बेबी क्रेचे केंद्र कैसे सेट करें? | Are you planning to set up a baby creche unit? Read this article in Hindi to learn about how to set up and establish a baby creche unit.

वर्तमान समाज में अधिकांश पालकों के नौकरी पेशा होने के कारण तथा एकल परिवारों के प्रचलन के कारण छोटे छोटे बच्चों के पालन तथा देखरेख की समस्या एक प्रमुख समस्या के रूप में उभरी है । अपने कैरियर के प्रति सचेत महिलाएं कार्यालय से ज्यादा दिनों तक छुट्टी भी नहीं ले सकती तथा या तो घर में बच्चों को रखने वाली नौकरानियां मिलती नहीं है ।

तथा मिलें भी तो उनकी मांगे पूरी करना प्रत्येक पालक के लिए संभव नहीं हो पाता है । दूसरे वे कब छुट्टी लेकर बैठ जाए इस बात का भी कोई भरोसा नहीं होता जिससे कामकाजी महिलाओं को बहुत परेशानी होती है ।

संभवतया इसी वस्तु स्थिति का परिणाम है- बेबी क्रेश अथवा चाइल्ड केयर सेंटर्स जहां ऐसी कामकाजी महिलाएं दिनभर अपने बच्चों को छोड़ जाती है तथा कार्यालय से आते समय वापिस ले जाती है ।

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बच्चों की देखरेख के लिए ऐसे केन्द्र काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है तथा महानगरों से प्रारंभ होकर बड़े शहरों में तथा अब तो छोटे छोटे शहरी एवं अर्ध शहरी क्षेत्रों में भी बेबी क्रेश खुलते जा रहे है ।

इन्हें आधुनिक समाज की अनिवार्य आवश्यकता कहा जाए तो शायद यह अतिश्योक्ति नहीं होगी । यहां यह कहना अनुचित नहीं होगा कि वर्तमान में स्थापित अधिकांश पालक केवल मजबूरी वश अपने बच्चों को यहां भेजते है । इसकी प्रमुख वजह यह है कि अधिकांश बेबी क्रेश का उद्देश्य केवल बच्चे का समय पास करवाना होता है ।

तथा बच्चों के विकास पर ध्यान न देकर उन्हें सुलाना पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है जबकि यदि ऐसे केश में बच्चों के विकास तथा मनोंरजन पर ज्यादा ध्यान दिया जाए तो न केवल पालक खुशी-खुशी अपने बच्चों के यहां छोड़ना चाहेंगे बल्कि इसके लिए ज्यादा शुल्क देने के लिए भी तैयार रहेगें ।

यद्यपि बेबी क्रेश की इकाई कोई भी (स्त्री/पुरूष) स्थापित कर सकता है । परंतु इस प्रकार की इकाई के संचालन में महिलायें ज्यादा सफल हो सकती है । इस प्रकार की इकाई के संचालन के लिए उद्यमी/महिला में ममतामय हृदय सह हृदय बाल मनोविज्ञान का ज्ञान तथा बच्चों की बीमारियों का सामान्य ज्ञान होना वांछित होगा ।

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वस्तुतः यदि व्यवसाय के साथ-साथ सेवाभाव को भी सम्मिलित करके ऐसी इकाई स्थापित की जाए तो न केवल व्यवसायिक रूप से काफी सफल सिद्ध हो सकती है । बल्कि इसे समाज में काफी प्रतिष्ठा भी मिल सकता है ।

बेबी क्रेश की इकाई के संचालन की प्रक्रिया (Process of Operation in the Baby Creche Unit):

बेबी क्रेश में प्राय: एक महीने की आयु से लेकर 10 साल तक के बच्चे आते है । जाहिर है कि विभिन्न आयु समूहों के बच्चों के लिए बेबी क्रेश में दी जाने वाली सेवाएं भी अलग-अलग प्रकार की होगी है ।

इस संदर्भ में जहां तीन वर्ष से कम आयु के बच्चों के संदर्भ में दी जाने वाली सेवायें, उन्हें साफ सुथरा, नहलाने धुलाने, दूध इत्यादि पिलाने से संबंधित होगी वहीं बड़े बच्चों के संदर्भ में उनकी मनोरंजन करने उन्हें पड़ाने लिखाने खाना खिलाने आदि संबंधी सेवाएं दी जायेगी ।

प्रायः दूध अथवा खाना परोसने तथा अपनी देखरेख में खिलाने का कार्य किया जाता हैं । परंतु यदि पालक चाहे तो क्रेश से ये सेवाएं भी प्रदान की जा सकती है । केश में बच्चों के आने का समय भी अलग-अलग रहता है कई पालक बच्चों को प्रातः 7 बजे से शाम 6 बजे तक भेजते है जबकि कई 10 बजे से शाम 5 बजे (जैसे उनका कार्यालयीन समय) हो) तक ।

