बायोमेस पर निबंध | जैविक समुदाय | परिस्थितिकी | Read this article in Hindi to learn about the biomes.

एक विस्तृत स्थलीय अथवा जलीय परिस्थितिकी तंत्र, जिसमें विशेष प्रकार के पेड़-पौधे तथा जीव-जंतु पाये जाते हो बायोम कहलाता है । किसी बायोम की प्रमुख वनस्पति के आधार पर उसका नाम दिया जाता है । हिमचादरों तथा अत्यंत बंजर मरुस्थलों को छोड़कर विश्व के सभी भाग किसी-न-किसी प्रकार के बायोम से ढके हुये हैं ।

कोई दो बायोम एक जैसे नहीं होते हैं । सामान्यतः भू-परिस्थितिकी व जलवायु बायोम की सीमाओं का निर्धारण करते हैं । मानव समाज, अपने भोजन, वस्त्र, आवास, ईंधन, औषधियों, पर्यटन, मनोरंजन, संसाधनों तथा सौंदर्यपरक गतिविधियों के लिए अपने बायोम पर निर्भर करता है, इसलिए उसके लिए बायोम की भारी महत्ता है ।

एक बायोम में एक या से अधिक पारिस्थितिकी तंत्र पाये जाते हैं जो विस्तृत क्षेत्र पर फैला हुआ होता है । किसी भी बायोम के घटकों में जैविक तथा अजैविक तत्त्व सम्मिलित होते हैं ।

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विश्व के प्रमुख बायोम को निम्न वर्गों में विभाजित किया जाता है:

(i) स्थलीय बायोम – वन, घास भूमि तथा मरुस्थल तथा

(ii) जलीय बायोम – ताजा जल, लवणीय जल तथा समुद्री जल ।

(i) स्थलीय बायोम (Terrestrial Biomes):

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प्रमुख बायोमों की मुख्य विशेषताओं का संक्षिप्त निम्न में दिया गया है:

1. ऊष्णकटिबंधीय सदाबहार वर्षा वन बायोम (Tropical Evergreen, Rain Forest Biome)

2. मानसूनी पतझड़ वन बायोम (Monsoonal Deciduous Forest Biome)

3. ऊष्णकटिबंधीय सवाना घास के मैदान (Tropical Savanna Biome)

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4. सबट्रोपिकल पतझड़ बायोम (Subtropical Deciduous Biome)

5. शीतोष्ण कटिबंध वर्षा बायोम (Temperate Rainforest Biome)

6. भूमध्य सागरीय बायोम (Mediterranean Biome)

7. शीतोष्ण कटिबंधीय घास के मैदान बायोम (Temperate Grassland Biome)

8. टैगा अथवा बोरियल बायोम (Taiga or Boreal Biome)

9. मरुस्थलीय बायोम (Desert Biome)

10. टुंड्रा तथा अल्पाइन टुंड्रा बायोम (Tundra and Alpine Tundra Biome)

11. अल्पाइन टुंड्रा बायोम (Alpine Tundra Biome)

1. ऊष्णकटिबंधीय सदाबहार वर्षा वन बायोम (Tropical Evergreen Rain Forest Biome):

विषुवत रेखा के दोनों ओर 10 उत्तर से 10 दक्षिण में सदाबहार जंगल बायोम फैला हुआ है जिसमें अमेजन बेसिन, कांगों बेसिन तथा द. पूर्वी एशिया के द्वीप समूह पर फैला हुआ है । विश्व के इस प्रदेश में साल-भर ऊँचा तापमान रहता है तथा साल भर वर्षा के कारण आर्द्रता रहती है । अधिक तापमान, सूर्य प्रकाश तथा वर्षा के कारण विषुवतरेखीय प्रदेश सदाबहार जंगलों के लिये अनुकूल हैं ।

ऊष्णकटिबंधीय सदाबहार बायोम में चौडी पत्ती वाले ऊँचे वृक्ष पाये जाते हैं । इनके घनी छतरी वाले वृक्षों में नीचे से ऊपर की ओर जाते हुये तीन मंजिलें पाई जाती हैं । विषुवतरेखीय प्रदेशों में ऊँचे तापमान तथा अधिक वर्षा के कारण वृक्षों की लकड़ी कठोर तथा दृढ़ होती है । इस बायोम के प्रदेशों में लगभग बारह घटे का दिन तथा बारह घटे की रात होती है । औसत वार्षिक तापमान 25C के आस-पास तथा औसत वार्षिक वर्षा 200 से. मी. से अधिक होती है । ऐसी भौगोलिक परिस्थितियों के कारण इस बायोम में भारी जैविक-विविधता पाई जाती है ।

