सूखे दूध का उत्पादन (ड्रम प्रक्रिया) | Read this article in Hindi to learn about the production of dried milk.
पूर्ण दुग्ध चूर्ण उत्पादन (Whole Milk Power Production):
ड्रम विधि से पूर्ण दूध से दुग्ध चूर्ण उत्पादन के चरणों को तीन मुख्य समूहों में विभक्त करते हैं:
दूध का पूर्व उपचार (Pre-Treatments to Milk):
दुग्ध प्राप्ति एवं शुष्कन के मध्य आने वाले उपचारों को पूर्व उपचार वर्ग में सम्मिलित करते हैं । सर्वप्रथम दुग्ध प्राप्ति के समय संघनित दुग्ध उत्पादन में किये जाने वाले सभी चबूतरा परीक्षण किये जाते हैं । इस प्रकार उच्च गुणवत्ता वाला दूध लेकर 35-40°C ताप पर छान कर उसे साफ एवं स्वच्छ कर लिया जाता है ।
ADVERTISEMENTS:
वसा व वसा रहित ठोस को 1:2.7 के अनुपात में मानकीकृत करते हैं । मानकीकरण में अन्य वैधानिक स्तरों का प्रयोग भी किया जा सकता है । मानकीकृत दूध में लाईपेज एन्जाईम को अक्रियाशील बनाने तथा दुग्ध चूर्ण के भौतिक गुणों को सुधारने के उद्देश्य से दूध को 85°C ताप पर 10 मिनट तक गर्म करते हैं ।
दूध को 16 से 18% कुल ठोस तक संघनन क्रिया द्वारा गाढ़ा करके, द्विअवस्था वाले समांगीकारक (Homogenizer) से 2000 PSI तथा 500 PSI दबाव पर क्रमश: प्रथम व द्वितीय अवस्था में 66 से 77°C ताप पर समांगीकृत करते हैं । शुष्कन (Drying) की क्षमता वृद्धि हेतु दूध को ड्रम पर भेजने से पूर्व 74 से 85°C ताप पर गर्म करते हैं ।
(i) शुष्कन (Drying):
सामान्यतया दूध को सुखाने में Atmospheric Drier का प्रयोग किया जाता है । Vacuum Drier जो Vacuum Chamber में बन्द रहते हैं तथा दूध को शुष्कन के दौरान नीचे से ऊपर को खींचते हैं, भी प्रयोग किया जाता है । Atmospheric Drier, खुले वातावरण में प्रयोग किये जाते हैं ।
ADVERTISEMENTS:
इनमें शुष्कन हेतु गाढ़ा दूध ऊपर से प्रवाहित किया जाता है । शुष्कन के लिए अकेला या दोहरा ड्रम प्रयोग किये जाते हैं । ये ड्रम फर्श की क्षैतिज अवस्था में 90 से 360 से.मी. लम्बे तथा 60 से 120 से.मी. व्यास वाले स्टील के बने ड्रम होते हैं । इन्हें गर्म करने के लिए 4.2 से 4-9 कि.ग्रा. प्रति सेमी2 के दबाव की भाप इनमें अन्दर भरी जाती है ।
दो ड्रमों के मध्य 0.5 से 0.75 मि.मी स्थान रखा जाता है । इनमें एक ड्रम स्थिर होता है जबकि दूसरा समायोजन योग्य होता है । Vacuum Drums 68.5 से 73.5 से.मी. Hg के Vacuum Chamber में रखे जाते हैं ।
इनके प्रयोग से बने चूर्ण की गुणवत्ता काफी अच्छी रहती है परन्तु इनका संचालन खर्च Atmospheric Drum की अपेक्षा काफी अधिक रहता है । ड्रमों के शुष्कन के समय उन्हें 14-19 चक्कर प्रति मिनट की गति से घुमाया जाता है । दूध ड्रम के सम्पर्क में 3/4 से 7/8 चक्कर तक रहता है ।
इतना चक्कर लगभग 3 सैकिंड में पूरा हो जाता है । ड्रम की सतह का तापमान लगभग 150°C रहता है । ड्रम विधि में दूध से एक कि.ग्रा. पानी को वाष्पित करने के लिए लगभग 1.2 से 1.3 कि.ग्रा. भाप की आवश्यकता पड़ती है ।
ADVERTISEMENTS:
शुष्क दूध को ड्रम की सतह पर से खुरचने के लिए 15-30° के कोण पर ड्रम की सतह को स्पर्श करते हुए खुरचने (Scrapers) लगे रहते हैं जो शुष्क दूध को एक परत के रूप में ड्रम से अलग करते रहते हैं । शुष्क दूध की इन परतों को पीस कर दुग्ध चूर्ण में परिवर्तित कर लिया जाता है ।
(ii) पैकिंग (Packaging):
व्यवसायिक दृष्टि से WMP के पैकिंग में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है । इसमें वसा अधिक होने के कारण भंडारण के समय वसा का विघटन होकर चूर्ण में धात्विक गन्ध (Tallowy or Metallic Flavour) उत्पन्न होने की सम्भावना अधिक रहती है ।
इस प्रकार पूर्ण दुग्ध चूर्ण में अपसुवास उत्पादन के कारण उसकी व्यापारिक मूल्य में कमि रोकने के लिए पैकिंग में कम से कम O2 छोड़ी जाती है । इसके लिए दुग्ध चूर्ण को शुष्कन के 24 घन्टे के अन्दर 71cm Hg निर्वात में रख देना चाहिए तथा पैकिंग के डिब्बे में ऊपरी रिक्त स्थान पर 2% से अधिक O2 उपस्थित नहीं रहनी चाहिए ।
पैकिंग के डिब्बे से अतिरिक्त O2 निकालने के लिए डिब्बे को 60 सैकिंड तक 74cm Hg निर्वात में रखा जाता है । डिब्बे को इस निर्वात में 2 से 2.5 मिनट तक रखते हैं तत्पश्चात 0.5 से 1 PSI दबाव युक्त N2 डिब्बे में भर कर डिब्बे में उत्पन्न हुए निर्वात को पूरा करते हैं । डिब्बे के रिक्त स्थान में N2 के साथ-साथ 20% CO2 भी मिलायी जा सकती है ।
(iii) भंडारण (Storage):
दुग्ध चूर्ण के संचय गुण को अच्छा बनाये रखने के लिए इसे अन्धेरे, ठण्डे तथा सूखे कमरे में 24°C या इससे कम ताप पर रखें । पैकेज भाप व नमी अवरुद्ध तथा अच्छी प्रकार से सील लगा होना चाहिए ।
सप्रेटा दुग्ध चूर्ण का ड्रम विधि द्वारा उत्पादन (Production of Skim Milk Powder Using Drum Process):
सप्रेटा दूध से भी चूर्ण, पूर्ण दुग्ध चूर्ण के लिए अपनायी गयी उत्पादन की विधि से ही निर्मित किया जा सकता है । स्किम दूध प्रयोग की स्थिति में मानकीकरण व समांगीकरण नहीं किया जाता है । इस प्रकार के चूर्ण का पैकिंग बैरल, थैलों या बड़े-बड़े ड्रमों में किया जाता है ।
थोड़ी मात्रा में पैक करने के लिए पोलीथीन की थैली, कांच का जार या धातु के डिब्बे भी प्रयोग किये जाते हैं । इसमें वसा या वसा रहित ठोस का अनुपात 1:62.5 रखा जाता है । इसका भंडारण ताप 24°C पर सर्वोप्युक्त है ।