पनीर: उत्पादन और लक्षण | Read this article in Hindi to learn about:- 1. परम्परागत उत्पादन विधि (Traditional Production Methods of Paneer) 2. पनीर के पोषण मान एवं संगठन (Nutritive Value and Composition of Paneer) 3. वांछित गुण (Desirable Characteristics).
यह उत्तरी-पश्चिमी तथा मध्य भारत का प्रमुख दुग्ध पदार्थ है । पनीर मुलायम चीज़ (Soft Cheese) वर्ग का एक महत्वपूर्ण पदार्थ है तथा अनेकों खाद्य व्यंजन बनाने में प्रयोग किया जाता है ।
विशेष रूप से इसका प्रयोग सब्जी, नाश्ता (Snacks) तथा मिठाइयां बनाने में होता है । भारत के कुल दुग्ध उत्पादन का 4-5% भाग पनीर उत्पादन में प्रयोग होता है । इस उत्पाद का कार्य अधिकतर दुग्ध उद्योग के असंगठित व्यवसायियों के हाथ में है ।
संगठित क्षेत्र में पनीर उत्पादन अधिक प्रचलित नहीं है । इसके व्यवसायीकरण में इस के उत्पादन में प्रयोग होने वाले उपकरण जैसे- Cheese Vat, Hoops तथा Press आदि की कमी इसके विकास में बाधक है । छोटे स्तर पर ये उपकरण उपलब्ध नहीं है ।
परम्परागत उत्पादन विधि (Traditional Production Methods of Paneer):
भैंस के 5.5% वसा युक्त दूध को 85°C ताप पर बर्तन में गर्म करते है । स्कन्दन के लिए 70 से 85°C ताप पर सिट्रिक अम्ल का तनु विलयन (2-5%) प्रयोग करते हैं । बर्तन से व्हे को निकाल कर, ठोस को कपड़ा बिछे Hoops में दबाते हैं । दाब में ये स्कन्दित पदार्थ सघन ठोस (Compact Solid Mass) में परिवर्तित हो जाता है ।
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पदार्थ को Hoops से निकाल कर अवशीतित जल (Chilled Water) में कठोरीकरण (Hardening) के लिए डालते हैं । कठोर होने पर विक्रय में सुविधानुसार इसे टुकड़ों में काट लिया जाता है । पोलीथीन बैग में पैकिंग करते हैं ।
i. मानक उत्पादन तकनीक (Standardized Production Technology):
मानक उत्पादन तकनीक द्वारा पनीर उत्पादन से दूध के लगभग 90% वसा व प्रोटीन तथा 50 प्रतिशत खनिज एवं विटामिन पनीर में प्राप्त किये जा सकते हैं । इस प्रकार से निर्मित पनीर उच्च पोषण गुण युक्त बनता है । PFA Act (1976) के अनुसार पनीर में 70% से कम नमी तथा शुष्क पदार्थ के आधार पर 50% से अधिक बसा होना चाहिए । अत: इसके उत्पादन हेतु 5% वसा युक्त भैंस का दूध उपयुक्त है ।
पनीर उत्पादन का प्रवाही आरेख (Flow Diagram of Paneer Production):
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Buffalo Milk → Standardization (5.8% Fat & 1:1.65 Fat: SNF Ratio) → Cooling 70°C → Coagulation at pH 5.3 (Using 1% Citric Acid Sol.) → Whey Draining → Pressing → (1.5 to 2.0 kg per cm2 for 20-30 Minutes) → Dipping in Chilled Water / Brine Water → Storage Under Refrigerated Conditions (पनीर उत्पादन का प्रवाही आरेख) ।
विवरण (Details):
पनीर उत्पादन के लिए भैंस का दूध उत्तम है । भैंस के दूध में 1/3 भाग तक गाय का दूध मिलाकर भी अच्छा पनीर प्राप्त किया जा सकता है । प्राप्त दूध में वसा तथा SNF में 1:1.65 अनुपात मानकीकरण द्वारा कर ले । मानकीकृत दूध को छान कर 90°C ताप तक गर्म करके 70°C पर ठण्डा करें ।