विषुवतरेखीय सदाबहार जंगलों में नीचे से ऊपर की ओर जाते हुये तीन मंजिलें पाई जाती हैं । इस बायोम के वृक्षों पर बेले लिपटी रहती हैं । कुछ लताओं की मोटाई 20 सेंटीमीटर तक होती है । इनके अतिरिक्त वृक्षों पर अधिपादप भी लिपटे रहते हैं जो एक वृक्ष से दूसरे वृक्ष पर फैली रहती है ।

विषुवत रेखीय जंगलों के निचले भाग में वृक्षों की सघनता के कारण पवन-संचार नहीं के बराबर होता है और इसी कारण परागण आमतौर पर कीडों-मकोडों अथवा स्वतः परागण के द्वारा होता है । इन वनों के ऊपरी भाग में कुछ ऊँचे वृक्ष बिखरे हुये देखे जा सकते है. जबकि मध्य भाग के वृक्षों में निरंतरता पाई जाती है । वनों के निचले भाग बाँस, फर्न तथा वृक्षों की पौध आदि से ढके रहते हैं ।

विषुवतरेखीय बायोम के वृक्षों के चिकने तनो पर पतली छाल तथा पेड़ों की दाढ़ी पाई जाती है, जो वृक्षों की लम्बी-लम्बी शाखाओं को सहारा देती है । प्रायः वृक्षों के निचले एक-तिहाई भाग में शाखायें नहीं होती ।

विषुवत-रेखीय प्रदेश में ऊँचे तापमान तथा अधिक वर्षा के कारण वृक्षों की लकड़ी कठोर होती है । कठोर लकडी के वृक्षों में आबनूस, महोगनी, आयरन-वुड, रोजवुड, रबर, सिंकोना इत्यादि सम्मिलित हैं ।

विषुवत-रेखीय सदाबहार जंगलों में नाना प्रकार के पशु-पक्षी तथा जीव-जंतु पाये जाते हैं । वृक्षों पर आवास करने वाले लंगूर, बंदर, भालू, रीछ, कुबंग, सुंदर-पक्षी, तोते, चिडियायें, मेंढक, छिपकलियाँ, साँप, बिच्छू, चमगादड तथा कीड़े-मकोडे पाये जाते हैं ।

विषुवत-रेखीय वन प्रदेशों का लगभग 50 प्रतिशत क्षेत्रफल विकास के नाम पर वृक्ष काट कर जंगल साफ कर दिए गए हैं । इस बायोम के वृक्षों को परिपक्वता प्राप्त करने में लगभग 100 से लेकर 250 वर्ष लगते हैं ।

विषुवत-रेखीय वनों का सबसे बडा भाग अमेजन बेसिन में पाया जाता है जिनको सेल्वाज कहते हैं । विषुवत-रेखीय घने-सदाबहार जंगल कांगो नदी के बेसिन, मेडागास्कर, इंडोनेशिया, मलेशिया, न्यूगिनि, अंडमान-निकोबार इत्यादि में पाये जाते हैं ।

2. मानसूनी पतझड़ वन बायोम (Monsoonic Deciduous Forest Biome):

ऊष्ण कटिबंधीय मानसूनी बायोम के वृक्ष गर्मी का मौसम आरंभ होने से पहले अपने पत्ते गिरा देते हैं इन वनों का क्षेत्रफल विषुवत-रेखीय सदाबहार वनों की सीमाओं पर फैला हुआ है । इसके प्रमुख क्षेत्रों में म्यांमार, थाइलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, वियतनाम, लाओस, कंबोडिया, फिलीपींस, अंगोला, जांबिया, जिम्बाब्वे, तंजानिया, मध्य अमेरिका, ब्राजील, गुयाना तथा वेनिजुएला आदि देशों में फैले हुये हैं ।

मानसूनी जलवायु प्रदेशों में औसत वार्षिक वर्षा 100 से 200 से. मी. तक होती है । वर्षा अधिकतर वर्षा ऋतु में होती है । वृक्षों की औसत ऊँचाई लगभग 15 मीटर होती है । मानसूनी जंगलों को अलग-अलग देशों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है । उदाहरण के लिये इनको ब्राजील के बहाई प्रदेश में काटिंग, पराग्वे तथा अर्जेटीना में चाको, आस्ट्रेलिया में बीरगालो, तथा द. अफ्रीका में डाऊन-वेल्ड के नाम से जाना जाता है ।

