तुलना: वैज्ञानिक प्रबंधन पर टेलर और फेयोल के विचार | Read this article in Hindi to learn about the comparison between Taylor and Fayol’s views on scientific management.
दोनों अलग-अलग देशों के होने के बावजूद समकालीन थे । ये दोनों अग्रणी विद्वान अपने परिप्रेक्ष्य, फोकस, अभिमुखीकरण, व्यक्तित्व, उद्देश्य इत्यादि के सम्बन्ध में भिन्न थे । उनके बीच की भिन्नता को नीचे दी गयी तालिका में प्रस्तुत किया गया है ।
फिर भी यह अवश्य ध्यान में रखना चाहिए कि टेलर और फेयॉल के बयान विरोधाभासी नहीं हैं । बल्कि वे परस्पर अनुपूरक और समर्थक हैं । फेयॉल ने 1925 में ब्रुसेल्स में आयोजित दूसरी अन्तर्राष्ट्रीय कांग्रेस में भाषण देते हुए कहा था कि उसके योगदान और टेलर के योगदान एक-दूसरे के अनिवार्यपूरक हैं ।
यह उन दोनों के बीच निम्नलिखित समानताओं से भी स्पष्ट होता है:
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1. दोनों ने अनुभव किया था कि कर्मचारियों की समस्याओं का प्रभावी प्रबन्धन औद्योगिक (संगठनात्मक) सफलता का मूलमंत्र है ।
2. दोनों ने प्रबन्धन की समस्याओं को सुलझाने में वैज्ञानिक पद्धतियों को लागू किया था ।
3. दोनों ने प्रबन्धन को तार्किक और व्यवस्थात्मक आधार पर रखने का प्रयास किया था ।
4. दोनों को उद्योग का अनुभव था और उन्होंने अपने विचारों को व्यावहारिक प्रशिक्षण और अनुभव के द्वारा विकसित किया था ।
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5. दोनों ने कर्मचारियों (श्रमिकों) तथा नियोक्ताओं (प्रबन्धन) के बीच पारस्परिक सहयोग पर बल दिया था ताकि संगठनात्मक लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके ।
6. दोनों का विश्वास था कि प्रशिक्षण के माध्यम से प्रबन्धकीय योग्यताएँ प्राप्त की जा सकती हैं ।
7. दोनों ने प्रबन्धन की सार्वभौमिकता का अनुभव किया था ।
टेलर:
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1. टेलर ने कार्यात्मक और बिक्रीतल स्तर पर ध्यान केन्द्रित किया जो कि श्रमिकों की गतिविधियों का विश्लेषण है ।
2. उसने आधार से शीर्ष स्तर की ओर कार्य किया इसलिए उसके सिद्धांत को आधार अपमुखी सिद्धान्त के रूप में जाना जाता है ।
3. उसकी मुख्य चिन्ता का विषय श्रम की उत्पादकता को सुधारना और अपशिष्ट को समाप्त करना था ।
4. उसने वास्तविक उत्पादन में प्रबन्धकों और श्रमिकों की कार्यक्षमता पर जोर दिया ।
5. उसने कार्य सरलीकरण एवं मानकीकरण के द्वारा उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित किया ।
6. उसके विचार वैज्ञानिक प्रयोग, प्रेक्षण और मापन पर आधारित हैं ।
7. उसने कार्य के तकनीकी पहलू पर बल दिया ।
8. उसने कार्य के प्रबन्धन जैसे सूक्ष्म पहलू का अध्ययन किया । इसलिए उसके सिद्धान्त को सूक्ष्म या व्यष्टि सिद्धान्त के रूप में जाना जाता है ।
9. उसका उपागम सापेक्षित रूप से कठोर था ।
10. वह एक वैज्ञानिक था ।
11. उसने कार्यात्मक अधिकर्मिता (फोरमैनशिप) का समर्थन किया ।
12. उसने औद्योगिक प्रबन्धन का एक विज्ञान उपलब्ध कराया ।
13. उसके सिद्धान्त एवं तकनीकें उत्पादन गतिविधियों में प्रासंगिक हैं ।
फेयॉल:
1. उसने शीर्ष स्तर पर ध्यान केन्द्रित किया जो कि एक प्रबन्धक की गतिविधि का विश्लेषण है ।
2. उसने शीर्ष से आधार स्तर की ओर कार्य किया इसलिए उसके सिद्धान्त को शीर्ष अधोमुखी सिद्धान्त के रूप में जाना जाता है ।
3. उसकी चिन्ता का मुख्य विषय प्रबन्धन या प्रशासन के एक सामान्य या सार्वभौमिक सिद्धान्त का विकास करना था ।
4. उसने प्रबन्धन के कार्यों तथा उसमें निहित सिद्धान्तों पर जोर दिया ।
5. उसने कुछ सुनिश्चित सिद्धान्तों को दृष्टि में रखते हुए समग्र प्रशासन को सुधारने पर ध्यान केन्द्रित किया ।
6. उसके विचार व्यक्तिगत प्रयोगों पर आधारित हैं ।
7. उसने कार्य के प्रशासनिक पक्ष पर बल दिया ।
8. उसने संगठन के प्रबन्धन जैसे स्थूल या समष्टि पहलू का अध्ययन किया । अत: उसका सिद्धान्त समष्टि सिद्धान्त के रूप में जाना जाता है ।
9. उसका उपागम लचीला था ।
10. वह एक प्रशासक था ।
11. उसने नियंत्रण की एकता के सिद्धान्त का समर्थन किया ।
12. उसने प्रबन्धन (प्रशासन) का एक व्यवस्थित सिद्धान्त उपलब्ध कराया ।
13. उसके सिद्धान्त सभी कार्यात्मक क्षेत्रों में प्रासंगिक हैं । इसलिए उसके सिद्धान्त का व्यापक अनुप्रयोग होता है ।