1% सिट्रिक अम्ल विलयन द्वारा इसका स्कन्दन करते हैं । ताप तथा अम्ल की सान्द्रता कम करने पर कमजोर बदन का मुलायम पनीर बनता है । इसके विपरीत परिस्थिति में पनीर कड़ा (Hard) बनता है । दूध के स्कन्दन उपरान्त उसका व्हे निकाल देते हैं ।
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ठोस पदार्थ को कपड़ा लगे हूप में भरकर 1.5 से 2.0 kg/cm2 दाब पर 20 से 30 मिनट तक दबाते हैं । पनीर को कड़ा होने के लिए अवशीतित जल में तथा उसका संग्रह आयु वृद्धि के लिए 5% नमक के घोल में डुबोते हैं । नमक के घोल में डुबो कर रखने से पनीर को लगभग 20 दिन तक रखा जा सकता है जबकि सादे पानी में इसकी संग्रह आयु मात्र 5-6 दिन है ।
पनीर को डिब्बों में ब्राइन समेत पैक करके Autoclave में 15 PSI दाब पर 15 मिनट के लिए गर्म करके 4 माह तक संग्रह किया जा सकता है । इस तरह के पनीर में पकी गन्ध (Cooked Flavour) तथा ब्राऊन रंग (Maillard Browning) उत्पन्न हो जाता है ।
ii. अम्लीय दूध से पनीर का उत्पादन (Production of Paneer from High Acid Milk):
पनीर उत्पादन के लिए 0.28% अम्लता का दूध प्रयोग में लाया जा सकता है । स्वच्छ दूध की अम्लता 0.2 से 0.23% तक मानकीकृत करते हैं । इस दूध को 71°C ताप पर गर्म करके 62°C ताप पर उसमें 1% सान्द्रता का सिट्रिक अम्ल विलयन डालते हैं । पूर्ण स्कन्दन पश्चात लगभग 5 मिनट तक ठोस पदार्थ को पानी में ही रहने देते हैं ।
अब व्हे निकाल कर 65-70°C ताप के पानी से 2-3 बार पनीर को धोते हैं । पानी की मात्रा मानकीकृत दूध की एक तिहाई लेते हैं तथा 15 मिनट तक ठोस पदार्थ को धोने के पानी में रखते हैं । अन्तिम धुलाई के बाद कर्ड को पूर्व विधि के अनुसार दबाते हैं । पनीर को विक्रय के लिए उचित आकार के टुकड़ों में काट कर पोलीथीन में पैक किया जाता है ।
पनीर के पोषण मान एवं संगठन (Nutritive Value and Composition of Paneer):
पनीर निर्माण में दूध में उपस्थित कुल वसा तथा प्रोटीन का 90% भाग पनीर में आ जाता है । साथ ही लगभग 50% मात्रा में दूध से खनिज तथा विटामिन भी पनीर में आते हैं जबकि 10% वसा व प्रोटीन एवं 50% खनिज व विटामिन व्हे में चले जाते हैं ।
अत: पनीर एक अति पोषक पदार्थ है । भैंस के दूध से बने पनीर का P.E.R., B.V. तथा N.P.U. क्रमशः 2.5, 86.5 तथा 82.1 होता है । पनीर का पाचन गुणांक 97.3 पाया गया है । पनीर में 23.41% वसा, 18.33% प्रोटीन, 2.4% लेक्टोज तथा 1.9% भस्म पायी जाती है । भैंस के दूध से 20% पनीर निकलता है । जबकि गाय के दूध से इसका उत्पादन 17-19% तक होता है ।
पनीर के वांछित गुण (Desirable Characteristics of Paneer):
अच्छे पनीर का रंग एक समान सफेद या हल्का सफेद होना चाहिए । यदि पनीर को ठीक से ढका नहीं गया है तो वाष्पीकरण के कारण ऊपरी परत पीली तथा अन्दर सफेद रहता है पनीर का बदन सख्त (Firm) तथा गठा हुआ (Cohesive) होना अच्छा माना जाता है ।
पनीर में खिंचने का गुण (Elasticity) तथा स्प्रिंगी क्रिया गुण (Springiness) होना चाहिए अर्थात् खींचने पार एकदम न टूटे तथा दबाने पर दब जाये तथा छोड़ने पर पुन: अपने आकार में आय जाये । पनीर का गठन (Texture) सघन (Compact) तथा घिनका (Close Kint) होना वांछनीय है । चिपचिपा, दानेदार तथा भुरभुरा पनीर अच्छा नहीं माना जाता है ।