संवर्धित दूध उत्पादों की सूची | Read this article in Hindi to learn about cultured milk products.
संवर्धित दूध वे दुग्ध पदार्थ है जो शुद्ध प्राकृतिक दूध में जामन (Dairy Starter) मिलाकर निश्चित तापमान पर आवश्यक समय तक रखने पर तैयार होते हैं । जामन (Starter) इच्छित एवं डेरी उद्योग के लिए लाभकारी स्वस्थ जीवाणुओं का समूह है ।
ये जीवाणु जामन के रूप में दूध में मिलाये जाने पर ऐच्छिक तापमान पर ऐच्छिक समय में ऐच्छिक परिवर्तन करते हैं । इन परिवर्तनों को दूध का किण्वन (Fermentation of Milk) कहा जाता है तथा तैयार पदार्थों को किण्वित दूध (Fermented Milk) कहते हैं ।
दूध में किण्वन लाभकारी तथा हानिकारक दोनों तरह का हो सकता है । संवर्धित दूध उन पदार्थों को कहा जाता है जिनमें जामन मिलाकर इच्छित, नियंत्रित एवं लाभकारी किण्वन हुआ हो ।
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अत: हम कह सकते हैं कि किण्वित दूध पदार्थ बनाने के उद्देश्य से ज्ञात संगठन का जामन मिलाकर ऐच्छिक किण्वन प्रक्रिया के उपरान्त तैयार दुग्ध पदार्थ ही संवर्धित दूध (Cultured Milk) है । दूध में अनियंत्रित किण्वन होने पर तैयार किण्वित दूध को संवर्धित दूध नहीं कहा जा सकता है ।
डेरी उद्योग में संवर्धित तथा किण्वित दुग्ध पदार्थों को निम्नलिखित प्रकार में वर्गीकृत किया जा सकता है:
1. दही (Dahi or Curd):
दही सुहावनी गन्ध युक्त देशी किण्वित दुग्ध पदार्थ है जो दूध में लैक्टिक अम्ल जीवाणुओं द्वारा लैक्टिक अम्ल किण्वन से तैयार होता है तथा पूरे देश मैं बड़ी रुचि के साथ उपयोग किया जाता है । इसका उपयोग चक्का, श्रीखण्ड तथा पायोधी बनाने के काम आता है ।
दही में 0.8 से 01.2% तक लैक्टिक अम्ल पाया जाता है । अम्लता प्रतिशत के आधार पर Sweet Dahi and Sour Dahi नाम से इसे दो वर्गों में बांटते हैं । यह पूरे देश में बनाया जाता है ।
2. मीठी दही (Misti Dahi):
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यह पूर्वी भारत का किण्वित दुग्ध पदार्थ है । यह गाढ़े किये गये दूध में चीनी मिला कर निर्मित की जाती है । इसे मीठी दही (Sweetened Dahi), लाल दोई (Lal Doi) तथा पयोदी (Payodhi) के नाम से पुकारा जाता है । मदर डेरी कलकत्ता इसका उत्पादन व्यवसायिक स्तर पर कर रही है ।
पूर्ण दूध में चीनी या गुड (Jaggery) मिला कर लोहे की कड़ाही में 60-70°C ताप पर गर्म करते हैं । मूल आयतन का 60-70% शेष रह जाने पर इसमें पकी गन्ध (Cooked Flavour) तथा ब्राऊन रंग (Brown Colour) बन जाता है । तब इसे मिट्टी के बर्तनों में डाल कर पहले दिन की दही का जामन लगा देते हैं । कमरे के तापमान पर 15-16 घन्टे में पदार्थ तैयार हो जाता है ।
मीठी दही के उत्पादन में, Lactococcus Lactic, S. Diacetyle Lactis, L-Ceremoris तथा Leuconostoc sp. जीवाणु प्रयोग किये जाते हैं । इनके अतिरिक्त दूसरे जामन में इन जीवाणुओं के साथ Lactobacillus Bulgaricus, L.Acido Phillus, L.Casei तथा S.Thermophillus प्रयोग होते हैं । मीठी दही में अम्लता 0.7 से 1% तक होनी चाहिए ।
दही के प्रकार (Types of Dahi):
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भारत के विभिन्न क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की दही उपयोग की जाती है:
