मलाई: वर्गीकरण और पृथक्करण | Read this article in Hindi to learn about the classification of cream. Also learn about the principle and methods of separation from milk.
क्रीम का वर्गीकरण (Classification of Cream):
क्रीम में वसा की मात्रा 18 से 85 प्रतिशत तक पायी जाती हैं । क्रीम में दूध के दूसरे संघटक भी इसी अनुपात में परिवर्तित होते रहते हैं ।
मोटे तौर पर क्रीम को दो मुख्य वर्गों में विभक्त किया जाता है:
(1) विपणन क्रीम (Market Cream):
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यह कम वसा युक्त क्रीम सीधे खाने के उपयोग में ली जाती है । इसमें वसा की मात्रा सामान्यतया 18 से 30 प्रतिशत तक रखी जाती है ।
(2) मैन्यूफैक्चरिंग क्रीम (Manufacturing Cream):
वह क्रीम जिसका प्रयोग विभिन्न दुग्ध पदार्थ जैसे- आईसक्रीम, मक्खन व घी आदि बनाने में किया जाता है उसे Manufacturing Cream कहते हैं ।
क्रीम में वसा प्रतिशत तथा अन्य गुणों के आधार पर उसके निम्नलिखित वर्ग बनाये गये हैं:
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i. पतली, टेबल या कोफी क्रीम (Light, Table or Coffee Cream):
उपभोक्ता को सस्ती क्रीम उपलब्ध कराने के लिए पतली क्रीम का उत्पादन किया जाता है । इससे 16 से 22% तक वसा रखी जाती है । इस वर्ग की क्रीम का प्रयोग कोफी बनाने में, फलों पर डाल कर खाने में या सीधे रूप में खाने को किया जाता है ।
यह कभी-कभी दुग्धाम्ल निर्माण के कारण इस गर्म काफी में डालने पर स्कन्दित हो जाती है जिसे Cream Coagulates या Cream Feathers कहा जाता है । यदि इस हलकी खट्टी क्रीम में थोड़ी मात्रा में Sodium Citrate मिलाने पर Feathering के अवगुण को नियमित किया जा सकता है ।
यदि काफी बनाने के लिए अधिक कैल्शियम युक्त पानी का प्रयोग किया जाता है तो Cream Feathering अधिक होता है । इस वर्ग की क्रीम की बोतलों में क्रीम प्लग (Cream Plug) भी बन जाते हैं । यह बोतल की गर्दन में सान्द्रित लगभग 70% वसा युक्त क्रीम होती है । इस अवगुण को 0.05% Sodium Citrate मिलाकर कम किया जा सकता है, इससे Cream Plug छोटा तथा नम्र बनता है ।
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ii. भारी क्रीम (Heavy Cream):
इस प्रकार की क्रीम में 30-40 प्रतिशत तक वसा होती है । इस क्रीम का प्रयोग मक्खन, आईसक्रीम तथा पनीर उत्पादन में किया जाता है ।
iii. प्लास्टिक क्रीम (Plastic Cream):
भारी क्रीम को दुबारा पृथक्कीकरण करके यह क्रीम प्राप्त की जाती है । इसमें लगभग 80% तक वसा पायी जाती है । इसे सफेद मक्खन (White Butter) भी कहा जाता है । इसका उपयोग मक्खन तथा घी उत्पादन में किया जाता है ।
iv. फूली क्रीम (Whipped Cream):
क्रीम में हवा द्वारा झाग पैदा करके फुलाया जाता है जिसे- Whipped Cream कहते हैं । प्रारम्भिक अवस्था में ये झाग अस्थायी तथा मुलायम होते हैं परन्तु जब क्रीम को लगातार हिलाते रहते हैं, उसमें मक्खन के महीन कण बन कर वायु कोष की परत को कठोर तथा स्थायी बना देते हैं । Whipping अधिक होने पर मक्खन के कण बड़े बन जाते हैं तथा झाग भी अधिक स्थायी बना देते हैं ।
इसके बाद क्रीम शीघ्र ही मक्खन में बदल जाती है । क्रीम का Whipping गुण क्रीम को Whipping से पहले 40°F ताप पर ठण्डा करने तथा कुछ समय तक रखने से बढ़ाया जा सकता है । कच्ची क्रीम का Whipping जल्दी व आसानी से हो जाता है जबकि पास्तुरीकृत क्रीम में Whipping कम होता है ।
