अचार कैसे निर्माण करें | Are you planning to manufacture pickles? Read this article in Hindi to learn about how to manufacture and produce pickles.

आचार भारतीय भोजन का एक प्रमुख अवयव है । घरों, होटलों, ढाबों, शादी, पार्टियों आदि समस्त स्थानों पर परोसे जाने वाले भोजन में आचार का उपयोग आवश्यक रूप से किया जाता है । आचार का उपयोग न केवल भोजन का स्वाद बढ़ाने हेतु किया जाता हैं बल्कि यह एक अच्छा भूख उत्प्रेरक भी है ।

प्राचीन काल से ही हमारे देश में लगभग प्रत्येक घर में पारंपरिक तरीकों से घरेलू उपयोग हेतु आचार का उत्पादन किया जाता है । जैसे नीबूं का आचार, आम का आचार, मशरूम का आचार, लहसून का आचार, मिर्ची का आचार आदि । ये आचार विभिन्न स्वादों तथा फ्लेवर्स में बनाए जाते हैं ।

यद्यपि प्राचीन काल से ही हमारे देश में लगभग प्रत्येक घर में घरेलू खपत हेतु पारंपरिक तरीकों से आचार का उत्पादन किया जाता है । परंतु वर्तमान समय में इसकी खपत इतनी बढ़ गयी है । तथा इसके उत्पादन के तरीकों/स्वादों आदि में इतनी विविधताएं आ गयी है कि घरेलू साधनों से वाणिज्यिक स्तर के आचारों का उत्पाद कर पाना संभव नहीं रहा है ।

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इसलिए इस क्षेत्र में अनेक पूर्णतया विकसित उद्योग स्थापित हुए है । शासन द्वारा फूड/फ्रूट प्रोसैसिंग उद्योगों को ”थ्रस्ट सेक्टर उद्योग” की श्रेणी में घोषित कर देने तथा कच्चे माल की पर्याप्त उपलब्धता के कारण इस प्रकार के उद्योगों में विशेष रूचि रहती है ।

इस प्रकार वर्तमान में इस उत्पाद की अत्याधिक खपत कच्चे माल की उपलब्धता, फल/खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को शासन द्वारा बढ़ावा दिये जाने की शासन की नीति और यह इकाई घर में ही स्थापित की जा सकने जैसी इस उत्पाद से आ विभिन्न विशिष्टताओं को देखते हुए, यदि उच्च गुणवता पूर्ण, तथा यह इकाई घर में ही स्थापित की जा सकने जैसी, इस उत्पाद से विभिन्न विशिष्टाताओं को देखते हुए यदि उच्च गुणवत्ता पूर्ण, तथा शुद्ध एवं स्वास्थ्य जनक स्थितियों में इस उत्पाद को निर्माण किया जाए तो इस प्रकार की सफलता की पर्याप्त संभावनाएं हो सकती है ।

खुले बाजार में इस उत्पाद की बिक्री होने के साथ-साथ विभिन्न होटलों, रेस्टॉरेन्टों में तथा कैन्टीनों आदि में इस उत्पाद हेतु पर्याप्त बाजार मिल सकता हैं । इसके साथ-साथ उद्यमी यदि इस उत्पाद हेतु ”फूड प्रोडक्टस ऑरगंइजेशन” (एफ. पी. ओ) के तहत पंजीयन करवा ले लाईसेंस प्राप्त कर ले तो शासकीय विभागों से भी इस उत्पाद हेतु क्रयादेश प्राप्त किए जा सकते हैं ।

आचार निर्माण की प्रक्रिया (Process of Pickle Production):

यद्यपि शायद ही कोई ऐसा भारतीय घर में जहां घरेलू स्तर पर परम्परागत विधियों द्वारा कम मात्रा में घरेलू उपयोग हेतु आचार का निर्माण नहीं किया जाता हो, परंतु व्यवसायिक स्तर का उत्पादन करने के लिए यह आवश्यक है कि साफ-सफाई तथा सही विधि का उपयोग किया जाए, विशेषतः इसीलिए क्योंकि यह उपभोक्ताओं द्वारा काफी समय तक के लिए प्रयोग में लाया जाता है ।

