खोआ आधारित मिठाई की सूची | Here is a list of khoa based sweets in Hindi language.

1. पेड़ा (Peda):

खुशी के मौकों को मनाने में पेड़ा बड़े चाव से खाया तथा खिलाया जाता है । यह विभिन्न रूपों में पूरे भारत में सुप्रसिद्ध है । पेड़ा बनाने के लिए एक उथले (कम गहरे) बर्तन में खोआ, बूरा (Sugar), सुगन्धित मसाले तथा शुष्क फल मेवे (Nuts) ले कर अच्छी प्रकार मिलाए जाते हैं ।

निश्चित रंग तथा गन्ध उत्पन्न होने तक हिलाते हुए गर्म करते हैं । उचित शुष्कता पर चपटे सिर तथा तली (Flattened Top & Bottom Ends) युक्त गोले (Balls) बनाये जाते हैं ।

Khoa → Heating to 80°C → Sugar 30% → Kneading (50°C) (Adding Flavour etc.) → Cooling 30°C → Forming Balls & Packaging → Peda Storage 5°C (पेड़ा निर्माण का प्रवाही आरेख) ।

2. बर्फी (Burfi):

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यह मिठाई भी विभिन्न रूप में पूरे देश में बनायी जाती है । खोआ में 25 से 35% चीनी, सुगन्धिदार पदार्थ, कटा हुआ नारियल (Shredded Coconut), मेवे (Nuts), चोकलेट आदि पदार्थ आवश्यकतानुसार खोआ निर्माण की अन्तिम अवस्था में अच्छी प्रकार से मिलाते हैं । पदार्थ उथले बर्तन में जमा कर ऊपर बर्फी विशिष्टीकरण हेतु विभिन्न पदार्थ ऊपरी सतह पर लगाते हैं ।

Khoa → Heating 70°C → Adding Sugar (35%) → Kneading 50°C → Whipping 50°C (Adding Flavour etc.) → Cooling 25°C → Forming & Storage (बर्फी निर्माण का प्रवाही आरेख) ।

3. कलाकन्द (Kalakand):

इस मिठाई में विशिष्ट दाने (Grain) तथा रंग (Caramelization) इसका विशिष्ट लक्षण दर्शाती है । यह भारत के उत्तरी तथा मध्य भाग में प्रसिद्ध है । यह दानेदार खोआ, चीनी तथा सुगन्धित पदार्थों से बनाया जाता है । सभी पदार्थों को आग पर उथले बर्तन में पकाते हैं । उचित अवस्था पर पतली परतों में जमाकर उचित आकार में काटा जाता है ।

4. दुग्ध केक (Milk Cake):

यह भारत के उत्तरी-मध्य भाग की प्रसिद्ध मिठाई है । इसमें भी निश्चित आकार के दाने तथा कलाकन्द से अधिक Caramelized Flavour उत्पन्न की जाती है । यह दानेदार खोआ से कलाकन्द की भांति बनाया जाता है । इसे जमाने (Setting) में पहले अधिक Caramelized फिर कम Caramelized, फिर अधिक Caramelized पदार्थ परतों में Set किया जाता है ।

5. गुलाब जामुन (Gulabjamun):

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इस तरह की मिठाई भारत के उत्तरी, पश्चिमी तथा मध्य भागों में बनायी जाती है । इसके उत्पादन के लिए धाप खोआ को मैदा या सूजी तथा खाने के सोडा के साथ गूंधा जाता है । लगभग 1 किग्रा. खोआ में 100 ग्राम मैदा, एक से दो छोटी चम्मच खाने का सोडा मिलाते हैं ।

इसके गोले बनाकर पकाने के लिए तेल या घी में तब तक डालते है जब तक कि ये सुनहरी (Golden) या गहरे ब्राऊन होवें । इन गोलों को 35% चीनी के शर्बत में 10-12 घन्टे तक डुबो कर रखते हैं । शर्बत में 0.1% पोटीशियम सोर्बेट मिलाने से गुलाब जामुन को 3 सप्ताह तक संग्रह किया जा सकता है ।

