दूध और दूध उत्पादों के लिए गुणवत्ता नियंत्रण एजेंसियां | Read this article in Hindi to learn about the quality control agencies for milk and milk products at national and international level.
भारत में Dairy Project स्थापना के लिए किसी प्रकार के लाईसेन्स की आवश्यकता नहीं होती है । केवल Secretariat for Industrial Approvals (SIA) को सूचना देकर, सूचना प्राप्ति रसीद प्राप्त करनी होती है । Dairy Project लगाने के लिए M.M.P.O. 1992 के अन्तर्गत पंजीकरण कराना होता है ।
परन्तु डेरी उद्योग में विदेशी निवेश के लिए उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक अनुमोदन सचिवालय (Secretariat of Industrial Approval, Ministry of Industry) से पूर्व अनुमोदन प्राप्त करना आवश्यक होता है ।
विभिन्न सरकारी अभिकरण दूध तथा दुग्ध पदार्थों के लिए गुणवत्ता तथा वैधानिक मानक लागू करके दूध तथा दुग्ध पदार्थों की गुणवत्ता स्तर को बनाये रखने तथा इनमें मिलावट को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं । भारत में विभिन्न गुणवत्ता नियन्त्रण अभिकरणों ने दूध तथा दुग्ध पदार्थों के लिए गुणवत्ता विनिर्देशन (Specifications) प्रस्तुत किये हैं ।
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इन अभिकरणों में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, परिवार कल्याण एवं स्वास्थ मंत्रालय, भारत सरकार (निदेशालय द्वारा प्रस्तुत मानक पी.एफ.ए. मानक के नाम से जाने जाते हैं), भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) (इनके मानको को आई.एस.आई. मानक कहते हैं) तथा कृषि उत्पाद श्रेणीकरण एवं विपणन निदेशालय, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार, (एग्मार्क मानक) सम्मिलित है ।
दूध तथा दुग्ध पदार्थों सहित विभिन्न खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने, तथा गुणवत्ता बनाये रखने के लिए विनिर्देशन स्वास्थ सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्धारित विशिष्ट मानक जो पी.एफ.ए. (Prevention of Food Adulteration) मानक कहलाते हैं, को मानना बाह्यकारी है या ये वैधानिक मानक हैं जबकि एग्मार्क या बी.आई.एस. द्वारा निर्धारित मानक वैकल्पिक गुणवत्ता मानक है ।
1. राष्ट्रीय स्तर के अभिकरण (Agencies at National Level):
I. खाद्य अपमिश्रण निरोधन एक्ट 1954 तथा पी.एफ.ए. नियम 1955 (Prevention of Food Adulteration Act 1954 and PFA Rule 1955):
यह देश का मूल खाद्य एक्ट है जो खाद्य पदार्थों के मानक, गुणवत्ता तथा सुरक्षा उपायों को खाद्य विपणन में निम्नलिखित प्रकार से नियन्त्रण रखता है:
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(अ) शुद्ध तथा पूर्ण खाद्य की निश्चितता,
(ब) धोखा-घड़ी से सुरक्षा,
(स) अच्छी व्यापार क्रिया को प्रोत्साहन ।
इसमें खाद्य पदार्थों के लिए न्यूनतम गुणवत्ता स्तर को निर्धारित करके उपभोक्ता की खाद्य पदार्थ के उपभोग में सुरक्षा तथा हानिकारक अशुद्धियों व मिलावटों से रक्षा की सुनिश्चितता प्रदान की गई है । यह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अन्तर्गत स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक के नियन्त्रण में कार्य करता है ।
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(i) दुग्ध तथा दुग्ध उत्पादन आर्डर-1992 (Milk and Milk Product Order-MMPO):
