खाद्य जन्म रोग: लक्षण और प्रकार | Read this article in Hindi to learn about:- 1. खाद्य जनित रोगों का अर्थ (Meaning of Food Borne Diseases) 2. खाद्य विषाक्तता के प्रकार (Types of Food Borne Diseases) 3. संकेत तथा लक्षण (Symptoms).
खाद्य जनित रोगों का अर्थ (Meaning of Food Borne Diseases):
खराब भोजन में सूक्ष्मजीव खाने के समय में भोजन में उपस्थिति रहते है तथा ये Host में प्रवेश कर वृद्धि करके बीमारी उत्पन्न करते हैं । जब भोजन विषाक्त (Toxic) हो जाता है तो सूक्ष्मजीव भोजन में ही वृद्धि करते हैं जो मनुष्य तथा जानवरों के लिए विषाक्त होता है ।
मनुष्य सामान्यतः ऐसा भोजन नहीं खाते जो दिखने में खराब सड़ा गला हो लेकिन ये उस भोजन को खा लेते हैं जो दिखने में सामान्य होता है लेकिन वह Microbes द्वारा संदूषित रहता है जो कुछ समय पश्चात रोग उत्पन्न करते हैं । यह भोजन न ही दुर्गन्ध देता है और न ही अन्य प्रकार के लक्षण प्रदर्शित करता है ।
भोजन में सूक्ष्मजीव उत्पन्न होना तापमान व मौसम के अनुसार होता है जो भोजन को विषाक्त बनाते चले जाते हैं उपयोग से मनुष्य में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं । खाद्य जनित रोग (खाद्य जनित व्याधि तथा खाद्य विषाक्तता दूषित भोजन के सेवन के परिणाम स्वरुप उत्पन्न रोग है ।
खाद्य विषाक्तता के प्रकार (Types of Food Borne Diseases):
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खाद्य विषाक्तता दो प्रकार की होती है:
(1) संक्रामक एजेंट और
(2) विषाक्त एजेंट ।
खाद्य संक्रमण उन जीवाणुओं या अन्य रोगाणुओं की उपस्थिति को सन्दर्भित करता है जो सेवन के बाद शरीर को संक्रमित करते हैं । खाद्य संक्रमण भोजन में निहित विष के अंतर्ग्रहण को संदर्भित करता है, जिसमें जीवाणुजनित बहिर्जीव विष सहित हैं, जो तब भी हो सकता है, जब विष उत्पन्न करने वाले सूक्ष्म जीव अब उपस्थित न हों या उनमें संक्रमण फैलाने की क्षमता न रह गई हो ।
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सामान्यत: खाद्य विषाक्तता के बावजूद अधिकांश मामलों में इसका कारण रासायनिक या प्राकृतिक विषों की अपेक्षा संदूषित भोजन में रोगजनक जीवाणु, विषाणु या परजीवी होते हैं ।
खाद्य जनित रोगों के संकेत तथा लक्षण (Symptoms of Food Borne Diseases):
खाद्य जनित रोगों के लक्षण विशेष रूप से सेवन के कुछ घंटो या दिनों के पश्चात आरम्भ होते हैं और संबद्ध एजेंट के आधार पर, इनमें निम्नलिखित में से एक या अधिक लक्षण शामिल हो सकते हैं:
(i) पेट दर्द,
(ii) उल्टी,
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(iii) दस्त,
(iv) बुखार,
(v) सिरदर्द या
(vi) थकान ।
अधिकांश मामलों में तीव्र बैचेनी और बीमारी की छोटी अवधि के पश्चात शरीर स्थायी रूप से ठीक हो जाता है । यद्यपि, खाद्यजनित रोग के परिणामस्वरुप, विशिष्ट रूप से उन लोगों में, जो अधिक खतरे में हैं जिनमें शिशु (छोटे बच्चे), गर्भवती महिलायें (और उनके भ्रूण), बुजुर्ग, बीमार लोग, तथा दुर्बल प्रतिरोधी प्रणाली वाले अन्य लोग शामिल हैं । खाद्यजनित रोगों से स्थायी स्वास्थ्य समस्याएं या मृत्यु भी हो सकती हैं ।
