जीवमंडल भंडार: मतलब उद्देश्य | Biosphere Reserves: Meaning Objectives. Read this article in Hindi to learn about:- 1. जीवमंडल संरक्षण क्षेत्र का अर्थ (Meaning of Biosphere Reserves) 2. जीवमंडल संरक्षण क्षेत्र के उद्देश्य (Objectives of Biosphere Reserves) 3. चयन का मापदंड (Criteria for the Selection) 4. अनुक्षेत्र वर्गीकरण (Zoning Classification).

जीवमंडल संरक्षण क्षेत्र का अर्थ (Meaning of Biosphere Reserves):

भारत सरकार ने जीव-जतियों के स्वस्थाने एवं आस्थानीय संरक्षण के लिये बहुत-से कानून बनाये हैं जिनकी सहायता से असुरक्षित एवं दुर्लभ जीव-जातियों के संरक्षण किया गया है । इन के अंतर्गत जीव-मंडल संरक्षण क्षेत्र नेशनल पार्क, स्थान, विश्व धरोहर स्थान चिड़ियाघर इत्यादि बनाये गये हैं ।

जीवमंडल संरक्षण क्षेत्र शब्द यूनेस्को द्वारा 1971 में प्रयुक्त किया गया था । इसे 1974 में यूनेस्को के कार्य दल ‘मानव व जीवमंडल (MAB)’ द्वारा पुनसंसोधित शोधित किया गया तथा कार्यक्रम औपचारिक रूप से 1976 में प्रारंभ किया गया था । जीवमंडल में जैविक व सांस्कृतिक विविधताएँ देखी जाती हैं तथा ये विलक्षण भौतिक व सांस्कृतिक विशेषताओं युक्त होते हैं ।

‘जीवमंडल आरक्षण’ यूनेस्को द्वारा प्रदत्त एक अन्तर्राष्ट्रीय पदनाम जो प्राकृतिक व सांस्कृतिक परिदृश्य को व्यक्त करता है तथा व्यापक क्षेत्र तक पृथ्वी या समुद्रतटीय पारिस्थितिकी या दोनों का समन्वय होता है ।

जीवमंडल संरक्षण क्षेत्र के उद्देश्य (Objectives of Biosphere Reserves):

ADVERTISEMENTS:

जीवमंडल संरक्षण क्षेत्र के प्रमुख उद्देश्य निम्नानुसार हैं:

1. पारिस्थितिकी के अन्तर्गत पौधों व जन्तुओं की विविधता व अखंडता को संरक्षित करना तथा सांस्कृतिक विविधता को अक्षुण्ण रखना ।

2. पारिस्थितिकी संरक्षण तथा अन्य पर्यावरणीय पहलुओं पर अनुसंधान को प्रोत्साहित करना ।

3. जैवविविधता व पर्यावरण के संदर्भ में शिक्षा प्रशिक्षण तथा जनचेतना निर्माण हेतु सुविधाएँ उपलब्ध कराना ।

ADVERTISEMENTS:

4. समाज, विविधता तथा पारिस्थितिकी के बीच एक सहजीवी संबंध विकसित करना ।

5. उपयुक्त प्रौद्योगिकी द्वारा प्राकृतिक स्रोतों का सतत प्रयोग सुनिश्चित करना ।

6. पारिस्थितिकी तंत्र में जैविक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक आयामों को समाहित करना ।

जीवमंडल क्षेत्र के चयन का मापदंड (Criteria for the Selection of Biosphere Reserves):

1. विशिष्ठ वनस्पतियों व जन्तुओंयुक्त, प्रमुख क्षेत्र जो अल्पतम अशांत हो तथा अतिरिक्त भूमि व जल ।

ADVERTISEMENTS:

