होजरी आइटम कैसे बनाएं? | Are you planning to manufacture hosiery items? Read this article in Hindi to learn about how to manufacture and produce hosiery items for men.

पुरुषों के अंर्तवस्त्रों में बनियान तथा जांघिया (Vests) ऐसे वस्त्र है जो कि लगभग प्रत्येक उम्र के पुरुष द्वारा प्रयोग में लाए जाते है । प्रायः इन उत्पादों की आयु तीन से छ: माह तक होती है तथा इस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति को वर्ष में कम से कम तीन जोड़ी बनियान तथा अंडरवीयर्स की आवश्यकता होती है । भारत की वर्तमान जनसंख्या तथा उसमें हो रही लगातार बढ़ोतरी को देखते हुए इन उत्पादों की खपत का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है ।

यद्यपि इन उत्पादों के निर्माण में कुल प्रतिष्ठित तथा बड़ी-बड़ी कंपनियां कार्य कर रही है । परन्तु उनके द्वारा तैयार किए गए उत्पाद भी काफी महंगे होते है क्योंकि विज्ञापन आदि पर अत्यधिक खर्च करने के कारण उनके ”ओवर हड्स” भी काफी अधिक है ।

फलतः निम्न तथा निम्न-मध्यम आर्थिक स्तर के व्यक्तियों की पहुँच से ये उत्पाद काफी बाहर है । ऐसे में यदि स्थानीय स्तर पर इन उत्पादों का निर्माण किया जाए तथा गुणवत्ता का ध्यान रखा जाए तो इस इकाई की सफलता की प्रचुर संभावनायें हो सकती है ।

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जहां तक बनियान तथा अंडरवीयर्स की क्वालिटी (गुणवत्ता) का प्रश्न है तो मुख्यता इस संदर्भ में जिन बिन्दुओं पर क्वालिटी का परीक्षण किया जाता है, वे है:

(1) कपड़े का रंग (यह फीका नहीं पड़ना चाहिए)

(2) इलास्टिक (इलास्टिक ढीली नहीं पड़नी चाहिए)

(3) कपड़े-फैब्रिक की गुणवत्ता (कपड़े में से रोऐं आदि नहीं निकलने चाहिए)

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(4) सिलाई (सिलाई/इंटरलॉकिंग मजबूत होनी चाहिए ताकि सिलाई उघड़े नहीं) इस संदर्भ में ध्यान दिया जाए तो सर्वाधिक महत्वपूर्ण है कच्चे माल का चयन । यदि उद्यमी अच्छी तरह परख कर तथा परीक्षण करके उच्च गुणवता का कपड़ा/फैब्रिक तथा इलास्टिक खरीदता है तो ये समस्याएं उत्पन्न ही नहीं होगी ।

वर्तमान में लुधियाना, दिल्ली, तिरपुर, भीलवाड़ा आदि शहरों में अनेकों उत्पादक है जो बनियान तथा अंडरवीयर्स के लिए कपड़े का उत्पादन कर रहे है । तथा जिनमें उद्यमी अपनी गुणत्ता की कसौटी पर खरा उतरने वाला फैब्रिक खरीद सकता है । इसी प्रकार सिलाई/ओवर लॉकिंग करते/करवाते वक्त अच्छी तरह ध्यान देकर सिलाई करवाएं तो ये समस्यों भी उत्पन्न नहीं होगी ।

इस प्रकार इन परिधानों के निर्माण में थोडी सी सावधानी बरती जाये तो काफी कम पूजी निवेश में यह लाभकारी उद्योग स्थापित किया जा सकता है । तथा इस उद्योग को जितना आगे तक चाहे उद्यमी ले जा सकता है ।

हौजियरी वस्तुओं की उत्पादन लक्ष्य (Production Target for Hosiery Items):

हौजियरी की वस्तुओं के उत्पादन में दो प्रकार के कार्य हो सकते है । पहले हौजियरी क्लाथ (कपड़ा) बनाया जाये तथा फिर उससे बनियान/अंडरवीयर तैयार किए जाये । क्योंकि हौजियरी कपड़ा स्वयं बनाने पर काफी अधिक खर्चा होगा अतः प्रस्तुत इकाई में हौजियरी कपड़ा बाजार से खरीद कर तथा साइज के अनुसार सिलकर इससे बनियान तथा अंडरवीयन बनाए जाना प्रस्तावित है ।

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इस संदर्भ में प्रस्तुत इकाई में वर्ष भर में उत्पादित किये जाने वाले बनियान/अंडरवीयर की मात्रा निम्नानुसार होगी:

हौजियरी की इकाई के वित्तीय पहलू (Financial Aspects of the Hosiery Manufacturing Entity):

1. कार्यस्थल की अवश्यकता:

इस इकाई की स्थापना के लिए लगभग 600 वर्गफीट का निर्मित कार्यस्थल पर्याप्त होगा जो कि 1500 रुपये प्रति माह के किराये पर उपलब्ध हो सकता है ।

2. मशीनरी तथा उपकरणों की आवश्यकता:

इकाई में लगने वाले प्रमुख मशीनरों तथा उपकरणों निम्नानुसार होगें:

3. कच्चे माल की आवश्यकता:

इस इकाई में लगने वाला प्रमुख कच्चा माल तथा उस आने वाली अनुमानित

लागत का विवरण निम्नानुसार है:

4. उपयोगिताओं पर व्यय (प्रतिमाह):

इस इकाई में लगने वाली प्रमुख उपयोगिता विद्युत की है जिस पर प्रतिमाह लगभग 3000 रुपये की लागत का अनुमान है ।

5. वेतन तथा पारिश्रमिक (प्रतिमाह):

इकाई में कार्य करने वाले कर्मचारियों तथा श्रमिकों को प्रतिमाह निम्नानुसार

वेतन/पारिश्रमिक देय होगा:

6. विभिन्न खर्चे (प्रतिमाह):

इकाई में प्रतिमाह होने वाले विविध खर्चो का विवरण निम्नानुसार है:

9. इकाई की स्थापना हेतु प्रस्तावित वित्तीय स्त्रोत:

प्रधानमंत्री रोजगार योजनांतर्गत यह इकाई दो शिक्षित बेरोजगार युवाओं द्वारा मिलकर पार्टनरशीप में स्थापित की जा सकती है ।

इस स्थिति में इकाई की स्थापना हेतु प्रस्तावित वित्तीय स्त्रोत निम्नानुसार होंगे:

11. इकाई की लाभप्रदता:

वार्षिक लाभ = 202629/-

मासिक लाभ = 16885/-