क्रीम में चीनी मिलाने से भी Whipping घटता है । कुछ उत्पादक क्रीम में Whipping बढ़ाने के लिए Nitrous Oxide गैस का प्रयोग भी करते हैं । इसमें उपयुक्त दाब पर गैस से क्रीम को सन्तृप्त करते हैं, दाब हटाने पर गैस क्रीम में झाग पैदा करती है ।
v. किण्वित क्रीम (Fermented/Cultured Sour Cream):
कुछ डेरियों पर सलाद, फलों या दूसरे व्यंजनों के साथ खाने के लिए Cultured Sour Cream का उत्पादन किया जाता है । इसमें वसा 18% रखते हैं । वसा प्रतिशत अधिक होने पर केसीन की मात्रा घट जाने के कारण किण्वन के बाद कम गाढ़ा पदार्थ बनता है ।
इसके उत्पादन के लिए क्रीम को 73°C ताप पर 30 मिनट के लिए पास्तुरीकृत करके Homogenization के बाद 22°C ताप पर ठण्डा करते हैं । इसी ताप पर Lactococcum Lactic संवर्धक मिला कर रख देते हैं । जामन में सुगन्ध उत्पादक जीवाणु भी होने चाहिए ।
अधिक गाढ़ा पदार्थ उत्पादन के लिए 0.03ml रेनेट प्रति गैलन क्रीम में मिलाते हैं । क्रीम में 0.8% अम्लता विकसित होने पर 40°F ताप पर ठण्डा करके रख देते हैं ।
vi. निर्जलीकृत या डिब्बाबन्द क्रीम (Sterilized or Canned Cream):
ताजा क्रीम को 20% वसा स्तर पर मानकीकृत करके 80°C ताप पर गर्म अवस्था में द्विअवस्था समांगीकरण किया जाता है । समांगीकृत क्रीम को 16°C ताप पर ठण्डा करके टीन के डिब्बों में सीलबन्द कर देते हैं । इन क्रीम भरे डिब्बों को 12-15 मिनट तक 114°C ताप पर रख कर निर्जलीकरण किया जाता है । विपणन तक इनका संग्रहण सामान्य तापमान पर करते हैं ।
vii. हिमशीतित क्रीम (Frozen Cream):
क्रीम को अधिक समय तक संग्रह के उद्देश्य से इसका हिमीकरण किया जाता है । इसके लिए 40 से 50% वसा स्तर पर मानकीकृत क्रीम को 77°C ताप पर 15 मिनट के लिए पास्तुरीकृत करते हैं । इस क्रीम को 40°C ताप पर ठण्डा करके प्लास्टिक या टिन के डिब्बों में पैक करके संग्रह किया जाता है ।
viii. फटी क्रीम (Clotted Cream):
क्रीम को 85 से 90°C ताप पर गर्म करके धीरे-धीरे ठण्डा करते हैं । क्रीम की ऊपरी सतह पर Clots बनते हैं । अत: इसे Clotted Cream कहते हैं ।
ix. संश्लेषित क्रीम (Synthetic Cream):
दुग्ध अव्यवों से विहीन क्रीम को संश्लेषित क्रीम कहा जाता है । यह आटा, अण्डपीत, चीनी, पानी तथा वनस्पति वसा का मिश्रण है । वनस्पति वसा के रूप में इसमें मूंगफली के तेल का प्रयोग किया जाता है ।
क्रीम पृथक्कीकरण (Separation of Cream):
सिद्धान्त (Principle):
दुग्ध वसा शेष सीरम से हल्का होता है । दुग्ध वसा का 16°C ताप पर आपेक्षिक घनत्व 0.93 तथा मक्खनियां दूध का इसी ताप पर आपेक्षित घनत्व 1.036 होता है ।
अत: दूध, जो दुग्ध वसा तथा मक्खनियां दूध का मिश्रण है, की वसा गुरुत्वाकर्षण बल के कारण मक्खनियां दूध से उपर उठ कर अलग होने की प्रवृत्ति रखती है । क्रीम में वसा रहित ठोस पदार्थों की मात्रा दूध की अपेक्षा काफी कम होती है । वसा प्रतिशत में वृद्धि के साथ-साथ क्रीम में उपस्थित अन्य ठोस पदार्थ कम होते जाते हैं ।
थम्ब रूल के अनुसार वसा रहित ठोस निम्न सूत्र से निकाल सकते हैं:
क्रीम में वसा रहित ठोस प्रतिशत = क्रीम में सीरम प्रतिशत × 9/100
उदाहरण:
यदि क्रीम में 40% वसा है तो उस क्रीम में वसा रहित ठोस प्रतिशत = (100 – 40) × 9/100
= 60 × 9/100
= 5.4% उत्तर
क्रीम निकालने की विधियां (Methods of Cream Separation):
क्रीम निकालने की दो विधियां हैं:
A. गुरुत्वाकर्षण विधि (Gravity Method),
B. अपकेन्द्री विधि (Centrifugal Method) ।
A. गुरुत्वाकर्षण विधि (Cream Separation by Gravity Method):