मानसूनी पतझड़ बायोम के मुख्य वृक्षों में साल, सागौन, शीशम, महुआ, सेंथल, खैर, पीपल, सिरस, बरगद, इत्यादि सम्मिलित हैं । शुष्क ग्रीष्म ऋतु से अनुकूलता उत्पन्न करने के लिये कुछ वृक्षों के तनों से गोद इत्यादि उत्पन्न होता है ।

3. ऊष्ण कटिबंधीय सवाना घास के मैदान (Tropical Savannah Grassland):

ऊष्णकटिबंधीय सवाना घास के मैदान वास्तव में ऐसे विस्तृत घास के मैदान हैं जो विषुवतरेखीय आर्द्र जलवायु तथा ऊष्ण गर्म मरुस्थलों में मध्य के प्रदेशों में पाये जाते हैं । इन घास के मैदानों में वृक्षों का अभाव है तथा यदा-कदा बबूल के वृक्ष पाये जाते हैं । इस बायोम की छतरी ऊपर से चपटी होती है ।

मानव द्वारा आग का उपयोग किये जाने से पहले पृथ्वी के धरातल का लगभग 40 प्रतिशत भाग सवाना घास के मैदानों के अंतर्गत था । आज भी सवाना घास के मैदानों में प्रायः आग लगने के कारण बहुत-सी घास नष्ट हो जाती है । इस बायोम की हाथी घास की ऊँचाई कहीं-कहीं पाँच मीटर तक हो जाती है । सवाना घास के मैदानों में मृदा में ह्यूमस की मात्रा अधिक होती है ।

अफ्रीका में सूडान, सोमालिया, इथोपिया, कीनिया आदि इस बायोम में विस्तृत क्षेत्र हैं । कीनिया का सिरंगाती मैदान इसी बायोम में स्थित है । सवाना घास के मैदानों को बेनेजुएला द. ब्राजील में पेंटानल के नाम से जाना जाता है ।

सवाना घास के मैदानों में विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षी तथा जीव-जंतु पाये जाते हैं । जंगली पशुओं में मुख्यतः विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षी तथा जीव-जंतु पाये जाते है । जंगली पशुओं में चीता, कुरंग, हिरन, जेबरा, जंगली-भैंसा, गैंडा, हाथी, शेर उल्लेखनीय हैं । इन बहुमूल्य जंगली पशुओं की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिये सवाना घास के मैदानों के विस्तृत क्षेत्र अनिवार्य हैं ।

सवाना बायोम के मुख्य वृक्षों में सूडान के बाओबाब, आस्ट्रेलिया के युकलिप्टस, केलोफिला तथा ताड़ प्रमुख हैं । घास से ढके हुये सवाना मैदान गर्मी के मौसम में सूखी घास का दृश्य दिखाते है जो वर्षा ऋतु में वर्षा होते ही हरे-भरे नजर आने लगते हैं । ज्वार, बाजरा, मक्का, दलहन, तिलहन, मूँगफली आदि की कृषि के लिये कृषि भूमि का उपयोग किया जाता है । इस बायोम के वृक्षों में सूखा सहन करने की शक्ति प्राप्त होती है ।

4. सबट्रोपिकल पतझड़ बायोम (Sub-Tropical Deciduous Biome):

यह बायोम उत्तरी अमेरिका की ग्रेट लेक्स, चीन के उत्तरी पूर्वी भाग उत्तरी तथा दक्षिणी कोरिया तथा जापान के दक्षिणी द्वीपों पर फैला हुआ है । इसमें सदाबहार तथा पतझड़ वाले वृक्षों का मिश्रण है । पर्वतों की ऊँचाई की ओर जाते हुये कोणधारी वृक्षों का मिश्रण भी पाया जाता है । रेड-पाइन, सदाबहार हेल्मक, तथा ओक, बीच, हिकोरी, चिनार, एल्म तथा चेस्नट मुख्य वृक्ष है ।

5. शीतोष्ण कटिबंधीय वर्षा बायोम (Temperate Rainforest Biome):