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इसके अतिरिक्त कई बच्चे स्कूल से आने के बाद अपने पालकों के घर आने का समय क्रेश में गुजारते है । अत: बच्चा को केश में आने का समय अलग-अगल हो सकता है । जो कि मुख्यता उनको साफ सुथरा रखने खिलाने-पिलाने पड़ाने तथा उनका मनोरंजन करने आदि जैसे उद्देश्यों पर केन्द्रित हो सकती है ।

बेबी क्रेश की इकाई में दी जाने वाली सेवाओं की मात्रा तथा इकाई से अनुमानित प्राप्तियां (The Amount of Services Offered in the Baby Creche Unit and Estimated Receipts from the Unit):

प्रस्तुत इकाई में दोनों प्रकार की सेवायें देखरेख तथा खिलाने पिलाने से संबंधित सेवायें तथा प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने से संबंधित सेवाएं दी जायेगी । ऐसा अनुमान है कि क्रेश में विभिन्न समयों में, विभिन्न आयु समूहों के 40 बच्चे मासिक आधार पर आयेगें तथा प्रतिमाह 600 रूपये प्रतिमाह बच्चे की दर से ली जाने वाली फीस से वर्ष में कुल 288000 रूपये की प्राप्तियां होगी ।

बेबी क्रेश की इकाई के वित्तीय पहलू (Financial Aspects of the Baby Creche Entity):

1. कार्यस्थल की आवश्यकता (Workplace Requirement):

प्रस्तुत योजना में प्रस्तावित क्षमता के बेबी केश की इकाई की स्थापना हेतु 800 वर्गफीट का कार्यस्थल आवश्यक होगा। यदि उद्यमी ऐसी इकाई अपने घर में ही स्थापित कर सके (यदि उसके पास स्थान उपलब्ध हो) तो यह अति उत्तम रहेगा क्योंकि इससे बच्चों की देखरेख सही रूप से की जा सकेगी ।

कार्यस्थल के पास बच्चों के खेलने के लिए खुली जगह हो तो अच्छा होगा, परंतु यथा सभव कार्यस्थल किसी सड़क अथवा व्यस्त मार्ग के आसपास नहीं होना चाहिए । प्रस्तुत इकाई में ऐसा कार्यस्थल 2000 रूपये प्रति माह के किराये पर लिया जाना प्रस्तावित है ।

2. इकाई के संचालन हेतु प्रमुख साधनों तथा सुविधाओं की आवश्यकता (The Key Tools and Facilities required for the Operation of the Unit):

प्रस्तुत इकाई को सफल तथा प्रभावी संचालन के लिए मुख्यतया निम्नलिखित उपकरणों, साधनों तथा सुविधाओं की आवश्यकता होगी ।

नोट:

साधनों/सुविधाओं पर दर्शाए गए उपरोक्त खर्च न्यूनतम हैं उद्यमी अपने वित्तीय स्त्रोतों के अनुसार इनको बढ़ा सकता/सकती है ।

3. विविध स्थायी सम्पत्तियों की लागत (Cost of Various Fixed Assets):

इकाई के संचालन के लिए आवश्यक विविध स्थायी सम्पत्तियों जैसे रैक्स, पंखों आदि की स्थापना हेतु 5000 रूपये का प्रावधान इस इकाई में किया गया है ।

4. कच्चे माल की लागत (प्रतिमाह) (Cost of Raw Materials (Per Month)):

इस इकाई में लगने वाला प्रमुख कच्चा माल तथा उस पर आने वाली अनुमानित लागत का विवरण निम्नानुसार है:

 

5. कर्मचारियों/श्रमिकों की आवश्यकताओं तथा उनको वेय वेतन/पारिश्रमिक (प्रतिमाह) (Employees/Workers’ Needs and their Salary/Remuneration (Per Month)):

क्योंकि प्रस्तुत इकाई में मात्र बच्चों को रखने का कार्य ही न करके उन्हें प्रारंभिक शिक्षा दिए जाने की भी व्यवस्था होगी अतः इसके संचालन के लिए निम्नानुसार कर्मचारियों की आवश्यकता होगी ।

6. उपयोगिताओं पर व्यय (प्रतिमाह) (Expenditure on Utilities (Per Month)):

इस इकाई में लगने वाली प्रमुख उपयोगिता विद्युत पानी तथा रसोई गैस की होगी जिन पर प्रतिमाह 1500 रूपये की लागत आने का अनुमान है ।

 

 

12. इकाई की लाभप्रदता:

 

क. वार्षिक लाभ = 76154

ख. मासिक लाभ = 6346

13. साधनों/सुविधाओं/उपकरणों के प्रदायकर्ता (Providers of Equipment/Facilities/Equipment):

इस इकाई में लगने वाले साधन/सुविधायें स्थानीय उत्पादकों/फैब्रीकेटर्स तथा प्रदायकर्ताओं से प्राप्त किए जा सकते है ।

14. कच्चे माल के प्रदायकर्ता (Raw Material Supplier):

कच्चा माल स्थानीय रूप से उपलब्ध है ।

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