दूध को कुछ समय तक स्थिर अवस्था में रखने पर वसा कण ऊपरी सतह पर उठ कर एकत्र होने लगते हैं । वसा कणों का सतह पर एकत्र होने की गति अग्रलिखित सूत्र से निकाली जा सकती है । इस सूत्र को Stock Low कहते हैं ।
यहां- V = Velocity (वसा कणों के ऊपर उठने की गति)
G = Gravity Force (गुरुत्वाकर्षण बल)
dS = Density of Milk Serum (दुग्ध सीरम का घनत्व)
df = Density of Fat Globule (वसा कणों का घनत्व)
r = Radius of Fat (वसा कणों का त्रिज्या)
n = Viscosity of Skim milk (सिक्म दूध का गाढ़ापन)
Stock Low में ds, df, G तथा n का मान हमेशा स्थिर रहता है । अत: यदि r का मान परिवर्तित होता है तो V का मान भी उसी अनुपात में परिवर्तित हो जाता है ।
गुरुत्वाकृषण विधि का प्रयोग करके क्रीम निम्नलिखित 5 विधियों द्वारा निकली जा सकता है:
1. उथली कड़ाही विधि (Shallow Pan Setting Method)- इस विधि में दूध को 4” गहरी तथा 18-24” व्यास के बर्तन में 7°C ताप पर 24 घन्टे रख कर ऊपरी सतह पर एकत्रित क्रीम परत को चम्मच से उतार लेते हैं ।
2. गहरी कड़ाही विधि (Deep Pan Setting Method)- दूध को 20” गहरी तथा 8-12” व्यास के बर्तन में 8-10°C ताप पर 24 घन्टे तक रख कर सतह पर एकत्रित वसा कण चम्मच से उतार लिया जाता है ।
3. दूध को पतला करके क्रीम प्राप्त करना (Milk Diluting Method)- दूध में गर्म या ठण्डा पानी मिला कर सीरम की Viscosity कम कर दी जाती है । जिससे वसा आसानी से सतह पर एकत्र हो जाती है जिसे पूर्व वर्णित विधि से अलग कर लेते हैं ।
4. दूध को गर्म करके क्रीम निकालना (Scalding Method)- दूध को धीरे-धीरे गर्म करके, धीरे-धीरे ठण्डा किया जाता है । इस प्रक्रिया में वसा कण सतह पर एकत्रित हो जाते हैं । यह क्रीम अधिक समय तक संग्रह करके रखी जा सकती है ।
5. जर्सी विधि (The Jersy Creamery Method)- दोहरी दीवार वाले बर्तन की दीवारों के मध्य 190°F ताप का पानी भरते हैं । जिससे बर्तन में रखे दूध का ताप 110°F तक बढ़ जाता है । दूध गर्म होने पर गर्म पानी के स्थान पर 50°C ताप का पानी भर दिया जाता है ।
दूध को गर्म करके ठण्डा करने से क्रीम दूध से अलग हो जाती है । बर्तन के नीचे टोंटी लगी होती है जिससे मक्खनियां दूध निकाल लिया जाता है तथा क्रीम उसी बर्तन में रह जाती है ।
B. अपकेन्द्री विधि से क्रीम पृथक्कीकरण (Cream Separation by Centrifugal Method):
सिद्धान्त (Principle):
विभिन्न आपेक्षिक घनत्व के पदार्थों युक्त विलयन को जब एक केन्द्र के चारों तरफ समान गति से घुमाने पर तरल में उपस्थित भारी कणो पर हल्के कणो की अपेक्षा अधिक बल लगता है ।
अपकेन्द्री पृथक्कीकरण मशीन में पृथक्करण बाऊल के घूमने पर इसके अन्दर आधूर्णन बल (Whirling Force) लगता है जो गुरुत्वाकृषण बल से कई गुणा अधिक होता है । यह बल दूध के हल्के संघटक (बसा) को क्रीम के रूप में बाउल के केन्द्र की ओर प्रवाहित करता है ।
शेष सीरम भाग बाउल की दीवार की ओर चला जाता है । दूध में उपस्थित धूल आदि के कण अधिक भारी होने के कारण पृथक्कारक के अन्दर बाऊल की दीवार के बिलकुल पास फैंके जाते हैं । वे बाह्य कप बाऊल की दिवार पर चिपक कर चीकट के रूप में जमा हो जाते है ।
चीकट का रंग गन्दा सफेद होता है तथा संगठन निम्नवत् हैं:
अपकेन्द्री प्रथक्करण में Stock Low निम्नलिखित रूप में लागू होता है:
N = Speed of Bowl (RPM)
R = Distance of Fat Globule from the Axis of Rotation
K = Constant.
क्रीम का उत्पादन (Yield of Cream):
यहां- M = दूध की मात्रा (कि.ग्रा. में)-
fm = दूध में वसा प्रतिशत
fs = स्किम दूध में वसा प्रतिशत
FC = क्रीम में वसा प्रतिशत ।
मक्खनियां दूध का संगठन: