सूखे दूध का उत्पादन (स्प्रे सुखाने की विधि) | Read this article in Hindi to learn about the production of dried milk using spray drying method.
1. पूर्ण दुग्ध चूर्ण निर्माण विधि (Whole Milk Powder Making):
i. दूध की तैयारी (Preparation of Milk):
पूर्ण दुग्ध चूर्ण निर्माण में दूध को सुखाने से पूर्व कुछ उपचार देकर सुखाने के लिए तैयार किया जाता है । इन उपचारों को दूध के पूर्व उपचार (Pre-treatment of Milk) कहा जाता है । दूध को सुखाने के लिए उच्च गुणवत्ता का दूध लेते हैं ।
इस दूध के गुणों को परिरक्षित (Preserve) करने के लिए प्रसंस्करण (Processing) प्रारम्भ करने तक 5°C तापक्रम पर भंडारण टैंक में भंडारित करते हैं । भंडारित के समय में दूध का मानकीकरण कर वसा व वसा रहित ठोस में 1:2.71 का अनुपात बनाते हैं ।
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मानकीकृत दूध को 71°C ताप तक गर्म करके छाना जाता है । दूध का समांगीकरण 63-74°C ताप पर द्विअवस्था वाली मशीन से क्रमश: 2000 PSI तथा 500 PSI दाब पर करते हैं । दूध में उपस्थित लाईपेज एन्जाईम को नष्ट करने के लिए इसे 82°C ताप पर 15 मिनट के लिए रखा जाता है ।
जिससे चूर्ण का सुरक्षित संचय काल बढ़ाता है । इस उपचार के लिए दूध को 93°C ताप पर 3 मिनट के लिए भी रखा जा सकता है । दूध के शुष्कन से पूर्व संघनन की क्रिया द्वारा इसे 35-45% कुल ठोस तक गाढ़ा किया जाता है ।
चूंकि संघनन क्रिया 54 से 60°C ताप पर निर्वात में होती है अत: इसे शुष्कन कक्ष में भेजने से पूर्व 71°C ताप पर गर्म किया जाता है । इस गर्म संघनित दूध को Atomizer द्वारा 2500 PSI दाब से शुष्कन कक्ष में भेजा जाता है ।
ii. शुष्कन (Drying):
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शुष्कन कक्ष में सान्द्रित दूध 143 से 232°C तापमान की गर्म हवा के सम्पर्क में आता है । शुष्कन क्रिया तुरंत पूरी होकर गर्म हवा का ताप घटकर 74 से 93°C तक हो जाता है जो दूध में उपस्थित पानी की भाप सहित बाहर निकल जाती है । शुष्कन के समय Heat Damage को कम रखने की दृष्टि से बाहर जाने वाली हवा का तापमान कम होना अच्छा माना जाता है ।
iii. ठण्डा करना (Cooling):
वसा के पिघलांक (Melting Point) से अधिक ताप पर दुग्ध चूर्ण के अधिक समय तक रहने से उसमें स्वतन्त्र वस्त्र (Free Fat) की मात्रा में वृद्धि हो जाती है । जो संग्रहण के समय सुवास व बदन (Body and Flavour) से सम्बन्धित गुणों को कुप्रभावित करते हैं । अत: दुग्ध चूर्ण के गुणों को अच्छा बनाये रखने के लिए उसे गर्म हवा में से निकाल कर शीघ्रतम वसा के पिघलांक से कम ताप पर ठण्डा कर देना चाहिए ।
iv. छानना (Shifting):
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शुष्क दुग्ध चूर्ण को 12-Mesh छलनी से छाना जाता है । (Mesh Screen का अर्थ है एक इंच लम्बाई में छिद्रों की संख्या) । चूर्ण के कणों का आकार Mesh या Micron में नापा जाता है (Micron = 0.001 mm) ।
v. पैकेजिंग एवं भंडारण (Packaging and Storage):
ड्रम विधि में वर्णित विधि से ही फुहार विधि से सुखाये गये दूध का पैकेजिंग तथा भंडारण किया जाता है ।
2. स्किम दुग्ध चूर्ण निर्माण विधि (Skim Milk Powder Making Process):
दूध की तैयारी (Preparation of Milk):
ताजे, स्वच्छ एवं अच्छी गुणवत्ता वाले दूध को प्राप्त करते ही 5°C ताप पर ठण्डा करके संग्रहित किया जाता है । प्रसंस्करण प्रारम्भ करने से पूर्व इसे 35-40°C तापमान पर गर्म करते हैं । इस ताप पर दूध से क्रीम निकाल कर स्किम दूध प्राप्त करते हैं ।
