबत्ती का निर्माण के लिए अवश्यक्त कच्चा माल (Raw Materials Required for Manufacturing Candles):

मोमबत्ती के दो प्रमुख हिस्से होते हैं- जलने वाला पदार्थ और बत्ती ।

i. जलने वाला पदार्थ (Burner):

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जलने वाला पदार्थ ऐसा होना चाहिए जो धुआं या बदबू किए बगैर जलता रहे, गर्मी के मौसम में मुलायम न हो और सूत की बत्ती को डुबोने पर आसानी से बत्ती पर चढ़ जाए ।

पैराफीन मोम में उत्कृष्ट जलने वाला पदार्थ के सभी गुण मौजूद होते हैं । इसलिए इसका उपयोग करना बेहतर रहता है । इसके लिए ऐसे पैराफीन वैक्स का इस्तेमाल किया जाना चाहिए जिसका द्रवांक 120 से 140 डिग्री फारेनहाइट के बीच हो । कच्चे पेट्रोल को रिफाइन करने से पैराफीन वैक्स प्राप्त होता है । यह मोम सिल्लियों के रूप में जूट के बोरी में पैक होकर आता है ।

ii. सूत की बत्ती (Yarn):

सूत की बत्ती जलने वाले पदार्थ यानी मोम को उचित मात्रा में लगातार मोमबत्ती की ली तक पहुंचाती रहती है । हालांकि शुरू में सूत की सारी बत्तियों का प्रयोग किया जाता था ।

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लेकिन यह बत्तियां कम प्रकाश देती थीं । इसका कारण यह था कि इन बत्तियों को बटकर बनाया जाता था । इसीलिए अब गुथी हुई बत्तियों का प्रयोग किया जाता है । इस बत्ती का इस्तेमाल करने से मोमबत्ती की ली एक सी रहती है और धुआं भी कम निकलता है ।

iii. मोम को रंगने के रंग (Wax Coloring Colors):

रंग-बिरंगी मोमबत्तियां बनाने के लिए तेल में मिलनेवाले रंगों का इस्तेमाल किया जाता है । यह रंग पाउडर के रूप में होते हैं । मोमबत्ती के पिघल जाने पर- इनमें थोड़ा सा रंग मिलाकर हिला देने से सारा मोम रंगीन हो जाता है । सिर्फ चौथाई ग्राम रंग पाँच किलो मोम को रंगीन कर देता है ।

साधारण मोमबत्तियों का उत्पादन (Production of Candles):

लघु उद्योग के रूप में काम शुरू करने की स्थिति में मोमबत्ती बनाने का काम एल्यूमिनियम के सांचों से शुरू किया जा सकता है । थोड़ा अधिक पैसा होने की स्थिति में मोमबत्ती बनाने की मशीन खरीदी जा सकती है ।

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यहां यह उल्लेखनीय है कि एल्यूमिनियम के सांचे काफी मजबूत होते हैं और अनेक वर्षों तक काम आते रहते हैं । मोमबत्ती बनाने की मशीनों के आगमन के साथ इस क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हो गया है । इनसे बनने वाली मोमबत्तियां चिकनी, चमकदार और एकदम साफ होती हैं ।

मोमबत्ती उत्पादन की विधि (Modes of Candle Production):

i. एल्यूमिनियम के सांचों द्वारा (By the Molds of Aluminum):

आमतौर पर साँचे में तीन पलड़े होते हैं जो क्लैंप की सहायता से आपस में मिले रहते हैं । इन पलड़ा में आधी-आधी गहराई में मोमबत्ती बनी रहती हैं । मोबिल ऑयल या किसी दूसरे तेल में भिगोकर कपड़े के टुकड़े को इन तीनों पलड़ों में चुपड दिया जाता है ।

तेल चुपड़ देने के बाद मोमबत्तियां आसानी से साँचों से बाहर निकल आती हैं । सांचे के बीच के पल्लड के ऊपर लगी लोहे की पत्ती में छोटे-छोटे खांचे कटे रहते हैं । इस पल्लड में नीचे की ओर जहां मोमबत्ती की नोक समाप्त होती है, वहां भी एक हल्का सा खांचा बना रहता है ।

पल्लड के ऊपर की पत्ती के सिरे पर सूत की बत्ती की गांठ बांध देते हैं । फिर इस बत्ती को पल्लड के निचले भागवाले खांचे तक लाया जाता है । इसी बत्ती को पल्लड के निचले भागवाले खांचे तक लाया जाता है ।

इसी बत्ती को पल्लड के नीचे दूसरी ओर के खांचे में से निकालते हुए पत्ती के खांचे के बीच में ले आते हैं । इस प्रकार बत्ती को पूरते जाते हैं । पूरे पल्लड पर बत्ती पूरने के बाद शेष दोनों पल्लड इस रखकर क्लैंप को कस दिया जाता है ।

इसके पश्चात् पिघले हुए मोम को सांचों में भर देते हैं । पिघले हुए मोम को किसी टिन के डिब्बे से डालना चाहिए । पूरी तरह भरने के लिए चाय की केतली का भी इस्तेमाल किया जा सकता है । इसके बाद सांचे को तुरंत पानी से भरे टब में रख दिया जाता है ताकि मोम जल्दी से जम जाए ।

टब में पानी इतना भरना चाहिए ताकि यह सांचे के भीतर न जा सके । चार-पाँच मिनट के बाद मोम ठंडा होकर नीचे बैठने लगता है जिसके चलते मोमबत्ती के बीच में एक गहरा गड्‌ढा बन जाता है । इस गड्‌ढे को भरने के लिए सांचे में थोड़ा सा मोम और भर दिया जाता है ।