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प्रस्तुत इकाई में प्रस्तावित उत्पाद नीबूं के आचार की निर्माण प्रक्रिया में सर्वप्रथम अच्छे ताजे और रसीले नीबूंओं को अच्छी तरह साफ किया जाता है और धोया जाता है । तदुपरांत इन्हे समान आकारों में काटा जाता है । इन कटे हुए नीबूंओं में फार्मूले अनुसार नमक डालकर तथा हल्दी लगाकर 2-3 दिन तक इस अवस्था में रखने के उपरांत इस मिश्रण में शक्कर तथा मसाले मिलाकर इसे गर्म किया जाता है । ठंडा होने पर इस उत्पाद को 4-6 दिन तक मर्तबानों में रखा जाता है । तथा 4-6 दिन तक मर्तबानों में रखने के बाद इस उत्पाद को बोतलों अथवा पोलीथीन बैग्स में पैक करके विपणन हेतु प्रस्तुत कर दिया जाता है ।

प्रस्तुत इकाई में आचार का उत्पादन का लक्ष्य (The Aim of Pickle Production):

यद्यपि बाजार में मांग के अनुसार अनेकों प्रकार के फल तथा सब्जियों के आचार बनाए जा सकते है परंतु प्राय: दो प्रकार के आचार जो बाजार में अत्यधिक मांग में रहते है । वे है आम तथा नींबू का आचार ।

यद्यपि प्रस्तुत इकाई में भी अनेकों प्रकार का आचार बनाया जा सकेगा । परंतु गणना की सुविधा के लिए इस इकाई में केवल नींबू के आचार से संबंधित विवरण ही प्रस्तुत किए गए हैं ।

इस इकाई में प्रतिमाह 2000 कि.ग्रा. अर्थात वर्ष में कुल 24000 किग्रा. नींबू के आचार के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है जिसकी औसतन 29 रूपये प्रति कि.ग्रा. की दर से बिक्री (विक्रेता को दिए जाने वाली कमीशन तथा वितरण होने व्यय के उपरांत) से कुल 696000 रूपये की वार्षिक प्राप्तियां होगी ।

इकाई के वित्तीय पहलू (Financial Aspects of the Pickle Producing Entity):

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1. भवन/कार्यस्थल की आवश्यकता (Building/Workplace Requirement):

इस इकाई की स्थापना के लिए लगभग 800 वर्गफीट के कार्यस्थल/शेड की आवश्यकता होगी, जो कि प्रतिमाह लगभग 2000 रूपये के किराये पर उपलब्ध हो सकेगा ।

2. मशीनरी-उपकरणों की लागत (Cost of Machinery Equipment):

इस इकाई में उत्पाद कार्य हेतु निम्नलिखित मशीनें/उपकरण आवश्यक होगें,

जिन पर आने वाली अनुमानित लागत निम्नानुसार होगी:

 

3. कच्चे माल की लागत (प्रतिमाह) (Cost of Raw Materials (Per Month)):

इस इकाई में लगने वाला प्रमुख कच्चा माल तथा उस पर प्रतिमाह होंने वाले

अनुमानित व्यय का विवरण निम्नानुसार है:

4. उपयोगिताओं पर व्यय (प्रतिमाह) (Expenditure on Utilities (Per Month)):

इस इकाई में उत्पादन कार्य में काम करने वाली विभिन्न उपयोगिताओं पर प्रतिमाह निम्नानुसार व्यय होना अनुमानित है:

 

5. कर्मचारियों/श्रमिकों को देय वेतन/पारिश्रमिक (प्रतिमाह) (Salary/Remuneration Payable to Employees/Workers (Per Month)):

इकाई के संचालन हेतु आवश्यक कर्मचारियों/श्रमिकों की संख्या तथा प्रतिमाह देय वेतन/पारिश्रमिक का विवरण निम्नानुसार है:

6. विविध खर्चे (प्रतिमाह) (Miscellaneous Expenses (Per Month)):

इकाई के संचालन से संबंधित विविध खर्चो जैसे मरम्मत तथा रखरखाव, बीमा, व्यय, वितरण तथा विज्ञापन, स्टेशनरी तथा डाक व्यय, ट्रासपोर्टेशन/यात्रा व्यय आदि पर प्रतिमाह लगभग 2000 का व्यय होना भी अनुमानित है ।

11. विक्रय से कुल प्राप्तियां:

इकाई में उत्पादित होने वाले 24000 कि.ग्रा. आचार की 35 रु. प्रति कि.ग्रा. (विक्रेता को दिये जाने वाले कमीशन तथा वितरण पर होने वाले व्यय के उपरांत) की दर से बिक्री से वर्ष में कुल 840000 रु. की प्राप्तियाँ होगी ।

12. इकाई की लाभप्रदता:

लाभ प्रतिवर्ष = रु. 109547

लाभ प्रतिमाह = रु. 9128