इसको अति हरा-भरा बायोम भी कहते हैं । उत्तरी अमेरिका के प्रशांत महासागरीय तट पर यह बायोम पाया जाता है । विश्व के सबसे ऊँचे वृक्षों में रेड-बुद्ध उल्लेखनीय हैं । सबसे ऊँचे तथा सबसे पुराने वृक्षों में डग्लस-फर (Douglas Fir), स्प्रूस, देवदार तथा हेम्लोक प्रमुख हैं । संयुक्त राज्य अमेरिका के ओरिगोन तथा वाशिंगटन में यह वनस्पति पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है ।

6. भूमध्य सागरीय बायोम (Mediterranean Biome):

भूमध्य सागरीय बायोम विशेष रूप से भूमध्य सागर के निकटवर्ती भागों में फैला हुआ है । इनके अतिरिक्त इस प्रकार का बायोम कैलिर्फोनिया, मध्य चिली, दक्षिणी अफ्रीका, आस्ट्रेलिया के दक्षिणी-पूर्वी भाग तथा तस्मानिया में पाया जाता है ।

भूमध्य सागरीय बायोम में गर्मी का मौसम ऊष्ण मरुस्थलों की भांति गर्म रहता तथा अधिकतर वर्षा शीत काल में शीतकटिबंध में चक्रवातों से होती है । इस बायोम की प्राकृतिक वनस्पति में विशेष प्रकार की झाड़ियाँ तथा वृक्ष पाये जाते हैं, जिनकी पत्तियाँ छोटी-मोटी तथा चिकनी होती हैं ।

इनकी जड़ें काफी गहरी होती हैं । इस प्रकार की झाड़ियों की ऊँचाई प्रायः दो से तीन मीटर होती है । भूमध्य सागरीय प्रदेशों में व्यापारिक खेती की जाती है । यह बायोम खट्टे फलों, अंगूर, सेब, संतरे, नींबू तथा नाना प्रकार की सब्जियों के लिये प्रसिद्ध है ।

7. शीतोष्ण कटिबंधीय घास के मैदान बायोम (Temperate Grassland Biome):

शीताष्ण कटिबंधीय/मध्य अक्षांशीय घास के मैदान यूरोप, एशिया, उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका, द. अफ्रीका तथा दक्षिणी आस्ट्रेलिया में पाये जाते हैं । इन घास के मैदानों को उत्तरी अमेरिका में प्रयरीज, यूरेशिया में स्टेपी, द. अमेरिका के अर्जेटीना तथा उरूग्वे में पमपाज, द. अफ्रीका में वेल्ड तथा आस्ट्रेरलिया में डाऊन के नाम से जाना जाता है ।

8. टैगा अथवा बोरियल बायोम (Taiga or Boreal Biome):

टैगा बायोम को कोणधारी वनों का बायोम अथवा बोरियल बायोम कहते हैं । इस बायोम का विस्तार उत्तरी अमेरिका में अलास्का से लेकर कनाडा के पूर्वी भाग तक फैला हुआ है । इनके अतिरिक्त हिमालय, एंडीज, राकी, आल्पस इत्यादि पर्वतों के ऊँचे ढलानों पर भी कोणधारी वृक्ष पाये जाते हैं ।

इस बायोम के मुख्य वृक्षों में स्प्रूस तथा फर सम्मिलित हैं । कोणधारी वन मुलायम लकड़ी के लिये प्रसिद्ध हैं । इनका उपयोग प्रायः फर्नीचर, कागज तथा लुगदी बनाने के काम में होता है ।

9. मरुस्थलीय बायोम (Desert Biome):

विश्व के लगभग एक-तिहाई थल पर मरुस्थल फैले हुये हैं । मरुस्थलीय वनस्पति शुष्कता एवं वर्षा को अभाव के लंबे समय तक सहन कर सकती है । इसी कारण इस वनस्पति को मरुदभिदी वनस्पति कहा जाता है । कुछ पेड-पौधों के बीच वर्षा तक रेत-मिट्टी में मिले रहते हैं, और हल्की-सी वर्षा होने पर भी उन बीजों में अँकुर निकल आते हैं और दो-चार दिन के लिये हरियाली-सी छा जाती है ।

ऊँचे तापमान एवं तीव्र वाष्पीकरण के कारण ये कोमल-सुंदर पौधे मुरझा कर सूख जाते हैं इन पौधों का जीवन-चक्र दो-चार दिन का होता है । इसी समय में इस वनस्पति में फूल-फल और बीज आ जाते हैं । शुष्क एवं ऊष्ण तापमान के कारण ये बीज फिर से मिट्टी में मिल जाते हैं और वर्षों तक फिर रेत में पडे वर्षा का इंतजार करते रहते हैं । वर्षा होने पर इनका जीवन-चक्र फिर से आरंभ हो जाता है ।

