दूध: परिभाषा और संरचना | Read this article in Hindi to learn about:- 1. दुग्ध का परिचय (Introduction to Milk) 2. दुग्ध की परिभाषा (Definition of Milk) 3. संगठन (Composition).
दुग्ध का परिचय (Introduction to Milk):
दूध एक रहस्यमयी पदार्थ है । जिस प्रकार ईश्वर के नाम को तो सब जानते है परन्तु उनके गुणों एवं शक्तियों को कम ही व्यक्ति पहचानते है, ठीक उसी प्रकार दूध के गुणों एवं महत्व की जानकारी सभी को नहीं है जबकि इसका नाम सभी जानते हैं । भोजन के रूप में प्रयोग होने वाले पदार्थों में यह सम्पूर्ण भोजन का निकटतम रूप है ।
दूध में शरीर की वृद्धि एवं विकास के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्त्व पाये जाते हैं यह नवजातों का एक मात्र भोजन है अतः दूध एक लगभग पूर्ण भोजन है जिसमें सभी पोषक तत्व जैसे वसा, कार्बोहाईइड्रेट, प्रोटीन, एन्जाईम, खनिज तत्व तथा विटामिन आदि उपस्थित होते हैं । मानव शिशु के लिए अपनी माँ का दूध सवोंत्तम एवं आदर्श भोजन है । परन्तु आवश्यकता होने पर उसे गाय बकरी या भैंस का दूध भी दिया जा सकता है ।
विपणित दूध (Market Milk):
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”विपणित दूध से अभिप्रायः उस पूर्ण, प्रसंस्करित एवं सुरक्षित दूध से है जो व्यक्तिगत उपभोक्ता को सीधे उपभोग हेतु बाजार में क्रय के लिए उपलब्ध कराया गया हो इसमें वह दूध सम्मिलित नहीं है जो उत्पादक द्वारा अपने परिवार में उपभोग हेतु रख लिया जाता है या उद्योगों में दुग्ध उत्पाद निर्माण के लिए उपयोग होता है ।”
”स्वास्थ दुधारु पशुओं के पूर्ण दोहन से प्राप्त पूर्ण, ताजा एवं स्वच्छ स्राव जिसमें ब्याने से 15 दिन पूर्व तथा 5 दिन बाद का स्राव सम्मिलित न किया गया हो तथा इसमें वसा तथा वसा सहित ठोस की निर्धारित मात्रा भी उपस्थित होनी चाहिए ।”
दुग्ध की परिभाषा (Definition of Milk):
दूध की परिभाषा के सम्बन्ध में दुग्ध विशेषज्ञों में मतान्तर है ।
इसे वैचारिक समूह के आधार पर तीन तरह से परिभाषित किया जा सकता है:
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1. जैविक परिभाषा (Biological Definition)
2. रासायनिक परिभाषा (Chemical Definition)
3. जैविक परिभाषा (Commercial Definition)
1. जैविक परिभाषा (Biological Definition):
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”मादा स्तनधारियों के प्रसव पश्चात उनके नवजात शिशु को तत्काल से आवश्यक नियमित पोषण हेतु माता की दुग्ध प्रन्धियों से आवश्यक पोषक तत्त्वों युक्त निरन्तर सुरक्षित स्रावित तरल पदार्थ को दूध कहते हैं” ।
”दूध स्वस्थ एवं उचित रूप से पोषित दुधारु गायों के सम्पूर्ण एवं सतत दोहन से प्राप्त होने वाला सम्पूर्ण उत्पाद है” ।
”दूध स्तनधारी पशुओं की दुग्ध ग्रान्धियों से प्राप्त एक तरल पदार्थ है जो नवजात शिशु के जन्म के तुरन्त पश्चात उसके पोषण के लिए स्त्रावित होता है” – डेविस ।
2. रासायनिक परिभाषा (Chemical Definition):
”रासायनिक दृष्टि से दूध एक विषमांग उत्पाद है जिसमें वसा, प्रोटीन, शर्करा, तथा खनिज पदार्थ क्रमशः इमल्सन, कोलाईडी निलम्बन तथा वास्तविक विलयन के रूप में जल की सतत तरल प्रावस्था में उपलब्ध रहते है ।”
3. व्यापारिक परिभाषा (Commercial Definition):
”दूध एक शुद्ध ताजा लैक्टियल स्राव है जो एक या एक से अधिक स्वस्थ एवं उचित रूप से पोषित गायों के पूर्ण दोहन से प्राप्त किया गया हो । इसमें पशु के ध्यानें के 15 दिन पूर्व तथा 10 दिन बाद तक का दूध सम्मिलित नहीं है । इसमें दुग्ध वसा तथा वसा विहीन पदार्थों की न्यूनतम मात्रा क्रमश 3.25% एवं 8.5% होनी चाहिए” – संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ।
”दूध दुधारु एवं स्वस्थ गायों के निरन्तर तथा पूर्ण दोहन से प्राप्त समस्त द्रव पदार्थ है । इन गायों का पालन पोषण उचित रूप से किया गया हो तथा ये कार्य से अत्याधिक थकी हुई न हो । दूध को उचित प्रकार से एकत्र किया गया हो तथा इसमें खीस की कोई मात्रा मिश्रित न हो ।” – जैनवा कांग्रेस ।
दूध का संगठन (Composition of Milk):
जैविक आधार पर मादा के प्रसव उपरान्त के स्राव को दूध में सम्मिलित किया गया है । इसमें नवजात शिशु की आवश्कतानुसार प्राकृतिक रूप से संगठनात्मक परिवर्तन होते रहते है । प्रसव के तुरन्त बाद निकलने वाला स्राव खीस कहलाता है । यह 4-5 दिन बाद के स्राव से गाढा होता है ।
प्रसव से 4-5 दिन बाद तक के दूध में से एक तेज गन्ध, स्वाद में तीखापन तथा रग में पीलापन होता है । इस स्राव में Immunoglobulins की मात्रा अधिक पायी जाती है जो बच्चे में रोग रोधी क्षमता उत्पन्न करने के लिए आवश्यक है ।
विश्व के सभी देशों में प्राचीन काल से भी दूध के संगठन को जानने का प्रयास विद्वानों द्वारा किया जाता रहा है । सभी स्तनधारियों के दूध के अव्यव तथा गुण समान नहीं पाये जाते हैं । यद्यपि सभी अव्यव गुणात्मक रूप से समान है तो भी दूध में उनकी मात्रात्मक भिन्नता प्रभावी है ।
इस विभिन्नता को प्रभावित करने वाले असंख्य कारक है । एक पशु के एक समय के दुहान के दूध के विभिन्न भागों में पाये जाने वाले अव्यवों की मात्रा में भी भिन्नता पायी जाती है ।
दूध में पाये जाने वाले प्रमुख अव्ययों की औसत मात्रा निम्नवत् पायी जाती है:
1. जल – 87.34 प्रतिशत
2. वसा – 3.75 प्रतिशत
3. लैक्टोज – 4.70 प्रतिशत
4. केसीन – 3.00 प्रतिशत
5. एल्ब्यूमिन- 0.40 प्रतिशत
6. भस्म – 0.75 प्रतिशत
7. अन्य – 0.06 प्रतिशत
भारतीय पशुओं के दूध का संगठन विदेशी (यूरोपीय) पशुओं के दूध के संगठन से भिन्न पाया जाता है । यहीं भारत में पाले जाने वाले दुधारु पशुओं के संगठन की व्याख्या की जा रही है साथ ही उसकी अन्य स्तनधारियों के दूध से तुलना भी की गयी है ।