न्यायालयों और ट्रिब्यूनल के बीच अंतर | Read this article in Hindi to learn about the difference between courts and tribunals.

न्यायालयों एवं न्यायाधिकरणों में अंतर:

1. स्वतंत्रता:

न्यायालयों के न्यायाधीश स्वतंत्र होते है, जबकि न्यायाधिकरण के अधिकारी सरकारी नियमों से बंधे होते हैं ।

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2. प्रक्रिया:

सामान्य न्यायालय निश्चित सिद्धांतों का पालन करने के लिए बाध्य है । जबकि न्यायाधिकरण काफी लोचशीलता के आधार पर काम करते हैं । इसलिए उन्हें विवेक के प्रयोग की अधिक छूट है ।

3. निष्पक्षता और तटस्थता:

न्यायालय तथ्यों के आधार पर ही निर्णय लेते है । लेकिन प्रशासकीय अधिकारी सार्वजनिक नीति को लागू करने के लिए तो उत्तरदायी है हीं, उसे परिणामों के प्रभावों पर भी ध्यान देना पड़ता है अतः वह निष्पक्ष नहीं रह पाता ।

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4. व्यक्तिगत सुनवाई:

न्यायाधीश न्याय करने के लिए स्वयं उत्तरदायी है उसका हस्तांतरण नहीं कर सकता । न्यायाधिकरणों में यह किया जा सकता है ।

5. द्विपक्षीयता:

न्याय में सदैव दो पक्ष वादी और प्रतिवादी होते है, न्यायाधिकरण में ऐसा होना जरूरी नहीं । इसी प्रकार न्यायाधीश स्वयं कोई कार्य शुरू नहीं कर सकता जबकि न्यायाधिकरण स्वयं जांच की पहल कर सकता है ।

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6. साक्षी के नियम:

न्यायालय में साक्ष्य संबंधित नियमों का जितनी कठोरता के साथ पालन होता है, उतना न्यायाधिकरणों में नहीं ।

7. खुली कार्यवाही:

न्यायालयों की कार्यवाही खुली होती है । जबकि प्रशासनिक न्यायालयों में खुली कार्यवाही आवश्यक ।

8. तथ्य और तर्कों का आधार:

न्यायालयों के न्यायिक निर्णय इन्हीं आधारों पर अवलंबित है । प्रशासकीय निर्णय इन पर इतने निर्भर नहीं करते ।