I. उत्तरी भाग (North Zone) – Dahi, Lassi.
II. दक्षिणी भाग (South Zone) – Dahi, Butter Milk (Mattha).
III. पूर्वी भाग (East Zone) – Pyodhi or Lal Dahi or Misti Dahi or Misti Doi.
IV. पश्चिमी भाग (West Zone) – Srikhand, Chakka.
दही में अम्लता प्रतिशत के आधार पर उसे 2 भागों में बाँटा जाता है:
i. मीठी दही (Sweet Dahi) – इसमें अम्लता अधिकतम 0.7% तक पायी जाती है ।
ii. खट्टी दही (Sour Dahi) – इसमें अम्लता 1% तक पायी जाती है । इसके उत्पादन में Lactobacilli वर्ग के जीवाणु प्रयोग किये जाते हैं ।
3. योगर्ट (Yoghurt):
योगर्ट एक किण्वित दुग्ध पदार्थ है जो लैक्टिक अम्ल जीवाणुओं की दो Strains की Symbiotic Activity द्वारा तैयार होता है । ये जीवाणु Streptococcus Thermophilus तथा Lactobacillus Bulgaricus है ।
यह पदार्थ दही से भिन्न है तथा अन्तर निम्नवत हैं:
दही तथा योगर्ट में भिन्नता:
I. यह अर्थ ठोस (Semi-Solid) होता है जबकि दही हल्की कड़ी (Slightly Firm) होती है ।
II. योगर्ट का गाढ़ापन कस्टर्ड की तरह (Custard like Consistency) होता है जबकि दही का पूरी गाढ़ी होती है ।
III. योगर्ट में Acetaldehyde के कारण विशिष्ट गन्ध होती है जो दही में नहीं होती है ।
उपभोग के प्रकार (Types of Consumption):
योगर्ट का उपभोग सुगन्धित योगर्ट (Flavoured Yoghurt), फल योगर्ट (Fruit Yoghurt), मीठा योगर्ट (Sweetened Yoghurt), हिमीकृत योगर्ट (Frozen Yoghurt) तथा तरल योगर्ट (Fluid Yoghurt) के रूप में किया जाता है । इनमें तरल योगर्ट Bottled Drink के रूप में तथा Frozen Yoghurt आईसक्रीम के रूप में उपभोग किया जाता है ।
4. ऐसीडोफिलस दूध (Acidophilus Milk):
यह पदार्थ दूध का Lactobacillus Acidophilus जीवाणु द्वारा किण्वन करने से प्राप्त होता है । उसमें अम्लता प्रतिशत 1.8 से 2.0 तक होती है । अत: स्वाद में काफी खट्टा लगता है । यह अपनी Anti-microbial क्रियाशीलता के लिए प्रसिद्ध है ।
उत्पादन (Production):
प्रवाही आरेख (Flow Diagram):
Selection & Receiving of Milk (As For Dahi) i.e., 3.5% Fats and 8.5% SNF) → Heat Treatment (121°C for 10 Minutes) → Cooling (37°C) → Inoculation of Milk (@ 1% Starter Culture) → Packaging (As for Dahi) → Incubation (37°C for 24 hours) → Storage (5-7 Days for 5-7°C).