यह कृषि मंत्रालय द्वारा लागू किया जाता है । इस आदेश के अन्तर्गत कोई व्यक्ति या उत्पादक पंजीकरण अधिकारियों से उचित पंजीकरण या अनुमति प्राप्त किये बिना अपना व्यापार प्रारम्भ या विस्तारित नहीं कर सकता है ।
75,000 लीटर दूध प्रतिदिन तक का संधारण करने वाली इकाई का पंजीकरण राज्य सरकार तथा 75,000 लीटर दूध प्रतिदिन से अधिक दूध Handling करने वाली इकाई का पंजीकरण Central Registering Authority द्वारा किया जाता है ।
पंजीकरण के लिए इस आदेश में वर्णित फार्म भरकर, निर्धारित फीस संलग्न करते हुए आवेदन करना होता है । इस आदेश के अन्तर्गत निर्धारित स्वच्छता तथा स्वास्थ्यकर आवश्यकता स्थापना पूर्ण किये बिना कोई व्यक्ति दूध एवं दुग्ध उत्पाद का व्यापार प्रारम्भ नहीं कर सकता है ।
(ii) भार तथा माप एक्ट के मानक तथा भार तथा माप (पैकेज्ड पदार्थ) नियम 1976 (Standards on Weight and Measures Act and Weight and Measures (Packaged Commodities) Rules-1976):
यह देश में पैकेज्ड पदार्थों के विक्रय का नियमन करता है तथा इसके अन्तर्गत आने वाले सभी पैकेज्ड पदार्थों के आयातकर्त्ताओं का पंजीकरण वैधानिक बाह्यता की आवश्यकता को निर्धारित करता है । Ministry of Food and Civil Supplies के अन्तर्गत The Directorate of Weights and Measures इन नियमों का संचालन करता है ।
(iii) कृषि उत्पाद (श्रेणीयन तथा विपणन) एक्ट 1937 (Agricultural Products (Grading and Marketing) Act 1937-AGMARK):
भारत सरकार के Directorate of Marketing and Inspection (DMI) ने घी, मक्खन, वनस्पति, मसाले आदि की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए कृषि उत्पादों के लिए मानक स्थापित किये हैं जिन्हें एगमार्क ग्रेड के नाम से जाना जाता है । निर्माता जो DMI के इन मानकों को लागू करते हैं उनको उनके उत्पाद पर “Agmark Labels” लगाने की अनुमति प्रदान की जाती है ।
(iv) भारतीय मानक ब्यूरो एक्ट 1962 (Bureau of Indian Standards-BIS, Act 1962) :
यह सूचीबद्ध प्रसंस्करित खाद्य पदार्थों जैसे- दुग्ध पदार्थ, शिशु दुग्ध आहार, योगकारी पदार्थ, खाद्यों में प्रयोग होने वाला प्लास्टिक पैकेजिंग पदार्थ तथा पीने का पानी आदि के आवश्यक प्रमाणीकरण को नियन्त्रित करता है । यह “ISI” चिन्ह के अन्तर्गत उत्पादों के लिए ऐच्छिक प्रमाणीकरण भी प्रदान करता है ।
यह आई.एस.ओ. प्रमाणीकरण को भी नियन्त्रित करता है । BIS प्रसंस्करित खाद्यों के लिए मानक निर्धारित करता है तथा उन्नति, ऐच्छिक तथा Third Party Certification System द्वारा उन्हें लागू करता है ।
(v) पर्यावरण सुरक्षा एक्ट 1986 (Environment Protection Act, 1986):
यह आपद सूक्ष्म जीवों या अनुवांशिकीय निर्मित जीवों या कोशिकाओं के निर्माण, प्रयोग, आयात तथा भंडारण के लिए नियम लागू करता है । भारत में Dairy Project स्थापना के लिए Pollution Control Board से “No Objection Certificate” लेना आवश्यक है ।
(vi) भारत का निर्यात निरीक्षण परिषद (The Export Inspection Council of India-EIC):
इसकी स्थापना 1963 में की गयी तथा परिषद द्वारा Export (Quality Control and Inspection) Act 1963 निर्मित तथा संचालित किया गया । यह उत्पादों, उनके निरीक्षण तथा गुणवत्ता नियन्त्रण में मानक स्थापना को निर्धारित करता है । तथा सूचीबद्ध पदार्थों को एक्ट के अन्तर्गत प्रमाण पत्र प्राप्त किये बिना निर्यात का प्रतिबन्धित करता है ।
(vii) कृषि एवं प्रसंस्करित खाद्य उत्पाद निर्यात विकास अथोरिटी (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority-APEDA):