Khoa → Adding Maida & Other Ingredients → Dough → Portioning (8 gm) → Ball Forming → Frying (140°C) → Dipping in Sugar Syrup (60%) at 60°C (2 hrs) → Storage 5-7 Days (गुलाब जामुन निर्माण का प्रवाही आरेख) ।

6. खुरचन (Khurchan):

उत्तर तथा मध्य भारत में प्रसिद्ध यह पदार्थ कड़ाही में गाढ़ा किया हुआ मीठा दुग्ध पदार्थ है । भैंस के दूध से निर्मित यह मिष्ठान भारत के केन्द्रीय तथा उत्तरी क्षेत्र में बनाया जाता है । इसमें 28% नमी, 24% वसा, 16% प्रोटीन, 15% लैक्टोज, 15% चीनी तथा 3% भस्म पायी जाती है ।

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खुरचन बनाने के लिए कड़ाही में 3-4 किग्रा. दूध लेकर 85-90°C ताप पर गर्म करते है । गर्म करते हेतु दूध को न उबलने देते तथा न हिलाते हैं । इस समय में दूध की ऊपरी तह पर क्रीम की एक मोटी परत बन जाती है । जब दूध का आयतन 1/4 से 1/6 तक घट जाये तो 5-6% अच्छी पीसी हुई चीनी मिला देते हैं ।

इस प्रकार तैयार खुरचन में अर्ध ठोस गाढ़ापन पाया जाता है इसकी गन्ध मीठी तथा करेमल (Caramel) होती है । इसे प्रशीतन अवस्था में 5 से 7 दिन तक संग्रहित किया जा सकना है ।

7. रबरी (Rabri):

भारत के उत्तरी तथा मध्य क्षेत्रों में बनायी जाने वाली यह मिठाई भैंस के दूध को गाढ़ा तथा मीठा करके बनायी जाती है । इसके निर्माण में भैंस के शुद्ध दूध को कड़ाही में 85-90°C ताप पर बिना हिलाए गर्म करते हैं । सतह पर मलाई बनने पर उसे तोड़ कर कढ़ाई के अपेक्षाकृत ठण्डे भाग पर रखते रहते हैं ।

जब दूध का आयतन 5:1 तक घट जाये तो उसमें 5-6% महीन पीसी हुई चीनी मिला कर सतह पर एकत्र की हुई मलाई मिला दी जाती है । रबड़ी में लगभग 30% नमी, 20% वसा, 10% प्रोटीन, 17% लैक्टोज तथा 20% चीनी पायी जाती है । रबड़ी को प्रशीतित अवस्था में 5-7 दिन तक भंडारित कर सकते हैं ।

8. बासुन्दी (Basundi):

गुजरात, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक के कुछ भागों में बनाया जाने वाला यह अर्ध शुष्कन किया हुआ मीठा दुग्ध पदार्थ है । इसमें रबड़ी की तरह से मलाई के टुकड़े नहीं पाये जाते हैं । दूध को खुले बर्तन में वाष्पीकरण द्वारा 1/3 कर लेते हैं । प्रारम्भिक अवस्था पर उसमें 6-7% चीनी मिलाते हैं ।

इसमें आवश्यकतानुसार सुगन्धि तथा मेवे भी मिलाये जाते हैं । यह सुहावनी पकी गन्ध तथा ब्राउन रंग का मीठा संघनित दूध है । तैयार पदार्थ में 18-22% वसा, 28-32% SNF तथा 20-22% शर्करा पायी जाती है ।

9. पयोधी (Pyodhi):

पश्चिमी तथा दक्षिणी भारत का यह प्रसिद्ध पदार्थ भैंस के सान्द्रित दूध में शर्करा तथा सुगन्धिदार मसाले (Aromatic Species) मिलाकर बनाया जाता है ।

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