मरुस्थलीय बायोम की स्थिर स्थायी वनस्पति में नागफनी तथा बबूल इत्यादि सम्मिलित हैं । नागफनी की काँटेदार पत्तियाँ मोटी तथा उनकी प्रक्रिया कम होती है; कुछ वृक्षों तथा नागफनी पर लंबे-रेशेदार धागे होते हैं, जिनसे बदबू निकलती है, जिसके कारण पशु उनकी पत्तियों को हानि नहीं पहुँचा पाते ।

विश्व के मरुस्थलों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है:

(i) ऊष्ण मरुस्थल तथा

(ii) ठंडे मरुस्थल

(i) ऊष्ण मरुस्थल (Hot Deserts):

ऊष्ण मरुस्थल प्रायः प्रत्येक महाद्वीप के ऊष्ण कटिबंध के पश्चिमी भागों में पाये जाते हैं । सभी ऊष्ण मरुस्थल अधिक वायु भार की पेटियों में स्थित हैं । इन पेटियों में वायु ऊपर से नीचे की ओर उतरती है, जिससे वायु भार में वृद्धि होती रहती है । सभी ऊष्णकटिबंधीय मरुस्थलों में ये वर्षा के अभाव के कारण बहुत शुष्क होते हैं ।

इन मरुस्थलों में वर्षण की अपेक्षा वाष्पीकरण अधिक होता है । वर्षा प्रायः 20 से. मी. से कम होती है । विश्व का सबसे शुष्क मरुस्थल आटाकामा, चिली (द. अमेरिका) में स्थित है । आटाकामा मरुस्थल में औसत वार्षिक वर्षा 0.05 से. मी. से भी कम होती है ।

बहुत-से ऊष्ण-मरुस्थलों के पश्चिम की ओर स्थित महासागरों में ठंडे पानी की जलधाराएँ पाई जाती हैं । पानी की इन ठंडी धाराओं का भी ऊष्ण मरुस्थलों की उत्पत्ति में विशेष भूमिका है । ऐसे मरुस्थलों में सहारा अरिजोना (संयुक्त राज्य अमेरिका), आटाकामा, नामीबिया (अफ्रीका) तथा ग्रेट-विकटोरिया मरुस्थल (आस्ट्रेलिया) प्रमुख हैं ।

इन मरुस्थलों में ग्रीष्म कोहरा तथा बुध होता है जिसकी वनस्पति व जन्तुओं को आवश्यकता होती है । स्थायी वनस्पति प्रजातियां जैसे कैक्टस, क्रिओसोट-झाड़ी, फेट्रोकैक्टस तथा बबूल मरुस्थलीय बायोम में विस्तृत रूप से पाए जाते हैं । लवण निक्षेप वाले क्षेत्र सीपवुड, गीजवुड, सर्कोबटूस तथा लवण घासों का पाया जाना सामान्य है । वास्तव में मरुस्थलीय क्षेत्रों में वही वनस्पति व जीव रह सकते हैं जो विशेष रूप से स्वयं को अनुकूलित करने में सक्षम होते हैं ।

(ii) ठंडे मरुस्थल (Cold Deserts):

ठंडे मरुस्थल प्रायः शीतोष्ण कटिबंध एवं ऊँचे पठारों पर पाये जाते हैं । मंगोलिया का गोबी मरुस्थल, तुर्कमानिस्तान एवं कजाकिजस्तान के कजलकुम व कराकुम मरुस्थल, चीन का टकला-मकान, जुंगारियन मरुस्थल (चीन), लद्दाख (भारत) इत्यादि ठंडे मरुस्थलों के उदाहरण है ।

इंडीज पर्वत के पूर्व में पेटागोनिया का मरुस्थल भी ऐसे ही ठंडे मरुस्थल का उदाहरण हैं । ठंडे मरुस्थल में शीतकाल में हिमपात होता है परंतु यह हल्का होता है । ग्रीष्म ऋतु गर्म होती है तथा औसत अधिक तापमान 30 सेल्सियस से 40 सेल्सियस होता है ।

रात के समय यह निम्न हो जाता है तथा यहाँ तक कि ग्रीष्म ऋतु में यह दिन के उच्च तापमान से 10 से 15 सेल्सियस तक कम हो सकता है । शुष्कता, साफ आकाश, यंत्र-तंत्र बिखरी वनस्पतियों से उच्च विकरण वाली ऊष्मा का ह्रास होता है जिससे शामें ठंडी व रातें सुहावनी होती हैं ।