2. वे क्षेत्र जो दुर्लभ व संकटापन्न प्रजातियों से युक्त हों ।

3. विशिष्ट भूतात्विक तथा भू-पारिस्थितिकीयुक्त क्षेत्र ।

4. वे क्षेत्र जहाँ विशिष्ट वनस्पतियाँ व जीव-जन्तु पाये जाते हो ।

5. वे क्षेत्र जहाँ जनजातीय, सांस्कृतिक व परम्पराएँ विद्यमान हों ।

केन्द्र सरकार द्वारा स्थापित इंडियन मैन एंड बायोस्फियर कमिटी जीवमंडल क्षेत्र के नवीन स्थलों की पहचान करती है । यह नीति-निर्माण, कार्यक्रमों पर सलाह प्रदान करती है तथा जीवमंडल संघों को मूल्यांकित व पुनरालोकित करती है ।

जीवमंडल संधों का प्रबंधन संबद्ध राज्य/संघ शासित क्षेत्रों का दायित्व है तथा इस हेतु वित्तीय सहायता व तकनीकी दक्षता केन्द्र सरकार द्वारा प्रदान की जाती है । जीवमंडल संघों को MAB की अन्तर्राष्ट्रीय समन्वय परिषद, ICC द्वारा एक निर्धारित प्रक्रिया द्वारा नामित किया जाता है ।

i. संरक्षण आरक्षित क्षेत्र (Conservation Reserves):

वन्य जीव संरक्षण अधिनियम (The Wildlife Protection Act 1972) 2003 में संशोधित किया गया था । इस संशोधन के परिणामस्वरूप संरक्षण क्षेत्र एवं सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र सृजित किए जाते हैं ।

संरक्षण आरक्षित क्षेत्र (Conservation) वह क्षेत्र हैं जो राज्य सरकार के स्वामित्व में होते है तथा भूदृश्यों समुद्री दृश्यों तथा वनस्पति व जीव जंतुओं के वास को संरक्षित करने के लिए राष्ट्रीय उद्यानों और अभ्यारण्यों के समीप होते हैं ।

ii. सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र (Community Reserve):

वन्य जीवों को संरक्षित करने के समुदाय के प्रयासों को यह एक वैधानिक समर्थन व पहचान प्रदान करता है । इसके अतिरिक्त यह एक लोचदार प्रक्रिया के तहत समुदाय के हितों को पारपालित करते हुए वन्य जीव संरक्षण के लक्ष्यों को प्राप्त करने की व्यवस्था करता है ।

समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine Protected Areas):

समुद्री संरक्षण क्षेत्र अंतज्यारीय या उपज्वारीय वह क्षेत्र है जिसमें जल तथा संबद्ध वनस्पति तथा जीव जन्तु ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विशेषताएँ होती हैं । इसे अंशतः या पूर्णतः पर्यावरण का संरक्षण करने के लिए विधि द्वारा अथवा अन्य प्रभावी साधनों द्वारा आरक्षित किया जाता है ।

समुद्री संरक्षण क्षेत्र मछलियों के सन्त उत्पादन को सुनिश्चित करता है तथा प्रवाल भित्ति, लैगून, एस्चुएरी, वनस्पति, जीव जगत तथा समुद्र तट को संरक्षित क्षेत्र प्रमानएप्त के अंतर्गत भारत में 33 राष्ट्रीय उद्यान तथा वन्य जीव अभ्यारण्य हैं । समुद्री राष्ट्रीय उद्यान व समुद्री अभ्यारणयों में कच्छ की खाड़ी भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान तथा भीतरकनिका अभ्यारण शामिल हैं । देश के संरक्षित क्षेत्र का लगभग 4 प्रतिशत क्षेत्र समुद्री संरक्षित क्षेत्र है ।

भारत के पवित्र उपवन (Sacred Groves of India):

पवित्र उपवनों में भूभाग तथा भूपट्‌टियाँ शामिल है जिनमें कुछ वृक्ष अथवा छोटे वन या कई एकड़ तक वन विस्तृत होते हैं तथा जो स्थानीय देवी-देवताओं को समर्पित होते हैं । ये वन स्थानीय समुदायों द्वारा संरक्षित होते हैं क्योंकि इनके साथ धार्मिक विश्वास तथा पारंपरिक धार्मिक अनुष्ठान वाले कृत्य संबद्ध होते हैं ।