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अन्तर्गत, वाणिज्य विभाग, निर्यात होने वाले उत्पादों पर गुणवत्ता नियन्त्रण करता है । इसका चिन्ह विश्वास तथा गर्व का प्रतीक है । ए.पी.ई.डी.ए. के क्षेत्र में आने वाले उत्पादों में फल, सब्जी, मांस तथा माँस उत्पाद, मुर्गी तथा उत्पाद, दुग्ध उत्पाद, बिस्कुट तथा मिठाई उत्पाद, शहद, गुड़ तथा चीनी आदि उत्पाद आते हैं ।
एल्कोहल तथा एल्कोहल रहित पेय पदार्थ, अनाज, मूँगफली, मटर, अचार, चटनी, गोंद, फूल तथा वानस्पतिक पदार्थ, के औषधियों पौधे तथा चावल भी इसकी परिधि में आते हैं ।
(viii) खाद्य सुरक्षा एवं मानक एक्ट 2006 (Food Safety and Standard Act 2006):
यह एक्ट खाद्य सम्बन्धी नियमों को एकत्र करने तथा भोज्य पदार्थों के लिए विज्ञान आधारित मानको को लागू करने में खाद्य सुरक्षा तथा मानक आथोरिटी ऑफ इंडिया की स्थापना करने के लिए बनाया गया है । इस एक्ट के अनुसार मावन उपयोग के लिए सुरक्षित तथा पूर्ण खाद्य की उपलब्धता को सुनिश्चित कराना एवं उनका उत्पादन, भंडारण तथा वितरण विक्रय एवं आयात के नियम आते हैं ।
(ix) भारतीय पैकेजिंग संस्थान (The Indian Institute of Packaging):
यह संस्थान 1966 में स्थापित किया गया । इसका कार्य क्षेत्र गुणवत्ता मूल्यांकन तथा परीक्षण द्वारा पैकेजिंग पदार्थ की गुणवत्ता पर नियन्त्रण रखना है ।
(x) भारतीय गुणवत्ता परिषद (Quality Control Council of India):
यह उत्पादों की गुणवत्ता पर नियन्त्रण रखने के लिए स्थापित किया गया है । इसका मुख्यालय राजस्थान (जयपुर) को बनाया गया ।
2. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के अभिकरण (Agencies at International Level):
i. अन्तर्राष्ट्रीय डेर फैडरेशन (International Dairy Federation-IDM):
यह 1903 में दूध एवं दुग्ध पदार्थों की गुणवत्ता की सुनिश्चितता के लिए निर्मित किया गया । इसका मुख्यालय ब्रुसैल में है । IDM ने पूर्व में FAQ/WHO Milk Committee को तथा वर्तमान में Codex Committee on Milk and Milk Products (C.C.M.M.P.) को तकनीकी सलाह प्रदान की है ।
ii. आई.एस.ओ. मानकीकरण के लिए अन्तर्राष्ट्रीय संगठन (International Organization for Standardization):
दूध तथा दुग्ध पदार्थों के लिए गुणवत्ता के मानक निर्धारित करता है । इस संगठन द्वारा निर्धारित ISO 9002-Quality System Model for Quality Assurance in Production and Installation Administration Services तथा IS-1500-HACCP (Hazard Analysis Critical Control Points) प्रमुख मानक हैं ।
iii. कोडेक्स ऐलीमेन्टरियस कमीशन (Codex Alimentarius Commission, 1962-Codex Standards CAC, 1964):
ये मानक एफ.ए.ओ. तथा डब्लू.एच.ओ. द्वारा संयुक्त रूप से खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चितता के लिए स्थापित किये गये हैं । कोडेक्स कमीशन, विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization) द्वारा मान्यता प्राप्त है । कोडेक्स कमीशन दारा निर्मित कोडेक्स मानकों की पूर्ति अन्तर्राष्ट्रीय खाद्य व्यापार की एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है ।
इस कमीशन द्वारा जो मारक स्वीकार कर लिये जाते हैं वह अन्तर्राष्ट्रीय मानक बन जाता है तथा इस कसौटी पर किसी भी राष्ट्र के उपभोक्ता वस्तुओं का आकलन किया जा सकता है । इनके अन्तर्गत स्वच्छता, प्रसंस्करण, नमूने लेने तथा उसके विश्लेषण की विधियाँ, खाद्य पदार्थ उत्पादन के सामान्य सिद्धान्त तथा दिशा निर्देश सम्मिलित हैं ।