विवरण (Details):
ऐसीडोफिलस दूध निर्माण के लिए शुद्ध एवं ताजा दूध लेकर उसे 121°C ताप पर 10 मिनट के लिए उपचारित करते हैं । अब उसे 37°C ताप पर ठण्डा करके उसमें 1% जामन के रूप में केवल Lactobacillus Acidophilus जीवाणु हो, मिलाते हैं ।
इस Inoculated Milk को कांच या प्लास्टिक के कपों में भर कर Incubation के लिए 37°C ताप पर 24 घन्टे तक रखते हैं । इस समय में Acidophilus Milk तैयार हो जाता है । जिसे 5-7°C ताप पर ठण्डा करके 5 से 7 दिन तक संग्रह किया जा सकता है ।
उपयोगिता (Utility):
ऐसीडोफिलस दूध का उपयोग प्रतिजैविक पदार्थों के दुष्प्रभावो को कम करने के लिए किया जाता है । प्रतिजैविक पदार्थ आन्तीय सूक्ष्म जीवों (Intestinal Micro Flora) को नष्ट करके Flatulence तथा Diarrhea पैदा करते हैं । इसका उपयोग आंत में सामान्यता उत्पन्न करता है ।
ये सामान्य स्वास्थ्य तथा ओज (Vigour) में भी सुधार करते हैं । इनका उपयोग कुछ रोगों जैसे- Typhoid, Para-Typhoid, Psoriasis, Osteomyelitis, Pneumonia, Migraine तथा Urological संक्रमण में दवा के रूप में उपयोग किया जाता है । प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध हुआ है कि यदि बच्चों को यह उत्पाद दिया जाये तो उनका शारीरिक भार तेजी से बढ़ने लगता है ।
5. संवर्धित मक्खनिया दूध (Cultured Butter Milk):
पास्तुरीकृत स्किम दूध में जामन मिलाकर यह पदार्थ यूरोपियन देशों तथा संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में तैयार किया जाता है । इसमें वसा न्यूनतम होता है अन्य गुणों में दही के समान है ।
निर्माण विधि (Method of Preparation):
प्रवाही आरेख (Flow Diagram):
Receiving Skim Milk (Pure & Clean) → Preheating (35-40°C) & Filtration → Pasteurization (82 to 88°C for 30 Minutes) → Cooling (20-24°C) → Inoculation (1 to 1.5% Dahi Starter) → Incubation (22°C for 12-16 hrs.) Creaming (Optional) → Breaking the Curd (Acidity 0.8 to 0.85%) (Adding Butter Granules (Optional)) → Cooling 5-7°C → Packaging & Storage (5-7°C).
विवरण (Details):
स्वच्छ व ताजा स्किम दूध जिसमें 9-10% कुल ठोस हो, लेकर 82-88°C ताप पर 30 मिनट तक पास्तुरीकृत करें । इसे लगभग 22°C ताप पर ठण्डा करके इसमें 1 से 1.5% दही जामन मिलायें तथा इसी ताप पर 12-16 घन्टे तक रखें जब तक कि इसमें अम्लता 0.8% तक बन जाये ।
स्वाद की दृष्टि से यदि आवश्यक माना जाये तो इस दही में लगभग 20-25% शुद्ध पास्तुरीकृत पूर्ण दूध मिला लें इससे इसमें वसा का स्वाद आ जायेगा, इस मिश्रण को धीरे-धीरे मथे ताकि Curd टूट जाए व मक्खन कण बन जाये । इस मक्खनिया दूध को 5-10°C तक ठण्डा कर लें ।
अन्तिम उत्पाद में स्वाद वृद्धि के लिए 0.1% की दर से साधारण नमक भी मिलाया जा सकता है । इस पदार्थ में मक्खन के कण उत्पन्न करने के लिए मूल दूध में 1-2% वसा रखी जा सकती है या 20% वसा युक्त क्रीम को चर्न करके इसमें मिलाया जा सकता है ।