भारत में ठंडे मरुस्थल लद्‌दाख, लाहोल स्पीति (हिमाचल प्रदेश), उत्तरकाशी (उत्तराखंड) तथा लद्‌दाख व सिक्किम में हिमालय के अनुवात दिशा में पाए जाते हैं । वृहत हिमालयों की अनुवात दिशा पर होने के कारण भारत के ठंडे मरुस्थलों में जलवायु कठोर है ।

इन निर्जन रेगिस्तानों में विचित्र वनस्पतियाँ व जीव जंतु पाए जाते हैं । निर्जन, बिखरे हुए तथा अत्यधिक चराई वाली धासें पाई जाती हैं । चराई अवधि 3-4 महीने से कम होती है । मुख्य वृक्षों में ओक, चीड, भोज, रोडोडेन्डरान तथा झाड़ियाँ शामिल हैं । प्रमुख जानवरों में याक, भेडें, मृग तथा लघुकाय गाएं शामिल हैं ।

10. टुंड्रा तथा अल्पाइन टुंड्रा बायोम (Tundra and Alpine Tundra Biome):

टुंड्रा बायोम उत्तरी गोलार्द्ध में अमेरिका के अलास्का, कनाडा, ग्रीनलैंड, आर्कटिक द्वीप समूह प्रदेशों में फैला हुआ है । इस बायोम में तापमान बहुत नीचे रहता है । कठोर सर्दी पड़ती है, तनेदार वृक्ष नहीं उगते । ग्रीष्म काल में केवल लिकान, सेज तथा काई ही उगती है । कहीं-कही छोटी घास भी उग जाती है । टुंड्रा प्रदेश केवल साठ दिन ही वनस्पति उगने के अनुकूल होते है । प्राकृतिक वनस्पति के अभाव में टुंड्रा बायोम की प्राइमरी उत्पादकता अन्य सभी बायोम से कम है ।

टुंड्रा बायोम की अत्यधिक ठंडी एवं कठोर जलवायु के कारण यहाँ प्राकृतिक वनस्पति का अभाव है । यहाँ पशु-पक्षी आहार की तलाश में स्थानांतरण करते रहते हैं । मुख्य पशुओं में रेन्डयर, करीबू, सफेद भालू, सफेद लोमड़ी, सफेद भेडिये, छछूँदर इत्यादि सम्मिलित है ।

टुंड्रा बायोम के अधिकतर पशुओं पर बालों का फर (हय) पाया जाता है जिससे कठोर सर्दी सहन करने में सहायता मिलती है । टुंड्रा बायोम में घुव्रीय भालू जल निरोधक कोट व झिल्लीदार पैरों से तैरने की प्रक्रिया में स्वयं को ढाल लेते है । पक्षियों में बतख, जलमुर्गी, हंस इत्यादि उल्लेखनीय हैं । टुंड्रा के पक्षी मौसम के अनुसार पलायन करते रहते हैं ।

11. अल्पाइन टुंड्रा बायोम (Alpine Tundra Biome):

अल्पाइन टुंड्रा बायोम ऐसी पर्वत शिखरों पर पाया जाता है जो साल भर बर्फ से ढके रहते हैं । अल्पाइन बायोम वृक्ष रेखा से ऊपर अधिक ऊँचाइयों पर हैं । इस बायोम को विशेष रूप से हिमालय, राकी, एंडीज, अल्पस आदि ऊँची चोटियों पर देखा जा सकता है । ग्रीष्म काल में इस बायोम में अल्पाइन घास के मैदान देखे जा सकते हैं ।

विश्व के सबसे ऊँचे डगलस-फर हैं जो कैलिफोर्निया (संयुक्त राज्य अमेरिका) में पाये जाते हैं । इन वृक्षों को रेड-वुड के नाम से भी जाना जाता है । डगलस-फर की ऊँचाई 90 से 10 मीटर तक हो जाती है । इनकी आयु 1500 वर्ष तक हो जाती है । दूसरे सबसे ऊँचे वृक्षों में ब्राजील-नट का नाम आता है जिनकी ऊँचाई लगभग 60 मीटर तक पाई गई है । एल्म तथा पोपलर की ऊँचाई तीसरे तथा चौथे स्थान पर है, जबकि विलो तथा स्प्रूस का ऊँचाई में पाँचवाँ तथा छोटा स्थान है ।

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