स्क्रिम दूध में 0.1% से अधिक वसा नहीं रहनी चाहिए । प्राप्त स्किम दूध को 71°C ताप पर 15 सैकिंड तक गर्म करके 85°C ताप पर संघनन पूर्व 20 मिनट तक गर्म किया जाता है ।
स्किम दुग्ध चूर्ण निर्माण की दो विधियां हैं:
1. Low Heat Skim Milk Powder- स्किमड दूध को केवल 71°C ताप पर 15 सैकिंड के लिए गर्म करते हैं । इस तरह के चूर्ण में Whey Protein Nitrogen 6mg/gm होनी चाहिए ।
2. High Heat Skim Milk Powder- सप्रेटा दूध को 71°C ताप पर 15 सैकिंड तक ऊष्मा उपचार देने के तत्पश्चात 85°C ताप पर 20 मिनट के लिए भी गर्म किया जाता है । इसमें Whey Protein Nitrogen की मात्रा 1.5mg/gm दुग्ध चूर्ण से अधिक नहीं होती है ।
ऊष्मा उपचारित दूध को संघनन क्रिया द्वारा 35-45% कुल ठोस तक गाढ़ा किया जाता है । इस गाढ़े दूध को ही Atomizer द्वारा शुष्कन कक्ष में सुखाया जाता है ।
(i) शुष्कन (Drying) – सप्रेटा दूध का चूर्ण बनाने के लिए पूर्ण दुग्ध चूर्ण निर्माण विधि में वर्णित शुष्कन विधि का ही प्रयोग करते हैं ।
(ii) शीतलन (Cooling) – दुग्ध चूर्ण को शुष्कन प्रक्रिया पूर्व होते ही तुरन्त ठण्डा करते हैं । गर्म चूर्ण को पैकिंग करने से उसमें, ब्राउनिंग तथा Heat Caking द्वारा गुच्छे बन सकते हैं ।
(iii) छनाई (Shifting) – सामान्यतया 25-Mesh-Screan छलनी द्वारा सप्रेटा दुग्ध चूर्ण को छाना जाता है ।
(iv) पैकेजिंग तथा पैकिंग (Packaging) – ड्रम विधि द्वारा सुखाये दूध चूर्ण की भांति समेटा दुग्ध चूर्ण का पैकेजिंग किया जाता है ।
(v) भंडारण (Storage) – ड्रम विधि द्वारा तैयार चूर्ण की विधि की भांति सप्रेटा चूर्ण का संग्रहण करते हैं ।
3. हिमीकरण द्वारा दूध का शुष्कन (Freeze Drying of Milk):
दूध को निर्वात में शीघ्रता से -30°C ताप पर ठण्डा करके बर्फ पिघलने के लिए आवश्यक ऊष्मा के बराबर ऊष्मा की मात्रा प्रदान की जाती है । इस प्रक्रिया में दूध में उपस्थित पानी से बना बर्फ निर्वात में भाप बन कर उड़ जाता है । इस विधि को Lipophilization भी कहा जाता है । यह विधि प्रचलन में नहीं है ।
बर्फ के बिना पानी में परिवर्तित हुए भाप में परिवर्तित होने की क्रिया को Sublimation कहा जाता है । दूध के हिमीकरण उपरान्त केन्द्री पग (Centrifugation) विधि द्वारा भी अलग किया जा सकता है ।
4. झाग विधि (Foam Method):
दूध के संघनन उपरान्त द्विअवस्था युक्त Homogenizer यन्त्र में 210 kg/cm2 तथा 35 kg/cm2 दाब पर Homogenize करते हैं । इस समांगीकृत तथा गाढ़े दूध में झाग (Foam) उत्पन्न करने के लिए N2 या CO2 गैस का प्रयोग किया जाता है । इसे ठण्डा करके निर्वात कक्ष में सुखाया जाता है । सुखाने में Inlet Air 105°C तथा Outlet Air 76°C पर निर्धारित की जाती है ।
Instantizing:
यह प्रक्रिया दुग्ध चूर्ण के पुर्नरचन (Reconstitution) की गुणवत्ता में सुधार लाती है । दुग्ध चूर्ण के Instantizing के लिए चूर्ण कणों की सतह को नम करके वायु की Stream में हिलाया जाता है । इस प्रक्रिया में एक दूसरे के साथ चूर्ण कण जुड़ कर अनियमित आकार के गुच्छे बना लेते हैं ।
इस नमीयुक्त चूर्ण को इसी रूप में फिर सुखाया जाता है । सुखने पर ठण्डा करके छान कर पैकेजिंग कर दिया जाता है । इस तरह का दुग्ध चूर्ण, पुनर्रचित दूध में परिवर्तित करते समय ही पानी में तुरन्त घुल जाता है ।