मक्खन कण उत्पादन के लिए मिश्रण को 13°C ताप पर चावल के दाने के बराबर कण बनने तक मथते हैं । आकर्षक रंग बनाने के लिए बटर रंग भी मिलाया जा सकता है । इस मथे हुए मक्खनिया दूध में आवश्यकतानुसार आकार के बर्तनों में पैक करके 5-7°C ताप पर संग्रह करते हैं ।
6. केफीर (Kefir):
केफीर गाय, भेड़ या बकरी के दूध से बनाये जाने वाला किण्वित दुग्ध पदार्थ है आजकल यह रूस, पोलैंड, जर्मनी, स्वीडेन, रोमनियां आदि देशों में बनाया जाता है । यह स्वाद में हल्का खट्टा तथा आन्तीक रोगों (Gastrointestinal Disorders) की चिकित्सा में उपयोगी है ।
7. किश्क (Kishk):
यह इराक, सीरिया तथा लेबनान में बनाया जाने वाला किण्वित दुग्ध पदार्थ है । यह उत्पाद मक्खन निर्माण में By-Product के रूप में उत्पन्न Butter Milk तथा गेहूँ से इसे बनाया जाता है । इसका उत्पादन वहां सामान्यत: गर्मी के मौसम (जुलाई से अगस्त) में किया जाता है ।
उत्पादन विधि:
गेहूँ के अनाज को उबाल कर सुखा लिया जाता है । दो भाग सान्द्रित मक्खनियां दूध तथा पूर्ण दूध या स्किम दूध (1:1 भाग) में एक भाग उपरोक्त गेहूं का अनाज भिगोया जाता है तथा एक सप्ताह तक किण्वित करते हैं । किण्वन के उपरान्त इन्हें छोटे-छोटे टुकडों में तोड़ कर चटाई पर फैला कर सूर्य की धूप में तीन दिन तक सुखाते हैं ।
उपयोग होने तक इस पदार्थ को नमी से बचा कर सूखे स्थान में समूह करते हैं । उपभोग के लिए आवश्यकतानुसार पानी में मिलाकर आग पर हल्का-हल्का पकाते हैं । तैयार होने पर रोटी के साथ खाया जाता है ।
8. बिफिडस दूध (Bifidus Milk):
बिफिडस दूध एक खट्टा दुग्ध पेय है जो मानकीकृत दूध को B.Bifidum द्वारा अम्लीय बना कर तैयार किया जाता है । इसे में 0.8% अम्लीयता होती है तथा पेट सम्बन्धी रोगों के लिए लाभकारी है ।
इसमें शारीरिक क्रियाओं (Physiologically) में महत्त्वपूर्ण 2(+) Lactose कुल लैक्टोज का 95% तक पाया जाता है । यह दूध नवजात शिशुओं (Breast Fed Infants) के पेट रोगों के लिए विशेष महत्व का है ।
प्रवाही आरेख (Flow Diagram):
Skim Milk Powder (9% MSNF) → Mixing with Warm Water → Heat Treatment (95°C/30 min.) → Cooling (37°C) → Inoculation (B.bifidum @ 10%) → Incubation (0.7 to 0.8% T.A.) → Breaking the Coagulum → Addition of Sugar, Fruit & Flavour → Filling in Packets → Cooling 5°C and Storage.
विवरण (Detail):
स्किम दुग्ध चूर्ण से 9% SNF युक्त पुन: निर्माणित दूध बना कर उसे 95°C ताप पर 30 मिनट के लिए उष्मा से उपचारित करते हैं । 37°C ताप पर ठण्डा करके 10% B.Bifidum के जामन से Inoculate करके 37°C ताप पर 18 घन्टे तक Incubation के लिए रख देते है ।
दही को हिलाकर समांग मिश्रण बनाते हैं तथा उसमें 12% चीनी, 5% फलों का रस तथा आवश्यक सुगन्ध मिला कर निर्जलीकृत पैकिटों में भर कर बन्द कर देते हैं । इसे रेफीजिरेशन ताप पर 17 दिन तक संग्रहित किया जा सकता है ।
उपयोगिता (Utility):
नवजात शिशु में इसके उपयोग से E. Coli. द्वारा होने वाले पेट रोग नही होते हैं । बिफिडस दूध का जीवाणु B. Bifidum जीवाणु रोधी पदार्थ “Bifidin” बनाता है जो विभिन्न रोगाणुओं के लिए घातक है तथा रोग उत्पन्न होने से बचाता है ।