लोगों का विश्वास होता है इनके साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ स्थानीय देवता को कर सकता है जिससे रोग, प्राकृतिक आपदाए, फसल बरबाद होना जिससे गरीबी व बेरोजगारी बढ सकती है जैसी घटनाएँ घट सकती हैं । भारत के पवित्र उपवनों का विवरण तालिका 4.6C में दिया गया है ।

निम्नलिखित मदें पवित्र उपवनों में वर्जित हैं तथा इनका पवित्र वनों से निर्यात नहीं किया जा सकता:

(i) समस्त जंगली जन्तु

(ii) गाय बैल या बछड़े का मास

(iii) भैंस का मास

(iv) मोर की पूँछ व पंख तथा इससे बनी हस्तशिल्प की वस्तुएँ

(v) समुद्री शंख (Sea Shell)

(vi) लकड़ी व लकडी के उत्पाद

(vii) ईंधन की लकड़ी

(viii) किसी भी रूप में चन्दन की लकड़ी

(ix) यांत्रिक (Mechanical), रासायनिक (Chemical) व अर्द्ध-रासायनिक (Semi- Chemical) लकडी की लुगदी

जीवमंडल संरक्षण क्षेत्र का अनुक्षेत्र वर्गीकरण (Zoning Classification of Biosphere Reserve):

मैन एंड बायोस्फियर रिजर्व के 1976 के सिद्धांतों में किसी बायोस्फियर को अनुक्षेत्र वर्गीकरण में विभाजित करने पर विशेष बल दिया था ।

i. केन्द्रीय क्षेत्र (Core Zones):

पूर्णरूप से सुरक्षित इस क्षेत्र में मानव द्वारा किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता । किसी भी परिस्थितिकी तंत्र का यह सबसे सुरक्षित भाग होता है । कम जनसंख्या वाले प्रदेश में स्थित बायोस्फियर रिजर्व में कोर-क्षेत्र का आकार बडा होता है, परंतु यदि किसी क्षेत्र में जनसंख्या का घनत्व अधिक है तो कोर-क्षेत्र का आकार छोटा होता है । केन्द्रीय क्षेत्र को समस्त मानवीय दबावों से मुक्त होना चाहिए, जो पारिस्थितिकी तंत्र हेतु बाहरी होते हैं ।

ii. प्रतिरोधक अथवा बफर जोन (Buffer Zone):

केंद्रीय क्षेत्र को चारों और से घेरने वाली पेटी को बफर जोन कहते हैं । इस भाग में परिस्थितिकी संबंधित शिक्षा, शोधकार्य तथा ट्रेनिंग, मत्स्य पालन, चराई इत्यादि का प्रबंध होता है । भविष्य में उपरोक्त सुविधाओं का विस्तार इसी भाग में किया जाता है ।

iii. परिवर्ती अथवा अतवर्ती क्षेत्र (Transitional Area):

परिवर्ती क्षेत्र बफर पेटी को चारों और से घेरे हुये होता है । क्षेत्रफल में बायोस्फियर रिजर्व का यह बड़ा भाग होता है । पर्यटकों के लिये इस क्षेत्र में होटल इत्यादि का प्रबंध होता है । इस क्षेत्र में स्थानीय लोगों को शिक्षा, शोधकार्य में सहायता करने की अनुमति होती है । इस क्षेत्र का प्रबंधन एक से अधिक सरकारी संस्थाएँ करती हैं ।

भारत में बायोस्फियर रिजर्व प्रोग्राम 1986 में आरंभ किया गया था । इस समय (2014) में भारत में 18 बायोस्फियर रिजर्व हैं, जो देश के विभिन्न भागों में स्थित हैं ।

उपरोक्त 18 जीवमंडल संरक्षण क्षेत्र में से केवल सात को ही विश्व नेटवर्क जीवमंडल संरक्षण क्षेत्र की सूची में सम्मिलित किया गया है ।

इन सात की सूची में:

1. सुंदरबन,

2. मन्नार की खाडी,

3. नीलगिरी,

4. नंदादेवी,

5. पंचमढ़ी,

6. सिमलीपाल तथा

7. नोकरेक सम्मिलित हैं ।