कैंपीलोबेक्टर (Campylobacter), येर्सिनिया (Yersinia), साल्मोनेला (Salmonella) या शिगेला (Shigella) के संक्रमण के कारण खाद्यजनित रोग प्रतिक्रियात्मक गठिया (Arthritis) का एक मुख्य कारण है जो विशेष रूप से दस्त की बीमारी के 1-3 सप्ताह बाद घटित होता है ।
इसी तरह, जिगर की बीमारी से ग्रसित लोग विब्रियो वल्नीफीकुस (Vibrio Vulnificus) के संक्रमण के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं, जो घोंघो या केंकड़ों में पाया जाता है । रीफफिश (Reef Fish) और अन्य पशुओं से टेट्रोडोटोक्सिन (Tetrodotoxin) की विषाक्तता, सुन्नता और सांस लेने में कमी के रूप में शीघ्रता से स्पष्ट हो जाती है और प्राय: घातक होती है ।
जीवाणु:
जीवाणु खाद्यजनित रोग के सामान्य कारण हैं ।
वर्ष 2000 के दौरान यूनाइटेड किंगडम में शामिल निम्नलिखित व्यक्तिगत जीवाणु थे:
(i) कम्पीलोबैक्टर जेजुनी 77.3 प्रतिशत,
(ii) साल्मोनेला 20.9 प्रतिशत तथा
(iii) अन्य सभी 0.1 प्रतिशत से कम ।
पूर्व में, जीवाणु संक्रमण अधिक प्रचलित माने जाते थे क्योंकि नोरोवायरस के परीक्षण की क्षमता कुछ ही स्थानों पर उपलब्ध थी और इन विशिष्ट एजेंटों की कोई सक्रिय निगरानी नहीं की जाती थी । जीवाणु संक्रमणों के लिए लक्षणों में विलम्ब होता है क्योंकि जीवाणुओं की गुणात्मक वृद्धि के लिए समय की आवश्यकता होती है । वे सामान्यत: दूषित भोजन के सेवन के 12-72 घंटों के बाद तक दिखाई नहीं देते हैं ।
सर्वाधिक सामान्य जीवाणु खाद्य जनित रोगजनक हैं:
1. कम्पीलोबैक्टर जेजुनी जो सेकेंडरी गुल्लियन-बैर्रे सिंड्रोम और पैरीओडोंटाइटिस का मार्ग प्रशस्त कर सकती है ।
2. क्लोस्ट्रीडियम पर्फ्रिजेंस गैस्ट्रोइनट्रेटिस रोगाणु ।
3. साल्मोनेला एक संक्रमण है, जो अपर्याप्त रूप से पकाए गए अण्डों के सेवन से या अन्य मानव पशु रोगजनकों के परस्पर क्रियाशीलता के कारण होता है ।
बहिर्जीवविष (Exotoxins):
प्रत्यक्ष जीवाणु संक्रमण द्वारा उत्पन्न रोगों के अतिरिक्त, कुछ खाद्यजनित बीमारियां बहिर्जीवविष के कारण उत्पन्न होती हैं, जो जीवाणु संवर्धन के दौरान कोशिकाओं द्वारा उत्सर्जित किये जाते हैं । बहिर्जीवविष तब भी रोग उत्पन्न कर सकते हैं जब कि उन्हें उत्पन्न करने वाले सूक्ष्म जीव मारे जा चुके हों, विशेष प्रकार के लक्षण 1-6 घंटे के बाद प्रकट होते हैं, यह विष ग्रहण करने की मात्रा पर निर्भर करता है ।
(i) क्लॉस्ट्रीडियम बोटूलिनम (Clostridium Botulinum),
(ii) क्लॉस्ट्रीडियम परफ्रिंन्जैन्स (Clostridium Perfringens),
(iii) स्टेफाइलोकोकस ऑरीअस (Staphylococcus Aureus),
(iv) बैसीलस सिरियस (Bacillus Cereus) ।
उदाहरण के लिए स्टेफाइलोकोकस ऑरीअस एक विष उत्पन्न करता है जो अत्यधिक तीव्र उल्टी का कारण होता है । दुर्लभ किंतु संभावित घातक रोग बोटुलिज्म तब होता है जब अनएरोबिक बैक्टीरियम क्लास स्ट्रीडियम निम्न-अम्ल वाले खाद्य-पदार्थों में अनुचित ढंग से डिब्बा बंद कर दिया जाता है और यह बोटुलिन, एक शक्तिशाली लकवाकारी विष शक्तिशाली पक्षाघाती विष पैदा करता है ।