अगर ऐसा न किया जाए तो मोमबत्ती खोखली रह जाएगी । मोम को पूरी तरह ठंडा होने में लगभग 15 मिनट लगते हैं इसके बाद सांचे को पानी से निकालकर सूत की बत्ती को काट लिया जाता है और सांचों को खोलकर मोमबत्तियों बाहर निकाल ली जाती हैं ।

ii. मशीनों द्वारा (By Machines):

मशीन का इस्तेमाल करने से पहले लोहे के तार पर साफ कपड़ा डालकर पाइपों को अच्छी तरह साफ कर दिया जाता है । इन पाइपों में सूत की बत्ती डालने के लिए मशीन के हैं डल को इतना घुमाया जाता है कि पिस्टन का ऊपरी हिस्सा पाइपों के सिरे तक आ जाता है ।

इस स्थिति में पतला सा तार दोहरा मोडकर इसे पिस्टन के सिरे के छेद में डालकर इतना नीचे निकाल दिया जाता है कि यह पिस्टन के निचले भाग से बाहर निकल जाता है । बत्ती का सिरा इस दोहरे मुड़े तार में फसाकर तार को ऊपर खींच लिया जाता है । बत्ती इसके साथ-साथ खींच जाती है ।

बत्ती के सिरे पर एक मोटी गाठ बाँधकर इसे फिलिंग ट्रे से भी ऊपर तक निकाल लिया जाता है । अब मशीन की फिलिंग ट्रे में इतना मोम भरा जाता है कि यह ट्रे में आधा इंच ऊंचाई तक भरा रहता है । फालतू मोम रखने से ठंडा होने के समय मामे नीचे बैठने की स्थिति में यह अतिरिक्त मोम उस स्थान में भर जाता है जिससे मोमबत्ती खोखला नहीं रह जाती ।

फिलिंग ट्रे में मोम भरने के बाद ठंडा करनेवाले चैंबर में तुरत ठंडा पानी भर देते है । जब मोम जलता दिखाई दे तो फिलिंग ट्रे के साथ इस तरह खुरचा जाता है कि बाहर की ओर निकली बत्ती भी छुरी से कट जाती है । मशीन का हैंडल घुमाने पर पिस्टन ऊपर उठते हैं और मोमबत्तियों को ढकेलने पर मोमबत्तियों खुले कैच में पहुँच जाती हैं ।

कैचबोर्ड का हैंडल खींचन पर कैच बंद होकर मोमबत्तियों को पकड़ लेते हैं । मशीन का हैंडल को उल्टा घुमाने पर फिलिंग ट्रे में दोबारा मोम भर देते हैं । इस समय पहली खेप की मोमबत्तियों कैचबोर्ड में लटकती रहती हैं । इसमें पकड़ी हुई मोमबत्तियों के मुंह के सामने मौजूद बत्ती के अलावा फालतू बत्ती को कैंची से काट दिया जाता है ।

फिलिंग ट्रे को पहले की तरह साफ कर दिया जाता है । हैंडिल द्वारा मोमबत्तियों को ऊपर उठाया जाता है । मोमबत्तियों को कैचबोर्ड द्वारा पकड़ लिया जाता है और इस प्रकार एक के बाद एक मोमबत्तियों की खेप तैयार होती रहती है ।

मच्छर भगानेवाली मोमबत्तियां (Mosquito Candles):

मच्छर भगाने वाली मोमबत्तियों के निर्माण के लिए निम्न घटकों की जरूरत होती है:

 

मोम तथा स्टीयरिक एसिड को कड़ाही में पिघलाने के बाद पहले से पिघलाकर रखे गए मोम में अच्छी तरह से मिला दिया जाता है । शेष प्रलियाएं पूर्व में बताई गई विधि के अनुसार पूरी की जाती है । इस मोमबत्ती के जलने के स्थान के आसपास मच्छर-मक्खी नहीं आते ।

कलात्मक मोमबत्तियां (Artistic Candles):

 

यदि आप किसी बड़े शहर के आसपास रहते है तो कलात्मक मोमबत्तियां बनाकर आप निश्चित तौर पर आमदनी कर सकते हैं । दीपावाली या क्रिसमस जैसे त्योहारों पर इनकी विशेष मांग होती है ।

इसके अलावा अनेक लोग इन्हें अपने ड्राइंग रूम में सजाकर रखने का शौक रखते हैं । सादी मोमबत्तियों की तुलना में यह मोमबत्तियां चार से दस गुना अधिक दाम पर बिकती हैं ।

चूंकि इन मोमबत्तियों को एल्यूमिनियम के सांचों में बनाया जाता है इसलिए इनको बनाने में विशेष कुशलता की आवश्यकता नहीं होती । इन मोमबत्तियों के सांचों के दो भाग होते है ।

इन दोनों भागों में हल्का सा तेल चुपड़कर इसके एक भाग में मौजूद हुक में सूत की बत्ती डालकर दोनों हिस्सों को आपस में मिलाकर क्लैंप की सहायता से सांचा बद कर दिया जाता है । इस सांचे में पिघला हुआ मोम मुंह तक भर दिया जाता है ।

दो-चार मिनट में मोम जमकर नाच बैठ जाता है । इस स्थिति में थोड़ा और मोम डालकर सांचे को पानी में ठंडा होने के लिए रख दिया जाता है । पूरी तरह मोम के जम जाने पर बत्ती काटकर साँचा खोल दिया जाता है और मोमबत्ती निकाल ली जाती है ।